जल ही जीवन है निबंध / jal hi jeevan par nibandh hindi mein

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जल ही जीवन है निबंध || jal hi jeevan par nibandh hindi mein

हम सभी जानते हैं कि हमारा शरीर 70% जल से बना हुआ है, इसके अलावा हम यह भी जानते हैं कि पृथ्वी पर 71% पानी है, इसमें सबसे महत्वपूर्ण जानने योग्य बात यह है कि यदि पृथ्वी पर 71% जल है तो हमें ऐसे क्यों बचाना चाहिए क्योंकि 71% पानी पृथ्वी पर मौजूद है तो इसके पीछे कारण है क्योंकि पृथ्वी पर 71% पानी तो है पर वह पीने योग्य नहीं है पीने योग्य पानी पृथ्वी पर 2% से 3% तक पानी पीने योग्य है बाकी अन्य पानी पीने योग्य नहीं है जिस कारण जल को सुरक्षित करना या उसे बचाना बहुत ही आवश्यक है। 

'जल ही जीवन है' यह कथन बिल्कुल सत्य है, क्योंकि पानी के बिना इस धरती पर जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। जल एक ऐसी कीमती चीज है। जिसके बिना इंसान का कोई अस्तित्व ही नहीं जल हमारे लिए ईश्वर का दिया हुआ वरदान है। यह ना केवल पीने के काम आता है बल्कि इससे हम नहाते हैं, कपड़े धोते हैं, खाना पकाते हैं और साफ-सफाई भी करते हैं। पानी ना केवल मनुष्य के लिए जरूरी है बल्कि जीव जंतुओं और पक्षियों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

पानी का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है, इसलिए इसे बर्बाद होने से बचाना भी हमारा कर्तव्य है । जिस तरह से आज के समय में जल प्रदूषण बढ़ रहा है। वह बहुत ही दुखद है, यदि आज हम धरती के पानी की बचत नहीं की और इसकी बिना वजह बर्बादी को नहीं रोका तो आने वाले समय में धरती पर पानी का नामोनिशान नहीं बचेगा और हमारी आने वाली पीढ़ी बिना पानी के धरती पर जीवित नहीं रह सकेगी।

jal hi jeevan par nibandh hindi mein

जल ही जीवन है पर निबंध 

प्रस्तावना (Introduction) -

जल को हमारे जीवन का मूल्यवान धरोहर कहें या ये कहें कि इसके बिना जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकते तो यह गलत भी नहीं होगा, क्योंकि जल है तो जीवन है। जल हमारी पृथ्वी में लगभग 71% है।

इसमें से हमारी पीने योग्य केवल 3 प्रतिशत ही पानी है। जिसे अलवणीय जल कहा जाता है, और इसका बहुत छोटा भाग ही प्रयोग के लिए उपलब्ध है। अलवणीय जल की उपलब्धता समय और स्थान के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं। इस प्रकार जल के विकास के लिए जल का मूल्यांकन और संरक्षण आवश्यक हो गया है। जल मनुष्य के लिए बेहद अहम होता है जल के बगैर हम 1 दिन भी नहीं रह सकते हैं। हम पानी पिए बिना जीवित नहीं रह सकते। जल सिर्फ सेवन के लिए नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के गतिविधियों में इस्तेमाल होता है ।

जल से हम खाना बनाते हैं, कपड़े धोते हैं, नहाते हैं और हाथ, पैर भी हम जल द्वारा धोते हैं। जल नियमित रूप से हमें जरूरत होता है जल हमें नदियों, तालाबों वर्षा जैसे स्रोत से प्राप्त होता है। पृथ्वी पर अधिकांश जल समुंद्र में पाया जाता है। जो खारा रहा है और कुछ बर्फीला होता है। इनका पानी हम ना इस्तेमाल कर सकते हैं और ना ही सेवन कर सकते हैं क्योंकि समुद्र के पानी में नमक की मात्रा अत्यधिक होती है तथा समुद्र के ही पानी से नमक बनाया जाता है जिसे हम खाने के रूप में उपयोग करते हैं।

जल का महत्व (Important of Water) -

जल जैसे मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है, वैसे ही यह जीव जंतुओं, पेड़ पौधे और पृथ्वी के अन्य प्राणियों के लिए भी जरूरी है। हमारे शरीर का आधा वजन ही पानी से बना हुआ है, बिना जल पृथ्वी पर जीवन ही असंभव है क्योंकि जल के बिना मनुष्य तड़पने लगता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है।

जल के बिना पंछियों और अन्य प्राणियों का भी यही हाल होता है। कुछ फसलें ऐसी होती हैं। जो पानी के बिना पैदा ही नहीं होती हैं जैसे - गेहूं, चावल, मक्का आदि पानी के बिना पेड़ पौधे मुरझा जाते हैं और ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु हो जाती है, इसलिए जल की एक-एक बूंद को व्यर्थ होने से बचाना चाहिए क्योंकि जल है तो कल है।

जल का निर्माण कैसे होता है? (How to water Formed?) -

जल एक ऐसा पदार्थ है जो दो हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के अणुओं से मिलकर बनता है इसलिए जल का रासायनिक सूत्र H2O है, यदि आसान शब्दों में कहें तो हाइड्रोजन की एक ऑक्साइड के रूप में जब हाइड्रोजन या हाइड्रोजन योगिक जलते हैं या ऑक्सीजन का ऑक्सीजन यौगिकों के साथ में प्रतिक्रिया करते हैं तब जाकर जल का निर्माण होता है। जल एक ऐसा पदार्थ है जिसके तीन अवस्थाएं होती हैं-

ठोस (Solid)

द्रव (Liquid)

गैस (Gas)

हमारे देश भारत के जल संसाधन (water resources of our country India) -

भारत में विश्व के धरातल क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत जल संसाधनों का 4 प्रतिशत और जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश में 1 वर्ष में वर्णन से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन किलोमीटर है।

धरातलीय जल और पुनः पूर्ति योग जल से 1,869 घन किलोमीटर जल उपलब्ध है। इसमें से केवल कुछ प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है इस प्रकार हमारे देश में जल संसाधन 1,122 घन किलोमीटर है।

जल के स्रोत (Sources of water) -

पृथ्वी पर जल के चार मुख्य स्रोत है। जो कि है नदिया, झीले, तलैया, तालाब । देश में कुल नदियां तथा सहायक नदियां जिन की लंबाई 1.6 कि.मी. से अधिक है। ऐसे नदियों को मिलाकर 10,360 नदियां हैं। भारत में सभी नदी बेसिनो में औसत वार्षिक प्रवाह 1,869 घन किलोमीटर में होने का अनुमान किया गया है।

फिर भी स्थलाकृतिक, जलीय और अन्य दबावों के कारण प्राप्त दरात जल का केवल लगभग 690 घन कि.मी. ( 32%) जल काही उपयोग किया जा सकता है। कुछ नदियां जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधि होती है।

ये नदियां यद्यपि देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक तिहाई भाग पर पाई जाती हैं। जिनमें कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है। दक्षिण भारतीय नदियां जैसे- गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में वार्षिक जल प्रभाव का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है। लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र, और गंगा, बेसिनो में अभी भी संभव नहीं हो सका है।

जल की जरूरत और उसका प्रयोग (Water requirement and its use) -

पारंपरिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। इसलिए पंचवर्षीय योजना में कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सिंचाई के विकास को एक अति उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है।

और बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना जैसे- भाखड़ा नांगल, हीराकुंड, दामोदर, घाटी, परियोजना, नागार्जुन सागर, परियोजना, इंदिरा गांधी, नहर परियोजना आदि शुरू की गई है। वास्तव में वर्तमान में जल की मांग सिंचाई की अवस्था के लिए अधीक है। हमारी पृथ्वी का भूजल सबसे अधिक कृषि में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें धरातल ही जल का 89 प्रतिशत और भूजल का 92 प्रतिशत जल का उपयोग किया जाता है। जबकि औद्योगिक सेक्टर में सतह जल केवल 2 प्रतिशत और भूजन का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाया जाता है।

घरेलू सेक्टर में धरातलीय जल का उपयोग भूजल की तुलना में अधिक 9 प्रतिशत कुल जल के क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का भाग दूसरे सेक्टरों से अधिक है फिर भी भविष्य में भी और अभी भी औद्योगिक और घरेलू सेक्टर में जल का उपयोग बढ़ाने की संभावना है।

जल प्रदूषण कम करने के उपाय (Measure to reduce Water Pollution) -

आज के इस दौर में बढ़ते जल प्रदूषण को देखते हुए सरकार द्वारा बहुत से अभियान चलाए जा रहे हैं हर जगह नदियां तालाब आदि का विशेष ध्यान रखा जा रहा है तो हमारा भी यह करता बनता है कि हमें अपनी तरफ से जल बचाना चाहिए उसकी बर्बादी नहीं करनी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए

सबसे पहले तो जो लोग नदियों, तालाबों, नहरो और कुओं आदि के किनारे बैठ कर नहाते हैं और कपड़े धुलते हैं, उसके पश्चात साबुन का इस्तेमाल करते हैं वह जल में जाकर मिलता है जिससे जल प्रदूषित होता है उन्हें रोकना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए और इसके अलावा हमें बड़े-बड़े गड्ढों में जल को एकत्रित करना होगा।

लोगों को जल बचाने के लिए जागरुक करना होगा वर्षा में हो जल को भी एकत्रित करना होगा। कारखानों से आ रहे दूषित जल को नदियों तालाबों आदि ने मिलने से रोकना होगा और सभी को आवश्यकतानुसार की जड़ को खर्च करने की सलाह देनी होगी इन प्रयासों से हम जल दूषित होने और जल कम होने से कुछ मात्रा में रोक सकते हैं।

किन राज्यों में जल उपयोग अधिक है? (Which states have the highest water use ?)

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और तमिलनाडु, राज्यों में भूजल का उपयोग बहुत अधिक है। परंतु कुछ राज्य जैसे छत्तीसगढ़ उड़ीसा केरल आदि अपने भूजल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं।

गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा, और महाराष्ट्र अपने भूजल संसाधनों का माध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं। यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है, तो जल के मांग की आपूर्ति करने की आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति विकास के लिए हानिकारक होगी और सामाजिक उथल-पुथल और विघटन का कारण हो सकती है।

जल के गुणों का ह्रास (Degradation of Water) -

जल की गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक भारी पदार्थ से रहित जल से है। जल बाहरी पदार्थ जैसे सूक्ष्म भी जीव, रासायनिक पदार्थों यौगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते हैं, और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते ।

जब विषैले पदार्थ झीलों, झरनों, नदियों, समुद्रों, और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं। तो वे जल में घुल जाते हैं अथवा जल में निलंबित हो जाते हैं इससे जल प्रदूषण बढ़ता है और के गुणों में कमी आने से जली तंत्र (aquatic system) प्रभावित होते हैं।

कभी-कभी प्रदूषण नीचे तक पहुंच जाते हैं और भूजल को प्रदूषित करते हैं। हमारे देश में गंगा और यमुना ऐसी पवित्र नदियां है, जो सबसे अधिक प्रदूषित हैं परंतु अभी इन को साफ रखने के कई कार्य चल रहे है।

जल जीवन मिशन (Jal Jivan Mission) -

हमारी भारत सरकार द्वारा जल जीवन मिशन को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च करके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया इस मिशन के तहत घर-घर में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने का लक्ष्य है।

73 स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी जी ने कहा कि देश में अभी करीब 50 फ़ीसदी परिवार को पाइप के द्वारा पानी नहीं मिल पा रहा है। जल संकट का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि सरकार ने एक विशेष काम की तरफ बल देने का निर्णय लिया है, और वह काम है, हमारे देश के हर घर में जल पहुंचाना और घर को पीने का शुद्ध जल मिले इस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए उन्होंने ऐलान किया कि हम इस मिशन को बहुत आगे लेकर जाएंगे ताकि सभी को स्वच्छ और साफ जल की प्राप्ति हो सके।

उन्होंने कहा कि जल मिशन के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कार्य करेगी और आने वाले वर्षों में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम इस मिशन के लिए खर्च करने का हमने संकल्प लिया है प्रधानमंत्री जी ने बताया कि जल जीवन मिशन पर आगामी वर्षों में करीब 3.5 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मोदी जी ने कहा कि हमें जल संरक्षण के प्रयासों में अधिक तेजी लानी होगी उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2024 तक हर घर में नल के जरिए पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है मोदी जी ने प्रत्येक कार्य में पानी की उपलब्धता के तहत इस मिशन की शुरुआत की है।

विश्व जल दिवस (World Water day)

22 मार्च को मनाने वाली विशव जल दिवस के दिन, देश के कई जगहों पर विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं. 1933 से मनाई जा रही है। इस दिवस को आज भी काफी उत्सव के साथ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विशव की सभी विकसित देशों को स्वच्छ और साफ जल की उपलब्धता करना साथ जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है।

जल बचाव के उपाय (Water Conservation Measures) -

जल बचाओ के बहुत सारे उपाय है जैसे कि बर्तन धोते समय कम पानी का उपयोग करना नल की आवश्यकता होने पर ही खोलना नहाते समय सावर का इस्तेमाल नहीं करना बाल्टी के पानी का उपयोग करना जिससे काफी पानी बचता है। बरसात में पानी को स्टोर करके रखना जिसके लिए कई सारे अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

जल संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है जैसे कि टॉयलेट में फ्लैश की जगह बाल्टी से पानी डालें तालाबों का निर्माण करें जिससे पानी की बचत होती है वर्षा के जल को एकत्र करें और छत पर पानी की टंकी बनाएं।

वृक्षों की हो रही कटाई पर रोक लगानी चाहिए और लोगों को और अधिक वृक्षारोपण करने के लिए आग्रह करना चाहिए वृक्ष ही ऐसा साधन है जो वर्षा के लिए उत्तरदाई है जैसे जैसे वनों की कटाई होगी वृक्षों की कटाई होगी जल की समस्या बढ़ती जाएगी इसलिए हमें वनों की अथवा पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए। हमें जरूरत के हिसाब से ही पानी का उपयोग करना चाहिए और वर्षा के जल का संग्रह करना चाहिए।

उपसंहार (Conclusion ) -

हमारी पृथ्वी पर पानी की मात्रा सीमित है और इस बात की जानकारी सभी को रखनी चाहिए क्योंकि जल ही जीवन है जल के बिना जीवन संभव नहीं है इसके लिए हमें इसके महत्व को समझाना होगा। वरना ऐसा ना हो कि हम पानी को पीना तो दूर देख भी ना सकें।

इसलिए अभी से इसके संरक्षण के बारे में सोचना और पानी की बचत करना बहुत जरूरी है। सरकार और कई संस्थाएं साथ ही कई अभिमान भी पानी के लिए जागरूकता फैला रहे हैं तो हमें भी इन पानी बचत के कार्यक्रम में पूरा-पूरा सहयोग देते हुए पानी की बचत करनी चाहिए, क्योंकि बहुत कीमती है ये पानी किसी सोने-चांदी से कम नहीं है। इसलिए इसके महत्व को समझे और जल की बचत करिए, जल है तो हमें है, जल है तो जीवन है।

कहा जाता है कि आप भोजन के बिना 21 दिन तक जिंदा रह सकते हैं जल के बिना 100 घंटे यानी लगभग 3 से 4 दिन और वायु के बिना 5 मिनट । अर्थात हमारे जिंदा रहने के लिए वायु के बाद जल सर्वाधिक उपयोगी वस्तु है।

जल ही जीवन है पर 10 लाइन (10 line Essay on Water is Life) -

1. जल बहुत महत्वपूर्ण है इसके बिना हम धरती पर जीवित नहीं रह सकते।

2. जंगलों में रहने वाले जंगली जानवर भी पानी की खोज में इंसानों की बस्तियों की तरफ आ जाते हैं, जो की बहुत खतरनाक है।

3. हमें पीने के लिए जो पानी मिलता है वह हमें नदी कुएं तालाब और बारिश से मिलता है।

4. आज पीने के पानी के स्रोत सूख रहे हैं बारिश होना कम हो गई है जिसकी वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है।

5. हम सब को पानी का महत्व समझना चाहिए और दूसरों को भी जल ही जीवन है इसके महत्व को समझना चाहिए।

6. धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल अमृत के समान है।

7. अगर इसी तरह जल का दुरुपयोग होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जल की कमी से पूरी पृथ्वी तबाह हो जाएगी।

8. पानी का सदुपयोग करना हमारे लिए बहुत जरूरी है आज दुनिया में कई ऐसे जगह है जहां लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।

9. हमें जल बचाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए और जितना हो सके उतना जल को बचाना चाहिए।

10. जल हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते ।

Jal par nibandh. 

विश्व मे गहराते जलसंकट पर निबंध

1. प्रस्तावना

2. जल का महत्व

3. जलाभाव का परिणाम

4. जल की उपलब्धता

5. भावी जल संकट

6. उपसंहार

1. प्रस्तावना

वेदों में कहा गया है- ' आप एव ससर्जादौ ' अर्थात् परमात्मा ने सबसे पहले जल की सृष्टि की। पुराणों में विष्णु के प्रथम अवतार वाराह द्वारा जलमग्न पृथ्वी का उद्धार किए जाने का वर्णन मिलता है । प्रलय अर्थात् सृष्टि का अन्त होने पर समस्त धरती जलमग्न हो जाती है । इन बातों को हम मिथक कह सकते हैं । किन्तु विज्ञान के अनुसार जल जीवन या जीव सृष्टि की प्रथम शर्त है । चन्द्रमा या मंगल पर जीवन की खोज में जुटे वैज्ञानिकों की शाका बिन्दु भी वहाँ कभी न कहीं जल की उपस्थिति पर ही टिका है । शब्दकोश भी जल और जीवन को पर्यायवाची बताता है ।

2. जल का महत्व 

सम्पूर्ण सौरमण्डल में आज तक ज्ञात ग्रहों में पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहाँ जल का अपार भण्डार है । जल के बिना जीवन की कल्पना ही असम्भव है । जल ने ही पृथ्वी पर चर अचर जीव जगत् को सम्भव बनाया है । जीवाणु से लेकर स्थूलतम जीव हाथी तक और शैवाल से लेकर गगनचुम्बी वृक्षों तक सभी का जीवनाधार जल ही है । मानव शरीर में भी सर्वाधिक मात्रा जल की ही है । जल की कमी हो जाने पर जीवन के लाले पड़ जाते हैं और कृत्रिम उपायों से शरीर में उसकी पूर्ति करनी पड़ती है ।

हमारे भोजन, वस्त्र, भवन, स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संतुलन सभी के लिए जल का कोई विकल्प नहीं है । हमारी सुख-सुविधा, आमोद प्रमोद और - मनोरंजन भी जल से जुड़ा हुआ है। घरों में कपड़े धोने, भोजन बनाने, स्नान करने और गर्मी से बचने को कूलर चलाने में जल ही सहायक होता है।

जलाशयों में तैरकर और नौकाविहार करके हम आनन्दित होते हैं । हमारी गृह - वाटिकाओं में जल चाहिए । पार्कों और वनांचलों की हरियाली जल पर ही टिकी है । जल के बिना कृषि की कल्पना ही नहीं की जा सकती । जीवन के अस्तित्व और पोषण से जुड़ी किसी भी वस्तु को देख लीजिए, किसी न किसी स्तर पर उसे जल के योगदान की आवश्यकता अवश्य होती है ।

3. जलाभाव का परिणाम

कल्पना कीजिए कि पृथ्वी कभी जल - विहीन हो जाय तो क्या दृश्य उपस्थित होगा ? जीव जगत् तड़प - तड़प कर दम तोड़ेगा । यह मनोरम हरीतिमा ये इठलाती नदियाँ, , झर-झर करते निर्झर, लहराते सागर, रिमझिम बरसते मेघ, ये चहल - पहल, दौड़ते वाहन, नृत्य संगीत के - आयोजन, ये मारामारी, सब कुछ नामशेष हो जाएँगे ।

4. जल की उपलब्धता

प्रकृति ने जीवनाधार जल की प्रभूत मात्रा मानव जाति को उपलब्ध कराई है । पृथ्वी का लगभग तीन चौथाई भाग लावृत है । इसमें मानवोपयोगी जल की मात्रा भी कम नहीं है । नदियों, सरोवरों, झीलों आदि के रूप में पेयजल उपलब्ध है ।

5. भावी जल संकट

आज प्रकृति के इस निःशुल्क उपहार पर संकट के बादल मँडरा रहे हैं । नगरों और महानगरों के अबाध विस्तार ने तथा औद्योगीकरण के उन्माद ने भूगर्भीय जल के मनमाने दोहन और अपव्यय को प्रोत्साहित किया है । भारत के अनेक प्रदेश, जिनमें राजस्थान भी सम्मिलित है, जल स्तर के निरंतर गिरने से संकटग्रस्त हैं ।

जल की उपलब्धता निरंतर कम होती जा रही है । इस संकट के लिए मनुष्य ही प्रधान रूप से उत्तरदायी है । अति औद्योगीकरण से बढ़ रहे भूमण्डलीय ताप ( ग्लोबल वार्मिंग ) से, ध्रुवीय हिम तथा ग्लेशियरों के शीघ्रता से पिघलने की आशंका व्यक्त की जा रही है। वैज्ञानिक घोषणा कर रहे हैं कि अगली तीन चार दशाब्दियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र आदि का केवल नाम ही शेष रह जाएगा । हिम तथा ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का जल स्तर बढ़ जाएगा तथा समुद्र तट पर बसे शहर खत्म हो जायेंगे ।

6. उपसंहार

जल है तो जीवन है' इस सच को राजस्थान से अधिक और कौन जानता है । जल जैसी बहुमूल्य वस्तु प्रति हमारा उपेक्षापूर्ण रवैया कितना घातक हो सकता है, यह उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है । अतः अभी से जल - प्रबंधन के प्रति जागरूक होना हमारे लिए जीवित रहने की शर्त बन गया है । अतः परम्परागत एवं आधुनिक तकनीकों से जल के संरक्षण और भंडारण का कार्य युद्ध स्तर पर होना चाहिए । जनता और प्रशासन दोनों के उद्योग और सहयोग से ही इस भावी संकट से पार पाना सम्भव है

जल का महत्व पर निबंध (600 Words)

जल ही जीवन है

जल ही जीवन है बिना पानी किसी भी प्राणी का जीवन संभव नहीं है पानी की समस्या से मानव मात्र ही नहीं, हर प्राणी का जीवन खतरे में है । पानी बचाने को लेकर भारत सरकार ने भी कई उपयोगी कदम उठाएं ताकि हम सभी का जीवन खतरे से बाहर हो सके | साथ ही हम पानी की समस्या का सुरक्षित और सही समाधान भी निकाल सके | आज हमारे देश में पानी की समस्या से बहुत सारे गांव और शहर खतरे से जूझ रहे हैं।

आज हमारे देश में हमारी सरकार ने हम सभी के सुविधा के लिए बहुत सारे बांध, तालाबो और नलकूपों के साथ- साथ हैंडपंपों की सुविधा भी करवाई है | आज हमारा देश बदल रहा है | पानी को बचाने के लिए सरकार के साथ- साथ मानव हम सब का भी यह कर्तव्य बनता है कि के पानी को बचाने के लिए अनेकों कदम उठाएं ताकि हम सभी का और आगे आने वाली पीढ़ी का भी भविष्य सुरक्षित हो सके क्योंकि हम सभी के योगदान दान से होने वाली पानी की कमी की पूर्ति हो सकती है ।

आज हम सभी जानते हैं चाहे एक इंसान चाह तो बड़ी से बड़ी समस्या भी आसानी से हल हो जाती है अर्थात हम सभी व्यक्तियों का यह कर्तव्य बनता है की अपनी अपनी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए पानी बचाओ अभियान में अपना योगदान दें | साथ ही चारों तरफ देखते हैं लोग बिना वजह पानी खर्च कर रहा है जिनमें से खुद कुछ उदाहरण कुछ इस प्रकार हैं-

1. पीने के बहाने लोग प्रयोग कम बर्बाद अधिक करता हैं।

2. कपड़े धोने में लोग जरूरत से ज्यादा पानी बर्बाद करता है

3. स्वयं के नहाने और जानवरों को नहलाने के बहाने बिना वजह अधिक पानी बेकार होता है।

4. मकान बनवाने में लोग बिना वजह ज्यादा पानी बर्बाद करते हैं।

5. रोड वा सड़कों के निर्माण में अधिक पानी व्यर्थ जाता है |

6. सिंचाई आदि के बहाने भी आवश्यकता से अधिक मात्रा में पानी बर्बाद होता है |

7. शादी विवाह बर्थडे तथा अन्य शुभ अवसरों में भी पानी की मात्रा बर्बाद होती है |

8. जल विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से

भी पानी बर्बाद होता है |

9. पुराने बिगड़े हुए पाइपलाइन और उनकी देखभाल ना होने की वजह से व समय पर उनकी मरम्मत न होने की वजह से भी पानी की अधिक मात्रा व्यर्थ होती है |

10. बड़ी बड़ी फैक्ट्री तथा कारखानों मैं पानी की अधिक से अधिक मात्रा व्यर्थ होती है क्योंकि वहां बिना वजह भी पानी का उपयोग किया जाता है।

इस प्रकार हमारे समाज में और भी ऐसे कई कार्य हैं जहां बिना वजह पानी की अधिक मात्रा उपयोग की जाती है इससे ना सिर्फ हमारी पीढ़ी बल्कि आगे आने वाली कई पीढ़ियों का जीवन भी खतरे में पड़ सकता है अतः समय रहते हम सभी मानव का यह पहला कर्तव्य बनता है की पानी की उपयोगिता को समझते हुए सही जगह और जरूरत के मुताबिक पानी का प्रयोग करें। बिना वजह पानी का प्रयोग ना स्वयं करें और ना ही तो किसी को करने द क्योंकि आज का लिया हुआ हमारा यह कदम आगे आने वाली कई पीढ़ियों का जीवन बचा सकती है।

प्रकृति के लिए जल का महत्व

हम सभी जानते हैं कि मानव मात्र के अलावा भी इस पृथ्वी में पाए जाने वाले हर प्राणी के लिए पानी का बहुत महत्व है | साथ ही प्रकृति का संतुलन सही बना रहे इस बात के लिए भी पानी का या जल का बहुत ही महत्व है |

प्रकृति के लिए जल का महत्व

हम सभी जानते हैं कि मानव मात्र के अलावा भी इस पृथ्वी में पाए जाने वाले हर प्राणी के लिए पानी का बहुत ही महत्व है | साथ ही प्रकृति का संतुलन सही बना रहे इस बात के लिए भी पानी का या जल का बहुत ही महत्व है।

हम सभी जानते हैं पेड़ पौधों को बचाने के लिए पानी को बचाने की प्राथमिकता पहले देनी होगी क्योंकि बिना पानी के पेड़ पौधों का जीवन दुर्लभ है साथ ही बिना पेड़ पौधों के वातावरण के मानव या किसी भी जीवो का जीवन संभव नहीं है साथ ही बिना पेड़-पौधों के बारिश का होना भी असंभव है और बिना बारिश के प्रकृति का संतुलन असंभव है 

जल ही जीवन पर

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