class 11th Political Science chapter 16 नागरिकता full solution//कक्षा 11वी राजनीति विज्ञान पाठ 16 नागरिकता पूरा हल
NCERT Class 11th Political Science Chapter 16 Citizenship Solution
Class 11th Political Science Chapter 16 NCERT Textbook Question Solved
अध्याय 16
नागरिकता
◆महत्वपूर्ण बिंदु◆
● नागरिक शब्द अंग्रेजी के सिटीजन शब्द का का हिंदी अनुवाद है जिसका तात्पर्य नगर निवासी है।
● नागरिकता एक राजनीतिक समुदाय की पुण्य तथा समान सदस्यता है।
● नागरिकता का महत्वपूर्ण लक्ष्य है कि नागरिक को किसी राज्य का सदस्य होना परम आवश्यक होता है।
● नागरिकता के लिए आवेदकों को अनुमति प्रदान किए जाने का मापदंड प्रत्येक देश में अलग-अलग होता है।
● हमारे देश भारत में जन्म, वंश, परंपरा, पंजीकरण, देसीकरण अथवा किसी भी क्षेत्र के राज्य क्षेत्र में सम्मिलित होने से नागरिकता प्राप्त की जा सकती है।
● भारतीय संविधान में नागरिकों की लोकतांत्रिक एवं समावेशी अवधारणा को अपनाया है।
● अशिक्षा, सार्वजनिक संस्थाओं के प्रति उदासीनता, आलस्य एवं स्वार्थ भावना निर्धनता, बेरोजगारी तथा संप्रदायिकता इत्यादि आदर्श नागरिकता के मार्ग की रुकावटें हैं।
● विश्व नागरिकता का तात्पर्य है कि हम किसी एक देश के नहीं बल्कि विश्व के नागरिक हैं।
● खाना की विश्व कुटुंब तथा वैश्विक समाज अभी विद्यमान नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर लोग परस्पर एक-दूसरे से जुड़ाव महसूस करते हैं।
● वर्तमान में विभिन्न देश वैश्विक तथा समावेशी नागरिकता का समर्थन तो करते हैं लेकिन यही राष्ट्र नागरिकता देने की शर्तें भी निर्धारित करते हैं।
★पाठक प्रश्नोत्तर ★
प्रश्न 1. सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए तो जा सकते हैं लेकिन हो सकता है कि वे इन अधिकारों का प्रयोग समानता से ना कर सकें । इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- हम उक्त कथन को सभी प्रकार से सही मानते हैं। जैसे कि हम जानते हैं कि प्रत्येक समाज में सभी एक समान नहीं होते हैं। कुछ लोग अपने जन्म से ही पूंजीपति तथा शक्ति संपन्न होते हैं जबकि कुछ गरीब तथा दुर्बल होते हैं। धनक वर्ग के पास उचित संसाधन होने की वजह से वे अपने अधिकारों का उचित प्रयोग कर लेते हैं, जबकि निर्धन वर्ग के पास अपने अधिकार प्रयुक्त करने हेतु उचित संसाधन ही नहीं होते हैं। इस प्रकार यदि समाज के सभी लोगों को एक समान अधिकार प्रदान किए जाएंगे तो इस बात की अधिक संभावना रहेगी कि वे इन अधिकारों का प्रयोग समानता से नहीं कर पाएंगे।
प्रश्न 1. शरणार्थियों की समस्याएं क्या है? वैश्विक नागरिकता की अवधारणा किस प्रकार उनकी सहायता कर सकती है?
उत्तर - अनेक बार प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध तथा हिंसात्मक वातावरण की वजह से एक स्थान और किसी देश में रहने वाले लोग भाग का दूसरे स्थानों पर शरण लेते हैं। शरण लेते समय वे दूसरे देश की सीमाओं के भीतर भी जाकर बस जाते हैं। इन लोगों को शरणार्थी कहा जाता है। वर्तमान में शरणार्थियों की समस्या काफी जटिल होती जा रही है। सूडान, फिलिस्तीन, म्यांमार, बांग्लादेश इत्यादि जैसे शरणार्थी अपने देश अथवा पड़ोसी राज्यों में मजबूरी में शरणार्थी बने हैं। इनकी वजह से एक देश की राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सुरक्षा पर खतरे के बादल मंडराने लगते हैं। वैश्विक नागरिकता के अंतर्गत शरणार्थियों की कुछ सहायता की जा सकती है, क्योंकि वैश्विक नागरिकता की धारणा संपूर्ण विश्व में कहीं भी निवास करने वाले सभी लोगों को समान रूप से नागरिक मानकर अधिकार दिए जाने पर विशेष जोर देती है।
प्रश्न 3. देश के अंदर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लोगों के आप्रवासन का आमतौर पर स्थानीय लोग विरोध करते हैं। प्रवासी लोग स्थानीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान दे सकते हैं?
उत्तर- देश के भीतर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लोगों के आप्रवासन स्थानीय जनसाधारण द्वारा इस वजह से विरोध किया जाता है, क्योंकि उनको यह प्रतीत होता है कि कहीं अप्रवासी लोगों की संख्या उन से अधिक न हो जाए जिस कारण वे स्वयं अपने घर में ही अल्पसंख्यक बनकर ना रह जाएं वास्तव में यदि व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाए तो बाहर से आने वाले लोग प्रवासी स्थानीय अर्थव्यवस्था में काफी योगदान देते हैं। सामान्यतया प्रवासियों में फेरी लगाने वाले, घरों की आंतरिक साफ सफाई करने वाले तथा भवनों में निर्माण कार्य करने वाले कुछ कुशल एवं अकुशल श्रमिक इत्यादि लोगों की संख्या अधिक होती है स्थानीय लोगों को उनकी वजह से विभिन्न सुविधाएं सस्ती दरों पर मिल जा सकती हैं उक्त से स्पष्ट है कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में यह महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
◆परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर◆
★अति लघु उत्तरीय प्रश्न★
प्रश्न 1. 'नागरिक को अरस्तु ने किन शब्दों में परिभाषित किया है?
उत्तर- अरस्तु के शब्दों में, “एक नागरिक वह है जो राज्य के शासन में लेता है तथा राज्य द्वारा प्रदत्त सम्मान का उपयोग करता है।”
प्रश्न 2. अरस्तु की नागरिक संबंधी परिभाषा अपूर्ण क्यों है?
उत्तर- क्योंकि वर्तमान में नगर राज्यों का स्थान विशाल राज्यों ने ले लिया है, अतः 'नागरिक' शब्द का अर्थ काफी व्यापक हो गया है।
प्रश्न 3. 'नागरिक' की उचित परिभाषा लिखिए।
उत्तर- 'नागरिक' उस व्यक्ति को कहा जाता है, जो राज्य के प्रति भक्ति भाव रखता है, जिसे सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकार मिले होते हैं तथा जो जनसेवा की भावना से प्रेरित होता है।
प्रश्न 4. किसी राज्य में कितने प्रकार के नागरिक होते हैं?
उत्तर - किसी राज्य में चार प्रकार- (1) अल्पवयस्क नागरिक, (2) वयस्क नागरिक, (3) नागरिकता प्राप्त नागरिक तथा, (4) मताधिकार रहित वयस्क नागरिक होते हैं ।
प्रश्न 5. नागरिकता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- 'नागरिकता' भी स्थिति है जिसके अंतर्गत राज्य द्वारा व्यक्ति को नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार प्रदान किए जाते हैं तथा व्यक्ति राज्य के प्रति निष्ठा रखता है लास्की के अनुसार, “अपनी प्रशिक्षित बुद्धि को जनहित के लिए प्रयोग करना ही नागरिकता है।”
प्रश्न 6. 'नागरिकता' के तत्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर - 'नागरिकता' के चार मुख्य तत्व समाज की सदस्यता राज्य की सदस्यता सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकारों की प्राप्ति तथा राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन है।
प्रश्न 7. नागरिक और विदेशी में कोई दो अंतर लिखिए।
उत्तर - (1)विदेशी को उसकी इच्छा के खिलाफ सैन्य बलों में भर्ती नहीं किया जा सकता जबकि नागरिकों हेतु यह अनिवार्य किया जा सकता है। (2) नागरिक को देश से बाहर नहीं निकाला जा सकता जबकि राज्य के खिलाफ अपराध करने वाले स्वदेशी को राज्य से ही बाहर निकाला जा सकता है।
प्रश्न 8. नागरिकता प्राप्त करने की समस्त विधियों को किन दो भागों में विभक्त किया जा सकता है?
उत्तर- (1)जन्मजात अथवा जन्म द्वारा नागरिकता (2)देशीयकरण द्वारा नागरिकता।
प्रश्न 9. देशीयकरण का क्या आशय है?
उत्तर- देशीयकरण का आशय विदेशी को नागरिकता प्रदान करने कि किसी भी प्रणाली से है।
प्रश्न 10. नागरिकता प्राप्ति के कोई दो तरीके बताइए
उत्तर - (1) विवाह द्वारा (2) शासकीय नौकरी द्वारा तथा (3) निश्चित समय अवधि तक निवास द्वारा।
★लघु उत्तरीय प्रश्न★
प्रश्न 1. नागरिक और नागरिकता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- नागरिक को परिभाषित करते हुए गैटिल ने कहा है कि "नागरिक समाज के वे सदस्य हैं जो कुछ कर्तव्य द्वारा समाज में बंधे रहते हैं ।" सीले के शब्दों में "नागरिक उस व्यक्ति को कहा जाता है जो राज्य के प्रति भक्ति भाव रखता हो, उसे सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त हो तथा जनसेवा की भावना से प्रेरित हो।"
"नागरिकता" को परिभाषित करते हुए गैटिल ने कहा है कि "नागरिकता व्यक्ति की वह स्थिति है, जिसके कारण है कुछ सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकारों का उपयोग करता है।" लॉस्की के शब्दों में "अपनी प्रशिक्षित बुद्धि को लोकहित के लिए उपयोग करना ही नागरिकता है।"
प्रश्न 2. अल्पवयस्क तथा वयस्क नागरिक से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
अल्पवयस्क नागरिक बे व्यक्ति होते हैं जो एक निश्चित उम्र से कम होते हैं तथा इन्हें मत देने का अधिकार नहीं होता है। उदाहरणार्थ - हमारे देश भारत में 18 साल से कम उम्र के लोग अल्प वयस्क नागरिक की श्रेणी में आते हैं।
वयस्क नागरिक व्यक्ति होते हैं जिन्होंने एक निश्चित आयु प्राप्त कर ली हो। हमारे देश में 18 वर्ष से अधिक आयु प्राप्त लोग इस श्रेणी में आते हैं तथा इन्हें अपना मत देने का अधिकार हासिल होता है।
प्रश्न 3- नागरिकता प्राप्त करने के तरीके लिखिए।
उत्तर- नागरिकता प्राप्त करने के निम्न दो तरीके हैं-
(1) जन्मजात नागरिकता अथवा जन्म द्वारा नागरिकता- इस श्रेणी में भी नागरिक आते हैं जो उसी देश में जन्म लेते हैं। जन्म द्वारा नागरिकता निम्न तीन सिद्धांतों द्वारा प्राप्त की जाती है-
(I) रक्त अथवा वंश का सिद्धांत
(ii) जन्म स्थान का सिद्धांत तथा
(iii) दोहरा अथवा मिश्रित सिद्धांत।
(2) देशीयकरण द्वारा नागरिकता- यह एक वैधानिक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कुछ मिश्रित शर्तें पूर्ण करने पर व्यक्ति को संबंधित देश की नागरिकता हासिल हो जाती है। देशीयकरण द्वारा नागरिकता हासिल करने की प्रमुख विधियों में,
(I) विवाह द्वारा,
(ii) संपत्ति खरीदने पर,
(iii) सरकारी नौकरी द्वारा,
(iv) विजय द्वारा,
(v) गोद लेने पर,
(vi) निश्चित समयावधि तक निवास से तथा
(vii) विद्वता के आधार पर उल्लेखनीय है ।
प्रश्न 4. कोई नागरिक अपनी नागरिकता का स्वेच्छा से त्याग किस प्रकार कर सकता है?
उत्तर- अनेक देश अपने नागरिकों को यह अधिकार प्रदान करते हैं कि यदि वे अपनी इच्छा के अनुसार वहां की नागरिकता छोड़कर किसी दूसरे देश की नागरिकता ग्रहण करना चाहे तो वे सरकार की अनुमति लेकर ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए नागरिकों को सरकार के पास आवेदन करना होता है। जर्मनी में नागरिकता की समाप्ति के लिए इस प्रकार का नियम प्रचलित है।
★दीर्घ उत्तरीय प्रश्न★
प्रश्न 1. नागरिक को परिभाषित करते हुए इसके प्रकार अथवा श्रेणियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- उन लोगों को नागरिक कहा जाता है, जिन्हें किसी देश अथवा राष्ट्र के सदस्य होने के साथ वहां के सामाजिक एवं राजनीतिक सभी तरह से अधिकार प्राप्त हो तथा जो राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों का परिपालन करते हैं। नागरिक को बाटल ने परिभाषित करते हुए कहा है कि “नागरिक समाज के वे सदस्य होते हैं, जो कुछ विशेष कर्तव्य द्वारा समाज समाज से बंधे हैं, जो समाज के नियंत्रण में रहते हो तथा जो समाज द्वारा दी गई सुविधाओं का समान रूप से उपयोग करते हो।”
राज्य में निम्न चार प्रकार के नागरिक निवास करते हैं-
(1) अल्पवयस्क नागरिक- इस श्रेणी के नागरिकों में भी लोग होते हैं जो राज्य द्वारा निर्धारित आयु से कम होने के साथ मत देने के अधिकार से वंचित होते हैं। उदाहरणार्थ हमारे देश में 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को अलग देश का नागरिक कहां जाता है।
(2) वयस्क नागरिक- यह राज्य द्वारा निर्धारित एक निश्चित आयु प्राप्त के लोग होते हैं जिन्हें मताधिकार हासिल होता है। भारत में 18 वर्ष की आयु प्राप्त लोक वयस्क नागरिक की श्रेणी में गिने जाते हैं।
(3) नागरिकता प्राप्त नागरिक अथवा देशीयकृत नागरिक- इस श्रेणी में वे विदेशी आते हैं, जो राज्य द्वारा निर्धारित कुछ शर्ते पूर्ण करने के उपरांत नागरिकता हासिल कर लेते हैं। इस तरह के लोगों को देशीयकृत नागरिक भी कहा जाता है।
(4) मताधिकार रहित वयस्क नागरिक- इस श्रेणी में भी लोग होते हैं जो नागरिकता हासिल करने की न्यूनतम उम्र तो पूर्ण कर चुके होते हैं लेकिन किन्हीं विशेष कारणों की वजह से उन्हें मताधिकार प्राप्त नहीं होता है।
जैसे पागल, दिवालिया, गंभीर अपराधी, सेना से भागे हुए सैनिक तथा राष्ट्र से निष्कासित लोग इसी श्रेणी में आते हैं इनको 'अनागरिक' कहकर भी संबोधित किया जाता है।
प्रश्न 2. नागरिकता प्राप्त करने की शर्तों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
नागरिकता प्राप्त करने की प्रमुख विधियाँ लिखिए।
उत्तर प्रत्येक राज्य में नागरिकता हासिल करने की अलग-अलग विधियां हैं जिन्हें निम्न दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
(अ) जन्मजात अथवा जन्म द्वारा नागरिकता
इस विधि द्वारा नागरिकता हासिल करने के लिए निम्न तीन सिद्धांत प्रचलित हैं-
(1) रक्त अथवा वंश का सिद्धांत- इस आधार पर नागरिकता का निर्धारण रक्त अथवा जन्मजात बच्चे के वंश के आधार पर होता है। बच्चे को उसी देश की नागरिकता हासिल होती है जिस देश का उसका पता है। प्राचीन काल में यूनान और रोम तथा एशियाई देशों में नागरिकता के निर्धारण का यही आधार था तथा वर्तमान में भी फ्रांस, स्वीडन तथा स्विट्जरलैंड इत्यादि में नागरिकता का यही सिद्धांत प्रचलित है।
(2) जन्म स्थान का सिद्धांत- इस आधार पर नवजात बच्चे की नागरिकता उसके जन्म स्थान के आधार पर निर्धारित की जाती है। बच्चे का जन्म जिस देश की भूमि पर होता है, उसे उसी देश की नागरिकता स्वत: ही मिल जाती है, चाहे उसके माता-पिता किसी भी अन्य देश के नागरिक ही क्यों न हो। उदाहरणार्थ - इंग्लैंड, अमेरिका तथा अर्जेंण्टाईना इत्यादि देशों में नागरिकता का यह सिद्धांत प्रचलन में है।
(3) दोहरा अथवा मिश्रित सिद्धांत- कुछ देशों में रक्त अथवा वंश सिद्धांत तथा जन्म स्थान सिद्धांत को मिलाकर नागरिकता निर्धारित की जाती है। इस सिद्धांत का प्रचलन ब्रिटेन अथवा अमेरिका में है। मिश्रित सिद्धांत के अनुसार अमेरिकन तथा ब्रिटिश माता-पिता से पैदा बच्चों को, चाहे उनका जन्म इन देशों में हुआ हो अथवा किसी अन्य देश में , अपने माता-पिता के देश की ही नागरिकता मिलेगी।
(ब) देशीयकरण द्वारा नागरिकता
नागरिकता प्राप्त करने की देसी करण विधि एक वैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें कुछ निर्धारित शर्तों का को पूर्ण करने पर व्यक्ति को उस देश विशेष की नागरिकता मिल जाती है । इस विधि द्वारा नागरिकता निम्न प्रकार हासिल की जा सकती है
(1) विवाह से- किसी देश की महिला द्वारा दूसरे देश के पुरुष से विवाह करने मात्र से महिला को पति के देश की नागरिकता मिल जाती है।
(2) संपत्ति क्रय करने से- कुछ देशों में यह नियम है कि यदि कोई विदेशी उस देश में भूमि अथवा अचल संपत्ति खरीद लेता है तो उसे वहां की नागरिकता मिल जाएगी।
(3) गोद लेने से- यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य देश के बच्चे को गोद ले लेता है तो उस बच्चे को गोद लेने वाले धर्म पिता के देश की नागरिकता मिल जाएगी पूर्णब्रह्म
(4) निश्चित समय अवधि तक निवास से- अधिकांश देशों में यह नियम है कि राज्य के भीतर एक निश्चित समय अवधि तक निवास करने पर विदेशी अपने पूर्व राज्य की नागरिकता त्याग कर वर्तमान निवासी वाले देश की नागरिकता हासिल करने हेतु आवेदन करें तो उसे संबंधित देश की नागरिकता मिल जाती है। विभिन्न देशों में निवास करने की समय अवधि अलग-अलग निर्धारित है।
(5) शासकीय सेवा से- यदि कोई विदेशी किसी दूसरे देश में कोई शासकीय पद ग्रहण कर लेता है तो उसको संबंधित देश की नागरिकता मिल जाएगी।
(6) विद्वता के आधार पर- विभिन्न राज्यों में श्रेष्ठ श्रेणी के विदेशी विद्वानों को नागरिकता प्राप्त करने हेतु कुछ विशेष सुविधाएं दी जाती हैं ।
(7) विजय से- यदि कोई देश किसी अन्य देश पर अथवा उस देश के किसी भाग पर अपनी विजय पताका पहरा देता है, तो पराजित देश अथवा जिस हिस्से पर उसने जीत हासिल की है वहां के नागरिकों को जीतने वाले देश की नागरिकता मिल जाती है।
प्रश्न 3. नागरिकता समाप्ति के कारण लिखिए।
उत्तर- किसी भी राज्य के नागरिक की नागरिकता निम्न बढ़ने तिथियों में समाप्त हो सकती है-
(1) अपनी इच्छा से- कोई भी नागरिक अपनी इच्छा से आवेदन पत्र के द्वारा अपने देश की नागरिकता को छोड़ सकता है।
(2) किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करने से- यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी अपने देश की नागरिकता स्वत: ही समाप्त हो जाएगी ।
(3) लंबे समय तक देश में अनुपस्थित रहने पर- यदि किसी देश का कोई नागरिक लंबी समयावधि तक अपने देश में अनुपस्थित रहता है, तो वह अपने देश की नागरिकता खो देगा।
(4) विदेशी नौकरी द्वारा- यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश में नौकरी करते हुए विदेशी नागरिकता प्राप्त कर ले, तो उसकी मूल देश की नागरिकता का लोप हो जाएगा।
(5) विवाह द्वारा- जब किसी देश की महिला किसी दूसरे देश के पुरुष से विवाह कर लेती है, तो उस महिला की अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है।
(6) देशद्रोह तथा सेना से भागने पर- यदि कोई व्यक्ति देशद्रोही अथवा घोर अपराधी तथा सेना से भागा हुआ सैनिक है, तो राज्य उसकी नागरिकता का अंत कर देता है।
(7) समाज के त्याग से- जो व्यक्ति समाज एवं राज्य को त्यागकर साधु-संत हो जाते हैं, उन्हें भी नागरिकता से वंचित कर दिया जाता है।
(8) पागल अथवा दिवालिया हो जाने पर- कुछ देशों में पागल अथवा दिवालिया हो जाने पर भी व्यक्ति की नागरिकता समाप्त कर दी जाती है।
प्रश्न 4. नागरिक एवं विदेशी में अंतर बताइए।
उत्तर- नागरिक अथवा विदेशी नागरिक में प्रमुख अंतर निम्न है-
(1) नागरिक राज्य का स्थाई सदस्य होता है , जबकि विदेशी राज्य का अस्थाई सदस्य होता है।
(2) नागरिक को राज्य से सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं, जबकि विदेशी को जीवन रक्षा एवं सामाजिक अधिकार ही मिलते हैं और राजनीतिक अधिकारों से उसे दूर ही रखा जाता है।
(3) नागरिक अपने राज्य के प्रति अनेक कर्तव्यों का परिपालन करता है, जबकि विदेशी राज्य के कानूनों का तो पालन करते हैं लेकिन वे कर्तव्य पालन के लिए विवश अर्थात बाध्य नहीं होते हैं।
(4) जब तक नागरिक कोई अत्याधिक गंभीर अपराध ना करे तब तक राज्य अपने नागरिक को देश से निर्वासित नहीं कर सकता है। इसके विपरीत विदेशी को बिना कारण बताए भी देश छोड़ने के लिए वाद किया जा सकता है।
(5) आवश्यकता पड़ने पर राज्य के नागरिकों को सैनिक सेवा के लिए विवश कर सकता है, जबकि वह विदेशियों को सेना में भर्ती हेतु बाध्य नहीं कर सकता है।