MP Board Solutions for class 9 Social Science chapter 4 वन्‍य-समाज और उपनिवेशवाद

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Class 9th NCERT Sst Chapter 4 Solution// कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान पाठ 4 वन्‍य-समाज और उपनिवेशवाद  का हल 

प्रश्न 1. औपनिवेशिक काल के वन प्रबंधन में आए परिवर्तनों ने इन समूहों को कैसे प्रभावित किया - 

( क ) झूम खेती करने वालों को।

( ख ) घुमंतू और चरवाहा समुदायों को।

( ग ) लकड़ी और वन-उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को।

( घ ) बागान मालिकों को।

( ड़ ) शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज अफसरों को।


उत्तर - 

( क ) झूम खेती करने वालों को - एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के अनेक भागों में 'झूम या घुमंतू' खेती का एक परंपरागत तरीका है। घुमंतू कृषि के लिए जंगल के कुछ भागों को बारी-बारी से काटा और जलाया जाता है। यूरोपीय औपनिवेशिकारों की नजर में यह तरीका जंगलों के लिए नुकसानदेह था। इसलिए अंग्रेजी सरकार ने घुमंतू खेती पर रोक लगाने का फैसला किया। परिणाम स्वरुप अनेक समुदायों को जंगलों में उनके घरों से जबरन विस्थापित कर दिया गया। कुछ को अपना पेशा बदलना पड़ा तो कुछ नहीं छोटे-बड़े विद्रोहों के जरिए विरोध प्रदर्शन किया।


( ख ) घुमंतू और चरवाहा समुदायों को - नए वन अधिनियम के अनुसार स्थानीय लोगों द्वारा शिकार करने और पशुओं को चराने पर बन्दिशें लगा दी गई। इस प्रक्रिया में मद्रास प्रेसीडेंसी के कोरावा, कराचा व येरूकुला जैसे अनेक चरवाहे और घुमंतु समुदाय अपनी जीविका से हाथ धो बैठे। इनमें से कुछ को 'अपराधी कबीले' कहा जाने लगा और यह सरकार की निगरानी में फैक्ट्रियों, खदानों व बागानों में काम करने को मजबूर हो गए।


( ग ) लकड़ी और वन-उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को - यह सब व्यापारी बहुत मुनाफे में थे। इनके पास सरकार का समर्थन था। जहाज और रेल के कारण लकड़ी की बढ़ी हुई मांग के कारण, उनका पूरा मुनाफा बढ़ गया। उन्होंने स्थानीय लोगों को अन्य वन-उत्पाद एकत्र करने में लगा दिया और बहुत पैसा कमाया।


( घ ) बागान मालिकों को - ब्रिटेन में चाय, कहवा, रबड़ आदि की बढ़ी मांग थी। अतः भारत में इन उत्पादों के बड़े-बड़े बागान लगाए गए। मैंने बागानों के मालिक के मुख्यत: अंग्रेज थे। वे मजदूरों का खूब शोषण करते थे और इन उत्पादों के निर्यात से खूब धन कमाते थे।


( ड़ ) शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज अफसरों को - 

जहां तक वन कानूनों ने लोगों को शिकार के परंपरागत अधिकार से वंचित किया, वहीं बड़े जानवरों का आखेट एक खेल बन गया। औपनिवेशिक शासन के दौरान सरकार का चलन इस पैमाने तक बड़ा की कई प्रजातियां लगभग पूरी तरह लुप्त हो गए। बाघ, भेड़िए और दूसरे बड़े जानवरों के शिकार पर यह कहकर इनाम दिए गए कि इन से किसानों को खतरा है।


प्रश्न 2. बस्तर और जावा के औपनिवेशिक वन प्रबंधन में क्या समानताएं हैं? 


उत्तर - बस्तर और जावा के औपनिवेशिक वन प्रबंधन में निम्न समानताएं हैं -

1. दोनों ही जगहों पर सरकार को प्रतिबंधित कर दिया गया।

2. रेलवे तथा जहाज निर्माण के लिए अत्यधिक संख्या में पेड़ों की कटाई की गई।

3. बनवासी समुदायों द्वारा विरोध करने पर उन्हें प्रताड़ित किया गया।

4. घुमंतू तथा चरवाहा समुदायों को वनों में प्रवेश करने से रोका गया।

5. वनोत्पाद से संबंधित स्थानीय लोगों द्वारा किए जाने व्यापार को रोका गया।

6. वनों की कटाई तथा बगीचों के विकास के लिए यूरोपीय फर्मों को लाइसेंस/परमिट दिए गए।

7. बनवासी समुदायों को जंगल में अपने घरों में रहने के लिए या तो किराया देने के लिए अथवा बेगारी के लिए मजबूर किया गया।

8. वन भूमि का ग्रामीण, सुरक्षित तथा संरक्षित वनों में वर्गीकरण किया गया।


प्रश्न 3. सन 1880 से 1920 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के वनाच्छादित क्षेत्र में 97 लाख हेक्टेयर की गिरावट आई। पहले के 10.86 करोड़ हेक्टेयर से घटकर यह क्षेत्र 9.89 करोड हेक्टेयर रह गया था। इस गिरावट में निम्नलिखित कारकों की भूमिका बताएं -

( क ) रेलवे

( ख ) जहाज निर्माण 

( ग ) कृषि-विस्तार

( घ ) व्यावसायिक खेती

( ड़ ) चाय-कॉफी के बागान

( च ) आदिवासी और किसान


उत्तर - ( क ) रेलवे - रेलवे के विस्तार का वन क्षेत्र की कमी में महत्वपूर्ण योगदान रहा। 1850 के दशक में रेल लाइनों के प्रसार ने लकड़ी के लिए एक नई तरह की मांग पैदा कर दी। शाही सेना के आवागमन और औपनिवेशिक व्यापार के लिए रेल लाइनें अनिवार्य थी क्योंकि रेल लाइन पूरे भारत में बिछाई जानी थी इसलिए बड़ी तादाद में पेड़ कटने लगे। रेल लाइनों के इर्द-गिर्द जंगल तेजी से गायब होने लगे।


( ख ) जहाज निर्माण - जहाज निर्माण उद्योग वन क्षेत्र में कमी के लिए दूसरा सबसे बड़ा कारण था। इंग्लैंड दुनिया का सबसे बड़ा औपनिवेशिक साम्राज्य था। बलूत ( ओक ) के जंगलों के लुप्त होने से शाही नौसेना के लिए लकड़ी की आपूर्ति में मुश्किल आ खड़ी हुई। शाही नौसेना के लिए बड़े जहाजों की आवश्यकता थी। इसलिए 1820 से 1830 तक बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जाने लगे और भारी मात्रा में लकड़ी का हिंदुस्तान से निर्यात होने लगा। प्राकृतिक रूप से उपमहाद्वीप में जंगल तेजी से लुप्त होने लगे।


( ग ) कृषि-विस्तार - बढ़ती आबादी, शहरीकरण, विदेशी व्यापार, व्यावसायिक फसलों की मांग और लघु तथा कुटीर उद्योगों के पालन ने किसानों को अपने कृषि योग्य भूमि को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। औपनिवेशिक सरकारों ने कृषि भूमि में वृद्धि करने की सोची किंतु फैसला अविवेकपूर्ण ढंग से लिए जाने के कारण इसकी कीमत हमें वनों के हास्य के रूप में चुकानी पड़ी।


( घ ) व्यावसायिक खेती - बागानी या व्यावसायिक खेती के लिए प्राकृतिक बन के बड़े चित्रों को साफ कर दिया गया। व्यावसायिक फसलों जैसे पटसन गन्ना, गेहूं, नील, कपास आदि के उत्पादन को अंग्रेजों ने इंग्लैंड की बढ़ती जरूरतों की वजह से जमकर प्रोत्साहित किया। औपनिवेशिक सरकार ने जंगलों पर कब्जा कर लिया और यूरोप को वन-उत्पाद निर्यात किए।


( ड़ ) चाय-कॉफी के बागान - यूरोप में चाय-कॉफी और रबड़ की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक वन के बड़े क्षेत्रों को साफ कर दिया गया। औपनिवेशिक सरकार ने जंगलों को अपने कब्जे में लेकर उनके विशाल हिस्सों को बहुत सस्ती दरों पर यूरोपीय बागान मालिकों को सौंप दिया। इन इलाकों को बढ़ाबंदी कर के जंगलों को साफ कर दिया गया और चाय-कॉफी की खेती की जाने लगी।


( च ) आदिवासी और किसान - वन विनाश में आदिवासियों और किसानों का भी हाथ रहा है। वे भी कभी व्यापार के लिए, अपनी झोपड़ियां बनाने तथा ईंधन के लिए या कभी अपने और अपने जानवरों के लिए पेड़ों की कटाई करते थे। इससे भी वनों का अत्यधिक विनाश हुआ।


प्रश्न 4. युद्धों से जंगल क्यों प्रभावित होते हैं।


उत्तर - युद्धों से जंगल निम्नलिखित कारणों से प्रभावित होते हैं - 

1. युद्धों की जरूरत को पूरा करने के लिए वन-उत्पादों की मांग बढ़ जाती है। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए बेतहाशा पेड़ काटे जाते हैं। उदाहरण के लिए पहले और दूसरे विश्व युद्ध का जंगलों पर गहरा असर पड़ा। भारत में तमाम चालू कार्ययोजनाओं को स्थगित करके वन विभाग ने अंग्रेजों की जंगी जरूरतों को पूरा करने के लिए बेतहाशा पेड़ काटे। 

2. कभी-कभी, सरकार खुद जंगलों को दुश्मनों के डर से खत्म कर देती है ताकि यह संसाधन शत्रु के हाथ ना लग जाएं। जावा पर जापानियों के कब्जे से ठीक पहले डचों ने भस्म कर भागो नीति अपनाई जिसके तहत आरामशीनों और सागौन के विशाल लट्ठों के ढेर जला दिए गए जिससे वे जापानियों के हाथ ना लग पाए। 

3. जीतने वाला देश भी अपनी जंगी जरूरतों के लिए जंगलों की कटाई करता है। उदाहरण के लिए जावा में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों ने वनवासियों को जंगल काटने के लिए बाध्य करके अपने युद्ध उद्योग के लिए जंगलों का निर्मम  दोहन किया।

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