MP Board Class 9th Hindi Half Yearly Paper 2021

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MP Board Class 9th Hindi Half Yearly Paper 2021//अर्द्धवार्षिक परीक्षा हिंदी पेपर 2021

MP Board Class 9th Hindi Paper Pdf Download


Half Yearly Exam Paper 2021: मध्य प्रदेश बोर्ड में कक्षा दसवीं की अर्धवार्षिक परीक्षा 2021 ( Half Yearly Exam 2021 ) दिसंबर के पहले सप्ताह में शुरू होने वाली है। तो इस समय सभी छात्र अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं और कुछ छात्रों को इस समय में एक ऐसा डाउट आ रहा होगा कि हाफ इयरली एग्जाम पेपर है की तैयारी कैसे करें तो इस समस्या की चिंता लेने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसे पोस्ट है मैं आपकी इस समस्या का हल है तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।


अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी कैसे करें

यदि आप भी कक्षा दसवीं के छात्र हैं और यदि आपको भी पता नहीं है कि आप अपने अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी कैसे करें तो कोई बात नहीं चलिए मैं बताता हूं कि आपको अपनी अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2021 की तैयारी कैसे करनी है। तो सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि मध्य प्रदेश बोर्ड द्वारा एक कैलेंडर जारी कर दिया जाएगा जो आपकी अर्धवार्षिक परीक्षा का। जिससे आपको पता चल जाएगा कि कहां तक के चैप्टर से आपसे प्रश्न पूछे जाएंगे और कौन कौन से टॉपिक आपको याद करना है तो आपको उन सभी टॉपिक को याद कर लेना है। इसके साथ ही साथ आपको पिछले वर्ष के जितने भी अर्धवार्षिक परीक्षा के पेपर थे उन सभी पेपर को अच्छी तरह से हल करके देख लेना है। क्योंकि जैसा कि आप जानते ही होंगे कि किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए उसके पिछले वर्षों के परीक्षा प्रश्न पत्र बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं तो आपको इन प्रश्न पत्रों को हल जरूर कर कर देख लेना है।


अर्द्धवार्षिक परीक्षा के नंबर रिजल्ट में जुड़ेंगे या नहीं

आप सभी छात्रों के मन में एक प्रश्न ऐसा है जो जरूर उठता होगा क्योंकि यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जो आपके अर्धवार्षिक परीक्षा होने वाली है उस परीक्षा में प्राप्त हुए अंक आप की वार्षिक परीक्षा में जुड़ेंगे या नहीं या फिर आपके वार्षिक रिजल्ट में इन नंबरों को जोड़ा जाएगा या फिर नहीं तो चलिए आपके मन में जो भी प्रश्न है उन सभी का हाल मैं आपको बताता हूं।

छात्रों यदि ऐसा होता है कि पिछले साल की तरह ही कोरोनावायरस के कारण आप की वार्षिक परीक्षा आयोजित नहीं हो पाई तो आपका जो रिजल्ट है वह पिछले साल की तरह ही त्रैमासिक परीक्षा, अर्द्धवार्षिक परीक्षा और आपकी प्री बोर्ड परीक्षा के आधार पर तैयार किया जा सकता है। अतः आप त्रैमासिक परीक्षा, अर्द्धवार्षिक परीक्षा और प्री बोर्ड परीक्षा की तैयारी अच्छे से करें ताकि यदि पिछली बार के जैसी ही स्थितियां उत्पन्न होती हैं तो आपके इन परीक्षाओं में नंबर अच्छे होने पर आप का वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट या वार्षिक रिजल्ट अच्छा रहेगा। और यदि आप इन परीक्षाओं की तैयारी अच्छे से नहीं करते हैं और आपके अच्छे नंबर नहीं आते हैं और पिछली बार के जैसे ही स्थिति उत्पन्न हुई तो आप का वार्षिक रिजल्ट भी बिगड़ जाएगा। तो इसके लिए आप ध्यान रखें कि आपको इन परीक्षाओं की तैयारी है बहुत अच्छे से करनी है और अच्छे से अच्छे नंबर प्राप्त करना है।



9वीं हिंदी अर्द्धवार्षिक परीक्षा पेपर 2021

अगर आप भी कक्षा दसवीं के छात्रों हो और अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी कर रहे हो, तो आप सभी छात्रों के लिए इस पोस्ट में हम बताने वाले हैं कि आप अपनी तैयारी किस प्रकार से कर सकते हैं तो आपको अपनी अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे पहले तो हो आपको अपने उन्हें चैप्टर को याद कर लेना है जो आप के सिलेबस में दिए गए हैं और उसके बाद आपको महत्वपूर्ण प्रश्न जो हम अपने यूट्यूब चैनल SL TEACH पर डालते हैं उन सभी प्रश्नों को आपको याद कर लेना है। क्योंकि हम आपके सिलेबस के आधार पर हमारे यूट्यूब चैनल पर वही प्रश्न बताते हैं जो आप की परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण होते हैं तथा जो प्रश्न आप को परीक्षा में अच्छे से अच्छे नंबर दिला सकते हैं। तो आप उन सभी प्रश्नों को जरूर याद करें।



अर्द्धवार्षिक परीक्षा का पेपर कैसा आएगा

दोस्तों अगर आपके मन में भी एक ऐसे प्रश्न आ रहे हैं कि आपका अर्धवार्षिक परीक्षा का पेपर कैसा आएगा तो मैं इसके लिए आपको एक सलाह देना चाहूंगा कि आप इस समस्या के समाधान के लिए पिछले साल के क्वेश्चन पेपर को देखें जिससे कि आपको पता लग जाएगा कि आप का अर्धवार्षिक परीक्षा का पेपर कैसे आने वाला है और कौन सा पैटर्न आपका परीक्षा का प्रश्न पत्र बनाते समय फॉलो किया जाता है। तथा कैसे प्रकार के क्वेश्चन आपसे पांच नंबर में पूछे जाते हैं और कौन से प्रश्न आपसे दो या एक नंबर के लिए पूछे जाते हैं यह जानकारी भी आपको अपना पुराना परीक्षा का पेपर देखने से पता चल जाता है तो मैं सोचता हूं कि आपको अपने जिस परीक्षा की तैयारी कर रहे हो उस परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे आवश्यक चीज हो जाती है कि आप अपना पुराना पेपर जरूर याद करें या एक बार देख लें। क्योंकि परीक्षाओं का पैटर्न वही रहता है बस आपके प्रश्न पत्र में प्रश्न बदल दिए जाते हैं। अगर आप अर्धवार्षिक परीक्षा 2020 का पेपर देखना चाहते हैं तो नीचे दिए गए वीडियो को देख सकते हैं



अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2021-22 

कक्षा - 9वीं 

विषय - हिंदी 


प्रश्‍न 1. सही विकल्‍प चुनकर लिखिए 

( क ) प्रेमचंद का जन्‍म किस सन् में हुआ था? 

( अ )  1881 

( ब ) 1880 

( स ) 1882 

( द ) 1890

उत्‍तर - ( ब ) 1880 

 

( ख )  संज्ञा सर्वनाम की विशेषता बनाने वाले शब्‍द है- 

( अ ) क्रिया 

( ब ) विशेषण 

( स ) संबंध कारक 

( द ) समास

उत्‍तर - ( ब ) विशेषण


( ग ) 'फूले नहीं समाना' वाक्‍य है- 

( अ ) लोकोक्ति 

( ब ) तत्‍सम शब्‍द 

( स ) मुहावरा 

( द ) विदेशी शब्‍द 

उत्‍तर - ( स ) मुहावरा


( घ ) राहुल जी ने सन् 1929-30 में ल्‍हासा की यात्रा किस देश के रास्‍ते से की थी? 

( अ ) भारत 

( ब ) पाकिस्‍तान 

( स ) नेपाल 

( द ) अफगानिस्‍तान 

उत्‍तर - ( अ ) भारत 


प्रश्‍न 2. रिक्‍त स्‍थानों की पूर्ति कीजिए - 

( क ) संध्‍या समय दोनों बैल अपने ............... पर पहुंचे। ( नए स्‍थान/पुराने स्‍थान ) 

( ख ) राहुल जी ने द्वारा रचित पुस्‍तकों की संख्‍या लगभग ............है। ( 140/150

( ग ) कविता के शब्‍दों के अनुशासन को ............ कहतेे हैं । ( रस/छंद

( घ ) 'फूले नहीं समाना' वाक्‍य............... का उदाहरण है। ( लोकोक्ति/मुुुुुुहावरे )


प्रश्‍न 3. सत्‍य/असत्‍य का चयन कीजिए - 

( क ) किसी एक वर्ण की आवृत्ति होने पर यमक अलंकार होता है। 

उत्‍तर - असत्‍य  


( ख ) रस मुख्‍य रूप से 9 प्रकार के होते हैं। 

उत्‍तर -सत्‍य 


( ग ) ललछद कवयित्री ने आत्‍मज्ञान को ही सच्‍चा ज्ञान माना है। 

उत्‍तर - सत्‍य 


( घ ) काव्‍य की शोभा बढ़ाने वाले तत्‍व को रस कहते हैं।  

उत्‍तर - असत्‍य 


प्रश्‍न 4. सही जोड़ी बनाइए - 

 क                                                           ख 

कश्‍मीरी कवि                                         उपसर्ग 

शब्‍दों केे पूर्व लगने वाला शब्‍द।               कबीर ग्रंथावली 

कबीर की रचना                                     ऋषियों-मुनियों सी 

गधे में गुणों की पराकाष्‍ठा है                  ललछद 


प्रश्‍न 5. निम्‍न प्रश्‍नों के उत्तर एक शब्‍द/वाक्‍य में दीजिए- 

( क ) निपात शब्‍द किसे कहते हैं? 

( ख ) कबीर दास जी ने पहले पद में किनका विरोध किया है? 

( ग ) लाख किसे कहते हैं? 

( घ ) ललछद ने सच्‍चा ज्ञान किसे माना है?  


प्रश्‍न 6. कांजी हौस में कैद पशुओं की हा‍जिरी क्‍यो ली जाती है? 


अथवा 


छोटी बच्‍ची को बैलों के प्रति प्रेम क्‍यों उमड़ आया?

 

प्रश्‍न 7. हीरा और मोती को मालकिन ने आकर उनके माथे को क्‍यों चूम लिया?

 

अथवा 


गया कौन था? हीरा और मोती को वह अपने घर क्‍यों ले गया? 


प्रश्‍न 8. लेखक लड़:कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया? 


अथवा 


लेखक ने अपनी पहली तिब्‍बत यात्रा किस वेश में की थी? और क्‍यों की थी? 


प्रश्‍न 9. 'मानसरोवर'   से कवि का क्‍या आशय है? 


अथवा 


कवि ने सच्‍चे प्रेेेमी की क्‍या कसौटी बताई है?

 

प्रश्‍न 10. तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को म‍हत्‍व दिया है? 


अथवा 


इस संसार में सच्‍चा संत कौन कहलाता है? 


प्रश्‍न 11. प्रत्‍यय शब्‍द किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए। 


अथवा 


तत्‍सम शब्‍द किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए। 


प्रश्‍न 12. रचना के आधार पर वाक्‍य के भेद लिखिए। 


अथवा 


क्रिया की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। 


प्रश्‍न 13. यमक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। 


अथवा 


श्‍लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित समझाइए। 


प्रश्‍न 14. मुहावरे की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। 


अथवा 


लोकोक्ति की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। 


प्रश्‍न 15. निम्‍न शब्‍दों का वाकयों में प्रयोग लिखिए - 

( क ) काकी 

( ख ) हलवा 

( स ) व्‍यंजन 

( द ) कचोरी 


अथवा 


अपनी पसंद की कविता की चार पंक्तियों लिखिए। 


प्रश्‍न 16. उपमा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। 


अथवा 


उत्‍प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

 

प्रश्‍न 17. मुंशी प्रेमचंद जी का सहित्यिक परिचय निम्‍न बिंदुओं के आधार पर लिखिए- 

1. दो रचनाएं 

2. भाषा शैैैली

3. साहित्‍य में स्‍थान 


अथवा 


'ल्‍हासा की ओर यात्रा वृतांत' का पाठ सारांश अपने शब्‍दों में लिखिए। 


प्रश्‍न 18. निम्‍न गद्यांश की संदर्भ, प्रसंग सहित व्‍याख्‍या कीजिए।

छोनोंं ने मूक भाषा में सलाह, की एक दूसरे को कनखियों से देखा और लेट गए। जब गांव में सोता पड़ गया, तो दोनोंं ने जोर मारकर पगहे तुज डाने और घर की तरफ चले। पगहे बहुत मजबूत थे। अनुमान न हो सकता था कि कोई बैल उन्‍हें तोड़ सकेगा, पर इन दोनों में इस समय दूनी शक्ति आ गई थी। एक-एक झटके में रस्सियां टूट गई। 

अथवा 

सु‍मति के यजमान और अन्‍य परिचित लोग लगभग हर गांव में मिले। इस आधार पर आप सु‍मति के व्‍यक्तित्‍व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकतेे हैं। 


प्रश्‍न 19. 'कबीरदास जी' का काव्‍य परिचय निम्‍न बिंदुओं के आधार पर लिखिए - 

1. दो रचनाएं 

2. भाव पक्ष- कला पक्ष

3. साहित्‍य में स्‍थान 


अथवा 


'चाख' पाठ का सारांश अपने शब्‍दों में लिखिए। 


प्रश्‍न 20.  निम्‍न पद्यांश की संदर्भ, प्रसंग सहित व्‍यवाख्‍या कीजिए। 


खा-खा कर कुछ पाएगा नहीं, 

ना खाकर बनेगा अहंकारी। 

सम खा तभी होगा समभावी, 

खुलेगी सांकर बंद द्वार की।।


अथवा  


भाव स्‍पष्‍ट कीजिए - 

जेेब टटोली कोड़ी ना पाई। 

ज्ञानी है तो स्‍वंय को जान।। 


प्रश्‍न 21. निम्‍नलिखति अपठित गद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे हुए प्रश्‍नों के उत्तर दीजिए। 

कभी-कभी लक्ष्‍य बहुत दूर दिखाई देता है। संदेह होने लगता है कि इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर लेंगे या नहीं। कई बार लक्ष्‍य प्राप्ति के लिए अनेक प्रयास करने पर भी असफलता मिलती है। निराशा से प्रसन्‍नता और शांति नष्‍ट हो जाती है। आशा उत्‍साहित करती है। 

1. निराशा का भाव क्‍यों जागृत होता है? 

2. निराशा का व्‍यक्ति पर क्‍या प्रभाव पड़ता है?

3. गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। 


प्रश्‍न 22. अपने प्राचार्य को 2 दिन केे अवकाश हेेेतु आवेदन पत्र लिखिए। 


अथवा 


अपने मित्र को जन्‍मदिन की बधाई देते हुए आवेदन पत्र लिखें। 


प्रश्‍न 23. निम्‍नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए। 

1. पर्यावरण प्रदूषण 

2. भारतीय समाज में नारी का स्‍थान 

3. वृक्षारोपण 

4. कोरोनावायरस 

पर्यावरण और प्रदूषण


रूपरेखा :-

1. प्रस्तावना

2. प्रदूषण क्या है ?

3. पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

4. पर्यावरण प्रदूषण के कारण 

5. पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

6. समाधान

7. उपसंहार


1. प्रस्तावना - 

                   पर्यावरण प्रकृति का बैंक है। इस बैंक में जमा पूंजी के सहारे जिंदगी का धंधा चलता है। पर्यावरण वह खोल है जिससे हम घिरे हुए हैं।  धरती, जल, वायु, ध्वनि  आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। हमारा पर्यावरण सारी प्रकृति है, पृथ्वी और आकाश के बीच का अंतराल है। राजनीतिक और भौगोलिक समस्याएं से विभाजित नहीं कर सकती।

प्रदूषण के कारण आज गंगा मैली हो गई है, गलियों से बदबू आ रही है, आकाश विषैली धूलों और धुओं से भर उठा है। प्रदूषण की समस्या इतनी कठिन हो गई है, कि लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। वैसे यह जो प्रदूषण नामक समस्या हमारे सामने खड़ी हुई है इसके पीछे वास्तव में मनुष्य का ही हाथ है। मनुष्य ने आवश्यकता से अधिक प्रकृति का दोहन किया है जिसके फलस्वरूप प्रदूषण जैसी भयंकर समस्या हमारे सामने आ खड़ी हुई है। जिसका अभी तक कोई भी हल नहीं निकाला जा सका है।



2. प्रदूषण क्या है ? - 

                             प्रदूषण क्या है ? जिसके कारण आज लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। वह जो जल, वायु तथा भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में मिलकर कोई अवांछनीय परिवर्तन कर देता है जिससे जल, वायु तथा भूमि की गुणवत्ता में गिरावट आती है या उनमें विकृति उत्पन्न हो जाती है प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषण में सभी पदार्थ या तत्व होते हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों से वायुमंडल तथा पृथ्वीमंडल को प्रदूषित बनाकर, प्राणी मात्र के जीवन एवं संसाधनों पर बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं।

प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन अत्यंत विशाल बनती जा रही है। शुद्ध जल और शुद्ध वायु का अभाव हो गया है, जिससे हर वर्ष हजारों लोगों की मृत्यु होती जा रही है। भोपाल गैसकांड, नागासाकी, हिरोशिमा पर द्वितीय विश्व युद्ध में गिराए गए बमों के द्वारा जो विनाश हुआ था। उसकी याद यह प्रदूषण हम सभी लोगों को दिलाता है। कैंसर जैसे असाध्य रोगों का बढ़ता प्रकोप प्रदूषण का ही परिणाम है।



3. पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार :- 

                                           प्रदूषण वैसे तो कई प्रकार का होता है परंतु मुख्य रूप से प्रदूषण के प्रकार निम्न हैं -

अ) जल प्रदूषण

ब) वायु प्रदूषण

स) भूमि प्रदूषण

द) रेडियोधर्मी प्रदूषण

ई) ध्वनि प्रदूषण 


अ) जल प्रदूषण -

                        जल की शुद्धता में होने वाले वेयर पंचमी है परिवर्तन जो जल के भौतिक व रासायनिक गुणों में परिवर्तन कर देते हैं जिससे जल की शुद्धता में गिरावट आती है। जल प्रदूषण कहलाता है।  जल प्रदूषण आज अत्यंत गंभीर समस्या बन कर हमारे सामने आ चुका है ।  जल में  स्नान करना, मरे हुए पशुओं के शरीर को तालाबों में फेंक देने तथा उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को सीधे तौर पर नदियों में छोड़ देने से जल प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। घरों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ तथा साबुन डिटर्जेंट की झाग से भी जल प्रदूषण होता है। पहले जो नदियां पहले विश्व की जीवन रेखाओं के नाम से जानी जाती थी वह आज प्रदूषित हो चुकी हैं और इसके कारण विश्व के एक बहुत बड़े हिस्से को जल नहीं मिल पा रहा है। जिसके फलस्वरूप कई मौतें हो रही हैं और मनुष्य परेशान हो चुका है यह अत्यंत गंभीर समस्या है यदि इसका हल जल्द से जल्द नहीं निकाला गया तो पृथ्वी पर जल मिलना बहुत कठिन हो जाएगा और जिसके फलस्वरूप विश्व में चारों ओर त्राहि-त्राहि मच जाएगी और मनुष्य का और साथ ही सभी जीवित वस्तुओं का अंत हो जाएगा। क्योंकि जल ही जीवन है इस कारण इस पृथ्वी पर जीवन का अंत भी हो सकता है।


ब) वायु प्रदूषण - 

                       वायु में किसी ऐसे पदार्थ  का मिलना जिससे वायु की शुद्धता में गिरावट आती है। वायु प्रदूषण कहलाता है। वायु प्रदूषण वाहनों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड के बाजू में मिलने से, उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाले धुआँ तथा प्लास्टिक और कूड़े करकट को जलाने से वायु में प्रदूषण होता है। लगातार चल रही वनों की कटाई के कारण वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जिसके फलस्वरूप वायुमंडल में जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है और इन विषैली गैसों की मात्रा वायुमंडल में बढ़ती जा रही है। जिसके कारण आज बहुत सी बीमारियां जैसे - कैंसर, टीवी आदि मनुष्य में बढ़ती जा रही हैं। 


स) भूमि प्रदूषण - 

                        भूमि के भौतिक तथा रासायनिक  गुणों में होने वाले ऐसे परिवर्तन जिन से भूमि की उर्वरा शक्ति में गिरावट आती है तथा उसकी शुद्धता में भी कमी आती है भूमि प्रदूषण कहलाता है। लगातार बढ़ रहे कीटनाशकों के प्रयोग  से होता है यह कीटनाशक भूमि की उर्वरा शक्ति में गिरावट लाते हैं तथा इन कीटनाशकों के छिड़काव के बाद यदि बारिश हो जाती है तो यह कीटनाशक वर्षा के पानी के साथ बहकर जल स्रोतों में मिल जाते हैं जिससे जल प्रदूषण भी होता है। पॉलिथीन भूमि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है यह पॉलिथीन नष्ट नहीं होती है। यदि हम इसे जला भी देते हैं तो इससे वायु प्रदूषण होता है और उसके बाद भी यह पूरी तरह से नष्ट नहीं होती है जिसके कारण भूमि का भी प्रदूषण होता है एक पॉलिथीन लगभग कई 100 सालों तक पृथ्वी पर रहती है।


द) रेडियोधर्मी प्रदूषण - 

                               रेडियोधर्मी प्रदूषण उस प्रदूषण को कहते हैं जब ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थों में रेडियोधर्मी विकिरण अवांछनीय रूप से उपस्थित होते हैं तथा जिस से जीव जंतु और मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है रेडियोधर्मी प्रदूषण कहलाता है। रेडियोधर्मी प्रदूषण मुख्यत: परमाणु हथियारों के परीक्षण, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना, परमाणु विस्फोट, वैज्ञानिक अनुसंधानओं से फैलता है। रेडियोधर्मी प्रदूषण के कारण त्वचा एवं कोशिका से संबंधित अत्यंत दुर्लभ बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं जिनका इलाज लगभग नामुमकिन होता है।


ई) ध्वनि प्रदूषण -

                        जब वायुमंडल में ध्वनि की मात्रा सामान्य ध्वनि से कई गुना तेज हो जाती है तो इसे हम शोरगुल ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों के होरन से निकलने वाले तीव्र आवाज, कल कारखानों में चलने वाली बड़ी-बड़ी मशीनों से निकलने वाला शोर और निर्माण में होने वाली खटपट से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य के कान के पर्दे फट जाते हैं जिससे उसे सुनने में तकलीफ होने लगती है तथा मनुष्य में एक चिड़चिड़ापन भी उत्पन्न हो जाता है।


5. पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव -

                                          वर्तमान में आधुनिकीकरण एवं विकास के नाम पर धरती की धारण क्षमता को आंके बिना, जो कुछ चल रहा है उसने पारिस्थितिक तंत्र को असंतुलित कर दिया है। मौसम में असामान्य परिवर्तन होने लगे हैं। वनों की अंधाधुंध कटाई एवं शहरीकरण पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहा है। प्रदूषण ने ना जाने कितनी बीमारियों को जन्म दिया है। ऐसे प्रदूषण के बीच हमारा जीवन भी दूषित हो गया है। हमारा संपूर्ण देश पर प्रदूषण के शिकंजे में फंस चुका है। ऐसा कोई सा भी देश नहीं जिसमें पर्यावरण प्रदूषण की समस्या ना हो। कारखानों और वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु को जहरीला बनाता जा रहा है। पर्यावरण का शुद्धिकरण करने वाले वनों को समाप्त करके उनके स्थान पर उद्योग एवं नगर बनाए जा रहे हैं। संपूर्ण विश्व में इस प्रदूषण की संकट से जूझ रहा है।


6. समाधान - 

                   अब समय आ गया है जबकि हम संपूर्ण विश्व के निवासियों को इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना होगा। पर्यावरण ह्रास को रोकना जीवन की गुणवत्ता के लिए ही नहीं बल्कि जीवन को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। केवल अपनी आवश्यकताओं को बढ़ाएं जाना ही विकास नहीं होता है। पर्यावरण और मानव समाज के बीच के रिश्ते को बनाए रखना भी अत्यंत आवश्यक है, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब इस पृथ्वी पर जीवन के नाम पर केवल चारों और विनाश होगा। बढ़ते हुए वाहनों में साइलेंसर आवश्यक है। गंदी नालियों की सफाई कराना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। गद्दारों के गंदे पानी और औद्योगिक अपशिष्ट को नदियों में नहीं बहाना चाहिए। आज हमें प्रकृति से नए सिरे से संबंध बनाना होगा। श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा था कि - " धरती को केवल इतना छेड़ो की चीजें उग सकें। इतना मत कुरेदो कि वह रो पड़े।" उगता हुआ पेड़ प्रगतिशील राष्ट्र का प्रतीक है। प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे बड़ा कदम होगा परमाणु परीक्षण को रोकना क्योंकि इससे अनेक रोग फैलते हैं और प्रकृति को भी बहुत ही ज्यादा हानि पहुंचती है।


7. उपसंहार - 

                  पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जनता में जागृति उत्पन्न करना अत्यंत आवश्यक है। पर्यावरण की शिक्षा नवयुवक की शिक्षा का एक अंग होना चाहिए जिससे कि बच्चों में शुरुआत से ही पर्यावरण के प्रति एक लगाव उत्पन्न हो। जनसंख्या और पर्यावरण के बीच अत्यंत गहरा रिश्ता है अर्थात यदि हम पृथ्वी पर जीवन को कई 100 सालों तक बनाए रखना चाहते हैं तो हमें जनसंख्या वृद्धि को कम करने के लिए उपाय ढूंढने होंगे। आज जितना खतरा मानव तथा पर्यावरण को परमाणु अस्त्रों से है, उतना ही खतरा या यूं कहें उससे भी ज्यादा खतरा जनसंख्या वृद्धि एवं पर्यावरण ह्रास से भी है। मानव पर्यावरण का एक दास भी है और मित्र भी है। मित्र का दायित्व होता है कि वह अपने मित्र की रक्षा करें। पेड़ पौधे हम लोगों को जीवनदायिनी ऑक्सीजन देते हैं तथा जहरीली गैस कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी के वायुमंडल से सोख लेते हैं। इसलिए हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह वृक्षारोपण करें और अपने द्वारा लगाए गए वृक्षों का अपनी संतान की तरह पालन पोषण करें।


भारतीय समाज में नारी का स्थान


रूपरेखा - 

1. प्रस्तावना

2. वैदिक काल में नारी

3. प्राचीन काल की नारी

4. मध्य युग में नारी

5. आधुनिक युग और नारी

6. पतन का युग

7. वीरांगनाऐं

8. नारी के विशेष गुण

9. पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव

10. वर्तमान स्वरूप

11. उपसंहार


अपने इस सुने पनकी मैं हूं रानी मतवाली 

प्राणों के दीप जलाकर करती रहती दिवाली

-- महादेवी वर्मा (आधुनिक मीरा)

1. प्रस्तावना -

                    जिस प्रकार तार के बिना बिना और ज्वेलरी के बिना रथ का पहिया बेकार होता है उसी तरह नारी के बिना मनुष्य का सामाजिक जीवन। इस सच्चाई को भारतीय ऋषियों ने बहुत पहले जान लिया था। वैदिक काल में मनु ने यह घोषणा करके कि जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं, नारी की महत्ता प्रतिपादित की है। नारी सृष्टि की आधारशिला है। उसके बिना हर रचना अधूरी है हर काल रंगहीन है। भारत की संस्कृति में नारियों को महिमामय एवं गरिमामय स्थान प्राप्त रहा है।


2. वैदिक काल में नारी -

                                 वैदिक काल में प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान में नारी की उपस्थिति आवश्यक थी। कन्याओं को पुत्रों के बराबर अधिकार प्राप्त थे, उनकी शिक्षा-दीक्षा का समुचित प्रबंध था। मैत्रीय, गार्गी जैसी स्त्रियों की गणना ऋषियों के साथ होती थी। वैदिक काल में परिवार के सभी निर्णय लेने के अधिकार नारी शक्ति को प्रदान किए गए थे।


3. प्राचीन काल की नारी -

                                   कोई भी क्षेत्र नारी के लिए वर्जित नहीं था। वे रणभूमि में जौहर दिखाया करती थी तथापि उनका मुख्य कार्यक्षेत्र घर था। दुर्भाग्य से नारी की स्थिति में धीरे-धीरे परिवर्तन होने लगा ।


4. मध्य युग में नारी - 

                            आगे चलकर भारतीय समाज में नारी की स्थिति बदलती गई। वह केवल भोग्या हो गई पुरुष के राग-रंग का साधन बनकर उसकी कृपा पर जीवित रहना ही उसकी नियति बन गई। जिन स्त्रियों ने वेद मंत्रों की रचना की थी, उन्हें वेद पाठ के अधिकार से वंचित कर दिया गया। जिन्होंने युद्ध भूमि में अपनी शूरता का परिचय दिया था, उन्हें कोमलांगी कहकर चौखट लांघने तक की इजाजत नहीं दी गई। मुस्लिम युग में स्त्रियों पर और भी बंधन लाद दिए गए, क्योंकि विदेशियों की दृष्टि किसी देश की धन संपदा पर ही नहीं, वहां की स्त्रियों पर भी होती थी।


5. आधुनिक युग और नारी -

                                       आधुनिक युग में जब हम पश्चात्य जीवन संस्कृति के अधिक निकट आए, तब हमें लगा कि स्त्रियों की आधी जनसंख्या को पालतू पशु-पक्षियों की तरह बांधकर खिलाते रहना मानवता का बहुत बड़ा अपमान है। स्वतंत्रता से पहले भारतीय समाज में नारी को कोई स्थान प्राप्त नहीं था लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात जब हमारे संविधान में पुरुषों और महिलाओं को बराबर के अधिकार दिए गए तब जाकर इस समस्या में सुधार हुआ है। आज के समय भारतीय समाज में नारी को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। आज हम देख रहे हैं कि भारतीय समाज में स्त्रियों में तेजी से जागृति आ रही है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भारतीय सरकार द्वारा भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं जिनमें मुख्य योजना है 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' इस योजना के कारण भारतीय समाज महिलाओं के प्रति जागरूक होता जा रहा है।


6. पतन का युग -

                        मुस्लिम काल में नारी के सम्मान को विशेष धक्का लगा। वह भोग-विलास की सामग्री बन गई और उसे पर्दे में रखा जाने लगा। उससे शिक्षा व स्वतंत्रता के अधिकार भी छीन लिए गए।


7. वीरांगनाऐं -

                    मुस्लिम युग में पद्मिनी, दुर्गावती, अहिल्याबाई सरीखी नारियों ने अपने बलिदान एवं योग्यता से नारी का गौरव बढ़ाया। सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी को कौन भूल सकता है।


8. नारी के विशेष गुण -

                                भारतीय इतिहास की सारी उथल-पुथल के बाद भी भारतीय नारी के कुछ ऐसे गुण उसके चरित्र से जुड़े रहे, जिनके कारण वह विश्व की नारियों से पूरी तरह अलग रही। नर्मता, लज्जा और मर्यादा ये विशेष गुण है, जो भारतीय नारी को गौरवान्वित करते हैं।


9. पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव -

                                         आज के समय में पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंग की हुई भारतीय नारी तितली बन रही है। अपने परिवार के प्रति कर्तव्यों से दूर होती जा रही है। इसके परिणाम स्वरूप परिवार टूटने लगे हैं। जीवन का सुख खत्म होने लगा है। महिला जागरण के नाम पर भारतीय नारी को उत्तरदायित्व से दूर ले जाया जा रहा है । संतान व परिवार के प्रति वह अपने कर्तव्यों को पूरी तरह से नहीं निभा पा रही है। जो कि किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है।


10. वर्तमान स्वरूप -

                             नारी आर्थिक की दृष्टि से स्वतंत्र हो, शिक्षित हो, पुरुष की दासता से मुक्त हो यह अच्छी बात है, किंतु स्वतंत्रता की अति ना पुरुष के लिए अच्छी है और ना ही नारी के लिए। दोनों को एक-दूसरे का सम्मान करते हुए परिवार और समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।


11. उपसंहार -

                    आज विश्व युद्धों से घबराया हुआ है। हर जगह अशांति है। ऐसे कठिन समय में नारी में उन गुणों के विकास की जरूरत है, जो उसे परंपराओं के द्वारा प्राप्त हुए हैं। वह सभी को खुश देखना चाहती है। वह संघर्ष नहीं, त्याग और ममता की एक प्रतिमा है। वह शक्ति भी है, जो समय आने पर दानवों का विनाश भी करती है। 

        भारतीय नारी ने अपने महत्वपूर्ण भूमिका का पालन हर एक युग में किया है। मैं अपने विशेष गुणों के कारण आज के आधुनिक युग में भी पुरुषों से कंधे से कंधा मिला कर हर क्षेत्र में कार्य कर रही है। यह जरूर हुआ है कि वह बाहरी क्षेत्रों में जितनी प्रगति कर रही है, इतनी कुशलतापूर्वक अपने परिवारिक कर्तव्य में पिछड़ रही है। भारतीय नारी को प्रगति के अनेक पायदान पर चढ़ाने के लिए अभी भी निरंतर प्रयत्न करना है।



प्रश्‍न 24. निम्‍न में से किसी एक विषय पर रूपरेखा लिखिए। 

1. विज्ञान के चमत्‍कार 

2. जल का महत्‍व

3. दीपावली एक पर्व 

4. विद्यार्थी और अनुशासन 


 

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दोस्‍तों जैसा कि आपको पता ही होगा कि आपकी अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2021 अभी शुरू नहीं हुई इसीलिए अभी पीडीएफ अपलोड नहीं कि गई है लेकिन जैसे ही आपकी परीक्ष हो जाएगी उसके बाद आपको पीडीएफ दे दी जाएगी।


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