Class 11 hindi chapter 4 ve ankhen question answer hindi medium//कक्षा 11 पद्य खंड हल
अध्याय – 4
वे आँखें - सुमित्रानंदन
पंत
1. अंधकार की गुहा सरीखी
उन आँखों से डरता है मन,
भरा दूर तक उनमें करुण
दैन्य सुख का नीरव रोदन !
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – इस कविता में स्वतंत्रता
से पूर्व के भारतीय किसान की दयनीय दशा का मार्मिक चित्र खींचा गया है। किसान की
निराश आँखों में झाँकता हुआ कवि कहता है कि –
व्याख्या – भारतीय किसान की आँखों
में मुझे एक अँधेरी गुफा के समान भयानक लगती हैं। जिस प्रकार अँधेरी गुफा के भीतर
झाँकने में भय लगता है, उसी प्रकार किसान की धँसी आँखों में देखने में भय लगता है, क्योंकि उन आँखों में भयानक गरीबी का दुख
और उनका चुपचान गरीबी को सहे जाने का मौन रुदन छाया हुआ है।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) ‘अंधकार की गुहा सरीखी’ किसान की धँसी आँखों के लिए सुंदर उपमा है।
( 2 ) ‘दारुण दैन्य दुख’ तथा ‘नीरव रोदन’ में अनुप्रास अलंकार है। ( 3 ) भाषा सरल, सरस व प्रवाह युक्त है।
2. वह स्वाधीन किसार रहा,
अभिमान भरा आँखों में इसका,
छोड़ उसे मँझधार आज
संसार कगार सदृश बह खिसका!
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – कभी किसान खुशहाल था। उन
दिनों कि तुलना में उसकी वर्तमान दुर्दशा का चित्रण करता हुआ कवि कहता है-
व्याख्या – भारतीय किसान कभी स्वाधीन
था, स्वावलंबी था।
उसके पास अपना कहने को कुछ खेत थे। तब उसकी आँखों में स्वाभिमान था, चमक थी। तब समाज में उसका मान-सम्मान था
परन्तु लोग आज उसे मझदार में छोड़कर ऐसे विलीन हो गये हैं, जैसे कोई रेतीला किनारा टूटकर नदी की धारा
में बह जाता है।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) दो ही पंक्तियों में कवि ने किसान का उजला अतीत और निराश वर्तमान-दोनों का चित्रण कर दिया है। ( 2 ) संसार की हृदयहीनता का चित्रण करुण बन पड़ा है। ( 3 ) ‘कागार सदृश’ में उपमा अलंकार है तथा स्वाधीन किसान, संसार कगार में अनुप्रास अलंकार है।
3. लहराते वे खेत दृगों में
हुआ बेदखल वह अज जिनसे,
हँसती थी उसके जीवन की
हरियाली जिनके तृन-तृन से!
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – इस कविता में सूदखोंरों की
मार झेल रहे भारतीय किसान की दुर्दशा का मार्मिक चित्रण किया है।
व्याख्या – उस किसान की आँखों में
आज भी वे लहलहाते खेत झूम उठते हैं, जिनसे वंचित कर दिया गया है। सूदखोर सेठों ने थोड़े से ऋण के
बदले उसकी सारी खेती को हथिया लिया है। उन खेतों का एक-एक तिनका उसे इतना प्यारा
था कि उसे देखकर किसान के जीवन में मानो हरियाली छा जाती थी। उसका मन प्रसन्न हो
उठता था। दुर्भाग्य से उसे आज उन्हीं खेतों के अधिकार से वंचित कर दिया गया है।
इस कारण उसके जीवन की प्रसन्नता नष्ट हो गई है।
काव्य सौंदर्य – कवि ने शोषित किसान
की दैन्य दशा का वर्णन किया है। ( 2 ) ‘जीवन की हरियाली’ में रूपक अलंकार तथा ‘तृन-तृन’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। ( 3 ) भाषा सरल, सरस प्रवाह युक्त है।
4. आँखों ही में घूमा करता
वह उसकी आँखों का तारा,
कारकुनों की लाठी से जो
गया जवानी ही में मारा!
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – सूदखारों ने किसान का ऋण
वापस न कर पाने के कारण खूब प्रताडि़त किया। यहाँ तक कि उसके प्रिय पुत्र को मार
डाला। ऐसे पीडि़त किसान का चित्र करता हुआ कवि कहता है –
व्याख्या – किान का प्रिय बेटा
जवानी की ही अवस्था में सूदखोंरों के कारिंदों द्वारा लाठियों के निर्मम प्रहारों
से मार डाला गया। अपने प्रिय बेटे की वह क्रूर हत्या आज तक भी उसकी आँखों के
सामने प्रत्यक्ष होकर नाचने लगती है।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) ‘आँखों मे घूमना’ तथा ‘आँखों का तारा’ मुहावरों का सशक्त प्रयोग हुआ है। ( 2 ) भाषा सरल, सरस, प्रवाह युक्त है। ( 3 ) लयात्मकता विद्यमान है।
5. बिका दिया घर द्वार,
महाजन ने न ब्याज की कौड़ी छोड़ी,
रह-रह आँखों में चुभती वह
कुर्क हुई बरधों की जोड़ी!
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – महाजन अपना धन और ब्याज
वसूलने के लिए कैसे-कैसे अत्याचार करते हैं, इसका चित्रण करते हुए कवि कहता है –
व्याख्या – महाजन ने धन और ब्याज
उगाहने के लिए किसान की घर-संपत्ति सब नीलाम कर डाली। उसे घर से बेघर कर दिया, किंतु अपने ऋण का ब्याज एक-एक पाई करके
चुका लिया। उसके मन में किसान की दयनीय अवस्था को देखकर जरा भी दया नहीं आई। उसने
उसकी प्रिय बैंलों की जोड़ी को भी उसके देखते-देखते नीलाम कर दिया। वह किसान उसे
विवश होकर नीलाम होते देखता रहा, कुछ कर नहीं पाया। आज भी बैंलों की नीलामी की वह स्मृति उसके मन में
वेदना जगा जाती है।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) विषयानुरूप
शब्दों व भाषा का चयन किया गया है। ( 2 ) ‘आँखों में चुभना’ मुहावरे का सशक्त प्रयोग हुआ है। ( 3 ) घर द्वार, महाजन ने न,
की कौड़ी छोड़ी में अनुप्रास अलंकार।
6. उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
अह,
आँखों में नाचा करती
उजड़ गई जो सुख की खेती!
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – इस अंश में उजड़े हुए किसान
की मनोदशा प्रकट हुई है। उसकी संपत्ति और गायें नीलीम कर दी गई हैं –
व्याख्या – किसान को अपनी उजली
सफेद गाय से अत्यंत स्नेह था। गाय भी उससे स्नेह रखती थी। अत: गाय उसके सिवाय
अन्य किसी को अपने पास दूध दुहने के लिए नहीं आने देती थी। उसकी आँखों के सामने
आज भी गाय का स्नेह उमड़ पड़ता है। हाय! बेचारे किा का सुखमय संसार आज उजड़ गया है, परन्तु उसे उसकी याद बरबस आती रहती है।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) किसान के
ममतामय किन्तु दयनीय जीवन का मार्मिक चित्रण किया गया है। ( 2 ) ‘आँखों में नाचना’ मुहारवे का प्रयोग दर्शनीय है। ( 3 ) किसे
कब, दुहाने आने में
अनुप्रास अलंकार।
7. बिना दवा दर्पन के घरनी
स्वरग चली, - आँखें आती भर,
देख-रेख के बिना दुधमुँही
बिटिया दो दिन बाद गई मर!
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – किसान की दीन-दीन पारिवारिक
दशा का वर्णन किया है।
व्याख्या – किसान की पत्नी दवा-दारू के अभाव में ही मर गई। वह इनता गरीब था कि पत्नी की बिमारी का इलाज भी नहीं कर पाया। यह सोचकर उसकी आँखें आँसुओं से भर जाती हैं। पत्नी की मृत्यु के पश्चात् दूध पर निर्भर रहने वाली उसकी नन्हीं बिटिया की ठीक से देखभाल नहीं हो पाई। अत: उसे बेचारी की भी अकाल मृत्यु हो गई।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) तत्सम
प्रधान शब्दावली का प्रयोग किया गया है। ( 2 ) ‘आँखें भरना’ मुहावरे का प्रयोग हुआ है। ( 3 ) दवा दर्पन में अनुप्रास अलंकार।
8. घर में विधवा रही पतोहू,
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
पकड़ मँगाया कोतवाल ने,
डूब कुएँ में मरी एक दिन!
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – किसान की पुत्रवधू की
दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु किस प्रकार हुई इसका वर्णन करते हुए कवि लिखता है –
व्याख्या – उस किसान के घर में
उसकी विधवा पुत्रवधू शेष बच रही थी। यद्यपि उसे पति घातिनी अर्थात् पति की हत्या
का कारण समझा जाता था, पर अब वही इस घर की गृहलक्ष्मी के समान थी। उसे भी एक दिन कोतवाल ने
बुलवाकर अपनी वासना से भ्रष्ट कर दिया। परिणामस्वरूप वह लाज के मारे कुएँ में
कूद कर मर गई। बेचारा किसान अपना सर्वस्व खोकर,
लुट-पिट कर नितांत अकेला रह गया।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) तत्सम
प्रधान शब्दावली का प्रयोग किया गया है। ( 2 ) पति घातिन में अनुप्रास अलंकार है।
( 3 ) करुण रस।
9. खैर, पैर की जूती,
जोरू
न सही एक, दूसरी आती,
पर जवान लड़के की सुध कर
साँप लोटते, फटती छाती।
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – किसान अपनी पत्नी और जवान
लड़के की याद कर-करके तड़पता है।
व्याख्या – पत्नी मरी, तो मरी। उसका मरना उतना कष्टकारी नहीं था।
वह तो पैर की जूती के सामन तुच्छ होती है। मनुष्य चाहे तो एक जूती फटने पर दूसरी
बदल ले। इसलिए वह किसान दूसरी पत्नी भी ला सकता था। परन्तु जब उसे अपने जवान
लड़के की हत्या हो जाने की याद आती है, तो उसकी छाती पर साँप लोटने लगते हैं। उसका मन पीडि़त हो उठता
है। वेदना के मारे छाती विदीर्ण हो जाती है।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) तत्सम प्रधान भाषा का
प्रयोग किया गया है। ( 2 ) साँप लोटना, छाती फटना तथा पैर की जूती होना- मुहावरों का प्रयोग बहुत ही
मार्मिक बन पड़ा है। ( 3 ) ‘त’ और ‘ज’ की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
10. पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती,
तुरत शून्य में गड़ वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी
पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में कविवर सुतित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग – कवि भारतीय किसान की
दुरावस्था का मार्मिक चित्रण किया है। किसान को कभी सूदखोरों ने, कभी सरकार अफसरों ने तो कभी दुर्भाग्य ने
लूटा। उसका लुटा-पिटा अतीत उसके लिए दुख का कारण बन गया है।
व्याख्या – किसान जब अपने गत वैभव
और सुख को याद करता है तो उस क्षण भर के लिए सुख और आनंद मिलता है। उसकी आँखों में
चमक भर आती है। उसे अपने खेत, गाय, पुत्र, पत्नी, बिटिया, पुत्रवधू की कल्पना सख देने लगती है, किंतु जब उसकी कल्पान धीरे-धीरे गहरे चिंतन में उतरती है तो
उसकी नजरें कहीं शून्य में गढ़ी की गढ़ी रह जाती हैं। उसे एक-एक करके सब नष्ट
होने की याद आती है, तो वे सब यादें उसके लिए दुखदायी बन जाती हैं।
काव्य सौंदर्य – ( 1 ) तत्सम शब्द
प्रधान भाषा का प्रयोग किया गया है। ( 2 ) चितवन की उपमा तीखी नोक से दी गई है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
कविता के साथ -
प्रश्न 1. अंधकार की गुहा सरीखी
उन ऑंखों से डरता मन।
( क ) आमतौर पर हमें डर किन बातों से लगता है?
( ख ) 'उन आंखों' से किस की ओर संकेत किया गया है?
( ग ) कवि को 'उन आंखों' से डर क्यों लगता है?
( घ ) डरते हुए भी कभी ने उस किसान की आंखों की पीड़ा का वर्णन क्यों किया है?
( ड़ ) यदि कवि इन आंखों से नहीं डरता क्या तब भी वह कविता लिखता?
उत्तर - ( क ) आमतौर पर हमें अपने तथा अपने प्रियजन की मृत्यु, नुकसान, कष्टों तथा अपमान से डर लगता है।
( ख ) उन आंखों से एक उजड़े हुए किसान की आंखों की ओर संकेत किया गया है।
( ग ) कवि को उन आंखों से इसलिए डर लगता है क्योंकि उनमें करुणा तथा निराशा व्याप्त है। उनमें दूर-दूर तक घोर अंधकार है। उनमें भय है, कवि उन आंखों का सामना नहीं कर सकता है।
( घ ) कवि को पीड़ित किसान की आंखों को देखकर भय लगता है फिर भी वह उसकी पीड़ा व्यक्त करना चाहता है। वह उसके दुख के बारे में समाज को बताना चाहता है ताकि लोग उससे सहानुभूति रखें तथा और अत्याचारी सूदखोर और कोतवाल का पर्दाफाश हो सके जिनके कारण किसान की दुर्दशा हुई है।
( ड़ ) कवि रचना करता है यह उसका धर्म है। यदि कवि को किसान की आंखों को देखकर भय नहीं लगता, तो भी वह किसी अन्य विषय को लेकर कविता लिखता।
प्रश्न 2. कविता में किसान की पीड़ा के लिए किन्हें जिम्मेदार बताया गया है?
उत्तर - इस कविता में किसान की पीड़ा के लिए सूदखोर तथा कोतवाल को जिम्मेदार ठहराया गया है। सूदखोर ने अपना ब्याज तथा ऋण वसूल करने के लिए उसके खेत, बैल और घर-बार बिकवा दिए। उसके कारिंदों ने किसान के जवान बेटे को मार डाला। लाचार किसान पत्नी की दवा-दारू न कर सका। अतः वह भी चल बसी। उसके बिना उसकी दूधमुँही बच्ची का देहांत हो गया। इस प्रकार सूदखोर के अत्याचारों के कारण किसान की दुर्दशा हुई।
किसान की दुरावस्था के लिए कोतवाल भी दोषी है। उसने किसान की पुत्रवधू को थाने में बुलवाया तथा उसके साथ कुकर्म किया। इस कारण व पुत्रवधू कुएं में डूब कर मर गए।
प्रश्न 3. 'पिछले सुख की स्मृति आंखों में छण भर एक चमक है लाती' इसमें किसान के किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर - निम्न पंक्ति में किसान के जिन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है, वे इस प्रकार हैं - किसान के कभी हरे-भरे लहलहाते खेत थे। उसकी हरियाली को देखकर उसका तन-मन प्रसन्न हो जाया करता था। तब वह स्वाधीन था। उसके पास अपने कहलाने को कुछ खेत थे। उसी से उसका मस्तक ऊंचा उठता था। तब उसकी आंखों में चमक तथा दृष्टि में स्वाभिमान था। उसका एक प्राणप्रिय जवान पुत्र था। उसका निजी घर था, पुष्ट बैलों की जोड़ी थी। उसके पास एक सफेद गाय भी थी, जो स्नेहवश बस उसी को ही दूध दुहने देती थी। उसके परिवार में पत्नी, बिटिया और पुत्रवधू थी। ये सब दुर्भाग्य से एक-एक करके नष्ट हो गए। इन्हीं की स्मृति उस किसान की आंखों में चमक ला देती थी।
प्रश्न 4. संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें -
( क ) 6. व्याख्या
( ख ) 8. व्याख्या
( ग ) 10. व्याख्या
प्रश्न 5. "घर मे विधवा रही पतोहू….। खैर पैर की जूती, जोरू/एक न सही दूजी आती," इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए ' वर्तमान समाज और स्त्री' विषय पर एक लेख लिखें।
उत्तर - प्रस्तुत कविता में स्त्री की अत्यंत दयनीय स्थिति बताई है। वर्तमान समाज में स्त्रियों की बात करें तो स्त्रियों की स्थिति पहले की तुलना में कही बेहतर है। आज स्त्री सभी देशों में पुनः अपनी शक्ति का लोहा मनवा रही है। आज वह अबला नहीं सबला हो गई है। आज वह घर के चौका से निकलकर सेना, पुलिस, वकालत, राजनीति, शिक्षा, साहित्य, कला, विज्ञान, चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में कार्य कर रही है। वर्तमान समय में नारी की स्थिति में अपेक्षित सुधार होते जा रहे हैं।
कविता के आस-पास -
प्रश्न 1. "किसान अपने व्यवसाय से पलायन कर रहे हैं।" इस विषय पर परिचर्चा आयोजित करें तथा कारणों की भी पड़ताल करें।
उत्तर - किसान अपने व्यवसाय से पलायन कर रहे हैं इस विषय पर निम्न मुद्दों के आधार पर परिचर्चा कर सकते हैं -
( 1 ) खेती व्यावसायिक दृष्टिकोण से लाभप्रद नहीं रह गई है।
( 2 ) इस व्यवसाय में परिश्रम की अधिक आवश्यकता होती है जिसे आज का पढ़ा-लिखा युवा वर्ग नहीं करना चाहता है।
( 3 ) सरकार का कृषि और किसान के प्रति उदासीन रवैया।
( 4 ) अनाज की बिक्री की समुचित व्यवस्था का अभाव।
कारण - ( 1 ) कम आय होना, ( 2 ) घोर परिश्रम के बाद भी सफलता न मिलना,( 3 ) समाज में उचित सम्मान न मिलना, ( 4 ) आधुनिक तकनीक का प्रयोग न होना, ( 5 ) प्रकृति और वर्षा पर निर्भरता।
Good
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