Class 9th NCERT Sst Chapter 2 Solution// कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान पाठ 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति का हल
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?
उत्तर 1. सामाजिक हालात - समाज दो भागों में बँटा हुआ था। एक वो जिन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे और दूसरे वे जिन्हें अधिकार प्राप्त नहीं थे। विशेषाधिकार प्राप्त लोग वे थे जो धनवान और प्रभावशाली थे और राज्य के लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर उनका अधिकार था और अधिकांश जमीन पर भी उनका ही नियंत्रण था।
2. आर्थिक हालात - रूस आर्थिक रूप से बुरी दशा से गुज़र रहा था। लगभग 85 प्रतिशत रूसी प्रशासन की जनता अपनी आजीविका चलाने के लिए कृषि पर निर्भर थी। देश में अधिक पूँजी नहीं थी और आधे से अधिक पूँजी का निवेेश विदेशी निवेशकों द्वारा किया जाता था जो अधिक लाभ कमाने में रूचि रखते थे। उन्हें मज़दूरों या श्रमिकों की दशा से कोई मतलब नहीं था।
रूसी पूँजीवादी भी श्रमिकों का शोषण करते थे। चाहे कारखानों के स्वामी विदेशी हों या रूसी, श्रमिकों की दशा संतोषजनक नहीं थी।
3. राजनीतिक हालात - रूस में जार का शासन निरंकुश था। वे ''राजा भगवान होता है'' के सिद्धांत को मानते थे और अपने विशेषाधिकारों और शक्तियों को नियंत्रित करने को तैयार नहीं थे।
सरकार निरंकुश ही नहीं थी बल्कि अकुशल और कमज़ोर भी थी। 1914 से पहले राजनीतिक पार्टी बनाना भी गैैर-कानूनी था।
प्रश्न 2. 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?
उत्तर - 1917 से पहले रूस में कामकाजी आबादी बाकी देशों से निम्न स्तरों पर भिन्न थी -
1. यूरोप के दूसरे देशों के मुकाबले रूसी किसानों की दशा काफी खराब थी। 18 सो 61 तक किसान भूमि दासों की तरह काम करते थे। उनके उत्पादन का काफी हिस्सा उच्च वर्ग के हाथों में चला जाता था। इसके अतिरिक्त 70% किसानों को दो वक्त का खाना भी नहीं मिल पाता था।
2. अधिकांश उद्योग निजी स्वामित्व में थे। सरकारी विभाग बड़ी फैक्ट्रियों पर नजर रखते थे। कारीगरों की इकाइयों और वर्कशॉपों में काम की पाली प्रायः 15 घंटे तक खींची जाती थी जबकि कारखाने में मजदूर आमतौर पर 10-12 घंटे की पालियों में काम करते थे। निवास स्थान एक कमरों से बोर्डिंग हाउस तक एक भिन्नता लिए हुए थे।
3. कामगारों को सामाजिक वर्गों में बांटा हुआ था। 1914 तक कारखाना श्रमिकों में 31% महिलाएं थी लेकिन उन्हें पुरुषों से कम वेतन दिया जाता था। श्रमिकों में भिन्नता उनके कपड़ों और व्यवहार में भी दिखाई देती थी।
4. विभिन्नता के बावजूद, जब वे अपने मालिकों से किसी को निकाले जाने या काम की परिस्थितियों को लेकर असहमति होते थे वे सब एकजुट होकर हड़ताल करते थे। ऐसी हड़तालें वस्त्र उद्योग में आम बात थी।
प्रश्न 3. 1917 में जार का शासन क्यों खत्म हो गया?
उत्तर - 1. 1950 की क्रांति के बाद रूस में क्रांतियों का सिलसिला शुरू हो गया था। 9 जनवरी, 1905 को विंटर पैलेस में जार को याचिका देने जाते हुए श्रमिकों पर सेंट पीट्सबर्ग में गोली चलाई गई। उस घटना की खबर ने पूरे रूस में अभूतपूर्व अशांति फैला दी और यह घटना 1917 की क्रांति की ड्रेस रिहर्सल साबित हुई।
2. जार ने रूस को प्रथम विश्व युद्ध में धकेल दिया। यह रूस के निरंकुशवाद के लिए घातक और निर्णायक सिद्ध हुआ। फरवरी 1917 तक 6 लाख सैनिक युद्ध में मारे जा चुके थे। पूरे साम्राज्य में भारी असंतोष था। भैंस क्रांति के लिए भी यही ही समय उचित था।
3. 1914 से 1916 के बीच जर्मनी और ऑस्ट्रिया में रूसी सेनाओं को भारी पराजय झेलनी पड़ी। पीछे हटती रूसी सेनाओं ने रास्ते में पढ़ने वाली फसलों और इमारतों को भी नष्ट कर डाला ताकि दुश्मन की सेना बहुत ना सके। फसलों और इमारतों के विनाश के कारण रूस में 30 लाख से ज्यादा लोग शरणार्थी हो गए। इन हालातों ने सरकार और जार दोनों को आलोकप्रिय बना दिया।
प्रश्न 4. दो सूचियां बनाइए : एक सूची में फरवरी क्रांति के मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्टूबर क्रांति के प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
उत्तर - फरवरी क्रांति के मुख्य घटनाएं और प्रभाव -
1. सन 1917 की सर्दियों में राजधानी पेत्रोगार्द की हालत बहुत खराब थी। मजदूरों के इलाके में खाद्य पदार्थों की भारी कमी पैदा हो गई थी।
2. संसदीय प्रतिनिधि चाहते थे कि निर्वाचित सरकार बची रहे इसीलिए जार द्वारा ड्यूमा को भंग करने के लिए की जा रही कोशिशों का विरोध कर रहे थे।
3. 22 फरवरी को नेवा नदी के दाएं तट पर स्थित एक फैक्ट्री में तालाबंदी घोषित कर दी गई।
4. 23 फरवरी 1917 को इस फैक्ट्री के मजदूरों के समर्थन में पांच फैक्ट्रियों के मजदूरों ने भी हड़ताल का ऐलान कर दिया।
5. जार ने 2 मार्च को गद्दी छोड़ दी। सोवियत और ड्यूमा के नेताओं ने देश का शासन चलाने के लिए एक अंतिम सरकार बना ली।
6. कई फैक्ट्रियों में हड़ताल का नेतृत्व महिलाएं कर रही थी। इसी दिन को बाद में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का नाम दिया गया।
अक्टूबर क्रांति 1917 की घटनाएं एवं प्रभाव -
1. जैसे-जैसे अंतरिम सरकार और बोल्शेविकों के बीच टकराव बढ़ता गया लेनिन को अंतरिम सरकार द्वारा तानाशाही थोप देने की आशंका दिखाई देने लगी।
2. सितंबर में उन्होंने सरकार के खिलाफ विद्रोह के बारे में चर्चा शुरू कर दी। सेना और फैक्टरी सोवियतों के मौजूद बोल्शेविकों को इकट्ठा किया गया
3. 16 अक्टूबर 1917 को लेनिन ने सोवियत और बोल्शेविक पार्टी को सत्ता पर कब्जा करने के लिए राजी कर लिया। सत्ता पर कब्जा करने के लिए लियॉन ट्रॉटस्की के नेतृत्व में सोवियत की ओर से एक सैनिक क्रांतिकारी समिति का गठन किया गया। इस बात का खुलासा नहीं किया गया कि योजना को किस दिन लागू किया जाएगा।
4. 24 अक्टूबर को विद्रोह शुरू हो गया। संकट की आशंका को देखते हुए प्रधानमंत्री केरेंस्की सैनिक टुकड़ियों को इकट्ठा करने शहर से बाहर चले गए। तड़के ही सरकार के वफादार सैनिकों ने दो बोल्शेविक अखबारों के दफ्तरों पर घेरा डाल दिया। टेलीफोन और टेलीग्राफ पर नियंत्रण प्राप्त करने और विंटर पैलेस की रक्षा करने के लिए सरकार समर्थक सैनिकों को रवाना कर दिया गया।
5. अक्टूबर क्रांति से रूस में लेनिन का प्रभुत्व साफ दिखाई दिया गया। रूस एक दलीय राजनीतिक व्यवस्था वाला देश बन गया।
6. ज्यादातर उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। जमीन को सामाजिक संपत्ति घोषित कर दिया गया।
प्रश्न 5. बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किये?
उत्तर - अक्टूबर क्रांति के तुरंत बाद होने वाले प्रमुख परिवर्तन निम्नलिखित हैं -
1. नई सरकार की पहली महत्वपूर्ण घोषणा शांति का आदेश था। सभी लोगों के लिए एक आज्ञा पत्र जारी किया गया और युद्धरत राज्यों को बिना किसी सम्मिलन में किया क्षतिपूर्ति के केवल शांति के लिए वार्ता शुरू करने के लिए कहा गया। रूस की ओर से युद्ध समाप्त करने के लिए युद्ध विराम का निर्णय लिया गया हालांकि जर्मनी के साथ शांति समझौते पर बाद में हस्ताक्षर किए गए।
2. दूसरी घोषणा जमीन के विषय में थी। सरकार ने जमीन पर निजी संपत्ति का अधिकार समाप्त कर दिया और जमीन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दिया। सबके लिए श्रम आवश्यक कर दिया गया और पूंजीपतियों और भू-स्वामियों द्वारा शोषण का अंत हो गया।
3. उद्योगों का नियंत्रण श्रमिक संगठनों के हाथ में आ गया। सभी बैंकों, बीमा कंपनियों, बड़े उद्योगों, खदानों तल-परिवहन और रेलवे का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
4. लोगों के अधिकारों का घोषण-पत्र जारी किया गया। और सभी राष्ट्रीयताओं पर आत्मनिर्भरता का अधिकार प्रदान किया गया।
5. बैंकों और उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया गया।
प्रश्न 6. निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए -
( क ) कुलक
( ख ) ड्यूमा
( ग ) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
( घ ) उदारवादी
( ड़ ) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम
उत्तर -
( क ) कुलक - रूस में अमीर किसानों को 'कुलक' कहा जाता था। स्तालिन के समय में आधुनिक खेत विकसित करने और औद्योगिक आधार पर मशीनों से खेती करने के लिए कुलक के सफाए को आवश्यक माना गया।
( ख ) ड्यूमा - यह एक निर्वाचित परामर्श देने वाली संसद थी जिसका गठन जार ने 1905 की रूसी क्रांति के दौरान किया था।
( ग ) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार - रूस में आधुनिक औद्योगिक कराना यरोपीय देशों के मुकाबले देर से शुरू हुआ लेकिन इस आर्थिक क्रिया ने महिलाओं को आदमियों और बच्चों के साथ फैक्ट्रियों में धकेल दिया। उन्हें अधिक घंटों काम करना पड़ता था और कम वेतन मिलता था। उनके मध्य बेरोजगारी आम बात थी। विशेषत: औद्योगिक वस्तुओं की मांग में कमी होने के समय।
( घ ) उदारवादी -
1. यूरोप के लोगों का एक समूह जिसने 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान समाज में बदलाव की दिशा में सोचा, उदारवादी कहलाता है। उदारवादी एक ऐसा देश चाहते थे जिसमें सभी धर्मों को बराबर स्थान और सम्मान मिले। उस समय में यूरोपीय राज्य प्राय: धर्मों के बीच भेदभाव करते थे और एक विशेष धर्म के पक्ष में थे।
2. उदारवादी समूह वंश-आधारित शासकों के अनियंत्रित सत्ता के विरोधी थे। वे सरकार के समक्ष व्यक्ति मात्र के अधिकारों के पक्षधर थे।
3. यह समूह प्रतिनिधित्व पर आधारित एक ऐसी निर्वाचित सरकार के पक्ष में था जो शासकों और अफसरों के प्रभाव से मुक्त और सुप्रशिक्षित न्यायपालिका द्वारा स्थापित किए गए कानूनों के अनुसार शासन कार्य चलाए।
( ड़ ) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम - लेनिन के पार्टी की कमान संभाल रहे स्तालिन ने स्थिति से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए। उन्हें लगता था कि अमीर किसान और व्यापारी कीमत बढ़ने की उम्मीद में अनाज नहीं बेच रहे हैं। स्थिति पर काबू पाने के लिए सट्टेबाजी पर अंकुश लगाना और व्यापारियों के पास जमा अनाज को जप्त करना जरूरी था।
1. 1929 से पार्टी ने सभी किसानों को सामूहिक खेतों (कोलखोज) में काम करने का आदेश जारी कर दिया।
2. ज्यादातर जमीन और साजो सामान सामूहिक खेतों के स्वामित्व में सौंप दिए गए।
3. सभी किसान सामूहिक खेतों पर काम करते थे और कोलखोज के मुनाफे को सभी किसानों के बीच बांट दिया जाता था।
4. इस फैसले के गुस्साए किसानों ने इसका विरोध किया और वे अपने जानवरों को मारने लगे। 1929 से 1931 के बीच मवेशियों की संख्या में एक तिहाई कमी आ गई।
5. सामूहिकीकरण का विरोध करने वालों को सख्त सजा दी जाती थी। बहुत सारे लोगों को निर्वासन या देश निकाला दे दिया गया।