विसर्जन नलिका में विसर्जन को चित्रों की सहायता से समझाइये

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visarjan nalika me visarjan ko samjhaiye

विसर्जन नलिका में विसर्जन को चित्रों की सहायता से समझाइये

प्रश्न. विसर्जन नलिका में विसर्जन को चित्रों की सहायता से समझाइये।


उत्तर- प्रायः सभी गैसें साधारण दाब पर विद्युत् की कुचालक होती हैं। यदि एक काँच की नली के अंदर धनात्मक और ऋणात्मक इलेक्ट्रोडों के बीच उच्च विभवान्तर (लगभग 40kv ) लगाया जाये और नली में वायु दाब अल्प अर्थात् । मि.मी. पारे का या इससे कम कर दिया जाए तो इलेक्ट्रोडों के बीच विद्युत् प्रवाह होने लगता है। अल्प दाब पर नली की गैस में होने वाले विद्युत् प्रवाह को विद्युत् विसर्जन और काम में लाई गई नली और व्यवस्था को विसर्जन नलिका कहते हैं। साधारण दाब और कम वोल्टेज पर इलेक्ट्रोडों के बीच प्रायः गैस में विद्युत् विसर्जन नहीं होता है। विसर्जन नलिका में लगभग 30 cm लंबी और 3 cm व्यास की गोल सिरों वाली काँच की एक बेलनाकार नली होती है। नली में गैस का दाब कम करने के लिए एक निर्वात पंप लगाया जाता है। A और C एल्यूमिनियम की वृत्ताकार प्लेटों के रूप में दो इलेक्ट्रोड रहते हैं जिनको उच्च विभवान्तर (40kV) उत्पन्न करने वाली एक प्रेरण कुंडली के सिरों से संबंधित कर दिया जाता है। नली के अंदर उपस्थित गैस का वायु दाब कम करने पर निम्नलिखित घटनाएँ होती हैं-


(1) गैस का दाम 10 मि.मी. (पारे का) रहने पर नली में कोई विद्युत् विसर्जन नहीं होता है। दाब 4 मि.मी. करने पर प्रत्येक इलेक्ट्रोड के पास बैंगनी रंग का प्रकाश दिखाई देने लगता है तथा शेष नली में अंधकार रहता है इस कारण इस विसर्जन को अदीप्त विसर्जन कहते हैं।


(2) दाब 1-6 मि.मी. करने पर दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच प्रकाश की एक पट्टी मिलती है जिसे धनात्मक स्तम्भ कहते हैं जिसका रंग ली गई गैस पर निर्भर करता है धन स्तम्भ का रंग नाइट्रोजन गैस के लिए लाल, हाइड्रोजन गैस के लिए नीला, कार्बन डाइऑक्साइड गैस के लिए श्वेत, क्लोरीन गैस के लिए हरा, निऑन के लिए गहरा लाल होता है।


(3) दाब 1 मि.मी. करने पर धन स्तम्भ छोटा हो जाता है एनोड पर और अनेक धारियों में विभक्त हो जाता है। कैथोड पर हल्का नीला प्रकाश कैथोड दीप्ति दिखाई देता है कैथोड दीप्ति और धनात्मक स्तम्भ की प्रथम चकती के बीच फैराडे का अदीप्त क्षेत्र मिलता है।


(4) दाब 0-1 मि.मी. करने पर कैथोड दीप्ति आगे बढ़ जाती है और कैथोड व कैथोड दीप्ति के बीच क्रुक डार्क क्षेत्र मिलता है। कैथोड दीप्ति और धनात्मक स्तम्भ के बीच में फैराडे का अदीप्त क्षेत्र बना रहता है। इसकी लंबाई कुछ कम हो जाती है। दाब 0-01 मि.मी. के लगभग होने पर सब चकतियाँ धनात्मक इलेक्ट्रोड में विलीन हो जाती हैं।





(5) दाब 10 मि.मी. करने पर कैथोड के पृष्ठ से लंबवत् अदृश्य किरणें निकलती हैं धनात्मक इलेक्ट्रोड की ओर चलती है और ऐनोड के पीछे के काँच से टकराकर प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती है ये कैथोड से निकलती है इसे कैथोड किरणें कहते हैं।


(6) दाब 10 मि.मी. से कम करने पर नली में विद्युत् विसर्जन समाप्त हो जाता है।

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