MP Board Class 11th History त्रैमासिक पेपर 2022 Solution

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MP Board Class 11th History त्रैमासिक पेपर 2021 Solution (PDF) इतिहास त्रैमासिक पेपर 2022

MP Board class 11th History

Quarterly Exam paper 2022: मध्‍यप्रदेश बोर्ड में कक्षा 11वीं के त्रैमासिक ( Quarterly Exam ) सिंतबर से शूरू होने वाली है। तो इस समय सभी छात्र त्रैमासिक परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं और कुछ छात्रों को इस समय एक डाउट आ रहा होगा कि क्‍वार्टरली एग्‍जाम पेपर की तैयार कैसे करे तो इस समस्‍या के हल के लिए आप इस पोस्‍ट पूरा जरूर से पड़े।

11वीं इतिहास त्रैमासिक पेपर 2022

अगर आप भी कक्षा 11वी के छात्र हो और त्रैमासिक पेपर की तैयारी कर रहे होतो आप सभी छात्रों के‍ लिए इस पोस्‍ट में बात करने वाले हैं कि आप अपनी तैयारी कैसे कर सकते हैं तो आपको अपनी त्रैमासिक परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे पहले तो उन चैप्‍टर को याद कर लेना है जो आपके सिलेबस में दिए गए हैं और उसके बाद आपको महत्‍वपूण प्रश्‍न जो हम अपने यूट्यूब चैनल SL Teach पर डालते हैं उन सभी को याद कर लेना है। हम वही प्रश्‍न बताते हैं जो आपकी परीक्षा के  लिए महत्‍वपूर्ण होते हैं और उनके परीक्षा में आने की बहुत ज्‍यादा संभावना होती है।

त्रैमासिक परीक्षा के नंबर वार्षिक परीक्षा में जुड़ेंगे या नहीं

जैसा की आप सभी छात्रों के मन में एक प्रश्न बार-बार आ रहा होगा कि जो आपकी तरह मासिक परीक्षा होने वाली है उसमें आपके नंबर वार्षिक परीक्षा में जुड़ेंगे या फिर नहीं जुड़ेंगे तो चलिए आपके मन में जो भी प्रश्न उठ रहे हैं उन सभी का हल मैं आपको बताता हूं।


यदि पिछली साल की तरह इस बार भी कोरोनावायरस के कारण यदि आप की वार्षिक परीक्षाएं आयोजित नहीं हो पाएंगी तो आप का रिजल्ट है आपकी त्रैमासिक परीक्षा, अर्धवार्षिक परीक्षा, प्री बोर्ड परीक्षा के आधार पर तैयार किया जा सकता है। अतः आप त्रैमासिक परीक्षा, अर्धवार्षिक परीक्षा और प्री बोर्ड परीक्षा की अच्छे से तैयारी करें जिससे आपके इन सभी परीक्षाओं में अच्छे से अच्छे नंबर आ सके और यदि इन सभी परीक्षाओं में आपके नंबर अच्छे आते हैं तो आप की वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट भी बहुत ही शानदार होगा इसीलिए आप इन परीक्षाओं को सीरियसली ले और अच्छे से तैयारी करें।

Class 11th History Quarterly Exam Paper Solution Downlod

दोस्‍तों अगर आप कक्षा 11वीं की तैयारी कर रहे हैं तो आप के लिए सबसे अच्‍छा होगा कि आप सबसे अच्‍छा रास्‍ता होगा कि आप पिछले साल के पेपरों को देखें और उन्‍हें सॉल्‍व करेंदोस्‍तों आपको घबराने की जरूरत नहीं है बस आपको अपने पुराने पेपर को हल करके देख लेना है क्‍योंकि उन में भी बहुत महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न ही पूछे जाते हैं तो आप इस बात को ध्‍यान में जरूर रखें कि किसी भी पेपर के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न आपके उस कक्षा के पुराने पेपर्स में ही होते हैं तो आप इस बात को जरूर याद रखें।


class 11th trimasik history paper 2022

अति लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. भाषा के क्षेत्र में रोम की देन है?


उत्तर - रोम के निवासियों ने यूनानी यों से जो वर्णमाला सीखी थी, उसके आधार पर उन्होंने अपनी वर्णमाला का विकास किया, जिसे लेटिन भाषा के नाम से जाना जाता है।


प्रश्न 2. रोम की विज्ञान के क्षेत्र में क्या दिन थी? कोई दो देन लिखिए।


उत्तर - ( 1 ) विश्व को अस्पताल का ज्ञान रोम की देन है।

( 2 ) निर्धन रोगियों को मुफ्त औषधि देने की व्यवस्था की।


प्रश्न 3. प्यूनिक युद्ध क्या था ? 


उत्तर - रोम वासियों के कार्थेज के साथ युद्ध हुए, जो 264 ई. पू. से 146 ई. पू. तक के चलते रहे। इन युद्धों को प्यूनिक युद्ध के नाम से जाना जाता है।


प्रश्न 4. ऑगस्टस के उत्तराधिकारियों में से चार के नाम लिखिए।


उत्तर - ( 1) टिबेरियस 

( 2 ) त्राजान

( 3 ) गैलेनस

( 4 ) डायोक्लीशियन।


प्रश्न 5. "दास प्रथा रोमन साम्राज्य के पतन का कारण बनी।" इस कथन से आप कहां तक सहमत हैं?


उत्तर -  रोमन साम्राज्य में दास प्रथा का प्रचलन था। यहां दांतों के साथ अत्याचार किया जाता था, जिसके परिणाम स्वरूप दासों ने अनेक विद्रोह किए, जो रोमन साम्राज्य के पतन के कारण बने।


प्रश्न 6. रोम साम्राज्य के अंतर्गत अपनी उर्वरता के लिए कौन से क्षेत्र प्रसिद्ध थे। चार के नाम लिखिए।


उत्तर - ( 1 ) कैंपेनिया  ( इटली ), ( 2 ) सिसली, ( 3 ) मिस्त्र में फैरयुम, गैलिली, ( 4 ) नाइजैकीयम ( ट्यूनीशिया ) ।


प्रश्न 7. रोम साम्राज्य में पानी की शक्ति का प्रयोग किसमें किया गया था ? 


उत्तर - रोम साम्राज्य में पानी की शक्ति से मिलें चलाई जाती थीं। स्पेन की सोने चांदी की खानों में जल शक्ति से खुदाई की जाती थी और पहली तथा दूसरी शताब्दी में बड़े पैमाने पर खानों से खनिज निकाली जाते थे। 


प्रश्न 8. रोम साम्राज्य की सेना की कोई दो विशेषताएं  लोखिये।


उत्तर - ( 1 ) रोम की सेना एक व्यवसायिक सेना थी, जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था।

( 2 ) प्रत्येक सैनिक को कम से कम 25 वर्ष तक सेना में सेवा करनी होती थी।


प्रश्न 9. दीनारियास क्या था? हैरॉड के राजा से रोम को कितनी की आय होती थी?


उत्तर - रोम का चांदी का सिक्का था, जिसमें 4.5 ग्राम शुद्ध चांदी होती थी। दीनारियास के राज्य से रूम को प्रतिवर्ष 54 लाख दीनारियास की आय होती थी।


प्रश्न 10. रोमन साम्राज्य में बड़े शहरों का क्या महत्व था? रोम के 3 बड़े शहरों के नाम लिखिए।


उत्तर - शहरों का महत्व - रोमन साम्राज्य में बड़े शहर शासन प्रणाली के मुख्य केंद्र थे। शहरों के माध्यम से सरकार ग्रामीण क्षेत्र में कर लगाती थी और उनको वसूल करती थी।


बड़े शहरों के नाम - ( 1 ) कार्थेज, ( 2 ) सिकन्दरिया तथा  ( 3 ) एन्टीऑक।


प्रश्न 11 - सम्राट गैलीनस सत्ता को सीनेटरों के हाथ में जाने से रोकने के लिए क्या उपाय किये?


उत्तर - ( 1 ) प्रांतीय शासक वर्ग को मजबूत बनाया। 

( 2 ) उसने सीनेटरों को सेना की कमान से हटा दिया और उनके द्वारा सेना में सेवा करने पर रोक लगा दी।


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1. रोम के गणतंत्रीय शासन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।


उत्तर - लगभग 500 ई. पू. राजतंत्रीय शासन के विरुद्ध एक क्रांति हुई, जिसके फलस्वरूप राजतंत्र का अंत हो गया और उसके स्थान पर वहां गणतंत्र शासन की स्थापना हुई और यह लंबे समय तक चलता रहा। इस अवधि में शासन का संचालन दो प्रमुख अधिकारियों द्वारा किया जाता था जिन्हें 'कौंसल' कहते थे। उनका चुनाव 1 वर्ष के लिए किया जाता था। वे गणतंत्र के महान शासक, सेनापति एवं पुरोहित के रूप में कार्य करते थे। कानून का पालन कराने का उत्तरदायित्व उन्हीं पर था, किंतु उन्हें अपने कार्यों में सीनेट की सलाह लेनी पड़ती थी। सीनेट का मुख्य कार्य कौंसल को महत्वपूर्ण विषयों पर सलाह देना था। इसी के द्वारा सेना की भी नियुक्ति की जाती थी। युद्ध एवं संधि का निर्णय, उच्च अधिकारियों की नियुक्ति सभा के कर्तव्यों में सम्मिलित थे। कानून पारित करने के लिए एक अन्य सभा की व्यवस्था थी। संकट के समय में डिक्टेटर की नियुक्ति होती थी, जिसका कार्यकाल 6 महीने होता था।


प्रश्न 2. रोम के इतिहास में ऑगस्टस का नाम क्यों प्रसिद्ध है? स्पष्ट कीजिए।


उत्तर - रूम में बहुत समय से गणतंत्रीय शासन प्रणाली चली आ रही थी। इस प्रणाली में अनेक दोष आ गए थे। चारों और भ्रष्टाचार फैला हुआ था। ऐसी स्थिति में प्रथम शताब्दी ई. पू. के मध्य में ऑक्टेवियन नामक व्यक्ति ने साम्राज्य की शक्ति पर अधिकार कर लिया और अपने को सम्राट घोषित कर दिया और निरंकुश शासन की स्थापना कर ली। रोम साम्राज्य गणतंत्र कहलाया जाता रहा, किंतु उसकी समस्त शक्तियां सम्राट ने अपने हाथों में ले लीं। जनसभा सर्वोच्च पदों के लिए स्वयं ऑक्टेवियन को या उसके आदमियों को ही चुनती थी। कौंसल तथा ट्रिब्यूनल सम्राट की हर आज्ञा का पालन करते थे। ऑक्टेवियन ने सीनेट से अपने सभी विरोधियों को निकाल दिया और उनके स्थान पर अपने समर्थक नियुक्त करवाए। सीनेट में सबसे पहले वही अपनी राय जाहिर करता था और सीनेटर इशारा समझकर उसकी इच्छा के अनुकूल निर्णय लेते थे। उन्होंने उसे ऑगस्टस अर्थात महामहिम की सम्मानित उपाधि से विभूषित किया। ऑक्टेवियन ने 30 ई. पू. से तक 14 ई. पू. तक शासन किया।


प्रश्न 3. कानून के क्षेत्र में रूम का क्या योगदान था?

अथवा

"रोम को कानून की जन्म भूमि कहा जाता है।" स्पष्ट कीजिए।


उत्तर - कानून तथा शासन व्यवस्था में प्राचीन रोमवासियों का महान योगदान था। ग्राम वासियों ने सबसे पहले 12 पट्टीयों पर कानून संहिता तैयार करके उसका जनता में प्रचार किया। इसके परिणाम स्वरूप अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगा और साधारण लोगों को भी न्याय मिलने लगा। रोम में न्याय प्रणाली सुव्यवस्थित तिथि और निष्पक्ष रुप से न्याय किया जाता था। रूम में कानून का संग्रह किया गया जो विश्व की महान उपलब्धि थी। इससे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के विकास में महत्वपूर्ण सहायता मिली। इसी कारण रोमन कानून प्रसिद्ध है।


प्रश्न 4. रोम की शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।

अथवा

"संसार को रोम वासियों की मौलिक देना उनकी शासन व्यवस्था है।" स्पष्ट कीजिए।


उत्तर - संपूर्ण रोम पर किसी एक राजा अथवा सरकार का शासन नहीं था। देश अनेक नगर राज्यों में बंटा हुआ था। हर नगर की अपनी स्वतंत्र सरकार होती थी। मैंने नगरों में आपस में युद्ध होते रहते थे। रोम के कुछ नगर राज्यों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की। इन लोकतांत्रिक राज्यों में रोम का स्थान सर्वोपरि था। राज्य के पूरे नागरिकों की एक सभा होती थी। यह सभा राज्य के लिए कानून बनाती तथा राज्य के बड़े-बड़े अधिकारी व सेनानायकों का चयन करती थी। इसलिए यूरोप के लोग रूम को ही लोकतंत्र की जननी मानते हैं।

 रोम के शासन का संचालन दो प्रमुख अधिकारियों द्वारा किया जाता था जिन्हें 'कौंसल' कहते थे। उनका चुनाव 1 वर्ष के लिए किया जाता था। वे लोकतंत्र के महान शासक, सेनापति तथा पुरोहित के रूप में काम करते थे। कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी उन्हीं की होती थी। किंतु उनको कार्यों में सीनेट की सलाह लेनी पड़ती थी। सीनेट का मुख्य काम कौंसल को महत्वपूर्ण विषयों में सलाह देना था।इसी के द्वारा सेना की नियुक्ति की जाती थी। युद्ध की घोषणा करने तथा संधि करने का भी इसी को अधिकार था। संकट के समय एक अधिनायक की नियुक्ति की जाती थी, जिसका कार्यालय 6 महीने होता था। 248 ई. में रोम में गणतंत्रीय शासन प्रणाली का अंत हो गया था और निरंकुश शासन प्रणाली की स्थापना हो गई थी।


प्रश्न 5. प्यूनिक युद्ध का संक्षिप्त परिचय दीजिए।


उत्तर - लगभग समस्त इटली पर अधिकार करने के बाद रोम एक शक्तिशाली राज्य बन गया था। अतः रोमवासी अपने साम्राज्य का और अधिक विस्तार करने के लिए प्रयत्नशील थे। इसी क्रम में रोमवासियों ने कार्थेज के साथ युद्ध  हुए, जो 264 ई. पू. से 146 ई. पू. तक चलते रहे। इन युद्धों को  'प्यूनिक युद्ध' के नाम से जाना जाता है। कार्थेज नगर अफ्रीका के उत्तरी पूर्वी किनारे पर स्थित था, जो कि एक व्यापारिक नगर था। कार्थेज नगर तीसरी ई. पू. शताब्दी तक आते-आते अत्यंत शक्तिशाली हो गया और निरंतर विस्तार कर रहा था। कार्थेज की इस बढ़ती हुई शक्ति व साम्राज्य विस्तार की नीति से रोम को स्वयं के लिए खतरा दिखाई देने लगा। अतः उन्होंने कार्थेज पर आक्रमण कर दिया। रोम व कार्थेज के मध्य तीन युद्ध हुए। प्रथम युद्ध 264 ई. पू. से 241 ई. पू. के मध्य, द्वितीय युद्ध 218 ई. पू. से 201 ई. पू. के मध्य और तीसरा युद्ध 149 ई. पू. से 146 ई. पू. के मध्य हुआ था। इन तीनों ही युद्धों में कार्थेज की पराजय हुई। तीसरे युद्ध में भी रोम विजयी हुए व रोम की सेना ने ने कार्थेज में अत्याधिक अत्याचार किए। विद्वान लेखक बर्न्स ने लिखा है, " विश्व में शायद ही इतना नृशंस, क्रूर एवं बर्बर युद्ध हुआ होगा। घर-घर की तलाशी लेकर रोम के सैनिकों ने कार्थेजों का कत्ल किया।" कार्थेज को जलाकर राख कर दिया गया व बड़ी संख्या में के कार्थेज निवासियों को दास बना लिया गया। इस विजय से रोम भूमध्य सागर के क्षेत्र की सर्वमुख शक्ति बन गया। इसके पश्चात रोम ने यूनान, एशिया माइनर व मिस्र आदि पर भी अधिकार कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया


प्रश्न 6. जुलियस सीजर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर - जुलियस सीजर का जन्म 100 ई. पू. में हुआ था। वह एक धनी कुल में उत्पन्न हुआ था। वह एक अच्छा योद्धा व महत्वकांक्षी व्यक्ति था। वह एक अच्छा सेनानायक भी था। 58 ई. पू. से 50 ई. पू. तक उसने कई गौरवपूर्ण विजय प्राप्त कीं। इन विजयों के कारण वह रोम में विख्यात हो गया और वह 46 ई. पू. में रोम का 'अधिनायक' बन गया। अधिनायक बनते ही उसने संपूर्ण शक्ति अपने हाथों में केंद्रित कर ली। वह महान दूरदर्शी व्यक्ति था। हालांकि उसने रोम के समस्त शासन को अपने हाथ में केंद्रित कर लिया था फिर भी उसने रोम के गणतंत्र के स्वरूप को नष्ट नहीं किया। उसने गणतंत्र के समस्त प्रशासनिक अंगों को पूर्व की भांति ही रखा। लेकिन गणतंत्र के सभी विभाग उसके इशारे पर काम करते थे। 

     जुलियस सीजर शासन की बुराइयों से भली-भांति परिचित था, अतः उसने उन्हें दूर करने का भरसक प्रयास किया। उसने रोम की आर्थिक दशा सुधारने के लिए भी महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए। उसने राज्य की जनगणना कार्रवाई तथा रोम के आसपास कई बस्तियां भी बसाईं। उसने रोम को सुंदर बनाने की योजना भी तैयार करवाई। उसने सेना में इटली के बाहर के व्यक्तियों को भी स्थान दिया तथा सेनानायकों को सीधे अपने प्रति उत्तरदाई बनाया। इससे स्पष्ट होता है कि जूलियस सीजर कच्चा प्रबंधक था। एक कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ वह एक अच्छा लेखक भी था।

    नि:संदेह जुलियस सीजर अल्पकाल में ही शक्तिशाली व प्रभावशाली व्यक्ति बन गया था, परंतु उसकी ख्याति ही उसके लिए अनेक शत्रु उत्पन्न करने का कारण बन गई। रोम के गणतंत्रवादी उसके एकतंत्रीय शासन से अप्रसन्न थे। सीनेट का एक बार कभी उससे अप्रसन्न था। इस कारण सीनेटरों ने एक संयंत्र रचा। उनका नेता ब्रूटस (Brutus) था, वह एक धनी एवं संभ्रांत व्यक्ति था, इसके साथ ही वह जूलियस सीजर का मित्र भी माना जाता था।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1. रोमन साम्राज्य की जानकारी के स्त्रोतों की विवेचना कीजिए।


उत्तर - रोमन साम्राज्य की जानकारी की सामग्री इतिहासकारों के पास भरी पड़ी है। ऐसे जानकारी के स्त्रोतों को हम तीन भागों में बांट सकते हैं -


( 1 ) पाठ्य सामग्री - पाठ्य सामग्री में समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखा गया, उस काल का इतिहास है जिसमें वर्ष वृतांत ( Annals ) कहा जाता था, क्योंकि वे वृतांत प्रतिवर्ष लिखे जाते थे। पत्र, व्याख्यान, प्रवचन, कानून आदि लिखित रूप में उपलब्ध हैं।


( 2 ) प्रलेख या दस्तावेज - दस्तावेजी स्त्रोत मुख्य रूप से उत्कीर्ण अभिलेखों या पैपाईरस पेड़ के के पत्तों आदि पर लिखी गई पांडुलिपियों के रूप में मिली है। उत्कीर्ण अभिलेख आमतौर पर पत्थर की शिलाओं पर खोदे जाते थे। इसलिए वे नष्ट नहीं हुए हैं और बहुत बड़ी मात्रा में यूनानी व लातिनी में पाए गए हैं। पैपाईरस एक सरकंडा जैसा पौधा था जो मिस्र की नील नदी के किनारे पाया जाता था और उसी से लेखन सामग्री तैयार की जाती थी। हजारों की संख्या में संविदा,  पत्र, लेख, संवाद पत्र और सरकारी दस्तावेज आज भी 'पैपाईरस' पत्र पर लिखे हुए पाए गए हैं और पैपाईरस शास्त्रियों द्वारा उनको प्रकाशित किया गया है, जो उसे समय के इतिहास की जानकारी के महत्वपूर्ण स्रोत है।


( 3 ) भौतिक अवशेष - भौतिक अवशेषों में अनेक प्रकार की विशेषताएं सम्मिलित हैं, जो मुख्य रूप से पुरातत्व वेदों द्वारा खुदाई में मिली है। उदाहरण के लिए इमारतें, स्मारक और अन्य प्रकार की संरचनाएं, मिट्टी के बर्तन, सिक्के, पच्चीकारी का सामान आदि खुदाई में मिले हैं। इनमें से प्रत्येक के स्रोत हमें अतीत के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। 

उपरोक्त स्रोतों का इतिहासकारों ने विश्लेषण करके रोमन साम्राज्य के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।


प्रश्न 2. रोमन गणतंत्र में प्रशासनिक व्यवस्था वर्णन कीजिए।


उत्तर - रोम के इतिहास में छठी शताब्दी ई.पू.का विशेष महत्व है। इस शताब्दी के अंत में रोम में गणतंत्र की स्थापना हुई। इस घटना से रोम में एक नवीन युग का प्रारंभ ही नहीं हुआ, अपितु रोम के साम्राज्य विस्तार में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई। इस कॉल में रोम का इटली के शेष भूभाग पर भी अधिकार हो गया था। रोम में गणतंत्र की स्थापना ने जहां गणतंत्रात्मक प्रशासनिक संस्थाओं का विकास किया, वहीं समानता के सिद्धांत के आधार पर अपनी न्याय व्यवस्था स्थापित की। इस काल में शासन हेतु सीनेट, सभा ( असेंबली ) व दो कौंसल होते थे।


सीनेट ( Senate ) - प्रोफेसर ब्रेस्टर्ड के शब्दों में, " सीनेट रोमन शासकों की सबसे बड़ी सभा होती थी, जो संभवत: प्राचीन काल में उत्पन्न हुई।" सीनेट के सदस्यों की संख्या 300 होती थी तथा यह अत्यंत शक्तिशाली संस्था थी। इसके सभी सदस्य उच्च वर्ग अर्थात धनी वर्ग के ही होते थे। यह लोग निम्न वर्ग के की ओर ध्यान नहीं देते थे। इस कारण तत्कालीन रोमन साम्राज्य के दोनों वर्गों उच्च वर्ग अर्थात 'पेट्रिशियन'  ( Patrician ) एवं निम्न वर्ग अर्थात 'प्लीबियन' ( Plebian ) में बहुधा संघर्ष चलता रहता था। इस ग्रह कलह का अंत 450 ई. पू. में हुआ जबकि एक अधिनियम द्वारा दोनों वर्गों में समानता स्थापित कर दी गई। देश की शासन सत्ता सही मायनों में इसी संस्था के हाथ में निहित थी। इसकी बिना स्वीकृति के कोई भी कानून पारित नहीं हो सकता था। उच्च अधिकारियों की नियुक्ति करना, विदेशों के साथ संधि करना या उनके विरुद्ध युद्ध की घोषणा करना आदि सीनेट के अधिकार में ही था। सीनेट की प्रशंसा करते हुए कॉल्डबैक ने लिखा है, "गणतंत्रकालीन रोम में जितनी योग्यता से सीनेट ने शासन किया, इतनी योग्यता से कभी भी पाश्चात्य देशों में से कोई भी जनसमिति शासन नहीं कर पाई थी।"


असेंबली ( Assembly ) - गणतंत्र की इस प्रशासनिक के संस्था की सदस्यता समाज के दोनों वर्गों अर्थात 'पेट्रिशियन' और 'प्लीबियन' दोनों के लिए खुली थी। इसी संस्था द्वारा दोनों कौंसिल की नियुक्ति की जाती थी। यह संस्था सर्वोच्च न्यायालय के रूप में भी कार्य करती थी।


कौंसल ( Consul ) - कौंसल, वे दो अधिकारी कहलाती थे, जो शासन संचालन का कार्य करते थे। इनकी नियुक्ति चुनाव के माध्यम से असेंबली द्वारा की जाती। इनका कार्यकाल 1 वर्ष का होता था। इन दोनों के अधिकार समान होते थे और यह देश के सर्वोच्च सेनापति भी होते थे।

गणतंत्रकालीन रोम में 454 ई. पू. में एक 'विधि संहिता' तैयार की गई थी। इस विधि संहिता को लकड़ी की तख्तियों पर लिखा गया था, जिन्हें 'बारह तख्तियों के कानून'          ( Twelve Tables ) कहा जाता था। इस कानूनी संहिता में सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि इसमें उच्च वर्ग व निम्न भर के लिए समान न्याय व्यवस्था पर बल दिया गया था।


प्रश्न 3. रोम के प्रारंभिक इतिहास का संक्षिप्त परिचय दीजिए।


उत्तर - सर्वप्रथम रोम में नगर राज्य की स्थापना हुई। राज्य का सर्वोच्च अधिकारी राजा होता था, जिसकी नियुक्ति चुनाव द्वारा होती थी। राजा ही प्रधान सेनापति तथा प्रधान पुरोहित समझा जाता था। उसकी सहायता के लिए 2 सभाएं थी -      ( 1 ) लोकसभा, ( 2 ) सीनेट।

लोकसभा के सदस्य सभी वयस्क पुरुष नागरिक हो सकते थे तथा प्रतिनिधि चुनाव द्वारा नियुक्त होते थे। सीनेटस सामन्तों अथवा उच्च वर्ग की सभा थी। राजा महत्वपूर्ण विषयों पर सीनेट की सलाह लेता था। युद्ध घोषणा तथा संधि निर्धारण में राजा को इस समिति की अनुमति लेनी पड़ती थी।


गणतंत्र काल ( 500 - 133 ई. पू. ) 

लगभग 500 ई. पू. में राजस्थान प्रशासन के विरुद्ध एक क्रांति हुई, जिसके फलस्वरूप राजतंत्र का अंत हो गया और उसके स्थान पर वहां गणतंत्र शासन की स्थापना हुई और यह एक लंबे समय तक चलता रहा। ऐसे अवधि में शासन का संचालन दो प्रमुख अधिकारियों द्वारा किया जाता था, जिन्हें 'कौंसल' कहते थे। उनका चुनाव 1 वर्ष के लिए किया जाता था। वे गणतंत्र के महान शासक सेनापति व पुरोहित के रूप में कार्य करते थे। कानून का पालन कराने का उत्तरदायित्व उन्हीं पर रखा गया था, किंतु उन्हें अपने कार्यों में सीनेट की सलाह लेनी पड़ती थी। सीनेट तथा सभा का प्रभाव इस काल में भी बना रहा। सीनेटर का मुख्य कार्य सीनेट को महत्वपूर्ण विषयों पर सलाह देना था। इसी के द्वारा सेना की नियुक्ति भी की जाती थी। युद्ध  एवं संधि का निर्णय, उच्च अधिकारियों की नियुक्ति सभा के कर्तव्यों में सम्मिलित थे। कानून पारित करने के लिए एक अन्य सभा की व्यवस्था थी। संकट के समय में एक 'डिक्टेटर' की नियुक्ति होती थी, जिसका कार्यकाल 6 महीने होता था।


साम्राज्य विस्तार

 रोम की सैनिक शक्ति अधिक प्रबल हो चुकी थी। गणतंत्र काल में रोमन साम्राज्य का अधिक विस्तार हुआ। सर्वप्रथम रोम ने समस्त इटली पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात उसके उत्तरी अफ्रीका में स्तिथ कार्थेज के साथ अनेक युद्ध हुए जिसको प्यूनिक युद्ध कहते हैं। यह युद्ध लंबे समय तक चलते रहे, जिसके उपरांत रूम का कार्थेज पर अधिकार हो गया। कालांतर में रोम उत्तरी अफ्रीका, एशिया तथा यूरोप के अनेक देशों पर प्रभुत्व स्थापित हो गया। रोम का यह साम्राज्य विश्व के अनेक विस्तृत साम्राज्यों से भी अधिक विशाल माना जाता है।

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