class 11th history chapter 1 समय की शुरुआत full solution

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class 11th history chapter 1 समय की शुरुआत full solution//कक्षा 11वी इतिहास पाठ 1 समय की शुरुआत से हल

 अनुभाग 1 : प्रारम्भिक समाज

1.1 समय की शुरुआत से

संक्षेप में उत्तर दीजिये - 

प्रश्न 1. नीचे दिए गए सकारात्मक प्रतिपुष्टि (positive feedback mechanicsm) व्यवस्था को दर्शाने वाले आरेख को देखिये। क्या आप उन निवेशों ( inputs ) की सूची दे सकते हैं जो हथियारों के निर्माण में सहायक हुए। औजारों के निर्माण से किन-किन प्रक्रियाओं को बल मिला।




उत्तर - औजारों के निर्माण में सहायक निवेश - 

( 1 ) मस्तिष्क के आकार और उसकी क्षमता में वृद्धि होना।

( 2 ) औजारों के प्रयोग के लिए बच्चों और अपने सामान को ले जाने के लिए मानव के हाथों का मुक्त होना।

( 3 ) मानव का सीधे खड़े होकर चलना।

( 4 ) आंखों की निगरानी, भोजन और शिकार की तलाश में लंबी दूरी तय करना।


औजारों के निर्माण से किन प्रक्रियाओं को बल मिला - 

( 1 ) शिकार करना आसान हो गया।

( 2 ) औजारों के माध्यम से मांस को साफ करके, उसे सुखाकर, सुरक्षित रखा जाने लगा।

( 3 ) हथियारों तथा औजारों के निर्माण में समुरदार जानवरों का पकड़ा जाना, उनके रोएँदार खाल का कपड़े की तरह प्रयोग होने लगा।

( 4 ) हड्डी, सिंह, हाथी, दांत या लकड़ी पर नक्काशी करना यह कुरेदना अब संभव हो गया।


प्रश्न 2. मानव और लंगूर तथा वानरों जैसे स्तनपायियों के व्यवहार तथा शरीर रचना में कुछ सामान्यताएँ पाई जाती हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि संभवत मानव का क्रमिक विकास वानरों से हुआ। ( क ) व्यवहार और ( ख ) शरीर रचना शीर्षक के अंतर्गत दो अलग-अलग स्तंभ बनाइए और उन समान्यताओं की सूची दीजिए। दोनों के बीच पाए जाने वाले उन अंतरों का भी उल्लेख कीजिए जिन्हें आप महत्वपूर्ण समझते हैं।


उत्तर - 

मानव तथा वानर के बीच व्यवहार तथा शरीर रचना के आधार पर समानताएँ तथा असमानताएँ 


व्यवहार के आधार पर समानताएं - 


मानव

वानर

1. मानव प्रजनन द्वारा अपनी जैसी संतान पैदा करते हैं।

वानर भी ऐसा करते हैं

2. मानव लंबी दूरी तक चल सकता है।

वानर भी लंबी दूरी तक चल सकता है।

3. मनुष्य पेड़ों पर चढ़ सकता है।

वानर भी पेड़ों पर चढ़ सकता है।

4. मानव समाज में माताएं अपने बच्चों को अपना स्तनपान कराकर दूध पिलाती हैं।

मादा वानर भी अपने बच्चों को स्तनपान करा कर दूध पिलाती हैं।

5. माताओं में अपने बच्चों के प्रति प्रेम तथा ममता होती है।

मादा वानरों में भी ममता तथा प्रेम अपने बच्चों के प्रति होता है


व्यवहार के आधार पर असमानताएं -


मानव

वानर

1. मानव सीधे खड़ा हो कर दो पैरों पर चल सकता है।

वानर झुककर चार पैरों पर चलता है।

2. मानव औजार तथा हथियार बनाता है।

बानरा औजार तथा हथियार नहीं बनाता है।

3. मानव खेती कर अपने भोजन के लिए अनाज उगाता है।

वानर ऐसा नहीं करता।


शरीर रचना के आधार पर समानता - 


मानव

वानर

1. मानव रीढ़धारी है।

वानर भी रीढ़धारी है।

2. मादा मानव के स्तन होते हैं।

मादा वानर के भी स्तन होते हैं।

3. मानव चौपाया होता है उसके दो हाथ तथा दो पैर होते हैं।

बैनर भी चौपाया होता है।


शरीर रचना के आधार पर समानता - 


मानव

वानर

1. मानव के पूछ नहीं होती है।

वानर के पूछ होती है।

2. मानव का शरीर बड़ा होता है।

वानरों का शरीर अपेक्षाकृत छोटा होता है।


प्रश्न 3. मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल के पक्ष में दिए गए तर्कों पर चर्चा कीजिए। क्या आपके विचार से यह मॉडल पुरातात्विक साक्ष्य का युक्ति-युक्त स्पष्टीकरण देता है?

अथवा

निरंतरता मॉडल और प्रतिस्थापन मॉडल में अंतर स्पष्ट कीजिए।


उत्तर - आधुनिक मानव का उद्भव कहां हुआ और उसकी उत्पत्ति का केंद्र कहां था आज भी इसकी खोज करना जटिल समस्या है। इस प्रश्न पर आज भी विवाद चल रहा है किंतु इस समस्या के समाधान हेतु तो मत सामने आए हैं


 



( 2 ) प्रतिस्थापन मॉडल - प्रतिस्थापन मॉडल के अनुसार, मनुष्य की उत्पत्ति एक ही स्थान पर अर्थात अफ्रीका में हुई थी। वहीं से धीरे-धीरे विश्व के अन्य देशों में फैला है। आधुनिक मानव के जो जीवाश्म इथियोपिया में मिले हैं, वे इस मत का समर्थन करते हैं। इस बात का समर्थन करने वालों ने निम्न विचार व्यक्त किए हैं -

( i ) मनुष्य के सभी पुराने रूप चाहे वे कहीं भी थे, बदल गए और उनका स्थान पूरी तरह आधुनिक मानव ने ले लिया।


( ii ) आधुनिक मानव में समानता इसलिए पाई जाती है कि उनके पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात अफ्रीका में उत्पन्न हुए और वह इसे अन्य स्थानों पर गए।


( iii ) आज के मनुष्य के लक्षण भिन्न-भिन्न है, क्योंकि उनके बीच क्षेत्रीय अंतर पाया जाता है।


( 2 ) क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल - क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल के अनुसार मानव की उत्पत्ति अलग-अलग स्थानों पर हुई है। विभिन्न प्रदेशों में रहने वाले होमोसेपियंस का आधुनिक मानव के रूप में विकास धीरे-धीरे अलग-अलग गति से हुआ है। इसके परिणाम स्वरूप आधुनिक मानव विश्व के विभिन्न स्थानों में विभिन्न रूप में दिखाई देता है।


प्रश्न 4. इनमें से कौन सी क्रिया के साक्ष्य व प्रमाण पुरातात्विक अभिलेखों में सर्वाधिक मिलते हैं? 


उत्तर - संग्रहण में आग का प्रयोग तथा औजार बनाने में से औजार बनाने के साक्ष्य पुरातत्व अभिलेखों में अच्छी प्रकार से दिए गए हैं। पत्थर के औजार बनाने तथा उनका प्रयोग किए जाने के प्राचीन साक्ष्य केन्या तथा इथोपिया में मिले हैं। ए नजारों का संभवत प्रयोग ऑस्ट्रेलोपीथिकस



(australopithecus) ने किया था। संग्रहण और आग के प्रयोग के साक्ष्य ज्यादा नहीं मिले, जितने औजार बनाने के मिलते हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि पत्थर के औजार स्त्री-पुरुष दोनों अपने-अपने प्रयोग के आधार पर बनाते थे।

लगभग 35000 वर्ष पहले जानवरों को मारने के तरीकों में सुधार हुआ, इसका प्रमाण यह है कि फेंक कर मारने वाले भालों तथा तीर कमान जैसे नए किस्म के औजार बनाए जाने लगे। इस युग में पंच ब्लेड तकनीक की सहायता से निम्न प्रकार के पत्थर औजार को तैयार किया जाता होगा -


 

चित्र 1.3 पंच ब्लेड तकनीक -

( 1 ) एक बड़े पत्थर के ऊपरी सिरे को पत्थर के हथौड़े की सहायता से हटाया जाता है। 

( 2 ) इससे 1 चपटी सतह तैयार हो जाती है जिसे प्रहार मंच यानी घन कहा जाता है।

( 3 ) पर इस बार हड्डि या सींग से बने हुए पंच और हथौड़ी की सहायता से प्रयोग किया जाता है।

( 4 ) इससे धारदार पट्टी बन जाती है जिसका चाकू की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है उनसे एक तरह की छेनियां बन जाती हैं जिन से हड्डी, सींग, हाथी दांत या लकड़ी को उकेरा जा सकता है।

( 5 ) हड्डी पर नक्काशी का नमूना। इस बार अंकित है जानवरों के चित्र देखिए।


ओल्डुवई से मिले प्रारंभिक औजारों में एक औजार गड़ासा भी है, जिसके सल्फ़ों को निकालकर धारदार बना दिया गया है। यह एक प्रकार का हस्त कुठार है। इन प्रारंभिक औजारों के आधार पर विद्वानों ने प्रागैतिहासिक काल को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया है - 


( 1 ) पुरापाषाण काल - पुरातत्वविदों ने अनेक स्थानों, तिलों, खंडरों की खुदाई करवाई। इनसे पुरा पाषाण काल के औजार मिले। इनमें गड़ासे, शल्फ, कुल्हाड़ी, दराँती, खुरचनियाँ प्रमुख थे। इस काल के औजार भद्दे और भोंडे होते थे। प्राय: पत्थरों के टुकड़ों को तोड़कर हजारों का रूप दिया करते थे।


( 2 ) मध्य पाषाण काल - इस काल में प्राचीन पाषाण काल से अच्छे औजार बनाने लगे थे। इस काल के लोग पत्थर को घिसकर औजार बनाते थे। अनेक स्थानों की खुदाई में तीरों के फल मिले हैं। इन फलों को लकड़ी तथा हड्डी की डंडी में आगे फंसा कर प्रयोग किया जाता था। खुदाई में ब्लेड, प्वाइंटरकेयर,इन्वेयर तथा क्रेसेंट नामक पत्थर के औजार मिले हैं। इस काल के लोग छोटे हथियार भी बनाते थे, जिन्हें लघु अश्क कहा जाता था। 


( 3 ) नव पाषाण युग -  नव पाषाण काल के औजार मध्य पाषाण के औजारों तथा हथियारों से अच्छे होते थे। ऐसी ओके के आते-आते मानव ने अपने औजारों को घिसकर चकना और तेज करना सीख लिया था। इन्होंने हथियारों तथा औजारों पर पॉलिश करना भी सीख लिया था। एशिया के के महत्वपूर्ण औजार पत्थर की चिकनी कुल्हाड़ी, हंसियां, तीर- कमान आदि थे।





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