class 10 social science chapter 1 solution/mp kaksha 10vi samajik vigyan solution

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class 10 social science chapter 1 solution/mp kaksha 10vi samajik vigyan solution


 खण्ड I: घटनाएँ और प्रक्रियाएँ

पाठ :- 1

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय


याद रखें -

• निरंकुशवाद एक ऐसी सरकार या शासन व्यवस्था है जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं होता।

• कल्पनादर्श (युटोपिया) एक ऐसे समाज की कल्पना है जो इतना आदर्श है कि उसका साकार होना लगभग असंभव होता है।

• राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के साथ हुई।

• फ्रांस के कारण राष्ट्रवाद का विचार विदेशों में गया।

• सामाजिक और राजनीतिक रूप से जमीन का मालिक कुलीन वर्ग यूरोपीय महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली वर्ग था। 

• इंग्लैण्ड में औद्योगीकरण अठारहवीं सदी के दूसरे भाग में लेकिन फ्रांस एवं जर्मनी में उन्नीसवीं सदी के दौरान हुआ।

• नए मध्य वर्गों के लिए उदारवाद का अर्थ व्यक्ति के लिए आजादी एवं कानून के समक्ष सबकी बराबरी था।

• उन्नीसवीं सदी के शुरूआत में भी फ्रांस एवं यूरोप में संपत्ति विहीन पुरुषों एवं सभी महिलाओं को राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया था। 

• आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद बाजारों की मुक्ति और चीजों तथा पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्रणों को खत्म करने के पक्ष में था।

• नेपोलियन के कारण जर्मन भाषी इलाकों का 39 राज्यों का एक महासंघ बना। 

• 1815 में नेपोलियन की हार के बाद यूरोपीय देशों द्वारा रूढ़िवाद को पुनः बढ़ाया गया।

• रूढ़िवादी राज्य और समाज की स्थापित पारंपरिक संस्थाएँ जैसे राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, संपत्ति और परिवार को बनाए रखना चाहते थे।

• 1815 में ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया ने मिलकर फ्रांस के नेपोलियन को हराया। 

• 1815 में नेपोलियन की हार पर वियना की संधि हुई जिसकी मेजबानी ऑस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने की।

• 1815 में स्थापित रूढ़िवादी शासन व्यवस्थाएँ निरंकुश थीं।

• प्रेस की आजादी रूढ़िवादी व्यवस्था के खिलाफ उदारवादी राष्ट्रवादियों द्वारा उठाया गया एक प्रमुख मुद्दा था।

• 1815 के बाद के वर्षों में रूढ़िवादियों के दमन के विरोध में अनेक गुप्त क्रांतिकारी संगठन बने।

• 1807 में आ में पैदा हुए ज्युसेपी मेसिनी इटली के कार्बोनारी गुप्त संगठन के सदस्य थे। ● चीन में बंग इटली एवं वर्ग में यंग यूरोप नामक दो नए गुप्त संगठनों की स्थापना की।

• फ्रांस में जुलाई 1830 में प्रथम विद्रोह हुआ। 

• यूनान के स्वतंत्रता संग्राम ने यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया।

• 1832 में कुस्तुनतुनिया की संधि से यूनान एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।

• जर्मन भाषा में जैकब ग्रिम और विल्हेल्म ग्रिम बंधुओं ने ग्रिम्स फेयरीटेल्स (परियों की कहानी) का संकलन किया। सन् 1848 में फ्रांस में राष्ट्रीय सभा (National Assembly) ने विद्रोह के कारण 21 वर्ष से ऊपर सभी वयस्क पुरुषों को मताधिकार एवं काम के अधिकार की गारंटी दी।

• सन् 1848 तक अनेक स्वतंत्र राष्ट्र अस्तित्व में नहीं आये थे इसलिए वहाँ के उदारवादी मध्यवर्गों के स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया। 

• नारीवाद स्त्री-पुरुष की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समानता की सोच के आधार - पर महिलाओं के अधिकारों और हितों का बोध । 

• विचारधारा एक खास प्रकार की सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्टि को इंगित करने वाले विचारों का समूह।

• प्रशा के प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क द्वारा जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़कर प्रशा (जर्मनी) का एकीकरण किया गया।

• इटली के राज्यों को एकीकृत (जोड़ने) करने की मुख्य जिम्मेदारी सार्डिनिया पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय एवं मंत्री प्रमुख कावूर पर थी। 

• अठारहवीं सदी से पहले ब्रितानी (ब्रिटेन) राष्ट्र नहीं था।

• ब्रितानी द्वीप समूह पर अंग्रेज, वेल्स, स्कॉट या आयरिश नृजातीय के लोग रहते थे। 

• नृजातीय एक साझा नस्ली, जनजातीय या सांस्कृतिक उद्गम अथवा पृष्ठभूमि जिसे कोई समुदाय अपनी पहचान मानता है।

• सन् 1688 में एक लंबे टकराव और संघर्ष के बाद आंग्ल (इंग्लैण्ड) संसद ने राजतंत्र से ताकत छीन ली।

• सन् 1801 में आयरलैण्ड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में शामिल कर नए ब्रितानी राष्ट्र की स्थापना की गई।

• राष्ट्र के रूपक के तौर पर नारी की छवि बनाई गयी। 

• फ्रांस में ऐसी नारी छवि को लोकप्रिय ईसाई नाम मारीआन दिया गया।

• मारीआन की लाल टोपी, तिरंगा और कलगी स्वतंत्रता एवं गणतंत्र के चिह्न माने गए।

• बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनी हुई जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। 

• उन्नीसवीं सदी के अंतिम चौथाई तक राष्ट्रवाद सीमित लक्ष्यों वाला संकीर्ण सिद्धांत बन गया।

• इस संकीर्ण सिद्धांत वाले राष्ट्रवाद के कारण यूरोप में अनेक युद्ध हुए।

• यह राष्ट्रवाद साम्राज्यवाद से जुड़कर 1914 में यूरोप को प्रथम विश्व युद्ध की महाविपदा की ओर ले गया।


पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर


संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें

(क) ज्युसेपे मेत्सिनी

(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर

(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध 

(घ) फ्रैंकफ़र्ट संसद

(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका


उत्तर- (क) ज्युसेपे मेत्सिनी - ज्युसेपे मेत्सिनी इटली के प्रमुख क्रांतिकारी थे। 1807 में जेनोआ में इनका जन्म हुआ था। वह कार्बोनारी के गुप्त संगठन के सदस्य थे। चौबीस साल की उम्र में लिगुरिया में क्रांति करने के लिए उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने दो नए भूमिगत संगठनों का निर्माण किया। पहला मार्सेई में यंग इटली और दूसरा बर्न में यंग यूरोप, जिसके सदस्य पोलैंड, फ्रांस, इटली और जर्मनी के युवा थे। मेत्सिनी को विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी। इसलिए उन्होंने एकीकरण को ही इटली की मुक्ति का आधार बताया तथा इसके लिए इन्होंने 1830 के दशक में एकीकृत इतावली गणराज्य के लिए एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कोशिश की। मेत्सिनी के कारण ही जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और पोलैंड में गुप्त संगठन बने।

   मेत्सिनी राजतंत्र के घोर विरोधी थे। इन्होंने प्रजातांत्रिक गणतंत्रों की स्थापना के लिए रूढ़िवादियों से कड़ा संघर्ष किया एवं रूढ़िवादियों को हराया। आस्ट्रिया के चांसलर मैटरनिख ने मेत्सिनी को 'सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन' बताया।


(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर - इटली के एकीकरण को सफल बनाने वाले व्यक्ति - काउंट कैमिलो दे कावूर थे। ये इतालवी राज्य सार्डिनिया पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय के मंत्री प्रमुख (प्रधानमंत्री ) थे।

    इन्होंने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया। ये न तो क्रांतिकारी थे और न ही जनतंत्र में विश्वास रखते थे। ये एक चतुर कूटनीतिज्ञ थे। इन्हीं के 1859 में इनका राज्य ऑस्ट्रिया को हराने में कामयाब हो पाया। इसके बाद ही इटली का एकीकरण संभव हो पाया क्योंकि ऑस्ट्रिया ही इटली के एकीकरण की सबसे बड़ी बाधा थी। कावूर ने विक्टर इमेनुएल को पूरी इटली का सम्राट बना दिया था।


(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध - यूनान का स्वतंत्रता संग्राम राष्ट्रवादी भावना से प्रेरित था। यूनान के स्वतंत्रता संग्राम ने यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीयता की भावना का संचार किया। 1821 ई. में ऑटोमन साम्राज्य के विरूद्ध यूनानियों का स्वतंत्रता संग्राम प्रारम्भ हुआ। यूनान के राष्ट्रवादी नेताओं को निर्वासन में रह रहे यूनानी लोगों के साथ-साथ पश्चिमी यूरोप के के प्रति सहानुभूति की भावना रखते थे। कवियों और कलाकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का लोगों का साथ भी मिला। इसका कारण यह था कि ये लोग प्राचीन यूनानी संस्कृति (Hellenism) के प्रति सहानुभूति की भावना रखते थे। कवियों और कलाकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का मुख्य आधार बताया। अतः यूनान के प्राचीन गौरव को स्थापित करने तथा मुस्लिम साम्राज्य से मुक्ति दिलाने के लिए प्रयास आरम्भ हुआ। एक अंग्रेज कवि लार्ड बायरन ने धन एकत्र किया और बाद में युद्ध में भी शामिल हुए लेकिन दुर्भाग्यवश 1824 ई. में बुखार से उनकी मृत्यु हो गई। अंत में, 1832 ई. में कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी और यूनान का स्वतंत्रता संग्राम पूर्ण हुआ।


(घ) फ्रैंकफर्ट संसद - जर्मनी में राष्ट्रवादी नेताओं के द्वारा फ्रैंकफर्ट शहर में एक सर्व जर्मन नेशनल एसेंबली की स्थापना करने का निश्चय किया। यह फ्रैंकफ़र्ट संसद के नाम से जाना जाता है। इसके सदस्यों का चुनाव वयस्क मताधिकार के द्वारा किया गया था। संसद का प्रथम अधिवेशन 18 मई, 1848 में फ्रैंकफर्ट में किया गया। इसमें 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई। इस अधिवेशन में जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया गया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरीख विल्हेम चतुर्थ को राजा बनाना चाहा तो उसने उसे अस्वीकार कर निर्वाचित सभा के विरोधी राजाओं का साथ दिया।

    इस प्रकार कुलीन वर्ग और सेना का विरोध बढ़ने लगा और संसद का सामाजिक महत्त्व कमजोर हो गया। संसद में मध्य वर्गों का प्रभाव अधिक था जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों की माँगों का विरोध किया। इससे वे मजदूरों का समर्थन खो बैठे। अंत में सैनिकों को बुलाया गया और एसेंबली भंग होने पर मजबूर हुई।


(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका - राष्ट्रवादी संघर्षों के दौरान महिलाओं के अधिकार बहुत ही सीमित थे। इस दौरान महिलाएँ मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकती थीं। उदारवादी आन्दोलन के अंतर्गत महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा, विवाद का विषय बन चुका था। राष्ट्रवादी संघों में वर्षों से बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया था। महिलाओं का अपना राष्ट्रीय संगठन स्थापित हो चुका था।

     समाचार-पत्रों के माध्यम से महिलाएँ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती थीं। राजनीतिक बैठकों तथा प्रदर्शनों में भी महिलाओं की सक्रिय भूमिका थी लेकिन इसके बावजूद वे राजनीतिक अधिकारों से वचित थीं। उन्हें एसेंबली के चुनाव के दौरान मताधिकारों से वंचित रखा गया था। सेंट पॉल चर्च में जब फ्रैंकफर्ट संसद की सभा आयोजित की गई थी तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की हैसियत से दर्शक दीर्घा में खड़े होने की अनुमति दी गई। यह महिलाओं की पहली जीत थी।


प्रश्न 2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए?

उत्तर - फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने अनेक कदम उठाए। जैसे -

(i) पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया जिसे एक संविधान के अंतर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।

(ii) एक नया फ्रांसीसी झंडा तिरंगा चुना गया जिसने पहले के राजध्वज की जगह ले ली।

(iii) इस्टेट जेनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदलकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया। 

(iv) नयी स्तुतियाँ रची गईं, शपथें ली गई और शहीदों का गुणगान किया गया। यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ।

(v) एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसने अपने भू-भाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एकसमान कानून बनाए।

(vi) आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए।

(vii) तौलने और नापने के लिए एक तरह की व्यवस्था लागू की गई । 

(vii) क्षेत्रीय बोलियों के स्थान पर, पेरिस की फ्रेंच भाषा ही राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित हुई। 


प्रश्न 3. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे ? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था ?

उत्तर - राष्ट्रवादी संघर्षों के दौरान कलाकारों ने स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग किया। इनमें फ्रांस एवं जर्मनी में क्रमशः मारीआन और जर्मेनिया की छवि को राष्ट्र रूपक के तौर पर उपयोग किया गया। 

मारीआन - फ्रांस में नारी रूपक के तौर पर मारीआन का उपयोग किया गया है। इन्हें ये नाम लोकप्रिय ईसाई नाम 'मारीआन' के कारण दिया गया। उसके चिह्न भी स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे लाल टोपी, तिरंगा और कलगी। मारीआन की प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौराहों पर लगाई गई ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और लोगों का विश्वास बना रहे। मारीआन की छवि सिक्कों और डाक टिकटों पर अंकित की गई। मारीआन की ये तस्वीरें फ्रांसीसी गणराज्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। 

जर्मेनिया - जर्मेनिया, जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है। जर्मेनिया की तलवार पर, "जर्मन तलवार जर्मन राइन की रक्षा करती है" अंकित है। जर्मेनिया स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त करती है।


प्रश्न 4. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ। 

उत्तर - 1848 की फ्रैंकफ़र्ट संसद प्रशा के नरेश विल्हेम चतुर्थ के नेतृत्व में फ्रैंकफ़र्ट संसद ने जर्मनी के एकीकरण के भरसक प्रयास किए परन्तु वे असफल रहे। 

प्रशा के नेतृत्व में एकीकरण - प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व अपने - हाथ में ले लिया। उनके प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क इस प्रक्रिया के जनक थे जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद ली।

बिस्मार्क का योगदान - बिस्मार्क प्रशा के उन महान् सपूतों में से एक था जिन्होंने सेना व नौकरशाही की मदद से जर्मन एकीकरण का उत्कृष्ट प्रयास किया। उसका विचार था कि जर्मन-एकीकरण में सफलता के लिए उन्हें प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद लेनी चाहिए। वह प्रशा के जर्मनी में विलय द्वारा नहीं बल्कि प्रशा का जर्मनी तक विस्तार के द्वारा इस उद्देश्य को पूरा करना चाहता था।

तीन युद्ध - बिस्मार्क का जर्मन एकीकरण का उद्देश्य सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिय डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्ध लड़कर पूर्ण हुआ जो 1864 से 1870 के सात वर्ष के अल्प समय में लड़े गए।

जर्मनी का एकीकरण - उपर्युक्त युद्धों का परिणाम प्रशा की जीत के रूप में आया जिस एकीकरण की प्रक्रिया को संपूर्ण कर दिया। 18 जनवरी, 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा काइजर विलियम प्रथम को नए जर्मनी साम्राज्य का सम्राट बनाया गया।


प्रश्न 5. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?

उत्तर - अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्न बदलाव किए -

(i) सामाजिक समानता की स्थापना के द्वारा उच्च और निम्न वर्ग के भेद को समाप्त कर दिया। 

(ii) समान मापन एवं कर प्रणाली को लागू किया।

(iii) प्रतिष्ठा-मंडल (Legion of Honcur) की स्थापना के द्वारा विद्वानों, कलाकारों और देशभक्तों को सम्मानित करना प्रारम्भ किया।

(iv) नेपोलियन ने फ्रांस में प्रचलित कानूनों का संग्रह करके एक ग्रंथ का संकलन किया जिसे 'नेपोलियन कोड' कहते हैं। इसमें विभिन्न कानूनों को संग्रहित किया गया।

(v) आर्थिक क्षेत्र में सुधार के उद्देश्य से 'बैंक ऑफ फ्रांस' (Bank of France) की स्थापना की।

(vi) नेपोलियन का दंड विधान बहुत कठोर था। जूरी प्रथा और मुद्रित पत्रों (Letters De Catchet) को पुनः प्रारम्भ किया। 

(vii) शिक्षा के विकास के लिए पेरिस में यूनीवर्सिटी ऑफ फ्रांस की स्थापना की जिसमें लैटिन, फ्रेंच, साधारण विज्ञान तथा गणित इत्यादि की शिक्षा दी जाने लगी। 

(viii) कैथोलिक धर्म को राजधर्म के रूप में स्वीकार किया गया।


चर्चा करें -

प्रश्न 1. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया ? 

उत्तर - उदारवादियों की 1848 की क्रांति का अर्थ था राजतंत्र का अंत और गणतंत्र की - स्थापना उदारवादियों ने निम्नलिखित राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया -

(i) उदारवादियों ने समानता पर जोर दिया। कानून के समक्ष एवं राजनीतिक क्षेत्र में समान अधिकार देने पर जोर दिया गया।

(ii) 1848 में खाद्य सामग्री का अभाव तथा बेरोजगारी को बढ़ती हुई समस्या के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था। इस संकट के समाधान के लिए उदारवादियों के द्वारा क्रांति और प्रदर्शन पर जोर दिया गया। समान मापन एवं कर प्रणाली लागू करने पर जोर दिया।

(iii) सार्वजनिक मताधिकार पर आधारित जनप्रतिनिधि सभाओं के निर्माण की माँग बढ़ने लगी।

(iv) इटली, पोलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगेरियन आदि साम्राज्यों के उदारवादी मध्यमवर्गी के स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया। 

(v) उदारवादियों ने जन असंतोष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र राज्य के निर्माण की माँगों को आगे बढ़ाया। यह राष्ट्र राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की स्वतंत्रता जैसे संसदीय सिद्धांतों पर आधारित था।

(vi) उदारवादी आन्दोलन के अन्दर महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने की माँग बढ़ने लगी। (vii) समान और बंधुआ मजदूरी को समाप्त करने की माँग उदारवादी नेताओं द्वारा होने लगी। 


प्रश्न 2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।

उत्तर - यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कलाकारों, विचारकों, साहित्यकारों, कवियों, संगीतकारों आदि ने राष्ट्र प्रेम की भावना का विकास किया। इसके कई उदाहरण हमें फ्रांस, इटली, यूनान और जर्मनी में देखने को मिले। यहाँ निम्नलिखित तीन उदाहरणों का उल्लेख है -

(i) फ्रेड्रिक सॉरयू का युटोपिया - 1848 में फ्रांसीसी कलाकार फ्रेड्रिक सॉरयू ने चार - चित्रों की एक श्रृंखला बनाई। इसमें विश्वव्यापी प्रजातांत्रिक और सामाजिक गणराज्यों के स्वप्न की अभिव्यक्ति की गई थी। सॉरयू के युटोपिया (कल्पनादर्श) में एक आदर्श समाज की कल्पना की गई। इस चित्र में सभी वर्ग एवं सभी उम्र के स्त्री-पुरुष स्वतंत्रता की प्रतिमा की वंदना कर रहे हैं। सभी के हाथ में मशाल और मानव के अधिकारों का घोषणापत्र है। राष्ट्र जो समूह में बँटे हुए हैं, उन्हें राष्ट्रीय पोशाक, तिरंगे झंडे, भाषा और राष्ट्रगान के द्वारा एक राष्ट्र राज्य का रूप दिया। यूरोप में राष्ट्रीयता के विकास में सॉरयू की युटोपिया ने प्रेरणा का काम किया।

(ii) कार्लकैस्पर फ्रिट्ज़ द्वारा स्वतंत्रता के वृक्ष का रोपण - जर्मन चित्रकार कालकैस्पर जिन द्वारा बनाए गए इस रंगीन चित्र का विषय फ्रेंच सेनाओं द्वारा स्वेनकेन शहर पर कब्जा है। अपनी नीली, सफेद और लाल पोशाकों से पहचाने जाने वाले फ्रांसीसी सैनिकों को दमनकारियों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें एक किसान की गाड़ी छीनते हुए, कुछ युवा महिलाओं को तंग कर रहे हैं। वहाँ एक किसान को घुटने टेकने पर मजबूर किया जा रहा है। इस चित्र के बीच में चित्रकार ने स्वतंत्रता के वृक्ष के रोपण को दर्शाया है। इस वृक्ष पर एक तख्ती लगी हुई है जिस पर जर्मन में लिखा हुआ है। इस पंक्ति का हिन्दी अनुवाद है- "हमसे आजादी और समानता ले लो - यह मानवता का आदर्श रूप है।" यह फ्रांसीसियों के इस दावे पर व्यंग्य है कि वे जिन इलाकों में जाते थे वहाँ राजतंत्र का विरोध कर मुक्तिदाता बन जाते थे।

(iii) यूजीन देलाक्रोआ की द मसैकर ऐट किऑस - फ्रांसीसी चित्रकार देलानोम सबसे महत्त्वपूर्ण फ्रेंच रूमानी चित्रकारों में से एक था। यह विशाल चित्र एक घटना को चित्रित करता है जिसमें किऑस द्वीप पर कहा जाता है कि तुर्कों ने बीस हजार यूनानियों को मार डाला। लाक्रोआ ने अपने चित्र के द्वारा महिलाओं और बच्चों की पीड़ा को केन्द्र बिंदु बनाते हुए चटख रंगों का प्रयोग करके देखने वालों की भावनाएँ उभार करके यूनानियों के लिए सहानुभूति जगाने की कोशिश की।

    इस प्रकार राष्ट्रवाद का विकास करने में संस्कृति ने अहम् भूमिका निभाई। कला, काव्य, कहानियों, कथाओं और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं के निर्माण और विकास में सहयोग दिया। 


प्रश्न 3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए।

उत्तर - उन्नीसवीं सदी में जर्मनी और इटली एकीकृत होकर राष्ट्र बने। इनका विकास निम्न प्रकार से हुआ -

1. जर्मन राष्ट्र का विकास

(i) जर्मनी में राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्यवर्ग के लोगों में अधिक थीं। उन्होंने 1848 ई. में जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया था।

(ii) लेकिन राष्ट्र निर्माण की यह उदारवादी कोशिश राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दी। उनका प्रशा के बड़े भूस्वामियों (Junkers) ने भी समर्थन किया। (iii) प्रशा के प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क इस प्रक्रिया का जनक था जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद ली।

(iv) सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा को जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।

(v) जर्मनी में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया ने प्रशा राज्य की शक्ति के प्रभुत्व को दर्शाया है। (vi) जनवरी 1871 ई. में एकीकरण के बाद जर्मनी की मुद्रा, बैंकिंग और कानूनी तथा न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर काफ़ी जोर दिया।


2. इटली राष्ट्र का विकास

(i) इटली अनेक वंशानुगत राज्यों तथा बहु-राष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा हुआ था। 19वीं शताब्दी के मध्य में इटली सात राज्यों में बंटा हुआ था जिनमें से केवल एक सार्डिनिया पीडमॉण्ट में एक इतालवी राजघराने का शासन था। उत्तरी भाग ऑस्ट्रिया के हैब्सबर्गों के अधीन था, मध्य इलाकों पर पोप का शासन था और दक्षिणी क्षेत्र स्पेन के बूब राजाओं के अधीन थे। (ii) इतालवी भाषा ने भी साझा रूप हासिल नहीं किया था। यह अभी तक अपने विविध क्षेत्रीय और स्थानीय रूप में मौजूद था।

(iii) 1830 के दशक में ज्युसेपे मेसिनी ने एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए कार्यक्रम बनाया और यंग इटली नामक एक गुप्त संगठन की स्थापना की। 1831 और 1848 में क्रांतिकारी विद्रोहों की असफलता से युद्ध के द्वारा इतालवी राज्यों को संगठित करने का दायित्व सार्डिनिया पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय पर आ गया।

(iv) इनके प्रमुख मंत्री कार जिसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया था। वह इतालवी भाषा से अधिक बेहतर फ्रेंच बोलता था। उसने फ्रांस और सार्डिनिया पीडमॉण्ट के बीच कूटनीतिक संधि कराई।

(v) 1859 ई. में सार्डिनिया पीडमॉण्ट ने ऑस्ट्रिया को पराजित किया। इस युद्ध में सैनिकों के अतिरिक्त ज्युसेपे गैरीबाल्डी के नेतृत्व में अनेक सशस्त्र स्वयंसेवकों ने भी भाग लिया। 

(vi) 1860 में वे दक्षिणी इटली और दो सिसिलियों के राज्य में प्रवेश कर गए। स्पेन के शासक को हटाने में स्थानीय किसानों की मदद प्राप्त करने में सफल रहे। 

(vii) 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया। इस प्रकार टीका प्रकोकरण फ्रांस-प्रशा युद्ध के बाद 1870 ई. में पूर्ण हुआ। 


प्रश्न 4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?

उत्तर - ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में निम्न प्रकार से भिन्न था - 

(i) क्रांति के बगैर - ब्रिटेन में राष्ट्र-राज्य का निर्माण अचानक हुई उथल-पुथल या क्रांति का परिणाम नहीं था बल्कि यह एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया का नतीजा था। इसके अलावा यूरोप के अन्य देशों में क्रांति के लिए राष्ट्रवाद हो जिम्मेदार था।

(ii) भिन्न रीति-रिवाज - अठारहवीं सदी से पहले ब्रितानी राष्ट्र था ही नहीं यह एक जातीय समूहों का संगठन था जिनकी अपनी राजनीतिक और सांस्कृतिक परंपराएँ थीं। इन सब के बावजूद भी यहाँ राष्ट्रवाद की भावना उदय हुई। लेकिन अन्य यूरोपीय देशों के लोग एक ही जाति से संबंध रखते थे।

(iii) संसद का योगदान - ब्रिटेन में राष्ट्रवाद की भावना संसद के माध्यम से आई। लेकिन दूसरे राष्ट्रों में राजा और राष्ट्रीय क्रांतिकारी इसके लिए जिम्मेदार थे।

(iv) औद्योगीकरण - अन्य यूरोपीय देशों की अपेक्षा ब्रिटेन में औद्योगीकरण का प्रारंभ पहले हो गया था जिसके कारण यह अन्य यूरोपीय देशों को अपेक्षा ज्यादा समृद्ध था इसलिए यहाँ क्रांति का स्वरूप भिन्न था।


प्रश्न 5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा ?

अथवा

1871 से 1914 तक बाल्कन क्षेत्र पर होने वाले परिवर्तनों पर लेख लिखिए।

अथवा

बाल्कन क्षेत्र किस प्रकार गहरे टकराव का क्षेत्र बन गया?

उत्तर - 1871 के बाद यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का स्रोत बाल्कन क्षेत्र था। इस क्षेत्र में भौगोलिक और जातीय भिन्नता थी। बलकन क्षेत्र के अंतर्गत आज के रोमानिया बुल्गेरिया, अल्बेनिया, यूनान मेसिडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मॉन्टिनिग्रो शामिल थे। इस क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर स्लाव पुकारा जाता था। 1871 के समय बाल्कन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था। बाल्कन क्षेत्र में रूमानी राष्ट्रवाद के विचारों के फैलने और ऑटोमन साम्राज्य के विघटन से स्थिति काफी बेकार हो गई। उन्नीसवीं सदी में ऑटोमन साम्राज्य ने आधुनिकीकरण और आंतरिक सुधारों के जरिए मजबूत बनना चाहा था किन्तु इसमें इसे बहुत कम सफलता मिली। एक के बाद एक ऑटोमन साम्राज्य के अधीन रहने वाले बाल्कन राष्ट्रों ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। बाल्कन लोगों ने आजादी या राजनीतिक अधिकारों के अपने दावों को राष्ट्रीयता का आधार दिया। उन्होंने इतिहास का इस्तेमाल यह साबित करने के लिए किया कि वे कभी स्वतंत्र थे किन्तु तत्पश्चात् विदेशी शक्तियों ने उन्हें अधीन कर लिया। अतः बाल्कन क्षेत्र के विद्रोही राष्ट्रीय समूहों ने अपने संघर्षो को लंबे समय से खोई आजादी को वापस पाने के प्रयासों के रूप में देखा।

    जैसे-जैसे विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान और स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश की, बाल्कन क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र बन गया। बाल्कन राज्य एक-दूसरे से भारी ईर्ष्या करते थे और हर एक राज्य अपने लिए ज्यादा से ज्यादा इलाका हथियाने की उम्मीद रखता था। इस समय यूरोपीय शक्तियों के बीच व्यापार और उपनिवेशों के साथ नौसैनिक और सैन्य ताकत के लिए गहरी प्रतिस्पर्धा चल रही थी। इसी समय बाल्कन समस्या आगे बढ़ी उसमें यह प्रतिस्पर्धाएँ खुल कर सामने आईं। रूस, जर्मनी, इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रो-हंगरी की हर शक्ति बाल्कन पर अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहती थीं। इससे इस इलाके में कई युद्ध हुए और अंततः साम्राज्यवाद के कारण 1914 को प्रथम विश्व युद्ध प्रारम्भ हो गया।


अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न - फ्रांसीसी क्रांति से राजनीतिक और संवैधानिक क्षेत्र में क्या परिवर्तन आया? 

उत्तर- फ्रांसीसी क्रांति से राजनीतिक और संवैधानिक परिवर्तन के बाद प्रभुसत्ता राजतंत्र से निकल कर फ्रांसीसी नागरिकों के समूह में हस्तांतरित हो गई।


प्रश्न - 1815 में फ्रांसीसी क्रांति से संबंधित मुद्रित सामग्री पर नियंत्रण करने के लिए रूढ़िवादी शासन व्यवस्थाओं ने सेंसरशिप कानून क्यों लागू किए थे ? 

उत्तर - रूढ़िवादी शासन व्यवस्थाएँ आलोचना और असहमति बरदाश्त नहीं करती थीं और उन्होंने उन गतिविधियों को दबाना चाहा, जो निरंकुश सरकारों की वैधता पर सवाल उठाती थीं ।


प्रश्न - फ्रांस के क्रांतिकारियों ने सामूहिक पहचान के लिए किन चार चीजों का चुनाव किया?

उत्तर - फ्रांस के क्रांतिकारियों ने सामूहिक पहचान के लिए -

(i) पितृभूमि, (ii) नागरिक, (iii) प्रांसीसी झंडा तिरंगा, (iv) फ्रेंच भाषा का चुनाव किया।


प्रश्न - जॉलवेराइन (Zollverein) क्या था ? इसकी स्थापना क्यों हुई ?

उत्तर - जॉलवेराइन एक शुल्क संघ था जिसकी स्थापना 1834 ई. में प्रशा की पहल पर की गई। जलवेराइन का लक्ष्य जर्मन लोगों को आर्थिक रूप में एक राष्ट्र में बाँधना था। इसमें अधिकांश जर्मन राज्य शामिल थे। इस संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया और आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत बनाया।


प्रश्न- कार्टर प्रणाली (Carter System) से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर - कार्टर प्रणाली, विभिन्न राष्ट्रों के बीच होने वाला समझौता था जिसका उद्देश्य पारस्परिक आर्थिक हितों की रक्षा करना एवं उन्हें प्रोत्साहन देना था।


प्रश्न - यंग इटली क्या था ?

उत्तर - यंग इटली, इटली के एकीकरण के लिए गठित एक गुप्त संगठन था। इसका गठन ज्युसेपे मेत्सिनी नामक इटली के प्रमुख क्रांतिकारी ने किया था। 


प्रश्न - एक्ट ऑफ यूनियन' से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर - इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के मध्य 1707 में 'एक्ट ऑफ यूनियन' का गठन हुआ जिसके फलस्वरूप 'यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन' का गठन हुआ जिसका प्रभाव यह हुआ कि इंग्लैंड ने व्यावहारिक रूप में स्कॉटलैंड पर अपना प्रभुत्व जमा लिया। 


प्रश्न - महिलाओं की स्वतंत्रता और समानता के लिए आवाज उठाने वाली महिला कौन थी ?

उत्तर - महिलाओं की स्वतंत्रता और समानता के लिए आवाज़ उठाने वाली महिला लुइसे ऑटो-पीटर्स थी। वह एक राजनैतिक कार्यकर्ता थी जिसने महिलाओं की पत्रिका और बाद में 'नारीवादी' नामक राजनीतिक संगठन की स्थापना की।


प्रश्न- नृजातीय को परिभाषित कीजिए। 

उत्तर - एक साझा नस्ली, जनजातीय या सांस्कृतिक उद्गम या पृष्ठभूमि जिसे कोई समुदाय अपनी पहचान मानता हो नृजातीय कहलाती है। जैसे स्कॉट या आयरिश नृजातीयता स्कॉट या आयरिश लोग भले ही ब्रिटेन में रहते हैं परन्तु उनका रहन-सहन एवं सांस्कृतिक रीति- रिवाज ब्रिटेन के लोगों से अलग है। 


प्रश्न - 'स्लाव' कौन थे ?

उत्तर - स्लाव बाल्कन क्षेत्र के निवासी थे, जिसमें आधुनिक रोमानिया, बुल्गेरिया, अल्बेनिया, ग्रीस, मेसिडोनिया, क्रोएशिया आदि शामिल थे।


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न- यूरोप में राष्ट्रवाद के जन्म के समय कुलीन वर्ग की राजनीतिक और सामाजि स्थिति क्या थी ?

उत्तर - यूरोप में जब राष्ट्रवाद के विचारों का विकास हो रहा था उस समय कुल वर्ग सामाजिक और राजनीतिक रूप से सबसे प्रभावशाली वर्ग था। कुलीन वर्ग के लोग ज के मालिक होते थे। इस वर्ग के लोग एक साझा जीवन शैली से बँधे हुए थे जो क्षेत्र विभाजनों के आर-पार व्याप्त थी। ये लोग ग्रामीण इलाकों में जायदाद और शहरी हवेलियों के मालिक थे।

      राजनीतिक कार्यों के लिए तथा उच्च वर्गों के बीच वे फ्रेंच भाषा का प्रयोग करते थे। उनके परिवार अधिकतर वैवाहिक बंधनों से आपस में जुड़े होते थे लेकिन यह शक्तिशाली कुलीन क संख्या के हिसाब से एक छोटा समूह था। जनसंख्या के अधिकांश लोग कृषक थे। पूर्वी और मध्य यूरोप में विशाल भूमि जागीरों में बँटी थी जिस पर भूदास खेती करते थे। पश्चिम में अधिकतर समीन पर किराएदार और छोटे काश्तकार खेती करते थे। कुलीन के पास विशेषाधिकार होते थे।


प्रश्न - यूरोप में मध्यम वर्ग के उदय का क्या कारण था?

उत्तर - यूरोप में मध्यम वर्ग का उदय और विकास कई कारणों से हुआ -

(i) पश्चिमी और मध्य यूरोप के हिस्सों में औद्योगिक उत्पादन और व्यापार में वृद्धि से शहरों का विकास हुआ जिससे वाणिज्यिक वर्गों का उदय हुआ। इस वर्ग का अस्तित्व बाजार के उत्पादन पर निर्भर था।

(ii) औद्योगीकरण प्रक्रिया के परिणामस्वरूप नया सामाजिक समूह अस्तित्व में आया इनमें श्रमिक वर्ग के लोग और मध्यम वर्ग जो उद्योगपतियों, व्यापारियों और सेवा क्षेत्र के लोगों से बने। 

(iii) अनेक लोग शिक्षित हो रहे थे इनमें औद्योगीकरण के कारण अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए। इसलिये यह वर्ग मध्यम वर्ग के रूप में सामने आया। 


प्रश्न - जैकोबिन क्लब क्या थे? उनकी गतिविधियों और अभियानों राष्ट्रवाद के विचार के प्रसार में किस प्रकार मदद की? वर्णन कीजिए।

उत्तर - जैकोबिन क्लब एक राजनीतिक क्लब था, जिसका उदय फ्रांसीसी क्रांति के परिणाम के बाद हुआ था। इस क्लब की गतिविधियों और अभियानों ने विदेशों में राष्ट्रवाद के विचार को फैलाने में निम्नलिखित ढंग से मदद की -

(i) क्लब के सदस्यों ने फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा की।

(ii) क्लब के सदस्यों द्वारा लोगों के लिए समान अधिकार के विचार पर बल दिया, जिसने लोगों में समानता के केन्द्रीकृत विचार को बढ़ावा दिया। 

(iii) उनकी गतिविधियों और अभियानों ने उन फ्रांसीसी सेनाओं के लिए रास्ता तैयार कि जो 1790 के दशक में हॉलैंड, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड और इटली के बड़े इलाके में घुसीं।


प्रश्न- 1815 में नेपोलियन की हार के बाद यूरोप में स्थापित रूढ़िवादी शासन की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर - 1815 में नेपोलियन की हार के बाद यूरोप में स्थापित रूढ़िवादी शासन की विशेषताएं निम्न थी -

(i) मूलभूत विश्वास - रूढ़िवादी मानते थे कि राज्य और समाज की स्थापित पारंपरिक संस्थाएँ जैसे राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, संपत्ति और परिवार को बनाए रखना चाहिए।

(ii) राज तंत्र में विश्वास - रूढ़िवादियों ने राजतंत्र का समर्थन किया क्योंकि वे विश्वास करते थे कि राजतंत्र राज्य के लिए सबसे जरूरी है।

(iii) प्रेस की आजादी - रूढ़िवादी लोग प्रेस की आजादी के खिलाफ थे। वे प्रेस को राजतंत्र के विरुद्ध एक हथियार के तौर पर देखते थे।

(iv) निरंकुश शासन को शक्ति प्रदान करने के तरीके - एक आधुनिक सेना, कुशल नौकरशाही, गतिशील अर्थव्यवस्था, सामंतवाद और भूदासत्व की समाप्ति यूरोप के निरंकुश राजतंत्र को शक्ति प्रदान कर सकते थे।


प्रश्न - यूरोपीय राजतंत्र रूढ़िवाद की भावना से प्रेरित क्यों थे?


उत्तर - यूरोप में अधिकांशतः राजाओं का शासन था, ये राजा निरंकुश होते थे तथा किसी भी ऐसे विचार को बढ़ने नहीं देना चाहते थे जो राजा के विरुद्ध हो। इसलिए ये सदैव रूढ़िवादी होते थे ताकि जनता में अधिकारों के लिए नवीन चेतना न आये क्योंकि यदि जनता के भीतर नवीन चेतना आती है तो यह राजतंत्र के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। इसलिए सभी राजतंत्रों का यह प्रयास रहता था कि वह किसी भी प्रकार से अपने शासन में जनता को शामिल न करें। इस कारण सभी यूरोपीय राजतंत्र रूढ़िवाद की भावना से प्रेरित रहते थे। रूढ़िवादी भावना को राजतंत्र इसलिए भी बढ़ावा देते थे क्योंकि इसमें राजा को भगवान का दर्जा प्राप्त होता था जिसके कारण जनता राजा के निर्णयों पर कोई प्रश्न नहीं उठाती थी।


प्रश्न - राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्धों तथा क्षेत्रीय विस्तार के माध्यम से नहीं हुआ है। इस कथन का विवेचन कीजिए।

अथवा

राष्ट्रवादी भावना में रूमानी कल्पना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।

उत्तर - यद्यपि युद्धों तथा क्षेत्रीय विस्तारों ने राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथापि संस्कृति, कला, काव्य, कहानियों तथा संगीत ने भी अपना योगदान दिया। रूमानी कलाकार तर्क व विज्ञान के महिमामंडन के विरुद्ध थे और वे भावों अंतर्दृष्टि तथा रहस्यवादी चेतना पर ज़ोर देते थे। उनकी कोशिश थी कि एक साझा सामूहिक विरासत की अनुभूति और एक साझा सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाया जाए। रूमानी दार्शनिक लोकगीतों, लोक-काव्य तथा लोक-नृत्यों के माध्यम से राष्ट्रवाद की सच्ची भावना को उत्पन्न करने के पक्ष में थे। स्थानीय बोलियों तथा स्थानीय लोक-साहित्य को एकत्र करने पर बल दिया गया। राष्ट्रवादी भावनाओं के विकास में भाषा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


प्रश्न- यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता किस प्रकार प्राप्त हुई?

उत्तर - 15वीं सदी से यूनान ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। फ्रांस की क्रांति ने यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया। यूनान में भी स्वतंत्रता के लिए संग्राम शुरू हुआ। इस संग्राम पर भी क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की भावना का प्रभाव था। 1821 ई. में यूनानियों का आजादी के लिए संघर्ष प्रारंभ हुआ।

    प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखने वाले पश्चिमी यूरोप के लोगों ने यूनान के राष्ट्रवादियों को समर्थन दिया। अंग्रेज कवि लॉर्ड बायरन ने धन एकत्र किया और बाद में उन्होंने युद्ध भी किया। 1824 ई. में युद्ध के दौरान बुखार से उनकी मृत्यु हो गई।1832 ई. में कुस्तुनतुनिया की संधि के बाद यूनान को स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता मिल गई।


प्रश्न निम्न पर टिप्पणी लिखिए - 

(i) ऑटो वॉन बिस्मार्क, (ii) ज्युसेपे गैरीबॉल्डी।


उत्तर - (i) ऑटो वॉन बिस्मार्क - ऑटो वॉन बिस्मार्क प्रशा (जर्मनी) के प्रमुख मंत्री थे। इन्हीं के कारण प्रशा का एकीकरण संभव हो पाया। ये एक उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ थे। प्रशा के एकीकरण के लिए इन्होंने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद ली। एकीकरण के लिए इन्होंने सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्ध लड़े और उसमें जीत दिलवायी।


(ii) ज्युसेपे गैरीबाल्डी - ज्युसेपे गैरीबाल्डी (1807-82) इटली के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी हैं। इन्होंने मेरिसनी के यंग इटली आंदोलन से जुड़कर इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इन्होंने स्वयं सेवकों का 'रेड शर्ट्स' नामक समूह भी बनाया। इटली एकीकरण के लिए इन्होंने 1854 में राजा विक्टर इमेनुएल द्वितीय का समर्थन भी किया।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न - उन्नीसवीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास के लिए उत्तरदायी कारण का वर्णन कीजिए।


उत्तर - उन्नीसवीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास के लिए उत्तरदायी कारण निम्न थे -


(i) फ्रांसीसी क्रांति का प्रभाव - फ्रांसीसी क्रांति 1789 में हुई। फ्रांसीसी क्रांति की सफलता ने विश्वभर के क्रांतिकारियों को प्रेरित किया।


(ii) औद्योगीकरण और मध्य वर्ग - औद्योगीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप नए सामाजिक समूह अस्तित्व में आए जैसे- औद्योगिक श्रमिक, व्यवसायी, सेवा क्षेत्र के लोग। 


(iii) भाषा की भूमिका - भाषा लोगों के लिए एक हथियार बन गई। उदाहरण के लिए, रूसी कब्जे के बाद, पोलिश भाषा पर प्रतिबंध लगा दिया गया और रूसी भाषा को जबरन लादा गया। लोगों ने रूसी सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह किया।


(iv) रूमानीवाद - यूरोप में 18वीं सदी में आरंभ हुआ यह एक कलात्मक, साहित्यिक व बुद्धिवादी आंदोलन राष्ट्रवादी भावनाओं के एक खास रूप का विकास करना चाहता था। उनका प्रयास था कि साझा सामूहिक विरासत की अनुभूति और एक साझा सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाया जाए।


(v) उदारवाद - उदारवाद एक महत्वपूर्ण कारक था जिसने राष्ट्रवाद की भावना और राष्ट्र राज्यों को बढ़ावा दिया। उभरते हुए मध्य वर्गों के लिए उदारवाद का अर्थ था- व्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के सामने सबको समान अधिकार। यह राजतंत्र में संभव नहीं था इसलिए इससे राष्ट्रवाद की भावना बढ़ी।


प्रश्न- वियना कांग्रेस के फलस्वरूप यूरोप में क्या-क्या परिवर्तन हुए ? वर्णन कीजिए।


अथवा


वियना संधि की विशेषताओं (प्रावधानों) का वर्णन कीजिए। 


उत्तर - वियना कांग्रेस के फलस्वरूप यूरोप में जो भी परिवर्तन हुए वही वियना संधि की विशेषताएँ भी हैं, जो निम्न हैं -


1. फ्रांसीसी क्रांति के दौरान हटाए गए बूब वंश को सत्ता में बहाल किया गया और फ्रांस ने उन इलाकों पर अधिकार खो दिया जिन्हें उसने नेपोलियन के अधीन किया था।


 2. फ्रांस की सीमाओं पर कई राज्य कायम कर दिए गए ताकि भविष्य में फ्रांस विस्तार न कर सके।


(i) फ्रांस के उत्तर में नीदरलैंड्स का राज्य स्थापित किया जिसमें बेल्जियम शामिल था।

दक्षिण में पीडमॉण्ट में जेनोआ को जोड़ दिया गया।


(ii) प्रशा को उसकी पश्चिमी सीमाओं पर महत्वपूर्ण नए इलाके दिए गए जबकि ऑस्ट्रिया को उत्तरी इटली का नियंत्रण सौंपा गया। 


(iii) पूर्व में रूस को पोलैंड का एक हिस्सा दिया गया जबकि प्रशा को सैक्सनी का एक हिस्सा प्रदान किया गया।


3. ऐसे सभी राजतंत्रों की बहाली की गयी जिनको नेपोलियन के द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था।


प्रश्न 1830 के दशक के बाद यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद की क्या विशेषताएँ थीं?


उत्तर - 1830 के दशक के बाद यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद में कई विशेषताएँ पाई गई, जो निम्नलिखित हैं- 


(i) उदारवाद एक ऐसी सरकार पर जोर देता था जो सहमति से बनी हो। 


(ii) व्यक्ति की आजादी और कानून के समक्ष सबको समान अधिकार प्राप्त हो। 


(iii) उदारवादी निजी संपत्ति के स्वामित्व की अनिवार्यता पर भी बल देते थे। 


(iv) उदारवाद निरंकुश शासक और पादरी वर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति, संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार का पक्षधर था। 


(v) आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद, बाजारों की मुक्ति और चीजों तथा पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्रणों को खत्म करने के पक्ष में था।

 

(vi) आर्थिक हितों का राष्ट्रीय एकीकरण करना और व्यापक राष्ट्रवादी भावनाओं को आर्थिक राष्ट्रवाद की लहर से मजबूत बनाना। 


(vii) प्रेस की आजादी को आवश्यकता पर उदारवादी राष्ट्रवादियों ने जोर दिया।


प्रश्न- ब्रिटेन राज्य के निर्माण पर लेख लिखिए।


उत्तर - ब्रिटेन का निर्माण किसी अचानक हुई उथल-पुथल या क्रांति से नहीं हुआ था। यह एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया का नतीजा था। 18वीं सदी से पहले ब्रितानी द्वीप समूह में अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश नृजातीय के लोग अलग-अलग द्वीपों पर रहते थे। इन सभी जातीय समूहों की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपराएँ थीं। लेकिन जैसे-जैसे आंग्ल राष्ट्र की धन-दौलत, अहमियत और सत्ता में वृद्धि हुई वह द्वीपसमूह के अन्य राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने में सफल हुआ। एक लंबे टकराव और संघर्ष के बाद आंग्ल संसद ने 1688 में राजतंत्र से ताकत छीन ली थी। इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र-राज्य का निर्माण हुआ जिसके केन्द्र में इंग्लैण्ड था। इंग्लैण्ड और स्कॉटलैंण्ड के बीच ऐक्ट ऑफ यूनियन (1707) से 'यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन हुआ। इससे इंग्लैण्ड, व्यवहार में स्कॉटलैण्ड पर अपना प्रभुत्व जमा पाया। इसके बाद ब्रितानी संसद में आंग्ल सदस्यों का दबदबा रहा। एक ब्रितानी पहचान के विकास का अर्थ यह हुआ कि स्कॉटलैण्ड की खास संस्कृति और राजनीतिक संस्थानों को योजनाबद्ध तरीके से दबाया गया। स्कॉटिश हाइलैण्ड्स के निवासी जिन कैथलिक कुलों ने जब भी अपनी आजादी को व्यक्त करने का प्रयास किया उन्हें जबरदस्त दमन का सामना करना पड़ा। स्कॉटिश हाइलैण्ट्स के लोगों को अपनी गेलिक भाषा बोलने या अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनने की मनाही थी। उनमें से बहुत सारे लोगों को अपना वतन छोड़ने पर मजबूर किया गया।

    आयरलैण्ड का भी कुछ ऐसा ही हश्र हुआ। वह देश कैथलिक और प्रोटेस्टेंट धार्मिक गुटों में गहराई में बँटा हुआ था। अंग्रेजों ने आयरलैण्ड में प्रोटेस्टेंट धर्म मानने वालों को बहुसंख्यक कैथलिक देश पर प्रभुत्व बढ़ाने में सहायता की। ब्रितानी प्रभाव के विरुद्ध हुए कैथलिक विद्रोहों को निर्ममता से कुचल दिया गया। वोल्फ टोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमेन (1798) की अगुवाई में हुए असफल विद्रोह के बाद 1801 में आयरलैण्ड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में शामिल कर लिया गया। एक नए 'ब्रितानी राष्ट्र' का निर्माण किया गया जिस पर हावी आंग्ल संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया गया। नए ब्रिटेन के प्रतीक चिह्नों, ब्रितानी झंडा (यूनियन जैक) और राष्ट्रीय गान (गॉड सेव अवसर नोबल किंग) को खूब बढ़ावा दिया गया और पुराने राष्ट्र इस संघ में मातहत सहयोगी के रूप में ही रह पाए। इस प्रकार आज के ब्रिटेन राज्य का निर्माण हुआ।


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