विभाषा और बोली में अंतर/vibhasha or boli me antar

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 विभाषा और बोली में अंतर/vibhasha or boli me antar 


नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी इस पोस्ट में इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं विभाषा और बोली में अंतर/vibhasha or boli me antar यह अंतर आपकी परीक्षाओं के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है और आपकी हिंदी की जानकारी के लिए भी बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है तो ऐसे पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें


विभाषा -

              बोली का अर्द्ध विकसित वह रूप जिसमें साहित्य आदि रचा जाने लगता है, उसे विभाषा कहते हैं जैसे - ब्रज और अवधि ।


1.विभाषा बोली का अर्ध विकसित रूप होता है।


2.विभाषा में साहित्य तो रहता है परंतु उसे महत्ता प्राप्त नहीं हो पाती है।


3.विभाषा का क्षेत्र सीमित होता है।


4.विभाषा केवल साहित्य तथा बोलचाल तक ही सीमित होती है।


5.उदाहरण - ब्रज, अवधि ।


बोली -

            जब किसी एक भाषा के अंदर बहुत  उसी भाषा के बहुत सारे अलग-अलग रूप विकसित हो जाते हैं, तो उन्हें बोली कहते हैं।


बोली की विशेषताएं - 


1. बोली का क्षेत्र सीमित होता है।


2. बोली में साहित्य का निर्माण नहीं होता है अर्थात बोली में साहित्य का अभाव होता है।


3. बोली स्थानीय और घरेलू होती है। अतः इसका प्रयोग एक निश्चित स्थान प्राप्त किया जाता है।


4. बोली साहित्यक नहीं होती है।


5. इसकी शब्दावली सीमित होती है।


6. बोली को राज्य की मान्यता प्राप्त नहीं होती है।


विभाषा और बोली में अंतर - 


विभाषा

बोली

1.विभाषा एक विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती है।

बोली का क्षेत्र स्थानीय या सीमित होता है।

2. विभाषा में साहित्य की रचना होती है।

बोली में प्रायः साहित्य का अभाव होता है।

3. विभाषा शिक्षा का माध्यम हो सकती है।

बोली शिक्षा का माध्यम नहीं हो सकती है।

4. विभाषा प्रादेशिक स्तर तक सीमित है।

बोली स्थानीय क्षेत्र तक सीमित है।

5. विभाषा को राज्य की मान्यता हो सकती है।

बोली को राज्य की मान्यता नहीं होती है।






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