राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर / rashtrabhasha aur rajbhasha mein antar
नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर और साथ ही साथ राजभाषा और राष्ट्रभाषा की क्या विशेषताएं होती हैं और उनसे संबंधित सभी जानकारी आपको इस पोस्ट में मिल जाएगी तो आप इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े
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| राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर |
राष्ट्रभाषा -
राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एवं सभी राज्यों के लोगों द्वारा जैसे भाषा को अपनाया जाता है वह समृद्ध भाषा राष्ट्रभाषा कहलाती है। भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है। इसमें राष्ट्र की संस्कृति, साहित्य एवं ऐतिहासिक तत्वों का समावेश होता है। यह राष्ट्र की संपर्क भाषा के रूप में स्वीकृत होती है।
या
जब कोई भाषा विकसित होकर इतना महत्व प्राप्त कर लेती है कि उसका प्रयोग पूरे राष्ट्र या अन्य भाषा क्षेत्रों में भी सार्वजनिक रूप से होने लगता है, उसे राष्ट्रभाषा कहते हैं।
राष्ट्रभाषा की विशेषताएं -
1.राष्ट्रभाषा की संस्कृति, इतिहास और साहित्य की प्रेरणा होती है।
2. यह राष्ट्र की संपर्क भाषा होती है और जनजीवन को प्रभावित करती है।
3. इसे राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होता है ।
4. इसका अपना साहित्य होता है।
5. यह शिक्षा प्रशासन और जनसंपर्क की निर्विवाद भाषा होती है।
6. इसका साहित्य समृद्धि एवं व्यापक होता है।
7. राष्ट्रभाषा बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली जाती है।
राजभाषा -
जिस भाषा में सरकारी कामकाज होता है, उसे राजभाषा या प्रादेशिक भाषा कहते हैं। प्रत्येक प्रदेश में वहाँ की क्षेत्रीय भाषा राजभाषा होती है। यह शासकीय पत्र व्यवहार की भाषा होती है। जैसे - मध्यप्रदेश में हिंदी, महाराष्ट्र में मराठी, गुजरात में गुजराती, पंजाब में पंजाबी।
या
राजभाषा अर्थात् सरकारी कामकाज की भाषा या भारतीय संघ की भाषा जिसे अंग्रेजी में 'ऑफिशियल लैंग्वेज' कहते हैं, राज भाषा कहलाती है।
राजभाषा की विशेषताएं -
1. राजभाषा सरकारी कामकाज की भाषा होती है।
2. क्षेत्रीय भाषा ही राजभाषा होती है।
3. कार्य के निर्णय, शिक्षा का माध्यम, रेडियो और दूरदर्शन आदि में राज्य भाषा का ही प्रयोग होता है।
4. भारत के संविधान में हिंदी को राजभाषा माना गया है।
राष्ट्रभाषा और राजभाषा में तीन अंतर -
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| राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर |

