mp board class 11th Hindi chapter 8 jamun ka ped solution// जामुन का पेड़ के प्रश्न उत्तर

SL Study
0

class 11th hindi chapter 8 jamun ka ped question answer//chapter - 8  जामुन का पेड़ 

hindi class 11 ncert solutions aroh


 अध्‍याय – 8

                               जामुन का पेड़               - कृश्‍नचंदर

1 क्‍या मुश्किल है?माली बोला,’ अगर सुपरिटेंडेंट साहब हुक्‍म दें, तो अभी पंद्रह-बीस माली, चपरासी और क्‍लर्क लगाकर पेड़ के नीचे से दबे हुए आदमी को निकाला जा सकता है।

माली ठीक कहता हैबहुत-से क्‍लर्क एक साथ बोल पड़े, ‘लगाओ ज़ोर, हम तैयार हैं।एक साथ बहुत से लोग पेड़ को उठाने को तैयार हो गए।

ठहरो!’ सुपरिटेंडेंट बोला, ‘मैं अंडर-सेक्रेटरी से पूछ लूँ।

सुपरिटेंडेंट अंडर-सेक्रेटरी के पास गया। अंडर-सेक्रेटरी डिप्‍टी सेक्रेटरी के पास गया। डिप्‍टी सेक्रेटरी ज्‍वाइंट सेक्रेटरी के पास गया। ज्‍वाइंट सेक्रेटरी चीफ़ सेक्रेटरी के पास गया। चीफ सेक्रेटरी मिनिस्‍टर के पास गया। मिनिस्‍टर ने चीफ सेक्रेटरी से कुछ कहा। चीफ़ सेक्रेटरी ने ज्‍वाइंट सेक्रेटरी से कुछ कहा। ज्‍वाइंट सेक्रेटरी ने डिप्‍टी सेक्रेटरी से कहा। डिप्‍टी सेक्रेटरी ने अंडर सेक्रेटरी से कहा। फाइल चलती रही। इसी में आधा दिन बीत गया।

संदर्भ - प्रस्‍तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्‍तक आरोहके पाठ जामुन का पेड़से लिया गया है। इसके लेखक श्री कृश्‍नचंदर जी हैं।

प्रसंग – प्रस्‍तुत गद्यांश में बताया गया है। एक आदमी पेड़ के नीचे दबा हुआ है वहाँ सभी अफसर व क्‍लर्क इकट्ठे हुए। इसमें उन सबकी प्रतिक्रियाओं का वर्णन किया है।

व्‍याख्‍या – लेखक के अनुसार, इस गद्यांश में सरकारी कार्यशैली पर तीखा व्‍यंग्‍य किया गया है। सरकारी कार्यालयों में भ्रष्‍टाचार ने इस प्रकार पैर पसार रखे हैं कि इसके कारण छोटे-से-छोटे काम भी नहीं हो पाते। चमचागिरी और जी-हुजूरी बहुत बढ़ती जा रही है।

सचिवालय के लॉन में आँधी के कारण पेड़ गिरा और उसके नीचे एक आदमी दबा हुआ है और सभी लोग एक-दूसरे के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। माली, क्‍लर्क अन्‍य सभी लोग अपने से बड़े अफसर के आदेश का इंतजार कर रहे थे यदि क्‍लर्क और माली मिलकर उस पेड़ को हटा देते तो वह काम आसानी से हो जाता। मानवीय सहानुभूति के काम में अफसरशाही का हस्‍तक्षेप कम होना चाहिए। ऐसे मामलों में अफसरों की राय लेना आवश्‍यक नहीं है।

2. दोपहर के खाने पर दबे आदमी के चारों ओर बहुत भीड़ हो गई थी। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कुछ मनचले क्‍लर्कों ने समस्‍या को खुद ही सुलझाना चाहा। वे हुकूमत के फैसले का इंतजार किए बिना पेड़ को अपने-आप हटा देने का निश्‍चय कर रहे थे कि इतने में सुपरिंटेंडेंट फाइल लिए भागा-भागा आया। बोला- हम लोग खुद इस पेड़ को नहीं हटा सकते।हमलोग व्‍यापार विभाग से संबंधित हैं और यह पेड़ की समस्‍या है, जो कृषि-विभाग के अधीन है। मैं इस फाइल को अर्जेंट मार्क करके कृषि-विभाग में भेज रहा हूँ- वहाँ से उत्तर आते ही इस पेड़ को हटवा दिया जाएगा।

संदर्भ – प्रस्‍तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्‍तक आरोहके पाठ जामुन का पेड़से लिया गया है। इसके लेखक श्री कृश्‍नचंदर जी हैं।

प्रसंग – प्रस्‍तुत गद्यांश के माध्‍यम से बताया गया है कि अगर कोई व्‍यक्ति मानवता या सहानुभूति के लिए मदद करना चाहता है तो हमारे समाज की भ्रष्‍टाचार गतिविधियाँ उन्‍हें ऐसा नहीं करने दे रही हैं। इसी का वर्णन किया गया है।

व्‍याख्‍या – लेखक के अनुसार, पेड़ के नीचे-दबे हुए आदमी को निकालने के लिए कुछ लोग अफसर की इजाजत के बिना ही उसे निकालने की कोशिश करने लगे। तभी एक अधिकारी उन लोगों को निर्देश देते हैं। यह हमारा काम नहीं हम व्‍यापार विभाग से हैं। यह कृषि विभाग का काम है। पेड़ को हम लोग नहीं हटा सकते हैं। मैंने कृषि विभाग को इस मामले की जानकारी दे दी है। वहाँ से निर्देश मिलते ही हम इसे हटवा देंगे। ऐसा करके वह अपनी अफसरशाही का रौब दिखा रहे थे। परन्‍तु उन्‍हें उस बात की चिन्‍ता नहीं दी कि पेड़ के नीचे दबे आदमी को बचाना मानवीय कार्य है। उसमें किसी प्रकार की विभागीय कार्यवाही की अवश्‍यकता नहीं थी।

3. हार्टीकल्‍चर डिपार्टमेंट का सेक्रेटरी साहित्‍य-प्रेमी आदमी जान पडता था। उसने लिखा था, “आश्‍चर्य है, इस समय जब हम पेड़ लगाओस्‍कीम ऊँचे स्‍तर पर चला रहे हैं, हमारे देश में ऐसे सरकारी अफसर मौजदू हैं जो पेड़ों को काटने का सुझाव देते हैं। और वह भी एक फलदार पेड़ को और वह भी जामुन के पेड़ को, जिसके फल जनता बड़े चाव से खाती है। हमारी विभाग किसी हालत में इस फलदार वृक्ष को काटने की इजाज़त नहीं दे सकता।

संदर्भ – प्रस्‍तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्‍तक आरोहके पाठ जामुन का पेड़से लिया गया है। इसके लेखक श्री कृश्‍नचंदर जी हैं।

प्रसंग – प्रस्‍तुत गद्यांश में बताया गया है कि सरकारी अफसर किस प्रकार एक कार्य को एक-दूसरे पर टाल रहे हैं। उनकी कार्यशैली का वर्णन किया है।

व्‍याख्‍या- लेखक के अनुसार, सभी विभागों के अफसर इस कार्य से पल्‍ला झाड़ रहे हैं और इस मानवीय सहानुभूति के कार्य को भी विभागीय कार्यवाही की तरह कर रहे हैं और समस्‍या को जटिल बना रहे हैं। एक विभाग से दूसरे विभाग पर टाल रहे हैं। कृषि विभाग फाइल को हॉर्टीकल्‍चर विभाग भेज देता है। हॉर्टीकल्‍चर विभाग कहता है। उनका काम पेड़ों को उगाना और उद्यानों को सजाना-सँवाना है। पेड़ काटने की बात सुनकर सचिव ने कहा वह जामुन का फलदार पेड़ है और पेड़ लगाओअभियान चल रहा है। ऐेसे समय में पेड़ काटने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। इस तरह सभी अधिकारी मुख्‍य समस्‍या को न समझते हुए मामले को और उलझा रहे हैं।

 

4. दूसरे दिन माली ने चपरासी को बताया, चपरासी ने क्‍लर्क को, क्‍लर्क ने हेडक्‍लर्क को। थोड़ी ही देर में सेक्रेटेरियेट में यह अफवाह फैल गई कि दबा हुआ आदमी शायर है। बस, फिर क्‍या था। लोगों का झु़ंड-का-झु़ड शायर को देखने के लिए उमड़ पड़ा। इसकी चर्चा शहर में भी फैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए। सेक्रेटेरियेट का लॉन भाँति-भाँति के कवियों से भर गया और दबे हुए आदमी के चारों ओर कवि-सम्‍मेलन का-सा वातावरण उत्‍पन्‍न हो गया। सेक्रेटेरियेट के कई क्‍लर्क और अंडर-सेक्रेटरी तक जिन्‍हें साहित्‍य और कविता से लगाव था, रुक गए। कुछ शायर दबे हुए आदमी को अपनी कविताएँ और दोहे सुनाने लगे। कई क्‍लर्क उसको अपनी कविता पर आलोचना करने को मजबूर करने लगे।

संदर्भ – प्रस्‍तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्‍तक आरोहके पाठ जामुन का पेड़से लिया गया है। इसके लेखक श्री कृश्‍नचंदर जी हैं।

प्रसंग – प्रस्‍तुत गद्यांश में बताया गया है कि लोग किस प्रकार एक दबे हुए आदमी को बचाने के बजाए तमाशा देख रहे हैं।

व्‍याख्‍या - लेखक के अनुसार, रात को माली ने दबे हुए आदमी को खिचड़ी खिलाई, तब दबे हुए व्‍यक्ति ने माली को एक  शेर सुनाया। तब पता चला दबा हुआ व्‍यक्ति शायर है। अगले दिन उस दबे हुए व्‍यक्त्‍ि के चारों ओर लोगों का झुंड लग गया। उसके चारों ओर लोग ऐसे इकट्ठे हो गए थे मानो कवि सम्‍मेलन चल रहा हो। वहाँ कुछ शायर और कवि जिन्‍हें साहित्‍य और कविता से लगाव था वह भी आ गए और अपनी कविता और दोहे सुनाने लगे उन्‍हें उस व्‍यक्ति की दशा से कुछ लेना-देना नहीं था।

 

  5. हम यह काम नहीं कर सकते।सेक्रेटरी ने कहा, ‘और जो हम कर सकते थे, वह हमने कर दिया है, बल्कि हम तो यहाँ तक कर सकते हैं कि अगर तुम मर जाओ, तो तुम्‍हारी बीवी को वज़ीफा दे सकते हैं, अगर तुम दस्‍ख्‍वास्‍त दो, तो हम वह भी कर सकते हैं।

 मैं अभी जीवति हूँ।’  कवि रुक-रुककर बोला, ‘मुझे जिंदा रखो।

मुसीबत यह है’, सरकारी साहित्‍य का सेक्रेटरी हाथ मलते हुए बोला, ‘हमारा विभाग सिर्फ कल्‍चर से संबंधित है। पेड़ काटने का मामला कलम-दवात से नहीं , आरी-कुल्‍हाड़ी से संबंधित है। उसके लिए हमरे फॉरेस्‍ट डिपार्टमेंट को लिख दिया है और अर्जेंट लिखा है।

संदर्भ – प्रस्‍तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्‍तक आरोहके पाठ जामुन का पेड़से लिया गया है। इसके लेखक श्री कृश्‍नचंदर जी हैं।

प्रसंग – प्रस्‍तुत गद्यांश के माध्‍यम से बताया गया है कि साहित्‍य अकादमी का सचिव किस प्रकार दबे हुए व्‍यक्ति को न देख अपनी कागजी और कानूनी कार्यवाही में लगा है। इसका वर्णन किया गया है।

व्‍याख्‍या – लेखक के अनुसार, साहित्‍य अकादमी के सचिव को जब पता चला की दबा हुआ व्‍यक्ति शायर है तो उन्‍होंने केन्द्रित शाखा का सदस्‍य बना लिया। परन्‍तु वह केवल कार्याल और कागजी कार्यवाही पर विश्‍वास करता है। उसमें मानव सहानुभूति नहीं है। वह बड़ी ही क्रूरता से कहता है कि तुम्‍हारे मरने के बाद तुम्‍हारी बीवी को वज़ीफा दिया जाएगा। कवि सचिव से कहता है कि मैं जीवित हूँ आप मुझे बचाने का प्रयास कीजिए। सचिव कहते हैं कि हमारा विभाग कल्‍चर से संबंधित है। वह उसकी कोई मदद नहीं कर सकता है और हमने वन विभाग को इसकी जानकारी दे दी है। वह केवल अपनी कानूनी कार्यवाही पर ध्‍यान दे रहे थे। उन्‍हें उस व्‍यक्ति के दुख-दर्द से कुछ लेना-देना नहीं था।

6. दूसरे दिन जब फॉरेस्‍ट डिपार्टमेंट के आदमी आरी-कुल्‍हाड़ी लेकर पहुँचे तो उनको पेड़ काटने से रोक दिया गया। मालूम हुआ कि विदेश-विभाग से हुक्‍म आया था कि इस पेड़ को न काटा जाए। कारण यह था कि इस पेड़ को दस साल पहले पीटोनिया राज्‍य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगाया था। अब अगर यह पेड़ काटा गया, तो इस बात का काफी अंदेशा था कि पीटोनिया सरकार से हमारे संबंध सदा के लिए बिगड़ जाएँगे।

  मगर एक आदमी की जान का सवाल है’, एक क्‍लर्क चिल्‍लाया।

  दूसरी ओर दो राज्‍यों के संबंधों का सवाल है’, दूसरे क्‍लर्क ने पहले क्‍लर्क को समझाया, ‘और यह भी तो समझो कि पीटोनिया सरकार हमारे राज्‍य को कितनी सहायता देती है- क्‍या हम उनकी मित्रता की खातिर एक आदमी के जीवन का भी बलिदान नहीं कर सकते?

 संदर्भ – प्रस्‍तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्‍तक आरोहके पाठ जामुन का पेड़से लिया गया है। इसके लेखक श्री कृश्‍नचंदर जी हैं।

प्रसंग – प्रस्‍तुत गद्यांश के माध्‍यम से बताया गया है कि किस प्रकार सरकारी अफसर एक व्‍यक्ति की जान को अधिक महत्‍व नहीं देते हुए अपनी अफसरशाही का रौब दे रहे हैं।

व्‍याख्‍या – लेखक के अनुसार, जब अगले दिन व्‍यक्ति को निकालने के लिए पेड़ काटने के लिए वन विभाग की टीम आयी। तभी विदेश-विभाग से एक जानकारी मिली की यह पेड़ हमारे देश के संबंधों की नींव है। इस पेड़ को पीटोनिया के प्रधानमंत्री ने ऑफिस के लॉन में लगाया था हम इस पेड़ को नहीं काट सकते। इससे दोनों देशों के राजनैतिक व व्‍यापारिक संबंध बिगड़ सकते है। तभी एक क्‍लर्क ने बोला- पर बात अभी एक व्‍यक्ति की जान की है। हमें यह बात नहीं सोचना चाहिए तभी दूसरे क्‍लर्क ने पहले व्‍यक्ति को समझाते हुए कहा कि पीटोनिया हमारे राज्‍य को बहुत-सी सहायता प्रदान करता है। हम उसके सम्‍मान के लिए एक व्‍यक्ति का बलिदान नहीं कर सकते। राज्‍य सरकारें और विभाग व्‍यक्ति के कल्‍याण के लिए बने है। पर इस स्थिति को देखकर लग रहा है। जैसे उसकी बलि चढ़ने वाली है।

7. शाम के पाँच बजे स्‍वयं सुपरिंटेंडेट कवि की फाइल लेकर उसके पास आया, ‘सुनते हो!’ आते ही वह खुशी से फाइल को हिलाते हुए चिल्‍लाया, ‘प्रधानमंत्री ने इस पेड़ को काटने का हुक्‍म दे दिया और इस घटना की सारी अंतर्राष्‍ट्रीय जिम्‍मेदारी अपने सिर ले ली है। कल यह पेड़ काट दिया जाएगा और तुम इस संकट से छुटकारा हासिल कर लोगे। सुनते हो? आज तुम्‍हारी फाइल पूर्ण हो गई।

 मगर कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ नि‍र्जीव और चींटियों की एक लंबी पाँत उसके मुँह में जा रही थी...।

 संदर्भ – प्रस्‍तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्‍तक आरोहके पाठ जामुन का पेड़से लिया गया है। इसके लेखक श्री कृश्‍नचंदर जी हैं।

प्रसंग – प्रस्‍तुत गद्यांश में बताया गया है कि किस प्रकार तिल का ताड़ बनाया गया और पूरे घटनाक्रम से दबे हुए आदमी को कैसे आजा़दी मिली है।

व्‍याख्‍या – लेखक के अनुसार, इस छोटी-सी बात को अफसरों की लापरवाही, अफसरशाही की बजह से इतना जटिल बना दिया गया कि उस दबे हुए कवि की जान पर बन आई। कवि के हाथ ठण्‍ड के कारण ठण्‍डे पड़ गए थे उसकी आँखों में देखने की शक्ति नहीं थी। मुँह पर चींटियाँ एक लंबी लाइन में मुँह में जा रही थीं। उस व्‍यक्ति की हालत बहुत गंभीर हो चुकी थी। तभी एक अफसर फाइल हिलाते हुए आया और कहा कि पीटोनिया के प्रधानमंत्री ने इस पेड़ को काटने की इजाजत दे दी है। अब तुम इस संकट से निकल जाओगं। आज तुम्‍हारी फाइल पूरी हो गई है। अब इससे छुटकारा मिलने से तुम्‍हें कोई नहीं रोक सकेगा। लेखक के अनुसार, इस छोटे से मामले को सरकारी अफसरों की टालू प्रवृत्ति और कागजी कार्यवाही ने तिल का ताड़ बना दिया। 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर


पाठ के साथ -


प्रश्न 1. बेचारा जामुन का पेड़। कितना फलदार था।

          और इसकी जामुन ने कितनी रसीली थीं।

(क) यह संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?

(ख) इससे लोगों को कैसी मानसिकता का पता चलता है?


उत्तर - (क) सचिवालय के लोन में लगा जामुन का पेड़ रात को आंधी में गिर गया। उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह होने पर सचिवालय के माली ने उसे देखा। उसने क्लर्कों को सूचना दी। सभी क्लर्क इकट्ठे हुए। वे जामुन का पेड़ गिरा देखकर उपरोक्त बातें करने लगे।

(ख) इससे पता चलता है कि लोग संवेदनाशून्य हो चुके हैं। उन्हें मरता हुआ आदमी भी द्रवित नहीं करता। दिनेश स्वर्थंध है कि मरते हुए आदमी को अनदेखा करके भी अपना है पूरा करना चाहते हैं। पुणे जा मुन्ना मिलने की पीड़ा व्यथित करती है। ऐसे लोग लाश पर बैठकर भी रोटियां खा सकते हैं।


प्रश्न 2. दबा हुआ आदमी एक कवि है ,यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा? 

उत्तर - दबे हुए आदमी ने पेड़ काटने की कार्रवाई पर देरी होती देखी तो उसने आह भरते हुए गालिब का यह शेर कहा -


यह तो माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन

खाक हो जाएंगे हम तुमको ख़बर होने तक!


इसे सुनते ही माली ने उससे पूछा कि क्या वह शायर है? उसने स्वीकृति में सिर हिलाया। इस प्रकार पहले माली को पता चला। उसने अन्य क्लर्कों को बताया। क्लर्कों ने हेडक्लर्क को बताया। इस प्रकार बात फैलते-फैलते सबको पता चल गई।

इस जानकारी से कवि की फाइल का रुख पलट गया। पहले फाइल एग्रीकल्चर, व्यापार, हार्टीकल्चर आदि विभागों में धक्के खाती रही थी। अब यह कल्चरल विभाग में आ गई। परंतु काम पर भी नहीं हुआ। केवल कागजी कार्यवाही होती रही।


प्रश्न 3. कृषि विभाग वालों ने मामले को हार्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?


उत्तर - कृषि-विभाग वालों ने जामुन के पेड़ काटने का मामला हार्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे यह तर्क दिया कि गिरने वाला पेड़ फलदार है। इसका संबंध कृषि से न होकर उद्यान-कृषि से है।


प्रश्न 4. इस पाठ में किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ में उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?


उत्तर - इस पाठ में सरकार के निम्नलिखित  विभागों और उनके कार्यों की चर्चा की गई है - 


1. व्यापार विभाग - व्यापार विभाग का काम देश में होने वाले व्यापार से संबंधित है

2. एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट - इससे कृषि विभाग कहते हैं। इसका संबंध कृषि से है।

3. हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट - इसे उद्यान-कृषि विभाग कहते हैं। इसका संबंध उद्यानों के रख-रखाव से है।

4. मेडिकल डिपार्टमेंट - इसे चिकित्सा विभाग कहते हैं। इसका संबंध शल्य चिकित्सा, दवाई आदि से है।

5. कल्चरल डिपार्टमेंट - इसे सांस्कृतिक विभाग कहते हैं। इसका संबंध कला और साहित्य के विकास से है।

6. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट - इसे वन विभाग कहते हैं। इसका संबंध जंगल के पेड़ों तथा वनस्पति से हैं।

7. विदेश विभाग - इसका संबंध विदेशी राज्यों और स्वदेश के आपसी संबंधों से है।


पाठ के आस-पास -


प्रश्न 1. कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहां लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता है और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भंग होता है।


उत्तर - पहला प्रसंग - पहली बार सचिवालय के क्लर्कों ने पेड़ को हटाने की कोशिश की। लेकिन तभी सुपरिटेंडेंट दौड़ा-दौड़ा आया। उसने कहा कि वह पेड़ व्यापार विभाग के अंतर्गत न होकर कृषि विभाग के अंतर्गत आता है। अतः वह इस मामले को अर्जेंट बना कर कृषि विभाग में भेज रहा है।


दूसरा प्रसंग - दूसरी बार फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारी पेड़ को काटने के लिए आरी-कुल्हाड़ी लेकर पहुँचते हैं। तब विदेश विभाग का आदेश आता है कि वे उस पेड़ को नहीं काट सकते। कारण यह बताया गया कि वह पेड़ पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था। अतः उसे काटने पर दोनों राज्यों के संबंध खराब हो सकते हैं तथा देश को मिलने वाली सहायता बंद हो सकती है।


प्रश्न 2.  यह कहना कहां तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें।


उत्तर - यह कहानी हंसाते हंसाते रुलाती है। कहानी के आदि से अंत तक करुणा की अंतर्धारा व्याप्त रहती है। कहानी का आरंभ भी करुणाजनक दृश्य से होता है और अंत भी ।  वास्तव में क्लर्कों, अधिकारियों और विभागों की एक-एक फूहड़ हरकत उस करुणा को और अधिक गहरा करती है।  जब क्लर्क जामुन के रसीले फलों पर चटखारे ले रहे होते हैं, तब पेड़ के नीचे दबा मनुष्य करहा रहा होता है। क्लर्क जब पेड़ को बचाने के लिए आदमी का ही बलिदान देने की सलाह देते हैं तो करुणा और हास्य अपने चरम पर होते हैं। इस प्रकार इस कहानी में करुणा और हास्य रस का अद्भुत सम्मिश्रण दिखाई देता है।


प्रश्न 3. यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकुमत के फैसले का इंतजार करते या नहीं? अगर हां, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?


उत्तर - यदि मैं माली की जगह होता तो दबे हुए आदमी को बचाने के लिए तुरंत प्रयत्न करता। मैं हुकूमत के आदेश की प्रतीक्षा बिल्कुल ना करता। मैं अपने प्रयत्नों से क्लर्कों को तैयार करता या अन्य लोगों को प्रेरित करता और पेड़ को हटाकर दबे हुए आदमी को बचा लेता। 


क्यों - मेरी दृष्टि में, मनुष्य-जीवन अमूल्यवान है। अपने अधिकारी के आदेश सामान्य स्थितियों के लिए ठीक हो सकते हैं। परंतु किसी की जान बचाने के लिए मैं कोई भी खतरा मोल ले लेता।


पद्य खण्‍ड 

Chapter - 1 कबीर

Chapter - 2 मीरा

Chapter - 3 पथिक

Chapter - 4 वे आँखें

Chapter - 5 घर की याद

Chapter - 6 चंपा काले अक्षर नहीं चीन्‍हती

Chapter - 7 गज़ल

Chapter - 8 अक्‍कमहादेवी

Chapter - 9 सबसे खतरनाक

Chapter - 10 आओ मिलकर बचाएं


गद्य खण्‍ड 

अध्याय - 1 नामक का दारोगा

अध्‍याय – 2 मियाँ नसीरूद्दीन


अध्याय – 3 अपू के साथ ढाई साल


अध्याय – 4 विदाई-संभाषण 


अध्याय – 5 गलता लोहा 


अध्याय – 6 स्‍पीति में बारिश


अध्याय – 7 रजनी


अध्याय – 8 जामुन का पेड़


अध्याय – 9 भारत माता 


अध्याय – 10 


वितान  

अध्याय - 2 राजस्थान की रजत बूंदें


अध्याय - 3 आलो आंधारि



Tags - class 11th hindi chapter 8 jamun ka ped question answer,जामुन का पेड़ प्रश्न उत्तर कक्षा 11,जामुन का पेड़ के क्वेश्चन आंसर,class 11 hindi chapter 8

Tags

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)