class 11 hindi chapter 6 चंपा काले अच्छर नहीं चीन्हती question answer hindi medium//कक्षा 11 पद्य खंड हल
अध्याय – 6
चंपा काले अच्छर नहीं चीन्हती - त्रिलोचन
1 चंपा काले
काले अच्छर नहीं चीन्हती
मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है
खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है
उसे बड़ा अचरज होता है:
इन काले चीन्हों से कैसे ये सब स्वर
निकला करते हैं
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में प्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने एक
चंपा नामक ग्वाल-बाला का चित्रण किया है। वह कवि को पढ़ते देखकर हैरान होती है-
व्याख्या – चंपा नामक ग्वाल-बाला
अक्षरों का महत्व नहीं जानती। उसके लिए ये अक्षर काले-काले धब्बों के सिवाए कुछ
नहीं हैं। जब कवि कोई पुस्तक पढ़ने लगता है तो चंपा उनके पास आ जाती है वह उसने
पास खड़ी होकर सुनने लगती है कि कवि पुस्तक पढ़कर क्या कह रहा है। उसे इस बात से
बहुत हैरानी होती है कि काले-काले अक्षरों में से इतने सारे स्वर कैसे निकलते
हैं। वह अक्षरों का महत्व समझ नहीं पाती।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) कविता अत्यंत
सरल तथा सादगीपूर्ण है। ( 2 ) ‘काले-काले’ तथा ‘खड़ी-खड़ी’ में अनुप्रास अलंकार।
2. चंपा सुन्द की लड़की है
सुन्दर ग्वाला है : गायें-भैंसे
रखता है
चंपा चौपायों को लकर
चरवाही करने जाती है
चंपा अच्छी है
चंचल है
न ट ख ट भी है
कभी कभी ऊधम करती है
कभी कभी कलम चुरा देती है
जैसे तैसे उसे ढूँढ़ कर जब लाता हूँ
पाता हूँ- अब कागज गायब
परेशान फिर हो जाता हूँ
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में प्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि चंपा का
परिचय और उसकी शरारातों का वर्णन करता हुआ कहता है –
व्याख्या – यह चंपा सुन्दर नामक
ग्वाले की लड़की है। सुन्दर पेशे से ग्वाला है। उसके पाय गायें और भैंसें हैं।
चंपा उन गायों-भैंसों को चराने का काम करती है। वह स्वभाव से अच्छी है, चंचल है, शरारती है। कभी-कभी वह बहुत अधिक शोरगुल करती है। कभी-कभी तो
वह कलक को चुराकर छिपा देती है। तब कवि बहुत परेशान हो जाता है। वह जैसे-तैसे उस
कलम को ढूँढ़कर लाता है। परन्तु तब पता चलता है कि उसके कागज़ गायब हैं। चंपा उन
कागज़ों को छिपा लेती है। इस प्रकार चंपा अपनी नटखट शरारतों से कवि को बहुत परेशान
किया करती है।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) भाषा एकदम
सरल, सपाट और
सीधी-सादी है। ( 2 ) ‘कभी-कभी’ और ‘जैसे-तैसे’ शब्दों के प्रयोग से प्रवाह गुण आ गया है। ( 3 ) नटखट और
जैसे-तैसे में अनुप्रास अलंकार।
3. चंपा कहती है :
तुग कागद ही गोदा करते हो दिन भर
क्या यह काम बहुत अच्छा है
यह सुनकर मैं हँस देता हूँ
फिर चंपा चुप हो जाती है
उस दिन चंपा आई, मैंने कहा कि
चंपा,
तुम भी पढ़ लो
हारे गाढ़े काम सरेगा
गाँधी बाबा बी इच्छा है –
सब जन पढ़ना-लिखना सीखें
चंना ने यह कहा कि
मैं तो नहीं पढ़ूँगी
तुम तो कहत थे गांधी बाबा अच्छे हैं
वे पढ़ने लिखने की कैसे बात कहेंगे
मैं तो नहीं पढूँगी
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में प्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – चंपा पढ़ाई-लिखाई के प्रति
अरुचि प्रकट करती है।
व्याख्या – चंपा कवि को शिकायत-भरे
स्वर से कहती है- तुम दिन-भर इन कागज़ों पर लिखा-पढ़ी करते रहते हो। क्या
लिखा-पढ़ी करना बहुत अच्छा काम है! मैं तो ऐसा नहीं समझती। इसय पर कवि चंपा की अबोधता पर हँस
देता है। चंपा भी चुप हो जाती है।
एक दिन चंपा कवि के पास आई। कवि ने
उसे कहा कि वह भी पढ़ना-लिखना सीख ले। यह उसे कठिनाई के समय बहुत काम आएगा। उसने
गाँधी बाबा का हवाला देते हुए कहा कि गाँधी जी चाहते थे कि सब लोग पढ़ना – लिखना सीखें। चंना
ने सरल से लेखक को उत्तर दिया- मैं तो नहीं पढूँगी। तुम तो कहते थे कि गाँधी बाबा
अच्छे मनुष्य हैं। फिर वे पढ़ने-लिखने की बात क्यों करते हैं ? अगर करते हैं तो
वे अच्छे कैसे हैं। मैं तो पढ़ाई-लिखाई को अच्छा नहीं मानती। इसलिए मैं तो नहीं
पढूँगी।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) अभिव्यक्ति
एकदम सरल, स्वाभावित एवं सदगीपूर्ण है। ( 2 ) अनुप्रास अलंकार। ( 3 ) गाँधी बाबा के प्रभाव का अच्छा
चित्रण हुआ है।
4. मैंने कहा कि चंपा, पढ़ लेना अच्छा है
ब्याह तुम्हारा होगाख् तुम गौने
जाओगी,
कुछ दिन बालम सुंग साथ रह चला जाएगा
जब कलकत्ता
बड़ी दूर है वह कलकत्ता
कैसे उसे सँदेसा दोगी
कैसे उसके पत्र पढ़ोगी
चंपा पढ़ लेना अच्छा है!
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में प्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – इस पद्यांश में बताया गया है कि चंपा
पढ़ाई-लिखाई नहीं करना चाहती। तब कवि उसे प्रेमपूर्वक समझाता है –
व्याख्या – कवि चंपा को कहता है –
चंपा! पढ़-लिख लेना अच्छी
बात है। जब तुम्हारी शादी होगी। तुम ससुराल जाओगी। तब कुछ दिनों तक तो तुम्हारा
पति तुम्हारे साथ रहेगा। फिर कमाने के लिए कलकत्ता चला जाएगा। तुम जानती हो कि
कलकत्ता बहुत दूर है। तब तुम्हीं बताओ कि तुम अपने पति को संदेश कैसे भेजोगी?
उसके भेजे हुए पत्र कैसे पढ़ोगी? इसलिए मैा कहता हूँ कि तुम पढ़-लिख लो।
पढ़ना-लिखना अच्छी बात है।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) भाषा एकदम
सरल, सीधी और
सादगीपूर्ण है। ( 2 ) ब्याह, गौना, बालम, सँदेशा जैसे ग्रामीण शब्दों का प्रयोग से ग्रामीण वातावरण साकार हो उठा
है। ( 3 ) अनुप्रास अलंकार।
5. चंपा बोली : तुम कितने झूठे हो, देखा
हाय राम, तुम पढ़-लिख कर इतने झूठे हो
मैं तो ब्याह कभी न करूँगी
और कहीं जो ब्या हो गया
तो मैं अपने बलम को सँग साथ रखूँगी
कलकत्ता मैं कभी न जाने दँगी
कलकत्ते पर बजर गिरे।
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में प्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि त्रिलोचन द्वारा रचित ‘चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि चंपा
पढ़ाई-लिखाई के प्रति उदासीन है। लेखक उसे तरह-तरह से समझाता है। वह शादी, गौने और पति के संदेश को पढ़ने का हवाला
देकर उसे पढ़ने-लिखने की प्रेरण देता है। तब चंपा प्रतिक्रिया में कहती है कि –
व्याख्या – हाय राम! तुम
कितने झूठे हो। पढ़-लिखकर भी तुम मेरे साथ छल-कपट भरी बातें कर रहे हो। मैं तुम्हारी
बातों में नहीं आऊँगी। तुमने विवाह का नाम लिया है तो मैं विवाह करूँगी ही नहीं।
यदि मेरा विवाह हो भी गया तो मैं अपने पति को अपने पास रखूँगी। उसे कलकत्ता नहीं
जाने दँगी। कलकत्ता पर वज्र गिरे।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) भाषा अत्यंत
सरल, सीधी और
सादगीपूर्ण है। ( 2 ) अनुप्रास अलंकार।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
कविता के साथ -
प्रश्न 1. चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे?
उत्तर - चंपा नहीं चाहती कि उसकी शादी के बाद उसका पति धन कमाने के लिए कलकत्ता जाए। कलकत्ता उसके परिवार को तोड़ने वाला है, उसे उसके पति से अलग करने वाला है। वह ऐसे महानगर को सहन नहीं कर सकती। इसलिए वह कहती है कि कलकत्ता पर बजर गिरे।
प्रश्न 2. चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी?
उत्तर - चंपा ने दो बातें सुन रखी हैं -
1. पढ़ाई-लिखाई से कुछ नहीं होता।
2. गांधी बाबा अच्छे मनुष्य हैं।
इस कारण वह विश्वास नहीं कर पाती कि गांधी बाबा जैसे अच्छे मनुष्य ने पढ़ने-लिखने जैसी बात कही होगी।
प्रश्न 3. कवि ने चंपा की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर - कवि ने चंपा की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है -
1. भोलापन, 2. शरारती स्वभाव, 3. मन की बात को बिना छिपाए सीधे मुंह पर कहना, 4. परिवार के साथ मिलकर रहने की भावना, 5. कष्ट देने वाले के प्रति खुला विद्रोह।
प्रश्न 4. आपके विचार में चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूंगी?
उत्तर - मेरे विचार से चंपा के मन में यह बात बैठी हुई है कि पढ़े-लिखे लोग अच्छे मनुष्य नहीं होते। वे पढ़ने लिखने के बाद गांव छोड़ कर चले जाते हैं। बे चालाक, घमंडी और कपटी हो जाते हैं। बे अनपढ़ों को गँवार समझते हैं। इस कारण उसने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया है कि वह नहीं पड़ेगी।
कविता के आस-पास -
प्रश्न 1. यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो कभी से कैसे बातें करती?
उत्तर - यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो वह कवि को उसकी योग्यता के लिए उचित सम्मान देती। वह उससे बड़े प्रेम, सम्मान और विनम्रता से बातें करती। वह अपने को कुछ सिखाने के लिए कवि से अनुरोध करती।
प्रश्न 2. इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की किस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है?
उत्तर - इस कविता में पूर्वी प्रदेश की स्त्रियों की अनपढ़ता और उनके अपने प्रिय से दूर रहने की विवशता का वर्णन हुआ है। अनपढ़ हैं। उनके गांवों में रोजगार नहीं है। अतः उनके पतियों को रोजगार के लिए कलकत्ता जैसे महानगरों में जाना पड़ता है। उनकी विडंबना यह है कि वे पति की छुट्टी को पढ़ भी नहीं पाती और अपना संदेश लिखकर भी नहीं भेज पातीं। अतः वह घुट-घुटकर जीती हैं।
प्रश्न 3. संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को किस वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर - अनपढ़ लड़की को अनेक मानसिक विपत्तियों में से गुजरना पड़ता है। वह न तो पत्र लिखकर अपने माता-पिता या पति को हाल-चाल दे सकती है, न ही उनकी चिट्ठी पढ़कर उनका हाल-चाल जान सकती है। यदि वह किसी और से चिट्ठी लिखवा ले तो भी अपने मन की सारी प्रेम भरी बातें और वियोग के दुख को नहीं बतला सकती। उसकी सबसे बड़ी पीड़ा तो अकेलेपन को लेकर होती है। वह उसे अन्य किसी के साथ नहीं बांट सकती। इसलिए उसके मन की बातें मन में ही रह जाती हैं। इसी प्रकार वह अपने पति की प्रेम-भरी चिट्ठी भी किसी दूसरे से पढ़वाने में संकोच अनुभव करती है। वह विचार कर दुखी होती है कि यदि मैंने पढ़ाई-लिखाई की होती तो आज मुझे कठिनाई नहीं होती।
प्रश्न 4. त्रिलोचन पर एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा बनाई गई फिल्म देखिए।
उत्तर - छात्र फिल्म देखने का प्रयास करें।