class 11th Political Science chapter 9 Constitution as a Living Document full solution//कक्षा 11वी राजनीति विज्ञान पाठ संविधान : जीवंत दस्तावेज पूरा हल
NCERT Class 11th Political Science Chapter 9 Constitution as a Living Document Solution
Class 11th Political Science Chapter 9 NCERT Textbook Question Solved
अध्याय 9
संविधान : जीवंत दस्तावेज
★महत्वपूर्ण बिंदु
● जिस संविधान मैं समय अनुसार परिवर्तन अर्थात बदलाव होते रहते हैं उसके जीवन के संविधान की संज्ञा दी जा सकती है।
● कोई भी संविधान अपरिवर्तनीय नहीं होता, समय-समय पर आवश्यकताओं के अनुरूप उसमें बदलाव करने होते हैं।
● भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है जिसे बनाने में संवैधानिक संशोधनों, संसदीय नियमों, न्यायिक फैसलों, कार्यकारी आदेशों तथा संविधान विशेषज्ञों की टिप्पणियों इत्यादि भूमिका का निर्वहन किया है।
● अनुच्छेद 368 के अंतर्गत भारतीय संविधान में संशोधन की दो विधियों का उल्लेख किया गया है।
● हालांकि अन्य विधायकों की तरह संविधान संशोधन विधेयक को भी भारतीय राष्ट्रपति अनुमोदन हेतु भेजा जाता है, लेकिन इस संबंध में राष्ट्रपति को पुनर्विचार का अधिकार नहीं है।
● जहां संविधान संशोधन हेतु दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है वहीं संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन के लिए विशेष बहुमत के साथ राज्यों से परामर्श करना तथा उस पर उसकी सहमति लेना भी जरूरी होता है।
●मार्च 2019 तक भारतीय संविधान में 103 संवैधानिक संशोधन किए जा चुके हैं जबकि प्रथम संशोधन 1950 में हुआ था।
★ पाठन्त प्रश्नोत्तर ★
प्रश्न 1. भारतीय संविधान में संशोधन करने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता क्यों पड़ती है? व्याख्या करें।
उत्तर- भारतीय संविधान संशोधन प्रक्रिया को कठिन बनाने हेतु विशेष बहुमत का प्रावधान किया गया है जिससे संविधान का दुरूपयोग ना किया जा सके । मौलिक अधिकार तथा नीति निर्देशक तत्व यदि कुछ ऐसी संवैधानिक व्यवस्थाएं हैं जिनको संशोधित करने हेतु बहुमत की आवश्यकता होती है। चँकि इनका सरोकार अर्थात संबंध सभी भारतीय नागरिकों से है इसमें संशोधन सभी भारतीयों को प्रभावित करते हैं, अतः इन को संशोधित करने हेतु विशेष बहुमत की जरूरत है।
कुछ संविधानिक संशोधन ऐसे हैं जिनमें संसद के विशिष्ट बहुमत के अनुमोदन से ही संशोधन की प्रक्रिया पूर्ण होती है। संपूर्ण देश से संबंधित होने की वजह से यह जरूरी भी है। राष्ट्रपति के चुनाव एवं उसके निर्वाचन की प्रणाली, संघीय कार्यपालिका की शक्तियों का विस्तार, संघीय एवं राज्य न्यायपालिका, केंद्र शासित क्षेत्रों में उच्च न्यायालय, संघ तथा राज्यों में विधायी, संबंध संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व तथा अनुच्छेद 368 में उल्लेखित संविधान संशोधन की प्रक्रिया उपबंधों इत्यादि के संशोधन होने का प्रभाव संपूर्ण देश पर पड़ता है तथा राष्ट्र की व्यवस्था भी प्रभावित होती है। अतः उनको संशोधित करने हेतु भी विशेष बहुमत की जरूरत पड़ती है।
लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में कोई भी संविधानिक संशोधन ऐसा ना हो जाए जिससे सिर्फ राजनीतिक दलों का स्वार्थ पूर्ण हो रहा होता भविष्य में वह भारतीय शासन व्यवस्था को प्रभावित ना कर दें, इस तत्व को दृष्टिगत रखते हुए भी विशेष बहुमत जरूरी होता है।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान में अनेक संशोधन न्यायपालिका और संसद की अलग-अलग व्यक्तियों का परिणाम रहे हैं। उदाहरण सहित व्याख्या करें।
उत्तर- समय-समय पर न्यायपालिका तथा संसद के बीच संविधान की व्याख्या को लेकर मतभेद उत्पन्न होते रहे हैं। इन मतभेदों की वजह से कई बार संविधान में परिवर्तन भी कर दिए जाते हैं। केसवानंद भारती विवाद मैं संसद की संवैधानिक संशोधन की शक्ति को नियंत्रित कर दिया था। अपने ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम (सर्वोच्च) न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि संसद संविधान के मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं कर सकती है। 42 वें संविधान संशोधन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया था। 42 वें संविधान संशोधन द्वारा किए गए परिवर्तनों को संवैधानिक संशोधनों द्वारा समाप्त कर दिया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ ऐसे फैसले भी किए जो कालांतर मैं संसद के लिए अनु नंदनीय हो गए पूर्णविराम उदाहरणार्थ देश के सबसे बड़े न्यायालय ने यह व्यवस्था दी कि आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो सकता है। उससे स्पष्ट है कि न्यायपालिका तथा संसद के मतभेदों के मध्य अनेक संविधानिक संशोधन किए गए हैं।
प्रश्न 3 अगर संशोधन की शक्ति जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास होती तो न्यायपालिका को संशोधन की वैधता पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। क्या आप इस बात से सहमत हैं ? 100 शब्दों में व्याख्या करें?
उत्तर- हम इस बात से सहमत नहीं है कि अगर संशोधन की शक्ति जनसाधारण द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास होती है, तो न्यायपालिका को उसकी वैधता पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया ना दिया जाए चाहिए। अनेक बार जनप्रतिनिधि जनमत को अनदेखा करते हुए तथा अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से वशीभूत होकर संविधान में संशोधन कर देते हैं। 1970 से 1980 के मध्य कई ऐसे संविधानिक संशोधन हुए जिससे जनसाधारण ही नहीं विपक्षी राजनीतिक दल भी असहमत थे। तत्कालीन परिस्थितियों में यदि न्यायपालिका अपनी सक्रियता नहीं दर्शाती तब भारतीय लोकतंत्र को भारी नुकसान होता। क्योंकि न्यायपालिका संविधान की रक्षक एवं अभिभावक है प्रत्यक्ष कानून तथा प्रशासनिक आदेश को अवैध घोषित कर सकती है, जो संविधान इको बंधुओं के खिलाफ हो। न्यायपालिका सदैव संविधान की मूल संरचना पर विशेष ध्यान देती है, क्योंकि इसके अभाव में संविधान की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
★ परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर ★
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में आपातकाल के दौरान संविधान में कौन कौन से संशोधन किए गए तथा उनका लक्ष्य क्या था?
उत्तर- 1975 में लागू आपातकाल के दौरान संविधान में 38 वा 39 वा तथा 42वां संविधान संशोधन किया गया, जिनका लक्ष्य संविधान के अनेक महत्वपूर्ण प्रावधानों में बुनियादी बदलाव करना था।
प्रश्न 2. 42 वें संविधान संशोधन द्वारा भारतीय संविधान के किन प्रावधानों में परिवर्तन किए गए?
उत्तर- सर्वाधिक विवादित 42 वें संविधान संशोधन द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना के साथ-साथ सातवीं अनुसूची तथा 53 अनुच्छेदों में परिवर्तन किए।
प्रश्न 3. 38वें , 39वें तथा 42वें में विवादास्पद संवैधानिक संशोधनों में किए गए अधिकांश बदलावों को किस संशोधन द्वारा निरस्त कर दिया गया।
उत्तर- 43वें तथा 44वें संविधानिक संशोधन द्वारा निरस्त कर संविधानिक संतूलन को लागू किया गया ।
प्रश्न 4 भारतीय संविधान की संशोधन की कोई दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-(1) भारतीय संविधान के संशोधन विधि कठोर एवं लचीलापन का मिश्रण है।
(2) भारतीय संविधान में संशोधन का कोई भी प्रस्ताव राज्य विधानमंडल प्रस्तुत नहीं कर सकता।
प्रश्न 5. संवैधानिक संशोधन हेतु विशेष बहुमत मेक इन तीन प्रमुख बातों की सम्मिलित किया जाता है।
उत्तर- (1) सदन की कुल संख्या का स्पष्ट बहुमत, (2) सदन में उपस्थित ठीक मतदान करने वाले सदस्यों का दो तिहाई बहुमत तथा (3) यदि संशोधन किए जाने वाला विषय राज्यों को प्रभावित करता है तब आदि विधान सभाओं की स्वीकृति।
प्रश्न 6. 42 वे संवैधानिक संशोधन की आलोचना में कोई दो बिंदु लिखो।
उत्तर- (1)एक आपातकाल के दौरान पारित इस संशोधन को अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल नहीं था।
(2) 42 वें संविधान संशोधन द्वारा राष्ट्रपति की स्थिति को कमजोर किया गया था।
प्रश्न 7. केसवानंद भारती विवाद के महत्व के कोई दो बिंदु लिखिए।
उत्तर- (1) केशवानंद भारती विवाद द्वारा 38 वें तथा 39वें संविधानिक संशोधन को चुनौती दी गई।
(2)भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केसवानंद भारती विवाद में ही संविधान के मौलिक ढांचे की धारणा का प्रतिपादन किया ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. 1985 के 52 बे संवैधानिक संशोधन के कोई चार प्रावधान लिखिए।
उत्तर- 52वें संविधानिक संशोधन जिनका संबंध दलबदल से है के चार प्रमुख प्रावधान निम्न प्रकार है-
(1) यदि किसी सदस्य द्वारा किसी राजनीतिक दल की टिकट पर चुनाव जीतने के पश्चात उस दल को छोड़ दिया जाता है तब उसकी सदन की सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
(2) यदि कोई निर्दलीय (स्वतंत्र) चुनाव जीतने के पश्चात किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाता है तब उसकी सदन की सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
(3) दल बदल कानून के प्रावधान विघटन की स्थिति में लागू नहीं होंगे।
(4) दल बदल के संबंध में अंतिम फैसला स्पीकर द्वारा ही लिया जाएगा।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान को जीवंत दस्तावेज बनाने वाली किन्ही चार प्रथाओं को लिखिए।
उत्तर - भारतीय संविधान को एक जीवंत दस्तावेज बनाने वाली चार प्रथाएं निम्न प्रकार हैं-
(1) प्रदेशों के राज्यपालों की नियुक्ति करते समय केंद्रीय सरकार संबंधित प्रदेश सरकार से परामर्श करती है।
(2) भारतीय संविधान को जीवंत दस्तावेज बनाने बाली एक प्रथा यह भी है कि राज्यपाल उसी राज्य का रहने वाला नहीं होना चाहिए।
(3) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का चयन करते समय उसकी वरिष्ठता को दृष्टिगत रखा जाता है।
(4) संविधान में मंत्रिमंडल के स्थान पर मंत्री परिषद का उल्लेख किया गया है, मंत्रिमंडल प्रथा पर आधारित है।
प्रश्न 3. संविधान के ऐसे कौन कौन से उपबंध हैं, जिनमें भारतीय संसद साधारण बहुमत से ही परिवर्तन कर सकती है?
उत्तर- निम्न उपवधों में संसद अपने साधारण बहुमत से परिवर्तन कर सकती है-
(1) अनुच्छेद 23 एवं चार जो संसद को कानूनी रूप से यह शक्ति देते हैं कि वह नए राज्यों का निर्माण किसी राज्य की सीमा में परिवर्तन अथवा किसी राज्य का नाम परिवर्तन कर सके।
(2) अनुच्छेद 169 (1) के अनुसार राज्य के दूसरे सदन का निर्माण।
(3) अनुच्छेद 100 (2) जिनमें संसद की कोई दवा सा होने तक संसदीय कॉम का प्रावधान है पूर्ण ग्राम
(4) सांसद ओके विशेषाधिकार से संबंध मैं संशोधन ।
(5) अनुछेद पांच जिसमें भारती नागरिकता के संबंध में प्रावधान है।
(6) अनुच्छेद 327, जिसमें भारत में सामान्य निर्वाचन के संबंध में व्यवस्थाएं है।
★ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ★
प्रश्न 1. संविधान के मूल या आधारभूत ढांचे की अवधारणा लिखिए।
उत्तर-
14 अप्रैल 1973 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य विवाद में ऐतिहासिक फैसले देते हुए संविधान के मूल अथवा आधारभूत ढांचे की अवधारणा को प्रतिपादित किया।
संविधान के मूल अथवा आधारभूत ढांचे की अवधारणा का यह अभिप्राय है कि संविधान की कुछ व्यवस्थाएं या उपबंध अन्य व्यवस्थाओं तथा उपबंधओं से अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण है। वे संवैधानिक ढांचे के आधार स्वरूप हैं तथा इनका उल्लंघन संविधान की मूल भावना के उल्लंघन के समान होगा।
'गोरखनाथ बनाम पंजाब राज्य' विवाद का निस्तारण करते हुए 1967 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था की की संविधान में किसी संसद द्वारा ऐसा कोई संशोधन नहीं किया जा सकता जिससे कोई मूल अधिकार छीना जाता हो अथवा उसमें कोई कमी आती हो।
जब 24वें संवैधानिक संशोधन को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई तो सर्वोच्च न्यायालय ने गोरखनाथ विवाद में दिए गए फैसले को पलट दिया। न्यायालय द्वारा यह निर्णय सुनाया गया कि संसद को मौलिक अधिकार सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन इससे संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। यहां यह उल्लेखनीय है कि न्यायपालिका आज तक यह निर्धारित नहीं कर सकी है कि संविधान के मूल ढांचे में कौन से तत्व सम्मिलित हैं