MP Board Solutions for class 9 Social Science chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

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Class 9th NCERT Sst Chapter 1 Solution// कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान पाठ 1 फ्रांसीसी क्रांति का हल 

प्रश्न 1. फ्रांस की क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?


उत्तर - फ्रांस में क्रांति की शुरुआत निम्न परिस्थितियों में हुई - 


सामाजिक असमानता - 

फ्रांस सामाजिक असमानता से पीड़ित था। पादरी बाग कुलीन वर्ग शान-शौकत का जीवन जीते थे और उन्हें जन्म से कुछ विशेष अधिकार प्राप्त है जबकि किसान और मजदूर कठिनाई भरा जीवन जीते थे। उन्हें भारी कर अदा करने पड़ते थे।


असाधारण राजा - 

लुई XVI बहुत- सा धन शान-शौकत बनाए रखने तथा फिजूल के कार्यों में खर्च करता था। उच्च पदों की नीलामी की जाती थी जिससे प्रशासन में कुशलता बढ़ रही थी। लोग इस व्यवस्था से तंग आ गए थे।


निर्वाह संकट - फ्रांस की जनसंख्या 1715 में 2.3 करोड़ थी जो 1789 में बढ़कर 2.8 करोड़ हो गई थी। खाद्यान्नों की मांग भी बड़ी, रोटी के दाम बढ़ गए। इससे निर्वाह संकट उत्पन्न हो गया।


बदतर आर्थिक परिस्थितियां - लंबे चले युद्धों के कारण फ्रांस के संसाधन लगभग समाप्त हो गए थे। अपने नियमित खर्च हो जैसे सेना के रख-रखाव, सरकारी कार्यालयों, न्यायालयों को चलाने के लिए सरकार करों में वृद्धि करने के लिए बाध्य हो गई थी।


तात्कालिक कारण - 5 मई 1789 को लुई XVI ने एस्टेट जेनरॉल की सभा नए करों के प्रस्ताव को पास करने के लिए बुलाई। तृतीय एस्टेट ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। यह फ्रांसीसी क्रांति का तात्कालिक कारण सिद्ध हुआ।


प्रश्न 2. फ्रांसीसी समाज के कितने तबकों को क्रांति का फायदा मिला? कौन से समूह सत्ता छोड़ने को मजबूर हो गए? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी?


उत्तर - 


क्रांति से लाभ पाने वाले वर्ग ( तबके ) - क्रांति से तृतीयक एस्टेट के सभी समूहों को लाभ हुआ इनमें किसान, कारीगर, मजदूर, सौदागर, न्यायालय के अधिकारी, वकील इत्यादि शामिल थे।


सत्ता छोड़ने वाले वर्ग ( तबके ) - पादरी वर्ग तथा कुलीन वर्ग सत्ता छोड़ने को मजबूर हो गए साथ ही जन्म से मिले विशेष अधिकार, कार्य तथा दायित्व समाप्त कर दिए गए। पादरी वर्ग और कुलीन वर्ग मध्यम वर्ग के स्तर पर आ गए थे।

निराश वर्ग - कुलीन वर्ग, पादरी वर्ग तथा महिलाएं इस बदलाव से निराश थे क्योंकि समानता का जो वादा किया था, वह पूरा नहीं हुआ।


प्रश्न 3. उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रांति कौन-सी विरासत छोड़ गई?


उत्तर - उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रांति किसी मुख्य देने ( विरासत ) निम्न प्रकार है - 


स्वतंत्रता - स्वतंत्रता का विचार, फ्रांसीसी क्रांति का एक मूल सिद्धांत था। उन्होंने ऐसे मनुष्य का प्राकृतिक अधिकार माना। 'स्वतंत्रता' से फ्रांसीसी क्रांतिकारियों का अभिप्राय ऐसे काम करने की शक्ति था जो औरों के लिए नुकसानदायक ना हो। स्वतंत्रता का यह विचार उपनिवेशों की जनता के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया। विश्व के सभी लोकतांत्रिक देशों ने इस अधिकार को अपनाया। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मानव अधिकारों में भी ऐसे मानव का नैसर्गिक अधिकार माना गया।


समानता - फ्रांसीसी क्रांति का अन्य महत्वपूर्ण सिद्धांत समानता का सिद्धांत था जिसे 19वी सदी के सभी लोकतांत्रिक देशों द्वारा अपनाया गया। इस प्रकार फ्रांसीसी क्रांति द्वारा स्थापित समानता का आदर्श वर्तमान के समस्त लोकतांत्रिक संविधानों का मूल आधार है।


बंधुत्व की भावना - फ्रांसीसी क्रांति ने बंधुत्व की भावना के रूप में विश्व के समक्ष एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया कि यदि जनता सामूहिक रूप से बंधुत्व के विचार का पालन करें तो वह देश का नवनिर्माण कर सकती है।


लोकतंत्र - फ्रांसीसी क्रांति में राजतंत्र की कमियों और कमजोरियों को सारी दुनिया के समक्ष उजागर कर दिया। फ्रांसीसी क्रांति द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक विचारों ने बुद्धिजीवी वर्ग को आंदोलित कर दिया जिसके फलस्वरूप 19वी तथा 20वी सदी में विश्व के अनेक देशों में लोकतांत्रिक सरकारों की स्थापना हुई।


प्रश्न 4. उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएं जो आज हमें मिले हैं और जन का उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में हुआ।


उत्तर - प्रमुख जनवादी अधिकारों की सूची जो आज हमें मिले हुए हैं - ( i ) स्वतंत्रता का अधिकार। ( ii )  समानता का अधिकार। ( iii ) सुरक्षा एवं शोषण के विरुद्ध अधिकार। ( iv ) धर्म की आजादी का अधिकार। ( v ) सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार। ( vi ) राजनीतिक संगठन बनाने का अधिकार।

फ्रांसीसी क्रांति में निम्न अधिकारों की उत्पत्ति देखी जा सकती है - ( i ) स्वतंत्रता का अधिकार। ( ii ) समानता का अधिकार। 


प्रश्न 5. क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे?


उत्तर - हां हम इस बात से सहमत हैं कि फ्रांस में सार्वभौमिक अधिकारों का घोषणा पत्र विश्व इतिहास में मानव अधिकारों की घोषणा का प्रथम प्रयास था परंतु मानव अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे जो की निम्न प्रकार है - 


( i ) महिलाओं को पुरुष के बराबर अधिकार नहीं मिला।


( ii ) समानता और स्वतंत्रता का विचार एक नए युग के मुख्य विचार की तरह सामने आया लेकिन बहुत से देशों में उन्होंने एक अलग तरीके से इसकी पुनर्व्याख्या और पुनर्विचार किया। बहुत सी साम्राज्यवादी शक्तियों ने अपने उपनिवेश के लोगों को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान नहीं की।


( iii ) सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार नहीं था।  केवल 25 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों को, जो एक मजदूर की 3 दिन की मजदूरी के बराबर कर देता है, उसे एक सक्रिय नागरिक की संज्ञा दी गई, वोट देने का अधिकार दिया गया। निर्वाचक की योग्यता प्राप्त करने तथा असेंबली का सदस्य होने के लिए लोगों का करदाताओं की उच्चतम श्रेणी में होना जरूरी था।


( iv ) लोगों का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार केवल अमीर लोगों को था।


प्रश्न 6. नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता?

उत्तर - सान् 1796 निर्देशिका के पतन के तुरंत बाद नेपोलियन का उदय हुआ। निर्देशक उनका प्रायः विधानसभाओं से झगड़ा होता था जो कि बाद में उन्हें बर्खास्त करने का प्रयास करती। निर्देशिका राजनैतिक रूप से अत्याधिक अस्थिर थी अतः नेपोलियन तानाशाह के रूप में सत्तारूढ़ हुआ। 

सन 1804 में नेपोलियन बोनापार्ट ने स्वयं को फ्रांस का सम्राट बना दिया। वह पड़ोसी यूरोपीय देशों पर विजय करने निकल पड़ा, राजवंशों को हटाया और साम्राज्य को जन्म दिया जिसमें उसने अपने परिवार के सदस्यों को आरूढ़ किया। 

उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा जैसी कई कानून बनाए और दशमलव प्रणाली पर आधारित नाप-तोल की एक समान पद्धति शुरू की। अंततः 1815 ईस्वी में वाटरलू में उसकी हार हुई।



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