प्रश्न - इलेक्ट्रानिक स्पेक्ट्रा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। इससे क्या जानकारियां प्राप्त होती है ?
[ उज्जैन 2001, जबलपुर 2003 जीवाजी 2005,07 भोपाल 2008]
उत्तर - इलेक्ट्रॉनिक स्पेक्ट्रा - इलेक्ट्रॉनिक स्पेक्ट्रा U.V तथा दृश्य विकिरणों के अवशोषण से प्राप्त होता है। इलेक्ट्रॉनिक स्पेक्ट्रा अणु में इलेक्ट्रॉनों के मूल अवस्था से उच्च ऊर्जा में तरण के कारण होता है। इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण में घूर्णन तथा कम्पन संक्रमण की अपेक्षा अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस संक्रमण में अणु की इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा में परिवर्तन के साथ-साथ घूर्णन एवं कम्पन ऊर्जाओं में भी ऊर्जा परिवर्तन होगा।
प्रत्येक अणु में इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा स्तर से संलग्न अनेक कम्पन ऊर्जा स्तर होते हैं तथा प्रत्येक कम्पन ऊर्जा स्तर में अनेक घूर्णन ऊर्जा स्तर होते हैं और इनकी ऊर्जायें इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा स्तरों से कम होती है। अतः प्रत्येक इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण के साथ-साथ घूर्णन व कम्पन संक्रमण भी होते हैं जिससे इलेक्ट्रॉनिक स्पेक्ट्रम में चौड़े बैण्ड प्राप्त होते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक स्पेक्ट्रम सभी प्रकार के अणुओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, क्योंकि अवशोषण या उत्सर्जन से अणु में इलेक्ट्रॉनिक वितरण में परिवर्तन से सदैव द्विवपूर्ण में परिवर्तन होता है। इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण में ऊर्जा परिवर्तन के फलस्वरूप अनेक रेखायें प्रकट होती हैं जिससे प्राप्त स्पेक्ट्रा जटिल होती है।
इलेक्ट्रॉनिक बैण्ड स्पेक्ट्रा से अणु की उत्तेजित अवस्था तथा वियोजन ऊर्जा के बारे में जानकारियाँ मिलती हैं। इलेक्ट्रॉनिक बैण्ड स्पेक्ट्रम में स्पेक्ट्रम के एक सिरे से प्रारम्भ करने पर रेखाओं के बीच की दूरी क्रमशः आगे बढ़ने के साथ कम होती चली जाती है तथा एक स्थिति ऐसी है कि रेखाओं के बीच की दूरी समाप्त हो जाती है और लगातार उत्सर्जनका क्षेत्र प्रारम्भ हो जाता है। जिस स्थान पर रेखायें समाप्त होती है उस सीमा की आवृत्ति ही अणु की