महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर

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महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर

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महाकाव्य :-
महाकाव्य प्राय: दीर्घ कथानक पर आधारित होता है। यह कई वर्गों में विभक्त होता है।  महाकाव्य का नायक उदात्त एवं महान गुणों से संपन्न होता है। जैसे - रामचरितमानस, पद्मावत, साकेत आदि।

या

"महाकाव्य में किसी महान पुरुष अर्थात महापुरुष के संपूर्ण जीवन का वर्णन होता है। महाकाव्य में आने के सर्ग होते हैं। महाकाव्य में अनेक रसों का वर्णन होता हैइसमें अनेक छन्दों का प्रयोग होता है महाकाव्य में मुख्य कथा के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक कथाएं भी होती हैं।"


जीवनी और आत्मकथा में अंतर


छायावाद की विशेषताएं


महाकाव्य की विशेषताएं (लक्षण) :-


1. महाकाव्य में जीवन का संपूर्ण चित्रण होता है।

2. महाकाव्य का उद्देश्य महान होता है।

3. महाकाव्य का क्षेत्र व्यापक होता है।

4. महाकाव्य में नायक का संपूर्ण जीवन वर्णित होता है।

5. महाकाव्य में कम से कम 8 सर्ग होते हैं।


खंडकाव्य :-

जब किसी लोकनायक के जीवन के किसी एक अंश या खंड पर आधारित काव्य की रचना की जाती है उसे खंडकाव्य कहते हैं। जैसे - पंचवटी, सुदामाचरित्र, जयद्रथ वध आदि।

आचार्य विश्वनाथ के अनुसार - "खंडकाव्यं भवेत् काव्यस्य एकदेशानुसारि च" ( अर्थात खंड काव्य महाकाव्य का एकदेशीय रूप है)


"खंडकाव्य की सबसे प्रमुख या सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह स्वयं में अर्थात अपने आप में ही पूर्ण होती है। खंडकाव्य में संपूर्ण जीवन का वर्णन ना होते हुए जीवन के किसी एक महत्वपूर्ण खंड या घटना का वर्णन होता है। इसकी समस्त रचना एक ही रस और एक ही छन्द से बंधी रहती है।"


भारतेंदु युग की विशेषताएं


भाषा और विभाषा में अंतर

भाषा और विभाषा में अंतर

खंडकाव्य की विशेषताएं (लक्षण) :- 


1. खंडकाव्य में जीवन के किसी एक पक्ष का चित्रण होता है।

2. खंडकाव्य के लिए महान उद्देश्य का होना अनिवार्य नहीं है।

3. खंडकाव्य का क्षेत्र सीमित होता है।

4. खंडकाव्य में किसी घटना या जीवन के एक अंश का वर्णन होता है।

5. खंडकाव्य में एक या दो सर्ग होते हैं।


महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर - 


महाकाव्य

खंडकाव्य

1) इसमें जीवन का समग्र चित्रण या वर्णन होता है

इसमें जीवन के किसी एक अंश का वर्णन होता है 

2) इसमें अनेक रसों का वर्णन होता है

इसमें मुख्यतः एक ही रस होता है 

3) इसमें अनेक छन्दों का प्रयोग होता है

इसमें एक ही छन्द होता है 

4) महाकाव्य - रामचरितमानस रचयिता - तुलसीदास

खंडकाव्य - पंचवटी रचयिता - मैथिलीशरण गुप्त


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महाकाव्य खंडकाव्य में अंतर




महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर

खंडकाव्य और महाकाव्य में क्या अंतर है ?

खंडकाव्य छोटा होता है और महाकाव्य वृहद होता है।


महाकाव्य में कितने सर्ग होने चाहिए ?

महाकाव्य में कम से कम 8 सर्ग होने चाहिए। खंडकाव्य में सर्ग हो भी सकते हैं और नहीं भी।


 नाटक एवं एकांकी में अंतर

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नाटक :- नाटक एक अभिनय परक एवं दृश्य काव्य विधा है जिसमें संपूर्ण मानव जीवन का रोचक एवं कुतूहलपूर्ण वर्णन होता है । नाटक के विकास क्रम को निम्न रूप में स्वीकार किया गया है -

भारतेंदु काल - 1837 ई. से 1904 ई. तक 

सन्धि काल - 1904 ई. से 1915 ई. तक

प्रसाद काल - 1915 ई. से 1933 ई. तक 

वर्तमान युग - 1933 ई. से आज तक 


नाटक के तत्व :-

1. कथावस्तु, 

2.चरित्र-चित्रण, 

3.शैली,

4.संवाद (कथोपकथन), 

5.अभिनेता, 

6.संकलनत्रय, 

7.उद्देश्य 

आदि नाटक के तत्व हैं ।


नाटक की प्रमुख विशेषताएं :-

1. नाटक में प्रमुख कथा के साथ  गौण कथाएं भी जुड़ी रहती हैं।

2. इसमें कई अंक होते हैं।

3. पात्रों की संख्या अधिक होती है।

4. यह एक दृश्य काव्य है।


प्रमुख नाटक एवं नाटककार :-


नाटक

नाटककार

1.लहरों के राजहंस

मोहन राकेश 

2.कर्तव्य

सेठ गोविंद दास 

3.सन्यासी 

लक्ष्मी नारायण मिश्र

4.श्री प्रहलाद चरित्र

लाला श्रीनिवास

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नाटक और नाटककार 

एकांकी :-

 डॉ रामकुमार वर्मा के अनुसार - "एकांकी में एक ऐसी घटना रहती है, जिसका जिज्ञासापूर्ण एवं कौतूहलमय नाटकीय शैली में चरम विकास होकर अंत होता है।"


एकांकी के प्रमुख तत्व :-

1. कथावस्तु, 

2.चरित्र-चित्रण, 

3.संवाद (कथोपकथन), 

4.अभिनेता, 

5.संकलनत्रय,

6.द्वन्द,

7.भाषा-शैली ।


एकांकी की विशेषताएं :-

1. एकांकी में एक ही कथा और कुछ ही पात्र होते हैं।

2. यह रंग मंच पर अभिनीत किया जा सकता है।

3. एकांकी उद्देश्य पूर्ण होता है।

4. संघर्ष एकांकी का प्राण तत्व होता है।


प्रमुख एकांकी एवं एकांकीकार :-


एकांकी

एकांकीकार

1. शिक्षादान

बालकृष्ण भट्ट

2. एक घूंट

जयशंकर प्रसाद

3. रेशमी टाई

डॉ रामकुमार वर्मा

4. निर्दोष की रक्षा

उदयशंकर भट्ट

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 एकांकी और एकांकीकार

नाटक एवं एकांकी में अंतर :-

नाटक

एकांकी

1. नाटक में कई अंक होते हैं

एकांकी में मात्र एक अंक होता है

2. नाटक में पात्रों की संख्या अधिक होती है

एकांकी में पात्रों की संख्या नाटक की अपेक्षा कम होती है

3. नाटक में अधिकारिक कथावस्तु के साथ-साथ अनेक प्रसांगिक कथाएं होती हैं

एकांकी में अधिकारिक कथा (मूल कथा) होती है

4. नाटक दृश्य काव्य का वृहद रूप है

एकांकी दृश्य काव्य का लघु रूप है


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