Cancer kise kahte hai / कैंसर किसे कहते हैं

Manojkushwah
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Cancer kise kahte hai / कैंसर किसे कहते हैं / cancer ke prakar



Cancer kise kahte hai


प्रश्न:- कैंसर किसे कहते हैं। कैंसर का विस्तार से वर्णन कीजिए?


उत्तर:-1. कैंसर की परिभाषा:- कैंसर एक प्रकार की बीमारी है जो ऊतकों की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि के कारण होती है " कैंसर एक प्रकार की असंगठित ऊतक वृद्धि की बीमारी है जो कोशिकाओं में अनियंत्रित विभाजन तथा विकास के कारण होती है।" ऊतकों मैं अति वृद्धि के कारण कैंसर गिल्टी या  ट्यूमर(Tumor) के रूप में दिखाई देता है। कैंसर उन सभी अंगों में हो सकता है जिनकी की कोशिकाएं विभाजन की क्षमता रखती हैं, लेकिन सामान्यतः  यकृत(Liver) तथा मस्तिष्क में नहीं होता क्योंकि वयस्क अवस्था में इनकी कोशिकाओं में प्रायः विभाजन की क्षमता नहीं पाई जाती है।



2. ट्यूमर(Tumour):- असामान्य स्थिति में जब कोशिकाओं का विभाजन अनियंत्रित हो जाता है तब इसके परिणाम स्वरूप कोशिकाओं का अनियमित गुच्छा बन जाता है इस अनियमित कोशिकाओं के गुच्छे को कैंसर ट्यूमर(Tumour), कैन्सीरम वृद्धि(Cancerous growth) या नियोप्लास्टिक वृद्धि(Neoplastic growth) कहते हैं तथा जिन कोशिकाओं के अंदर यह अनियंत्रित वृद्धि पाई जाती है उन्हें नियोप्लास्टिक(Neoplastic) या कैन्सीरस कोशिकाएं(Cancerous) कहते हैं।


3. ट्यूमर के प्रकार(Types of Tumours):- फैलने की विधि के आधार पर कैंसर दो प्रकार का हो सकता है-


(1) संघातिक ट्यूमर(Benign tumour):- यह कैंसर शुरू में धीमी परंतु बाद में तीव्र गति से विकसित होती है ,लेकिन यह शरीर के निश्चित भाग तक ही सीमित रहता है इसे सांघातिक ट्यूमर(Benign tumour) कहते हैं यह कम खतरनाक होता है।


(2)दुर्दान्त ट्यूमर(Malignant tumour):- यह कैंसर एक निश्चित जगह पर पाया तो जाता है लेकिन अपनी परिपक्व अवस्था में शरीर के अन्य अंगों में भी फैलने लगता है। वास्तव में ऐसे कैंसर की गिल्टी अपनी अंतिम अवस्था में टूटकर रुधिर या लसीका द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों तक जाती है तथा वहाँ की कोशिकाओं को अतिवृद्धि के लिए प्रेरित करती है। इस प्रकार के कैंसर को मेटास्टैटिक (Metastatic) कहते हैं यह अत्यंत खतरनाक होता है। ये मृत्यु का कारण बनते हैं।


4.सांघातिक ट्यूमर और दुर्दान्त ट्यूमर में अंतर




    सांघातिक ट्यूमर

(Benign tumor)

    दुर्दान्त ट्यूमर

(Malignant tumor)

1

यह हानिरहित( नॉन- कैंसरस) या कैंसरजन्य नहीं होता है।

यह हानिकारक(कैंसरस )होता है अर्थात कैंसरजन्य होता है।

2

यह अपने उत्पत्ति स्थल तक ही सीमित रहता है।

यह शरीर के अन्य भागों में पहुंच सकता है।

3

इसकी वृद्धि धीमी गति से होती है।

इसकी वृद्धि तेज गति से होती है।

4

इससे शरीर को कम क्षति पहुंचती है।

इसके द्वारा शरीर को अनियंत्रित क्षति पहुँचती है जिसके कारण मृत्यु हो सकती है।

5

इसमें मेटास्टैसिस नहीं होता है।

इसमें मेटास्टैसिस होता है।


     

5. कैंसर के प्रकार(Types of Cancer) :- आज विश्व के लाखों लोग कैंसर से पीड़ित हैं जिनमें से अधिकांश मृत्यु का दरवाजा खटखटा रहे हैं लेकिन इन सभी मरीजों में एक प्रकार के लक्षण परिलक्षित नहीं होते क्योंकि आज तक लगभग दो सौ प्रकार के कैंसर  का पता लगाया जा चुका है इन्हें हम निम्न वर्गों में वर्गीकृत करते हैं-


(1) कार्सिनोमा(Carcinomas):- इनकी उत्पत्ति उपकला ऊतक से होती है यह कैंसर ठोस गिल्टी या ट्यूमर के रूप में तंत्रकीय ऊतकों,  शरीर की उपकला ऊतकों तथा इनसे संबंधित ग्रंथियों में पाया जाता है। मस्तिष्क, सीने ,त्वचा तथा ग्रैव प्रदेश(Cervical region) में हो सकता है। लगभग 85% कैंसर इसी प्रकार के होते हैं।


(2) सार्कोमास(Sarcomas):- यह संयोजी उत्तक का कैंसर होता है। लगभग 2% कैंसर  इसी प्रकार का होता है।


(3) लिम्फोमास(Lymphomas):- इस प्रकार के कैंसर में लसीका गाँठें(Lymph nodes) तथा प्लीहा (Spleen) अधिक मात्रा में लिंफोसाइट्स बनाती है। मानवों में पाया जाने वाला लगभग 5% कैंसर इसी प्रकार का होता है।


(4) ल्यूकेमिया(Leukemia):- रुधिर कोशिकाओं में पाया जाने वाला कैंसर होता है इसे रुधिर कैंसर(Blood Cancer) भी कहते हैं लगभग 4% कैंसर इसी प्रकार का होता है।



उपयुक्त प्रकारों के अलावा भी कुछ विशेष प्रकार के कैंसर पाए जाते हैं जो निम्नलिखित हैं-



(1) मेलैनोमास(Melanomas):- ये वर्णक कोशाओं(Pigment cells) में गिल्टी रूप में होता है।


(2)ग्लियोमास(Gliomas):- यह कैंसर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की अवलम्बन कोशाओं में पाया जाता है


(3) टीरैटोमास(Teratomas):- यह कैंसर विविध प्रकार के कोशिका भिन्नन के कारण उत्पन्न होता है तथा भ्रूणीय विकास से संबंधित होता है।



6. कैंसर के कारण:- कैंसर के निम्नलिखित कारण हैं-


(1) जीन में उत्परिवर्तन होने से कैंसर हो सकता है।


(2) विषाणु का संक्रमण से भी कैंसर हो सकता है।


(3) संक्रमण के कारण डिफेक्टिव श्वसन एवं उपापचय।


(4) हॉर्मोन असंतुलन होना।


(5) ऊतकों का निरंतर भौतिक रगड़ कैंसर का कारण हो सकती है।


(6) एक्स-रे पराबैगनी किरणे यदि अधिक मात्रा में शरीर में पहुंचे तो कैंसर हो सकता है।


7. कैंसर के लक्षण:- कैंसर के लक्षण निम्नलिखित हैं-


(1) घाव का न भरना।


(2) असाधारण और बार-बार रक्त स्त्राव का होना।


(3) वजन में लगातार कमी होना।


(4) गले में लगातार कफ का बना रहना।


(5) मस्सों एवं तेल के रंग तथा आकार में अचानक परिवर्तन का होना।


(6) बार-बार अपच होना तथा खाने की चीजों को निगलने में परेशानी होना।


(7) किसी भी अल्सर का इलाज के बाद भी ठीक न होना।


 8. कैंसर का निदान :- यद्यपि बहुत से वैज्ञानिक कैंसर के अध्ययन में लगे हैं लेकिन वे अब तक इसका सही और निश्चित समाधान नहीं खोज सके हैं लेकिन प्रारंभिक अवस्था में ही पता चल जाने पर  शल्यक्रिया(Surgery), विक्रण उपचार( रेडियम तथा कैल्शियम फास्फोरस के समस्थानिकओं का प्रयोग करके) तथा रासायनिक उपचार से इसका इलाज किया जा सकता है कैंसर के विकसित अवस्था में पता चलने पर यह सभी तरीके कारगर नहीं रहते हैं वैज्ञानिकों ने एक सामान्य पौधें कैथेरेन्थेस रोजियस या सदाबहार से ल्यूकेमिया या रुधिर के कैंसर के इलाज के लिए विनकक्रिस्टिन (Vincristin) और विनब्लास्टिन(Vinblastin) नामक दो दवाओं का आविष्कार किया है, परंतु अभी तक कैंसर के शत-प्रतिशत इलाज का पता नहीं चल सका है उपर्युक्त उपचार केवल कैंसर के प्रभाव को कम करते हैं या जब यह प्राथमिक अवस्था में होता है तभी इसको ठीक कर सकते हैं।


9. सामान्य कोशिका और कैंसर कोशिका में अंतर



  सामान्य कोशिका

    कैंसर कोशिका

1.

सामान्य कोशिका में कोशिकाओं की वृद्धि नियंत्रित रहती है।

कैंसर कोशिका में कोशिकाओं की वृद्धि अनियंत्रित रहती है।

2.

सामान्य कोशिकाएँ रक्त वाहिकाओं को प्रभावित नहीं करती हैं।

कैंसर कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती हैं।

3.

सामान्य कोशिकाएँ ऊतक का निर्माण करती हैं।

कैंसर कोशिकाएँ ट्यूमर का निर्माण करती है।

4.

सामान्य कोशिका मानव शरीर के लिए लाभदायक होती है।

कैंसर कोशिका मानव शरीर के लिए नुकसानदायक होती है।




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