class 11th Political Science chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व full solution//कक्षा 11वी राजनीति विज्ञान पाठ 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व पूरा हल
NCERT Class 11th Political Science Chapter 3 Election and Representation Solution
Class 11th Political Science Chapter 3 Election and Representation NCERT Textbook Question Solved
अध्याय 3
चुनाव और प्रतिनिधित्व
◆महत्वपूर्ण बिंदु◆
● प्रत्येक लोकतंत्र में निश्चित समय अवधि के बाद चुनाव अर्थात निर्वाचन होने जरूरी हैं, जो कि लोकतंत्र की आधारशिला को साधारण करते हैं।
● प्रत्येक लोकतांत्रिक देश में चुनावों के लिए मूलभूत नियम संविधान में उल्लेखित होते हैं, जिन्हें समय-समय पर विधायिका कानूनी प्रक्रिया द्वारा संशोधित करती रहती है।
● हमारे देश में बिना किसी भेदभाव के 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके नागरिक को अपना मत देने का अधिकार हासिल है।
● भारत में परिसीमन आयोग द्वारा देश को निर्वाचन क्षेत्रों में विभक्त वक्त करके प्रत्येक चुनाव क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुने जाने की व्यवस्था है।
● हमारे देश में सर्वाधिक वोट से जीत वाली व्यवस्था प्रचलित है ।
● भारतीय राष्ट्रपति द्वारा गठित परिसीमन आयोग के निर्णय भी करता है कि कौन सा निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित रहेगा।
● भारत में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों को उनकी जनसंख्या के आधार पर चुनावों में आरक्षण दिया गया है।
● चुनाव आयोग को भारतीय संसद तथा राज्य विधान मंडलों के चुनाव संबंधी सभी मामलों पर नियंत्रण तथा निर्देशन की शक्ति प्राप्त है।
● भारतीय चुनाव प्रक्रिया विभिन्न चरणों से होकर गुजरती है, जिसको निर्धारण करने का कार्य निर्वाचन आयोग द्वारा ही किया जाता है।
● भारत में मतदाताओं की उदासीनता, गरीबी, अशिक्षा तथा भ्रष्टाचार इत्यादि की वजह से चुनावों में 55 से 60% तक ही मतदान हो पाता है।
●17वी लोकसभा हेतु 11 अप्रैल से 19 मई, 2019 तक 7 चरणों में संपन्न चुनावों में लगभग 900 मिलियन भारतीय नागरिक वोट देने की योग्यता रखते थे।
★पाठान्त प्रश्नोत्तर★
प्रश्न 1. पृथक निर्वाचन-मंडल और आरक्षित चुनाव-क्षेत्र के बीच क्या अंतर है? संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मंडल को क्यों स्वीकार नहीं किया?
उत्तर- पृथक निर्वाचन मंडल एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें एक क्षेत्र से किसी जाति विशेष के प्रतिनिधि के निर्वाचन में सिर्फ उसी वर्ग के लोग मतदान कर सकते हैं।
उदाहरणार्थ- हमारे देश में अंग्रेजी को मत के दौरान 1909 के अधिनियम द्वारा मुस्लिमों हेतु यही व्यवस्था लागू थी। आरक्षित चुनाव क्षेत्र का अभिप्राय है कि चुनाव में निर्वाचन क्षेत्र जिस वर्ग हेतु आरक्षित है, उम्मीदवार उसी वर्ग विशेष अथवा समुदाय का होगा , लेकिन वहां मतदान का अधिकार समाज के समस्त वर्गों को हासिल होगा। भारतीय संविधान शिल्पियों ने पृथक् निर्वाचन मंडल को इस वजह से अस्वीकार कर दिया , क्योंकि यह सांप्रदायिक चुनाव पद्धति थी जो सांप्रदायिकता को बढ़ाकर सामाजिक एकता को नष्ट कर सकती थी। क्योंकि भारतीय संविधान निर्माता पृथक् निर्वाचन मंडल के अवगुणों से भली प्रकार परिचित थे अतः उन्होंने भारत विभाजन के साथ ही आरक्षित चुनाव क्षेत्र की व्यवस्था संयुक्त मतदाता नीति लागू की थी।
प्रश्न 2. भारत की चुनाव प्रणाली का लक्ष्य समाज के कमजोर तबके की नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना है। लेकिन हमारी विधायिका में महिला सदस्यों की संख्या केवल 12% तक पहुंची है। इस स्थिति में सुधार के लिए आप क्या उपाय सो जाएंगे?
उत्तर विधायिका में महिला सदस्यों की स्थिति निम्न प्रकार सुधारी जा सकती है-
(1) विधायिका में महिलाओं के लिए एक तिहाई स्थान आरक्षित किए जाने चाहिए।
(2) अधिक से अधिक संख्या में महिलाओं को राजनीतिक रूप से शिक्षित किया जाना चाहिए।
(3) महिलाओं को राजनीतिक क्रियाकलापों में बढ़-चढ़कर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
(4) परिवार में महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए ,तथा व्यवहारिक रूप से भ्रूण-हत्या पूर्णतया प्रतिबंधित होनी चाहिए।
प्रश्न 3 एक भूत पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक राजनीतिक दल का सदस्य बनकर चुनाव लड़ा । मसले पर कई विचार सामने आए । एक विचार यह था कि भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र नागरिक है । उसे किसी राजनीतिक दल में होने और चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। दूसरे विचार के अनुसार, ऐसे विकल्प की संभावना कायम करने रखने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित होगी। इस कारण, भूत पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। आप इसमें किस पक्ष से सहमत हैं, और क्यों ?
उत्तर- उक्त दोनों विचारों में से हम दूसरे विचार से सहमत हैं, क्योंकि इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित होगी। जब पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को किसी राजनीतिक दल से चुनाव लड़ने का विकल्प मिलेगा तो उसकी राजनीति में आने की लालसा बढ़ेगी और ऐसी स्थिति में विभिन्न राजनीतिक दल उसकी सेवा के दौरान उस को प्रभावित करने का प्रत्येक संभव प्रयास करेंगे। ऐसी परिस्थिति में चुनावों के दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त अपनी पसंद है कि राजनीतिक दल के हीतार्थ निर्वाचन कार्य को प्रभावित कर सकता है पुलिस स्टाफ उल्लेखनीय है कि भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त आर.के. द्विवेदी ने भी शासन को परामर्श दिया था कि सेवानिवृत्ति के बाद चुनाव आयुक्त को सरकार में किसी पद पर नियुक्ति नहीं दी जानी चाहिए।
प्रश्न 4. भारत का लोकतंत्र अब अनगढ़ ‛फर्स्ट -पास्ट -द -पोस्ट’ प्रणाली को छोड़कर समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हो चुका है’क्या आप इस कथन से सहमत हैं? इस कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर- हम इस कथन से सहमत हैं कि भारतीय लोकतंत्र 'फर्स्ट- पास्ट -द -पोस्ट' प्रणाली को छोड़कर समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली को अपनाने हेतु तैयार हो चुका है। वर्तमान परिस्थितियों में भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य पाठक प्रणाली को नहीं अपनाने के लिए निम्न किस कारण हैं
(1) समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली अत्याधिक जटिल है जिससे सामान्य जन इसे समझ नहीं पाता है।
(2) इस प्रणाली में बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र आवश्यक होने के परिणामस्वरूप जनसाधारण तथा उसके प्रतिनिधियों ने प्रत्यक्ष एवं व्यक्तिगत संपर्क नहीं रखता है
(4) समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली द्वारा विभिन्न राजनीतिक दलों तथा गुटों का उदय होता है जो राजनीति के लिए लाभदायक नहीं होता है ।
(5) समानुपातिक प्रणाली के आधार पर गठित विधायिका राष्ट्रीय एकता का साधन ना होकर विभिन्न केंद्रीय एवं वर्गीय हितों का संघर्ष स्थल बन जाती है ।
★परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर★
◆अति लघु उत्तरीय प्रश्न◆
प्रश्न 1. मताधिकार का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मताधिकार दो शब्दों 'मत' तथा 'अधिकार' से मिलकर बना है, इसका आशय राय तथा मत प्रकट करने का अधिकार है। देश के नागरिकों को शासन संचालन हेतु अपने प्रत्याशियों को चुनने का जो अधिकार प्राप्त होता है, उसे ही मताधिकार कहते हैं।
प्रश्न 2. मताधिकार की कोई एक परिभाषा लिखिए।
उत्तर- मताधिकार को परिभाषित करते हुए गार्नर ने कहा की “मताधिकार का अधिकार है, जिसे राज्य देश के हित साधक योग्य व्यक्तियों को प्रदान करता है”।
प्रश्न 3. मताधिकार कितने प्रकार का हो सकता है?
उत्तर- मताधिकार दो प्रकार- (1) सीमित मताधिकार तथा (2)वयस्क मताधिकार का हो सकता है।
प्रश्न 4. सीमित मताधिकार के समर्थकों के नाम लिखिए।
उत्तर-ब्लंटश्ली, मिल, हेनरीमैन, सिजविक तथा लैकी इत्यादि विद्वानों ने सीमित मताधिकार का समर्थन किया।
प्रश्न 5. सीमित मताधिकार के दो आधार क्या है?
उत्तर- (1) संपत्ति का आधार तथा (2) शिक्षा का आधार।
प्रश्न 6. भारत के चुनाव क्षेत्र किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर- एक सदस्यीय।
प्रश्न 7. भारतीय चुनाव प्रणाली की प्रमुख विशेषता लिखो ।
उत्तर- भारतीय चुनाव व्यस्क मताधिकार के आधार पर होते हैं ।
प्रश्न 8. सार्वभौमिक व्यस्त मताधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- जब एक निश्चित आयु के नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मतदान का अधिकार दिया जाता है। तब उसे सर्व भौमिक व्यस्क मताधिकार कहते हैं।
प्रश्न 9. वयस्क मताधिकार के तीन समर्थक विद्वानों के नाम लिखिए।
उत्तर- माँण्टेस्क्यू, जीन,जैक्स रूसो तथा टाँमस 10 वयस्क मताधिकार के प्रबल समर्थक विद्वान थे।
प्रश्न 10. मताधिकार के प्रयोग में बरती जाने वाली किन्ही तीन सावधानियों को उल्लेख कीजिए।
उत्तर- (1) मताधिकार को योग्य व्यक्ति को ही अपना मत देना चाहिए, (2) मताधिकार का प्रयोग निष्पक्ष होकर करना चाहिए , (3) मताधिकार का प्रयोग सभी विचारों को सुनकर अपने विवेक के आधार पर करना चाहिए।
प्रश्न 11. अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के प्रतिपादक कौन थे?
उत्तर- आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के प्रतिपादक 19वीं सदी के अंग्रेज विद्वान थॉमस हेयर थे ।
प्रश्न 12. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के दो रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर इसके दो रूप एकल संक्रमणीय मत प्रणाली तथा सूची प्रणाली है।
प्रश्न 13. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तीन गुण लिखिए।
उत्तर- (1) इस प्रणाली में मतों की बर्बादी नहीं होती है (2) इसमें अल्पसंख्यकों की सूचित प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है तथा (3) इसमें सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिलता है ।
प्रश्न 14 आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के दोष लिखिए।
उत्तर-(1) जटिल प्रणाली है।(2) दलील एकता नष्ट होती है ,तथा(3) नेताओं के प्रभाव में वृद्धि होती है।
प्रश्न 15 एकल संक्रमणीय मत प्रणाली क्या है?
उत्तर- प्रतिनिधित्व को अनुपातिक बनाने हेतु प्रयोग की जाने वाली मतदान की एक पद्धति एकल संक्रमणीय प्रणाली कहलाती है। इसमें निश्चित मत संख्या( चुनाव कोटा) का निम्न सूत्र प्रयुक्त किया जाता है-
निश्चित मत संख्या= (मतों की संख्या ÷सदस्यों की संख्या+1)+1
प्रश्न 16 सूची प्रणाली क्या है?
उत्तर - इस निर्वाचन प्रणाली के अंतर्गत चुनाव क्षेत्रों का आकार बड़ा होता है तथा प्रत्येक क्षेत्र से कई सदस्य चुने जाते हैं। इसमें दलों के अनुसार प्रत्याशियों की अलग-अलग सूचियां बना ली जाती हैं तथा प्रत्येक मतदाता चुने जाने वाले सदस्यों की संख्या के बराबर मत दे सकता है।
कृष्ण 17 यदि आप अनुपातिक प्रतिनिधि दुखी सूची प्रणाली को चुनाव में अपनाना चाहते हैं, तो इसके लिए निर्वाचन क्षेत्र से न्यूनतम कितने सदस्यों का चुनाव करना अनिवार्य हुआ ?
उत्तर -कम से कम दो सदस्यों को चुनाव करना जरुरी होगा।
प्रश्न 18 निर्वाचन आयोग का गठन किस प्रकार होता है?
उत्तर भारतीय निर्वाचन आयोग ने एक निर्वाचन आयुक्त तथा सदस्य होते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त तथा सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । वर्तमान में चुनाव आयोग सदस्य है। चुनाव आयोग के परामर्श से राष्ट्रपति क्षेत्रीय आयुक्तों की नियुक्ति करता है।
प्रश्न 19 भारत में मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर भारत में मुख्य निर्वाचन( चुनाव )आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
प्रश्न 20 मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से कैसे हटाया जा सकता है?
उत्तर- मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से विधि एवं आधारों पर हटाया जा सकता है, जिन पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है । अन्य आयुक्तों अथवा प्रदेशिक निर्वाचन आयुक्त को राष्ट्रपति मुख्य निर्वाचन आयुक्त के परामर्श पर हटा सकता है।
प्रश्न 21 निर्वाचन आयोग का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर- निर्वाचन आयोग का मुख्य उद्देश्य चुनावों की व्यवस्था करना तथा उससे संबंधित विवादों का समाधान करना करना है।
प्रश्न 22. निर्वाचन आयोग की स्वतंत्र बनाए रखने की दो व्यवस्थाएं लिखिए।
उत्तर- (1) निर्वाचन आयोग का गठन एक निश्चित कार्यकाल हेतु किया जाता है तथा
(2) निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के बाद उसकी सेवा शर्तों में कोई अलाव कारी बदलाव नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 23. भारत में कम जन सहभागिता का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर- गरीबी अथवा निर्धनता।
प्रश्न 24. चुनाव चिन्ह की क्या उपयोगिता है?
उत्तर- चुनाव चिन्ह अशिक्षित मतदाताओं के लिए सहायक होते हैं।
प्रश्न 25. सर्वप्रथम किस राज्य में मतदाता पहचान पत्र प्रयोग किया जाता था?
उत्तर- हरियाणा।
प्रश्न 26. चुनाव प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- प्रत्याशियों की योग्यताएं एवं अयोग्यताएं, निर्वाचनौं की अधिसूचना संचालन, निर्वाचन संबंधी विवादों का समाधान, निर्वाचन संबंधी अपराध तथा उप निर्वाचन इत्यादि से संबंधित सभी व्यवस्थाएं निर्वाचन प्रक्रिया के अंतर्गत की जाती हैं।
प्रश्न 27. भारतीय निर्वाचन प्रणाली कोई तीन विशेषताएं लिखिए या (लक्षण लिखिए)।
उत्तर- (1) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, (2) गुप्त मतदान प्रणाली, तथा (3) निर्वाचन की प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रणाली का प्रयोग।
प्रश्न 28. भारतीय निर्वाचन प्रणाली के तीन दोष लिखिए।
उत्तर- (1) फर्जी मतदान होना,
(2) अधिकांश लोगों की मतदान के प्रति अरुचि तथा
( 3 ) धन की अवांछनीय भूमि का।
प्रश्न 29. भारतीय निर्वाचन प्रणाली के सुधार हेतु 3 सुझाव दीजिए।
उत्तर- (1) मतदाता पहचान पत्रों की अनिवार्यता,
(2) अनिवार्य मतदान, तथा
(3) चुनावी बिहार राज्य द्वारा वाहन किया जाए।
प्रश्न 30. मतदान के समय मतदाता की अंगुली में तुरंत ना मिटने वाली स्याही क्यों लगाई जाती है?
उत्तर- जिससे मतदाता फिर से मतदान ना कर सके।
★लघु उत्तरीय प्रश्न★
प्रश्न 1. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से क्या आप क्या समझते हैं?
उत्तर- 20वीं सदी की देन सर्वभौमिक वयस्क मताधिकार में जाति, लिंग , वर्णन , नस्ल, शिक्षा तथा संपत्ति का भेदभाव किए बिना संविधान द्वारा निर्धारित योग्यता ओं का पालन करने वाले को मताधिकार प्रदान किया जाता है।
प्रश्न 2. वयस्क मताधिकार के पक्ष में दो तर्क दीजिए। अथवा
वयस्क मताधिकार के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के पक्ष में निम्न दो तर्क दिए जा सकते हैं-
(1) समानता का पोषक- वयस्क मताधिकार का प्रमुख गुण है कि यह सामान्यता के सिद्धांत का पोषक है। इसके अंतर्गत सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से मतदान का अधिकार प्रदान किया जाता है।
(2) क्रांति अथवा विद्रोह से सुरक्षा - सुरक्षा राज्य की संपूर्ण वयस्क जनता द्वारा मतदान में हिस्सा लेने का अधिकार मिलने पर उससे सरकार के प्रति असंतोष की भावना नहीं रहती तथा क्रांति अथवा विद्रोह की संभावना समाप्त हो जाती है।
प्रश्न 3. वयस्क मताधिकार के दो दोष लिखिए।
अथवा
वयस्क मताधिकार के विपक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर- वयस्क मताधिकार के निम्न दो दोस्त हैं-
(1) भ्रष्टाचार को बल- वयस्क मताधिकार की वजह से निर्वाचन अधिक खर्चीला हो जाता है। धनिक वर्ग के लोग चुनाव में प्रत्याशी बनते हैं। वे गरीब मतदाताओं के मतों को धन के बल पर खरीदने की चेष्टा करते हैं। इस तरह व्यस्क मताधिकार भ्रष्टाचार को बल देता है।
(2) प्रगतिशील विचारों का विरोध- प्रायः जनसाधारण में रूढ़िवादी लोगों की संख्या ज्यादा है। यह लोग सुधारों तथा प्रगतिशील विचारों का विरोध करते हैं। अतः वयस्क मताधिकार ने प्रशासन रूढ़िवादी एवं प्रगतिशील विचारों के विरोधी लोगों का अड्डा ना बन जाएगा।
प्रश्न 4. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के गुण लिखिए।
उत्तर- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के प्रमुख गुण निम्न प्रकार हैं-
(1) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार द्वारा सार्वजनिक हितों की सुरक्षा रहती है।
(2) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का प्रमुख गुण यह है कि यह समानता के सिद्धांत के अनुरूप है , जो कि लोकतंत्र का मूल मंत्र है।
(3) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कानून परिपालन के दृष्टिकोण से अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होते हैं।
(4) संपूर्ण वयस्क जनसाधारण द्वारा मतदान में हिस्सा लेने का अधिकार मिलने पर उसमें शासन के खिलाफ असंतोष की भावना नहीं रहती तथा क्रांति तथा विद्रोह की संभावना पर विराम लग जाता है।
प्रश्न 5. 'फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट' प्रणाली से आप क्या समझते हैं? भारत में इसे अपनाने के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर- 'फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट' प्रणाली का अभिप्राय है कि चुनावों में जिस भी प्रत्याशी को सबसे अधिक वोट (मत) मिलते हैं उसे ही विजयी घोषित कर दिया जाता है। इस प्रणाली में जो भी प्रत्याशी सर्वप्रथम सर्वाधिक मत हासिल करता है वही उस क्षेत्र में जीता हुआ माना जाता है । भारत में इस प्रणाली को अपनाएं जाने के निम्न दो कारण हैं-
(1) भारत में एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है तथा (2) अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की अपेक्षा ही है प्रणाली अधिक सरल है।
प्रश्न 6. भारतीय निर्वाचन आयोग का गठन किस प्रकार होता है?
उत्तर- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अनुसार, निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा दो अन्य निर्वाचन आयुक्त हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग के परामर्श से आयोग की सहायता हेतु प्रादेशिक चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करता है। भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य अंग निर्वाचन आयुक्त, प्रादेशिक आयुक्त, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, राज्य स्तर पर रिटर्निंग अधिकारी, जिलाधीश, पीठासीन अधिकारी, मतदान तथा निर्वाचन से संबंधित अन्य कर्मचारी हैं। निर्वाचन आयोग को कार्यपालिका के नियंत्रण से पर पूर्णरूपेण स्वतंत्र रखा गया है।
वर्तमान में सुनील अरोड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त तथा सुशील चंद्र एवं अशोक लवासा आयुक्त हैं।
प्रश्न 7. भारतीय निर्वाचन आयोग के प्रमुख उद्देश्य लिखिए।
उत्तर- भारतीय निर्वाचन आयोग के प्रमुख उद्देश्य निम्न वत हैं-
(1) निर्वाचन आयोग का मुख्य अध्यक्ष देश में चुनावों की संपूर्ण व्यवस्था करना है। यह चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन करता है, मतदाता सूचियों निर्मित करता है, राजनीतिक दलों को मान्यता एवं चुनाव चिन्ह आवंटित करता है।
(2) निर्वाचन आयोग का दूसरा मुख्य उद्देश्य विपक्ष चुनाव कराना है।
(3) निर्वाचन संबंधी विवादों का समाधान करना निर्वाचन आयोग का तीसरा उद्देश्य है।
प्रश्न 8. निर्वाचन चुनाव आयोग के कारण लिखिए। अथवा
निर्वाचन आयोग की चार स्थान लिखिए।
अथवा
निर्वाचन आयोग के कोई चार कार लिखिए ।
उत्तर- भारतीय निर्वाचन आयोग निम्नलिखित कार्यों पर क्रियान्वित करता है-
(1) चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन- देश के प्रत्येक जनगणना के पश्चात निर्वाचन आयोग अपनी अध्यक्षता में एक परिसीमन आयोग गठित करता है, परिसीमन आयोग चुनाव क्षेत्रों की सीमाओं को निर्धारित करने का कार्य करता है।
(2) मतदाता सूचियों को निर्मित कराना- देश में होने वाले किसी भी चुनाव से पूर्व निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों का निर्माण कराता है।
(3) राजनीतिक दलों को मान्यता एवं चुनाव चिन्हों का आवंटन- निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने के साथ विविध राजनीतिक दलों एवं निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित कर आता है। इसी के साथ वह चुनाव चिन्ह से संबंधित विवादों का भी समाधान करता है।
(4) भेदभाव के बिना चुनावों का संचालन- देश में चुनाव को निष्पक्ष संपन्न कराने भी निर्वाचन आयोग का ही महत्वपूर्ण कार्य है।
प्रश्न 9. मतदाता पहचान पत्र का क्या महत्व है ?
उत्तर -फर्जी मतदाता पर प्रभावी अंकुश लगाने के उद्देश्य से मतदाताओं के लिए फोटोयुक्त पहचान पत्र जारी किए जाते हैं। भारतीय चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए वोट डालते समय पहचान पत्र साथ लाना अनिवार्य बना दिया है । बैंक में नया खाता खोलने में भी पहचान पत्र को स्वीकृत किया जाता है। इसी तरह रेलवे में आरक्षण कराने में भी इसे प्रयुक्त किया जाता है।
प्रश्न 10. आपकी राय में चुनाव आयोग को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु कौन-कौन से बदलाव अर्थात परिवर्तन किए जा सकते हैं?
उत्तर - चुनाव आयोग को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु उसमें निम्नलिखित बदलाव अर्थात परिवर्तन किए जाने चाहिए-
(1)चुनाव आयोग में वर्तमान आकार को बढ़ाते हुए उसमें चुनाव विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिए ।
(2) चुनाव के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा निर्वाचन में बेईमानी, गड़बड़ी एवं हिंसा की जाती है। ऐसे लोगों को दंडित करने के लिए चुनाव आयोग को न्यायिक शक्तियां प्रदान की जानी चाहिए।
(3) चुनाव आयोग की गतिविधियों में राजनीतिक दलों के अनावश्यक हस्तक्षेप पर प्रभावी अंकुश लगाया जाना चाहिए ।
(4) चुनाव आयोग अपने उत्तरदायित्व को उचित प्रकार क्रियान्वित करना कर सके इसके लिए उसे और अधिक शक्तिशाली बनाया जाना चाहिए।
★दीर्घ उत्तरीय प्रश्न★
प्रश्न 1." वयस्क या सार्वभौमिक मताधिकार संपूर्ण प्रगति का अंत कर देगा ।" सर हेनरी मैन इस कथन को स्पष्ट करते हुए वयस्क मताधिकार के विपक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के प्रमुख दोष निम्न प्रकार है-
(1) अकुशल शासन की स्थापना- सामान्यतः एक बड़ी संख्या में लोग अशिक्षित एवं अज्ञानी होते हैं जो अपने वास्तविक हितों को ठीक प्रकार नहीं समझ सकते। ऐसे अपरिपक्व लोग चुनावों में प्रत्याशियों की योग्यता को परख नहीं पाते। अतः सभी लोगों को मताधिकार देने का प्रतिफल अच्छा नहीं होता है।
(2) नागरिक अधिकार सिर्फ मताधिकार से सुरक्षित नहीं- नागरिक अधिकारों की सुरक्षा सिर्फ व्यस्क मताधिकार द्वारा असंभव है। इसी इसकी रक्षा विश्पक्ष न्यायपालिका, स्वतंत्र प्रेस, जागरूक जनमत तथा विपक्षी दल की उपस्थिति पर अधिक आश्रित है।
(3) धनी वर्ग के लिए असुरक्षित- साधारणतया समाज गरीबों की संख्या में अटा पड़ा है। चुकी गरीबों की धनिक वर्ग के प्रति प्रतिशोधात्मक भावना रहती है । अतः वे अपने बहुमत बल के आधार पर धनिक वर्ग के हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
(4) प्रगतिशील विचारों का विरोध- प्रायः जनसाधारण में रूढ़िवादी लोगों की संख्या ज्यादा है। यह लोग सुधारों तथा प्रगतिशील विचारों का विरोध करते हैं । अतः सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार मिलने पर शासन रूढ़िवादी एवं प्रगतिशील विचारों के विरोधी लोगों का अड्डा मात्र बन जाएगा।
(5) भ्रष्टाचार को बल- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की वजह से निर्वाचन और अधिक खर्चीला हो जाएगा, क्योंकि धनिक वर्ग के लोग चुनाव में प्रत्याशी बनते हैं । अतः वे गरीब मतदाताओं के मतों को धन के बल पर खरीदने की चेष्टा करते हैं । इस तरह वयस्क मताधिकार भ्रष्टाचार को पनपाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करता है।
प्रश्न 2. प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की कोई पांच गुण लिखिए
उत्तर- प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के गुणों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) सरल प्रणाली- प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली का प्रमुख गुण है यह है कि यह अत्याधिक सरल पद्धति है। इसका उपयोग निरीक्षण एवं अज्ञानी लोगों द्वारा भी किया जा सकता है।
(2) लोकतांत्रिक धारणा के अनुकूल- चूँकि यह जनमत प्रणाली जनसाधारण को अपने प्रतिनिधियों का स्वयं सीधे रूप से चयन करने का मौका देती है। स्थल स्वाभाविक है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सर्वदा अनुरूप है ।
(3) राजनीतिक जागृति- इस प्रणाली का एक * यह भी है कि इससे व्यक्ति अपने अधिकार एवं कर्तव्य के प्रति जागरूक होते हैं तथा उन्हें राजनीतिक शिक्षा भी मिलती है।
(4) जनप्रतिनिधियों का उत्तरदायित्व- प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली का प्रमुख गुण है यह भी है कि इस में चुने गए प्रतिनिधि अपने कार्यों के लिए मतदाताओं के प्रति जवाबदेह है।
(5) मतदाता एवं प्रतिनिधियों के बीच सीधा संपर्क- प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के अंतर्गत मतदाता एवं उसके प्रतिनिधियों के बीच सीधा संपर्क स्थापित होता है। प्रत्येक प्रत्याशी अधिकतम मतदाताओं से मिलकर उन्हें अपने कार्यक्रमों एवं नीतियों से प्रभावित करने का प्रयास करता है। इस तरह मतदाता प्रत्याशियों में व्यक्तित्व एवं कार्यक्रमों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करते हैं । इससे उन्हें निर्वाचन के लिए फैसले लेने में आसानी रहती है।
प्रश्न 3. प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के दोष लिखिए।
उत्तर- प्रत्येक मतदान प्रणाली के दोष निम्नलिखित हैं-
(1) प्रतिनिधि चयन त्रुटिपूर्ण- साधारण मतदाता इस लायक नहीं होते हैं कि अपने मतों का ठीक तरह से प्रयोग कर पाएँ। अतः प्रत्यक्ष मतदाता प्रणाली से आयोग्य लोग भी निर्वाचित हो जाते हैं।
(2) पेशेवर राजनीतिज्ञौं का बोलबाला- इस मतदान प्रणाली में पेशेवर राजनीतिज्ञों की भरमार रहती है। यह राजनीति जनसाधारण को अपने स्वार्थ के अनुसार भ्रमित करने की कोशिश करते हैं जिसके फल स्वरुप लोग गलत धारणा के आधार पर मतदान कर सकते हैं।
(3) श्रेष्ठ लोग चुनावों से दूर- प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली में झूठे प्रचार एवं भ्रष्ट तरीकों की वजह से राजनीतिक वातावरण इतना गंदा हो जाता है कि प्रतिभावना श्रेष्ठ एवं सत्यनिष्ठा लोग चुनाव लड़ने का साहस नहीं जुटा पाते तथा योग्यतम लोगों की सेवा से राष्ट्रीय वंचित रह जाता है।
(4) सार्वजनिक शिक्षा का तर्क भ्रामक - इस प्रणाली के अंतर्गत जो चुनाव प्रचार किया जाता है, तथा जिसे राजनीतिक शिक्षा का साधन कहा जाता है असल में कुछ इच्छा है। चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के व्यक्तित्व एवं कार्यक्रमों को ठीक से समझने के स्थान पर मतदाताओं को सोची-समझी रणनीति के द्वारा भ्रमित किया जाता है।
(5) अपव्ययी प्रणाली- मतदान की यह प्रणाली काफी खर्चीली सिद्ध होती है। व्यापक पैमाने पर चुनाव का आयोजन करने में काफी धनराशि खर्च होती है। गरीब देशों के लिए चुनाव एक आर्थिक भार है। इसमें इतना अधिक व्यय होता है की प्रभाव देश की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है। इस प्रणाली में योग्य व्यक्ति भी धन की कमी की वजह से चुनावों में भाग नहीं ले पाते हैं।
प्रश्न 4. भारतीय निर्वाचन प्रणाली के गुण लिखिए।
उत्तर- भारतीय निर्वाचन प्रणाली के प्रमुख गुण निम्न प्रकार हैं-
(1) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली का प्रयोग- भारत में निर्वाचन की प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों प्रणालियों को अपनाया गया है। लोकसभा, राज्यों एवं संघ क्षेत्रों की विधानसभाओं में चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली और राज्य सभा एवं राज्यों की विधान परिषदों, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा होते हैं।
(2) गुप्त मतदान प्रणाली का प्रयोग- भारतीय चुनावों में मतदान गुप्त विधि से होता है तथा मतदाता बिना किसी दबाव के अपना मत दे सकता है।
(3) ऐच्छिक मतदान- भारतीय निर्वाचन प्रणाली एक प्रमुख गुण यह भी है कि कोई व्यक्ति चुनाव में मतदान करें अथवा ना करें यह उसकी इच्छा पर निर्भर है। उसके लिए मतदान अनिवार्य नहीं है।
(4) चुनाव में खड़े होने का अधिकार- जाति, धर्म , रंग, जन्म, लिंग एवं स्तर के भेदभाव के बिना निर्धारित योग्यताएं रखने वाला कोई भी नागरिक चुनाव में प्रत्याशी बन सकता है। वह किसी राजनीतिक दल की ओर से अथवा निर्दलीय (स्वतंत्र) दोनों ही प्रकार से चुनाव लड़ सकता है।
(5) स्वतंत्र चुनाव की व्यवस्था- चुनाव निष्पक्ष हो सके, इसके लिए चुनाव के संचालन एवं दायित्वों का स्वतंत्र चुनाव आयोग को दिया गया है । चुनाव कार्य में लगाए गए अन्य शासकीय कर्मचारी सभी उसके ही अधीक्षण, निर्देशन तथा नियंत्रण में कार्य करते हैं।
प्रश्न 5. निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न सोपानों को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर- निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न सोपानों को संक्षेप में निम्न बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) निर्वाचन नामावली का निर्माण- चुनाव के पूर्व संबंधित निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचन नामावली का निर्माण किया जाता है जिसमें जहां नए वयस्क दाताओं को जोड़ा जाता है, वहीं निर्वाचन क्षेत्र से बाहर चले गए तथा मृत्यु प्राप्त कर चुके मतदाताओं के नाम हटा दिए जाते हैं।
(2) चुनाव तिथियों की घोषणा- नामांकित पत्र भरने एवं उसकी जांच करने, नाम वापस लेने, चुनाव की स्थिति तथा मतगणना की स्थिति की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा की जाती है जो कि चुनाव भी प्रक्रिया का अलग चरण है। इसे चुनाव की अधिसूचना जारी करना भी कहते हैं।
(3) राजनीतिक दलों एवं निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह का आवंटन- नाम वापसी के पश्चात शेष बचे प्रत्याशियों को चुनाव आयोग द्वारा चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाते हैं। जहां मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशियों को आरक्षित चुनाव चिन्ह द प्रदान किए जाते हैं। वही निर्दलीयों को मुक्त चुनाव चिन्ह में से कोई एक्शन लिया जाता है।
(4) चुनाव प्रचार- चुनाव लड़ने वाली प्रत्याशी निर्धारित समय सीमा तक विभिन्न माध्यमों द्वारा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने हेतु चुनाव प्रचार करते हैं। इस दौरान वे अपना चुनाव घोषणा पत्र भी प्रस्तुत करते हैं।
(5) मतदान- निश्चित तिथि एवं समय पर मतदाता अपने मत का प्रयोग करते हैं। चुनाव के दौरान किसी क्षेत्र विशेष में हिंसा एवं उपद्रव होने के कारण मतदाता को स्थगित कर दिया जाता है तथा वहाँ पुनः मतदान की व्यवस्था की जाती है।
(6) परिणाम -निश्चित तिथि एवं समय पर मतों की गिनती के पश्चात सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाली प्रत्याशी को विजयी घोषित कर दिया जाता है तथा उसे उसका प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाता है।