class 11th Political Science chapter 19 Peace solution

sachin ahirwar
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class 11th Political Science chapter 19 राष्ट्रवाद  full solution//कक्षा 11वी राजनीति विज्ञान पाठ 19 राष्ट्रवाद पूरा हल

NCERT Class 11th Political Science Chapter 17 Nationalism Solution 

Class 11th Political Science Chapter 19 NCERT Textbook Question Solve

अध्याय 19
शांति
◆महत्वपूर्ण बिंदु


● शांति एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सभी व्यक्तियों को अपने विकास के समान अवसर मिलते हैं तथा कैसा भी सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक शोषण नहीं होता है।

● साधारणतया शांति का तात्पर्य लड़ाई झगड़े के बिना परस्पर मिल जुल कर रहना है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में शांति का अभिप्राय युद्ध रहित अवस्था है।

● शांति के मार्ग की सबसे बड़ी रुकावट आतंकवाद, शस्त्रीकरण, युद्ध इत्यादि हैं।

● हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं व्यवस्था बनाए रखना है, लेकिन शांति के प्रतीक खतरों को रोकने एवं समाप्त करने में वह सफल नहीं हो पाया है।

● आतंकवाद के उदय का प्रमुख कारण आक्रमक राष्ट्रों का स्वार्थ पूर्ण आचरण है।

● आधुनिक हथियारों तथा उन्नत प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके आतंकवादी शांति हेतु बड़ी चुनौती प्रस्तुत कर रहे हैं।

● समकालीन विश्व में शांति को बढ़ावा देने के लक्ष्य को लेकर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं जिनको सामूहिक रूप से “शांति आंदोलन” की उपमा दी जा सकती है।



★पाठांत प्रश्नोत्तर★



प्रश्न 1. शांति को सर्वोत्तम रूप में तभी पाया जा सकता है जब स्वतंत्रता, समानता और न्याय कायम हो। क्या आप सहमत हैं?

उत्तर- हम इस विचार को पूर्णता है सहमत हैं क्योंकि यदि किसी राज्य में स्वतंत्रता, समानता तथा न्याय की स्थापना नहीं हुई है, तो वहां इन को हासिल करने के लिए प्राय: आंदोलन चलते रहते हैं जिस कारण बस वहां शांति स्थापित नहीं हो नहीं हो पाती है। अतः वर्तमान लोकतांत्रिक राज्यों में सबसे पहले स्वतंत्रता, समानता तथा न्याय की ही स्थापना की जाती है, जिससे राज्य में शांति व्यवस्था कायम रहे। राज्य में स्वतंत्रता, समानता तथा न्याय से सामाजिक भेदभाव तथा असमानता इत्यादि का अंत हो जाता है तथा समाज में स्थाई रूप से शांति स्थापित होने के अवसर उत्पन्न होने लगते हैं।

प्रश्न 2. हिंसा के माध्यम से दूरगामी न्यायोचित उद्देश्यों को नहीं पाया जा सकता। आप इस कथन के बारे में क्या सोचते हैं?

उत्तर- हिंसा शांति स्थापना का कोई उचित तरीका नहीं है, क्योंकि हिंसा से प्रभावित होने वाले व्यक्ति को अनेक मनोवैज्ञानिक तथा भौतिक कठिनाइयों एवं मुस्कानों से होकर गुजरना पड़ता है जो कि उसके मन मस्तिष्क को कुंठा से ग्रसित कर देती है। व्यक्ति के मन की यह कुठाऐं उनकी आने वाली पीढ़ियों तक जारी रह सकती हैं तथा यह कभी भी विस्फोटक स्वरूप धारण कर सकती हैं। अतः हिंसा शांति स्थापना का दूरगामी एवं कारगर उपाय नहीं है। जब एक बार हिंसा में समाधान तलाशने की प्रवृत्ति विकसित हो जाती है तो यह शीघ्र ही नियंत्रण से बाहर हो जाती है तथा उन्हीं लोगों को क्षतिग्रस्त कर देती है जिनके अधिकारों की रक्षा अर्थ इसका प्रादुर्भाव हुआ था । उदाहरणार्थ- कंबोडिया मैं खमेर रूज का शासन क्रांतिकारी हिंसा का स्वरूप था लेकिन कुछ समय में ही है उन्हीं नागरिकों के नरसंहार का पर्याय बन गया जिन के हितों के लिए क्रांतिकारी हिंसा को अपनाया गया था। अतः स्पष्ट है कि शांति एक ही बार में सदैव के लिए प्राप्त नहीं की जा सकती बल्कि यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यापक अर्थों में मानव कल्याण की स्थापना हेतु नेतृत्व एवं भौतिक संसाधनों के सक्रिय क्रियाकलाप सम्मिलित होते हैं। ऐसे में हिंसा के माध्यम से दूरगामी अन्याय पूर्ण उद्देश्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 3. विश्व में शांति स्थापना के दृष्टिकोण हो कि अध्याय में चर्चा की गई है उनके बीच क्या अंतर हैं?

उत्तर- विश्व में शांति स्थापना के तीन दृष्टिकोण ओं की अध्याय में चर्चा की गई है जिनके मध्य अंतरों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-


प्रथम दृष्टिकोण (राष्ट्र द्वारा परस्पर संप्रभुता का सम्मान)

दूसरा दृष्टिकोण (राष्ट्रों के मध्य विकास के उद्देश्य से आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग)

तीसरा दृष्टिकोण

(राष्ट्रीय आधारित व्यवस्था के स्थान पर विश्व समुदाय की स्थापना)

(1)यह दृष्टिकोण शांति स्थापित करने हेतु विभिन्न राष्ट्रों के मध्य परस्पर एक दूसरे की सत्ता का सम्मान करने पर जोर देता है।

(1)यह दृष्टिकोण स्वयं को राष्ट्रों के मध्य परस्पर संप्रभुता के सम्मान तक सीमित नहीं रखता बल्कि यह उससे भी आगे विभिन्न राष्ट्रों के मध्य आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग को भी परम आवश्यक मानता है।

(1)यह दृष्टिकोण पूर्व के दोनों दृष्टिकोण से सर्वदा पृथक है इसके अंतर्गत विश्व में राष्ट्र आधारित व्यवस्था समुदाय की व्यवस्था को ही शांति का एकमात्र रास्ता माना जाता है।

(2)यह दृष्टिकोण का स्टॉक के अस्तित्व को कायम रखते हुए शांति स्थापित करना चाहता है।

(2)यह दृष्टिकोण राष्ट्रों को बनाए रखने के साथ-साथ उन्हें सहयोगी के रूप में बनाए रखकर शांति की कामना करता है।

(2)यह दृष्टिकोण शांति बनाए रखने हेतु राष्ट्रों के अस्तित्व को पूर्णरूपेण समाप्त करना चाहता है।

(3)यह दृष्टिकोण राष्ट्रों के परस्पर एक-दूसरे के मामले में हस्तक्षेप न करने को शांति की स्थापना का प्रमुख रास्ता बतलाता है।

(3) यह दृष्टिकोण विश्व में शांति स्थापित करने हेतु राष्ट्रों के बीच विकास के नाम पर आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग को आवश्यक मार्ग बतलाता है।

(3) यह दृष्टिकोण राष्ट्रों के अस्तित्व को समाप्त करके एक सीमा रहित विश्व की स्थापना को शांति का प्रमुख आधार बतलाता है।




★परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर★


◆अति लघु उत्तरीय प्रश्न◆


प्रश्न 1. विल्फ्रेडो पैरेटो किन लोगों को शेर मानता है।

उत्तर- इटली के समाजशास्त्री विल्फ्रेडो पैरेटो का मानना था कि जो लोग समाज में अपनी ताकत अर्थात शक्ति के प्रयोग से स्वयं अपने आप को ऊंची स्थिति तक पहुंचाते हैं, वह ही शेर हैं।

प्रश्न 2. यूनिसेफ ने शांति की स्थापना के लिए क्या रास्ता बतलाया है?

उत्तर- यूनिसेफ ने जनसाधारण की सोच बदलने को शांति स्थापना का प्रमुख रास्ता माना है। इस प्रकार के प्रयास हेतु दया तथा ममता इत्यादि प्राचीन सिद्धांत तथा ध्यान जैसे अभ्यास सर्वदा उपयुक्त हैं।

प्रश्न 3. युद्ध की आवश्यकता के कोई दो कारण लिखिए।

उत्तर - (1) आत्मरक्षा हेतु युद्ध की आवश्यकता होती है तथा (2) शांति वार्ताएं सफल ना होने की स्थिति में युद्ध की जरूरत पड़ती है।


प्रश्न 4. शीत युद्ध किस प्रकार का युद्ध है?

उत्तर- यह एक ऐसा योद्धा है जिस कारण क्षेत्र मानवीय मस्तिष्क है।

प्रश्न 5. रंगभेद पर आधारित हिंसा के दो उदाहरण दीजिए।

उत्तर-(1) अमेरिका के श्वेत लोगों को गुलाम बनने की प्रताप था(2) दक्षिणी अफ्रीका में गोरे तथा काले का भेद।


◆लघु उत्तरीय प्रश्न◆



प्रश्न 1. विश्व शांति हेतु खतरा बने आतंकवाद के उदय के प्रमुख कारण लिखिए।

उत्तर- संपूर्ण विश्व में शांति के लिए खतरा बन चुके आतंकवाद के उदय के प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं-

(1) युद्ध- विभिन्न राष्ट्रों के मध्य चलने वाले युद्ध कालांतर आतंकवाद को उदित करते हैं। युद्ध के दौरान पराजित होने वाला राष्ट्र आतंकवाद की मदद से दूसरे देश को भारी क्षति पहुंचाने की नापाक कोशिशें करता है। उदाहरणार्थ - भारत के प्रति पाकिस्तानी आतंकी संगठनों द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कुप्रयास।

(2) धार्मिक उन्माद- आतंकवाद को जन्म देने में धार्मिक उन्माद की निर्णायक भूमिका का निर्वहन करता है। कुछ धर्म की तथाकथित ठेकेदार संपूर्ण ब्राह्मण मैं अपने धर्म की श्रेष्ठता स्थापित करने एवं अपने स्वयं के धर्म की रक्षार्थ आतंकवाद को पुष्पित एवं पल्लवित करते हैं।

(3) असमानता- समाज में जाति वर्ग तथा धर्म इत्यादि पर आधारित असमानता भी आतंकवाद को उदित करती है। जब भेदभाव के शिकार लोगों की मानसिक कुंठाओं का समाधान शांतिपूर्वक नहीं हो पाता है जब वे हिंसा की शरण लेते हुए आतंकी घटनाओं को जन्म देते हैं।


प्रश्न 2. क्या हिंसा शांति को बढ़ावा दे सकती है?

उत्तर- हिंसा कदापि शांति को बढ़ावा नहीं दे सकती। वर्तमान में मानवता को हिंसा से सबसे बड़ा खतरा है जो धीरे-धीरे व्यक्ति , समाज, राज्य तथा विश्व के एक कोने से दूसरे कोने में व्याप्त होती चली जा रही है। हालांकि व्यक्ति ने भौतिक रूप से अत्यधिक प्रगति की है, लेकिन मानवीय स्तर पर मनुष्य की स्थिति पहले से कहीं अधिक खराब हुई है। लगातार बढ़ता हुआ आतंकवाद, राजनीति का अपराधीकरण, सांप्रदायिक दंगे तथा लूटपाट इत्यादि की बढ़ती हुई घटनाएं इस बात की साक्षी है कि हमारे प्रगति के आयाम कितने बेकार तथा खोखले होते हैं। उक्त परिस्थितियों में हिंसा कदापि शांति का माध्यम बन ही नहीं सकती है।


प्रश्न 3. राज्य समाज में किस प्रकार शांति स्थापित करता है?

उत्तर- राज्य समाज में निम्न प्रकार से शांति स्थापित करने का भरसक प्रयत्न करता है-

(1) बाह्य आक्रमण से सुरक्षा- राज्य बाह्य आक्रमण अर्थात हमलों से सुरक्षा करके समाज में शांति की स्थापना करता है।

(2) कानून बनाकर- समय-समय पर राज्य द्वारा लोक कल्याण की भावना को दृष्टिगत रखते हुए कानून निर्मित किए जाते हैं जो शांति स्थापित करने का प्रयास करते हैं।

(3) अधिकारों की सुरक्षा- राज्य जनसाधारण के अधिकारों की रक्षा करके शांति की स्थापना करता है।

(4) अल्पसंख्यक हितों की सुरक्षा- राज्य समाज के अल्पसंख्यक वर्गो के हितों की रक्षा करके शांति स्थापित करता है।


◆दीर्घ उत्तरीय प्रश्न◆



प्रश्न 1. शांति के प्रमुख तत्वों का वर्णन कीजिए।


उत्तर- व्यक्ति के मन तथा इच्छाओं को नियंत्रित करने के माध्यम शांति के प्रमुख तत्व निम्न प्रकार हैं-

(1) धर्म- शांति के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व 'धर्म' का अनुसरण करने वाला कदापि अशांति की बात नहीं करता। जहां प्रत्येक धर्म शांतिपूर्ण तरीके से रहने की शिक्षा देता है वही है किसी भी प्रकार की हिंसा की भी अनुमति नहीं देता है।

(2) अहिंसा- शांति का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व है अहिंसा। एक अहिंसक शक्ति कदापि शांति के रास्ते से नहीं भटकता है। अतः जिस समाज में अहिंसा है वहां पर शांति स्वता ही स्थापित हो जाती है।

(3) आस्था अथवा विश्वास- शांति का एक तत्व विश्वास भी है पूर्ण ब्रह्म समाज में निवास करने बालों में यदि विश्वास की भावना प्रबल होगी तब वे हिंसात्मक साधनों की तरफ दे करने तक नहीं।

(4) भाईचारे अर्थात बंधुत्व की भावना- शांति का एक अन्य तत्व बंधुत्व की भावना है । समाज के सभी लोगों द्वारा परस्पर भाईचारे की भावना के साथ रहने मात्र से शांति स्थापित हो जाती है। जहां समाज में बंधुत्व की भावना का अभाव होता है वहां का समाज हमेशा सांप्रदायिक हिंसा तथा आंतरिक संघर्षों में ही खड़ा हुआ रहता है।

(5) लोक कल्याणकारी क्रियाकलाप- शांति का महत्वपूर्ण तत्व जनसाधारण के हितार्थ कल्याणकारी कार्य करना भी है । समाज में जब तक लोक कल्याणकारी कार्यक्रम होते रहेंगे तब तक शांति को कोई खतरा पैदा नहीं होगा।

(6) सहयोग- सामाजिक , आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में परस्पर सहयोग के फलस्वरुप शांति स्थापित हो सकती है। प्राचीन समय में भी मानव को एकत्र तथा मिलजुल कर रहने के लिए सहयोग की भावना ने ही प्रेरित किया था। सहयोग भी शांति का ही आवश्यक प्रमुख तत्व है।


प्रश्न 2. शांति के मार्ग की बाधाओं को दूर करने के 5 उपाय लिखिए।

उत्तर- शांति के मार्ग में आने वाली बाधाओं को अर्ग प्रकार दूर किया जा सकता है-

(1) अंतरराष्ट्रीय कानून- संपूर्ण विश्व में शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु यह परम आवश्यक है कि कुछ अंतरराष्ट्रीय कानूनों का निर्माण किया जाए। वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय कानून राज्यों हेतु कुछ सीमाएं तथा पारस्परिक  संबंध निश्चित करते हैं । हालांकि यह अधिक सुदृढ़ नहीं होते हैं , लेकिन इसके मजबूत अधिकतर राज्य लोकमत के भय की वजह से इनका परिपालन करते हैं।

(2) अंतरराष्ट्रीय संगठन- शांति बनाए रखने में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भी महती भूमिका है। वैश्विक स्तर पर शांति की स्थापना हेतु 1991 में लिंग ऑफ नेशन्स तथा 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ का उदय इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए हुआ। इसी प्रकार शांति स्थापित करने में सार्क तथा आसियान भी सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

(3) जनमत- वर्तमान में शांति स्थापना में लोकमत की भी अहम भूमिका है। जनसंचार माध्यम इतने अधिक विकसित हो चुके हैं कि कुछ ही पलों में किसी भी विषय पर लोकमत विभिन्न माध्यमों से प्रचारित एवं प्रसारित हो जाता है जिससे शासन की अछूता नहीं रहता । लोकमत की वजह से ही शासन भी विश्व शांति को भंग करने से भयभीत रहता है।

(4) शक्ति संतुलन- शांति व्यवस्था स्थापित करने का एक अन्य कारगर उपाय शांति संतुलन की स्थापना है। किसी भी राज्य को इतना अधिक शक्ति संपन्न नहीं होने देना चाहिए कि वह अन्य राज्यों तथा विश्व शांति के लिए एक भारी मुसीबत ही ना बन कर रह जाए।

(5) नि:शस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण- शक्ति की स्थापना के लिए वैश्विक स्तर पर नि:शस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण किया जाना बहुत ही आवश्यक है । संसार में जितना अधिक शस्त्र भंडारण होगा उतना ही अधिक खतरा पैदा होगा । अतः नि:शस्त्रीकरण पर विशेष बल दिया जाने की आवश्यकता है। यदि किसी कारण से यह असंभव लगे तो शस्त्र नियंत्रण का साधन अपनाया जा सकता है।















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