विज्ञान के चमत्कार निबंध/vigyan ke chamatkar
विज्ञान एक वरदान या अभिशाप
यह समय विज्ञान का सब भाँति पूर्ण समर्थ
खुल गए हैं गूढ़ संस्कृति के अमित गुरु अर्थ।
चीरता तमन को सँभाले बुद्धि की पतवार
आ गया है ज्योति की नवभूमि में संसार ॥
प्रस्तावना - पृथ्वी पर मानव ने जब से पदार्पण किया है तब से लेकर आज तक मानव ने विज्ञान के क्षेत्र में जो प्रगति की है उसे को देखकर आज हम आश्चर्यचकित हैं। आज के युग को वैज्ञानिक युग की संज्ञा दी जाती है। चारों ओर विज्ञान का आधिपत्य है। आज प्रकृति, विज्ञान की दासी बन गई है। आज मानव परमाणु युग में प्रवेश कर चुका है। आज हमारे मकान, कपड़े, भोजन, यातायात के साधन, उद्योग-धन्धे, युद्ध की प्रणाली सभी में बदलाव आ गया है। प्राचीन आखेट युग और आज के युग में जमीन आसमान का अन्तर आ गया है। समस्त सृष्टि यंत्रों की भाँति विज्ञान व के संकेत पर कार्य कर रही है।
मानव ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नये-नये आविष्कार किए हैं। इस शताब्दी में विज्ञान ने भारी प्रगति की है और संसार का नक्शा ही बदल दिया है। विज्ञान ने हमारी बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति की है। उसने मानव जीवन खुशहाल बनाया है। उसने अंधे को आँखें, बहरे को कान, पंगु को पैर दिये हैं और मनुष्य को पक्षियों के समान उड़ने की सुविधा दी है। मनुष्य जल पर भी चल सकता है। वैज्ञानिक उपकरणों के सहारे आज हम सैकड़ों मील दूर बैठे हुए अपने किसी मित्र से बातचीत कर सकते हैं।
विज्ञान : एक वरदान - आज विज्ञान के द्वारा बड़ी से बड़ी है और छोटी-से छोटी नित्य प्रति की आवश्यकताओं की पूर्ति हो रही को है। विज्ञान के द्वारा अनेक यातायात के साधन सुलभ हुए हैं। आज मनुष्य पक्षियों की भांति वायुयान से आकाश में उड़ रहा है और महीनों का मार्ग घण्टों में तय कर लेता है। साइकिल, मोटर साईकि ल, स्कूटर, कार रेल आदि से मानव को सुविधा हो गई है। टेलीफोन, वायरलैस, मोबाईल फोन द्वारा मनुष्य हजारों मील दूर बैठे अपने मित्र व संबंधी से वार्तालाप कर सकता है। टेलीग्राम से संदेश भेज सकता है। आज विज्ञान के द्वारा दुनिया सिकुड़कर छोटी हो गई है। विज्ञान ने हमारी शिक्षा, संस्कृति, रहन-सहन, उद्योग-धंधों आदि पर विशेष प्रभाव डाला है।
स्वास्थ्य - विज्ञान ने स्वास्थ्य चिकित्सा के क्षेत्र में आश्चर्यजनक लाभ पहुँचाया है। विज्ञान के द्वारा मनुष्य के शरीर के भीतर की बीमारियों पर काबू पा लिया गया है। आज हमें हैजा, प्लेग, मलेरिया, चेचक आदि से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं हैं। एक्स-रे मशीन के माध्यम से अज्ञात रोगों का पता लगाकर उनका निदान सम्भव हो गया है। आज कैंसर जैसा भयानक रोग भी असाध्य नहीं रह गया है।
कृषि और उद्योग - कृषि और उद्योग-धन्धों के विकास में भी विज्ञान ने अत्यधिक सहायता की है। ट्रेक्टर, नलकूप, वैज्ञानिक खाद आदि अनेक वस्तुओं का निर्माण किया गया है जिससे कृषि में आश्चर्यजनक उन्नति हुई है। ऐसे-ऐसे यन्त्रों का आविष्कार हो चुका है जिनसे मानव के श्रम और समय दोनों की बचत हुई है। बीज तथा कीटनाशक दवाओं का भी आविष्कार किया गया है।
शिक्षा और मनोरंजन - शिक्षा तथा मनोरंजन के क्षेत्र में आशातीत प्रगति हुई है। पूर्व में गुरु शिष्य को शिक्षा दिया करते थे, परन्तु आज शिक्षा पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, टेप रिकार्डर, इंटरनेट तथा कम्प्यूटर द्वारा सम्भव हो गई है। टेलीविजन अब घड़ियों के रूप में भी उपलब्ध है। सिनेमा के क्षेत्र में ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि उपवन का दृश्य आने पर फूलों की सुगन्ध भी प्रतीत होने लगे।
जीवनोपयोगी सामग्री - कपड़े बनाने के क्षेत्र में बुनाई की मशीन, प्रेस मशीन, बिजली के पंखे, रेफ्रीजरेटर, हीटर, कूलर, बिजली का प्रकाश, गैस के चूल्हे आदि ऐसे अनेक उपकरणों का आविष्कार हो चुका है जो जीवनोपयोगी सामग्री हैं।
विज्ञान: एक अभिशाप- विज्ञान ने जहाँ हमको कई सुविधाएँ दी हैं वहीं दूसरी ओर विज्ञान की कुछ उपलब्धियाँ मानव जाति के लिये अभिशाप बन गई हैं। आज ऐसे शस्त्रों का निर्माण हो चुका है जिनसे कुछ ही क्षणों में लाखों व्यक्ति लाशों के रूप में परिवर्तित हो सकते हैं। अणु बम तथा हाइड्रोजन बम ऐसे ही विनाशकारी शस्त्र हैं। जापान में हिरोशिमा तथा नागासाकी नगरों का विध्वंस संसार वाले अभी भूल नहीं पाये हैं। आज संसार मृत्यु के कगार पर खड़ा है।
विज्ञान ने बड़ी-बड़ी मशीनों और कारखानों के द्वारा उत्पादन अवश्य बढ़ाया है परन्तु बेरोजगारी, स्पर्द्धा, शोर प्रदूषण आदि समस्यायें भी पैदा की हैं। विज्ञान के कारण भौतिकवाद तथा विलासिता भी बढ़ी है। विज्ञान ने मनुष्य को अनेक प्रकार से लाभान्वित किया है, वहाँ कई प्रकार से अहित भी किया है। अनेक लाभकारी आविष्कारों के साथ उसने भयंकर से भयंकर शस्त्रों का निर्माण किया है। ये अस्त्र-शस्त्र इतने घातक होते हैं कि देखते ही देखते लाखों व्यक्तियों को मौत के घाट उतार सकते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी में अणुबम का दुष्परिणाम हम देख भी चुके हैं। अब तो अणु बम से भी अधिक भयंकर, अधिक विनाशकारी शस्त्रास्त्र बन चुके हैं, जिसका कि विगत वर्षों में हुए युद्ध में इराक तथा बहुराष्ट्रीय सेनाओं ने खुलकर प्रयोग किया था। इस प्रकार इन अस्त्रों के कारण मानवता के लिए जबरदस्त खतरा पैदा हो गया है।
भला-बुरा न कोई रूप से कहलाता है।
दृष्टि-भेद स्वयं दोष-गुण दिखलाता है।
कोई कमल की कली देखता है कीचड़ में
किसी को चाँद में भी दाग नजर आता है।
उपसंहार - वर्तमान युग में बुराईयों का दोष विज्ञान का ही नहीं, विज्ञान के दुरुपयोग का भी है। विज्ञान का दुरुपयोग करके ही मनुष्य नाना प्रकार की समस्यायें उत्पन्न कर रहा है। विज्ञान के द्वारा मनुष्य कई प्रकार से लाभान्वित भी हुआ है। आज आवश्यकता इस बात की है कि मानव विज्ञान का प्रयोग जनहित में करें, विनाश में नहीं।
विज्ञान के चमत्कार निबंध हिंदी
प्रस्तावना - आज के युग वैज्ञानिक चमत्कारों का युग है। मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आज विज्ञान आभर्यजनक क्रांति नादी है में जगह क्रांति रेल मानव समाज की सारी गतिविधिया आज विज्ञान से प्रचलित दुर्जय प्रकृति पर विजय पास करा दे। ज्ञान मानव का भाग्य विधाता बन बैठा है। अज्ञात रहस्य की खोज में उसने आकाश में ऊंचाइयों से लेकर पाताल की गहराई तक ना उसने हमारे जीवन को सभी ओर से इतना प्रभावित कर दिया विज्ञान की आज कोई कल्पना तक नहीं कर सकता है। विज्ञान वरदान या अभिशाप आधा इन दोनों पक्षों पर समयत दृष्टि से विचार करके ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना उचित होगा।
वरदान के रूप में - आधुनिक मानय का संपूर्ण पर्यावरण विज्ञान के वरदान के आलोक से आलोकित है। प्रातः जागरण से लेकर रात के समय तक के सभी क्रियाकलापों विज्ञान द्वारा प्रदर्शित साधनों की सारी संचालित होते हैं। जितने भी साधनों का हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं। ये शब्द विज्ञान के ही वरदान है। इसलिए तो कहा जाता है कि आज का अभिनव मनुष्यन विज्ञान के माध्यम से प्रकृति पर विजय पा चुका है।
(क) यातायात के क्षेत्र में - प्राचीन काल में मनुष्य को लंबी यात्रा तय करने में वर्षों लग जाते थे। किंतु आज रेल मोटर जलपोत वायुयान आदि के अविष्कार से दूर दूर से दूर स्थानी पर अति शी पहुंचा जा सकता है। और परिवान की उन्नति से व्यापार का भी कायापलट से गई है।
(ख) संचार के क्षेत्र में - बेतार बेतार के तार ने संचार के क्षेत्र में जाति ला दी है। आकाशवाणी दूरदर्शन शाप दे दूर भाषा, टेलीफोन मोबाइल फोन आज की सहायता से कोई भी समाचार में विश्व की एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचाया जा सकता है। कृत्रिम उपग्रह ने इस दिशा में और भी चमत्कार कर दिखाया है।
(ग) दैनिक जीवन में - विद्युत के आविष्कारक मनुष्य की दैनंदिन सुख-सुविधाओं को बहुत बड़ा किया है। वह हमारे कपड़े धोती है। उन पर प्रेस करती है। भोजन पकाती है सर्दियों में गर्म और गर्मियों में शीतल जल उपलब्ध कराती है। गर्मी है। गर्मी सर्दी दोनों में समान रूप से हमारी रक्षा करते हैं। आज की समस्या दूर पगलि इसी पर निर्भर है।
(घ) स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में - मानव को भयानक और संक्रामक रोगों से पर्याप्त सीमा तक बचाने का श्रेय विज्ञान को ही है। एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, टेस्ट, एजियोग्राफी आदि क्षेत्रों के माध्यम से शरीर के अंदर के लोगों को पता चलतापूर्वक लगाया जा सकता है। यही नहीं इससे तंत्रहीलों को नेत्रहीनों को कान और अंग्रेजी को अंगना संभव हो सका है।
(ड) औद्योगिक क्षेत्र में - भारी मशीनों के निर्माण ने बड़े-बड़े कल कारखानों को जन्म दिया है जिसमें श्रम समय और धन की बचत के साथ-साथ प्रचुर मात्रा में उत्पादन संभव हुआ है। जिससे विशाल जनसमूह को आवश्यक वस्तुएं सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराए जा सकते है।
(घ) - कृषि के क्षेत्र में - 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाला हमारा देश आज यदि किसी भी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की और अग्रसर हो जाता है। तो यह भी विज्ञान की देन है। विज्ञान की विशाल को समीज एवं विकसित तकनीक रसायनिक खाद कीटनाशक ट्रैक्टर ट्यूबवेल और बिजली प्रदान किया छोट बड़े बांधी का निर्माण करने निकालता भी विज्ञान में सभव हुआ है।
(छ) शिक्षा के क्षेत्र में - मुद्रा यंत्र मंत्र के आविष्कार में बड़ी संख्या में पुस्तकों का प्रकाशत संभव बताया है। इसके अतिरिक्त समाचार पत्रपत्र पत्रपत्रिकाएं आज भी मुद्रण क्षेत्र में हुई क्रांति के फलस्वरूप घर पर पहुंचकर लोगों का मान वर्धत कर रही है।
(ज) मनोरंजन के क्षेत्र में - चलचित्र आकाशवाणी दूरदर्शन आदि प्रसार की मनोरंजन को संस्था और सड़क बनवा मनुष्य को प्रकृति का मनोरंजत सुलभ कराया है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि मैंने जीवन के लिए दिया से बढ़कर दूसरा कोई वरदान नहीं है।
विज्ञान अभिशाप के रूप में - विज्ञान का एक और पृथ्वी और विज्ञान एक असीम शक्ति प्रदान करने वाला तटस्य स्टाफ अन्य अनेक प्रकार से भी जीवन में मानव का अहित किया है विज्ञान में बहुत बहुत इतवारी प्रवृत्ति को प्रेरणा दी है जिसके
परिणामस्वरूप धर्म एवं अध्यात्म से संबंधित विश्वास तोते प्रतीत होने लगे है मानव जीवन के पारस्परिक संबंध भी कमजोर होने लगे है आज विज्ञान के कारण मानव जीवन के खतरों खतरों से परिपूर्ण तथा अशिक्षित भी हो गया है कंप्यूटर में शिक्षा के साधत उपलब्ध कराए हैं। साथ-साथ रोजगार के अवसर भी छीन लिए हैं विद्युत विभाग द्वारा प्रवर्तित देन है परंतु एक का हो। व्यक्ति की लीला समाप्त कर सकता साधन है मानो चाहे जैसे इसका इस्तेमाल कर सकता है सभी जानते है कि उसमें देवी प्रकृति भी है और आसुरी प्रवृत्ति भी समान रूप से जब मनुष्य को देवी प्रगति प्रबल रहती है तो वह मानव कल्याण के कार्य करता है परंतु किसी भी समय मनुष्य की राक्षसी प्रवृत्ति प्रवृत्ति कल्याणकारी विज्ञान इकाई के प्रवक्ता एवं सहायक शब्द का रूप ग्रहण कर सकता है गल विश्व युद्ध से लेकर अब तक मानव ने विज्ञान के क्षेत्र में अतिथि पुण्यतिथि में अदाकार जाता है कि आज विज्ञान की शक्ति पहले की अपेक्षा अपेक्षा बहुत बढ़ गई है। साधनों के विज्ञान एक दिन प्रतिदिन होते जा रहे है नवीन आविष्कारों के कारण मानव पर्यावरण असंतुलन के दृश्य चक्र में भी मर चुका है। सुख सुविधाओं की अधिकता के कारण मनुष्य आदि और आराम तलब बनता जा रहा है जिससे उसकी शारीरिक शब्द का हाल बुरा है अनेक लए तय रोग उत्पन्न हो रहे हैं। तथा उसमें सदी और गर्मी शायरी क्षमता कट गई है। चारों ओर का प्रत्यय युक्त जीवन विज्ञान की देन है और देव प्रगति ने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या खड़ी कर दी है। विज्ञान के इस स्वरूप असंतुलन को रहि में रखकर मानव को चेतावनी देते हुए हैं।
उपसंहार - विज्ञान सच में तलवार है, जिससे व्यक्ति आत्मरक्षा भी कर सकता है। और अताड़ी पत में अपने अंग काटता है। तेज तलवार का नहीं उसका प्रयोग का है। विज्ञान में मानव के समय तक सीमित विकास का मार्ग खोल दिया। जिससे मनुष्य संसार से बेरोजगारी भुखमरी महामारी आदि को समूल नष्ट कर को विश्व को अभिभूत सुख समृद्धि की और से जा सकता है। किंतु यह तभी संभव है। जब मनुष्य का विकास मानव कल्याण की भावना जागे अचानक कोई निर्णय करता है कि विज्ञान वरदान रहने दो या बना दो।