मेसोपोटामिया का इतिहास: History Of Mesopotamia प्राचीन सभ्यता मेसोपोटामिया के बारे में पूरी जानकारी देखें
मेसोपोटामिया की सभ्यता तथा संस्कृति की विशेषताएं
मेसोपोटामिया की सभ्यता तथा संस्कृति की विवेचना कीजिए।
मेसोपोटामिया में कला और विज्ञान के विकास का वर्णन कीजिए।
( 1 ) मेसोपोटामिया के नगर - मेसोपोटामिया में अनेक नगर राज्य थे, जिसमें उर का महत्वपूर्ण स्थान था। इस नगर के एक भाग में मंदिर बने हुए थे, जो पवित्र क्षेत्र कहलाता था। यह एक पहाड़ी के टीले पर बना हुआ था। इसके अलावा वहां पर छोटे-छोटे और भी मंदिर और अनेक एक नगर थे। इन नगरों में मंदिर का जो देवता होता था उसे वे लोग नगर का रक्षक मानते थे।
( 2 ) मेसोपोटामिया की शासन व्यवस्था - राज्य पर पुरोहित वर्ग का अधिक प्रभाव था। किंतु शासक लोग मनमानी नहीं करते थे। वे अपने को देवताओं का प्रतिनिधि मानते थे। इसलिए सम्राट को पटैसी (देवताओं का प्रतिनिधि) कहते थे। सम्राट युद्ध के समय सेना का नेतृत्व करता था। मेसोपोटामिया के प्रत्येक नगर में नागरिकों की एक संसद होती थी, जिसके दो सदन होते थे। एक सदन में नगर के सभी वयस्क पुरुष होते थे और दूसरे सदन में विद्वान तथा कुछ अनुभवी व्यक्तियों को रखा जाता था। शासन के काम में संसद की राय लेना आवश्यक था, किंतु इससे शीघ्र निर्णय लेने में बड़ी कठिनाई होती थी। इसलिए एक शक्तिशाली केंद्रीय सरकार की स्थापना हुई और धीरे-धीरे संसद की व्यवस्था समाप्त हो गई। उसके स्थान पर एक सर्वोच्च अधिकारी की नियुक्ति की गई जिसे पटैशी कहा जाता था।
( 3 ) सामाजिक जीवन - मेसोपोटामिया के समाज में वर्ग भेद था। समाज सामान्यतः तीन भागों में विभाजित था - उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग। उच्च वर्ग में राज्य के साथ शासक, जमींदार, पुरोहित, अधिकारी सम्मिलित थे। मध्यम वर्ग में छोटे व्यापारी, किसान, शिल्पकार दुकानदार तथा निम्न वर्ग में दास सम्मिलित थे। समाज में नारियों की दशा अच्छी थी। यहां के लोग ईटों के मकान बनाते थे तथा सूती, ऊनी कपड़ों का प्रयोग करते थे। यहां के लोग सोने, चांदी के आभूषण पहनते थे। निर्धन लोग तांबे के आभूषण पहनते थे। यहां के लोग शवों को दफनाया करते थे। इस काल में शवों को सुरक्षित करने के लिए लेप किया जाता था। यह शव ममी कहलाते थे।
( 4 ) आर्थिक जीवन - मेसोपोटामिया का प्रदेश उपजाऊ था। यहां के लोगों का प्रमुख पेशा खेती था। गेहूं जौं तथा खजूर प्रमुख उपजें थीं। यहां के लोग बैल, गाय तथा बकरी आदि पशुओं को भी पालते थे। मेसोपोटामिया में उद्योग धंधे उन्नत दशा में थे। यहां के लोग अनेक प्रकार की दस्तकारियाँ भी जानते थे। कपड़ा बनाना उनका मुख्य उद्योग था। उन्हीं कपड़ों का व्यवसाय खूब चलता था। सोना, चांदी, तांबा, कांसा और शीशा आदि अनेक वस्तुएं बनाई जाती थी। कुमार के चाक का प्रयोग सबसे पहले यही हुआ था। चाक से यह लोग बर्तन बनाते थे। यहां पर व्यापार भी उन्नत दशा में था। इनके विदेशों के साथ भी व्यापारिक संबंध थे।
( 5 ) मेसोपोटामिया का विज्ञान - मेसोपोटामिया के लोगों ने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत उन्नति कर ली थी। ज्योतिष विद्या में लोग कुशल थे। बेबीलोनिया के प्रत्येक नगर में एक वैद्यशाला स्थापित की गई थी। उन्होंने एक जन्त्री का भी आविष्कार कर लिया था जिसकी सहायता से वे सूर्य के उदय होने तथा अस्त होने का सही समय बता सकते थे। वे आवश्यकता पड़ने पर एक वर्ष में एक महीना बड़ा कर उसे ठीक कर लिया करते थे। उनके अनुसार 1 मिनट में 60 सेकंड और एक 1 घंटे में 60 मिनट होते थे। यहां के लोगों ने दिन को 24 घंटे में तथा वर्ष को 12 महीनों में बांटा था, जिनके नाम उन्होंने नक्षत्रों के आधार पर रखे थे। वे सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण की भी पहले से भविष्यवाणी कर सकते थे। उन्होंने सूर्य घड़ी व धूपघड़ी के आविष्कार भी कर लिए थे।
( 6 ) मेसोपोटामिया का साहित्य - मेसोपोटामिया का साहित्य विकसित था। जहां पर खुदाई में 50 पात्र और एक शिलालेख मिला है। शिलालेख में उनके बनाए हुए कानूनों का संग्रह है, जो हम्मूराबी विधि संहिता के नाम से प्रसिद्ध है। पुस्तक में मिट्टी की स्लेटों पर लिखकर मंदिरों में रखी जाती थीं। एक महाकाव्य जो 'गिल्गेमीश महाकाव्य' के नाम से प्रसिद्ध है, मैं प्राचीन गाथाएं लिखी हुई हैं। गिलगमिश उनका कोई प्राचीन राजा था। बाबूलियों में सृष्टि रचना तथा महाप्रलय की एक कहानी प्रचलित थी जो एक चट्टान पर लिखी हुई मिली।
( 7 ) हम्मूराबी की विधि संहिता - हम्मूराबी सबसे प्रसिद्ध सम्राट था। शिलालेख में उसके द्वारा बनाए गए कानूनों का संग्रह है जो हम्मूराबी की विधि संहिता के नाम से प्रसिद्ध है।
( 8 ) जिगुरत - प्रत्येक नगर में देवता के लिए किसी पहाड़ी पर मंदिर का निर्माण किया जाता था, जिसे जिगुरत कहा जाता है।
( 9 ) कला एवं शिल्प - मेसोपोटामिया के शिल्पकार स्तम्भ, मेहराब तथा गुंबद बनाने में बड़े कुशल थे। जिगुरत का निर्माण कला का प्रसिद्ध नमूना है। दीवारों पर यहां के कलाकार अनेक चित्र बनाते थे। यहां की कला के नमूने उनकी सुंदर मुद्राएं हैं जो हजारों की संख्या में मिली है। यहां पर मूर्तिकला का काफी विकास हुआ था। मानव की मूर्तियों की अपेक्षा यहां पर जानवरों की मूर्तियां अधिक सजीव हैं। घोड़े, सिंह, गधे, बकरे, कुत्ते, हिरन आदि के चित्र सुंदर हैं।
( 10 ) मेसोपोटामिया की लिपि - यहां की लिपि चित्र प्रधान थी, जिसमें लगभग 300 संकेत थे। यह लोग धातु के कठोर कदमों से मिट्टी की पट्टीयों पर लिखते थे। बाद में इन पट्टीयों को आग में पका लेते थे। खुदाई में इस प्रकार की हजारों पटिया मिली हैं। यहां की लिपि कीलाकार लिपि कहते हैं।
( 11 ) धार्मिक जीवन - मेसोपोटामिया के लोग अनेक देवी-देवताओं की पूजा किया करते थे। इनके देवी देवताओं में तीन प्रमुख थे। ( i ) शमस - यह देवता सूर्य का प्रतीक था, ( ii ) एनलिल, ( iii ) निनलिल। एनलिल एनलिल की पत्नी थी। उसकी भी पूजा होती थी। इसके अलावा अनु (आकाश देवता), नन्नार, चंद्र देवता आदि की भी पूजा होती थी। मेसोपोटामिया के प्रत्येक नगर में एक मुख्य मंदिर होता था। उसमें जिस देवता की मूर्ति होती थी, उसे नगर का संरक्षक माना जाता था। नगर का शासन उसी के नाम से चलता था। मंदिर में एक पुरोहित होता था जो कि मंदिर की देख-रेख करता था। बाबुलियों का मुख्य देवता मांडूक था। ईस्तर नाम की एक देवी थी। ईस्तर का पति ताम्बुज नाम का एक देवता था। इन सभी कि यहां पर पूजा होती थी। बाबुलियों को प्रेतआत्माओं में विश्वास था।
मेसोपोटामिया के शहरी जीवन की विशेषता
शहरीकरण के कारण तथा महत्व पर प्रकाश डालिए
मेसोपोटामिया संस्कृति में शहरी जीवन के महत्व पर प्रकाश डालिए।
मेसोपोटामिया के शहरों के विकास का वर्णन कीजिए।
शहरीकरण के कारण - शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई। इसका प्रमुख कारण यह था कि मेसोपोटामिया का क्षेत्र उपजाऊ था। आत: कृषि उन्नत दशा में थी उपजाऊ क्षेत्र में जनसंख्या का घनत्व बड़ा और वहां धीरे-धीरे शहर बस गए। दूसरे, जल परिवहन की सुविधा होने के कारण व्यापार की वृद्धि हुई। तीसरे, शहरों में श्रम विभाजन से अर्थव्यवस्था का विकास हुआ।
शहरीकरण की विशेषताएं -
( 1 ) शहरों में बड़ी संख्या में लोग रहने के लिए आवास बने।
( 2 ) शहरों अर्थव्यवस्था में खाद उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियां विकसित होने लगीं।
( 3 ) शहरों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ने लगा।
( 4 ) शहरों अथवा कस्बों में लोगों के इकट्ठे रहने से लाभ हुआ क्योंकि शहरी अर्थव्यवस्था में खाद उत्पादन के अतिरिक्त व्यापार, उत्पादन तथा तरह तरह की सेवाओं के कारण मानव का जीवन सुखी और संपन्न बन गया।
( 5 ) शहर गांव ऊपर और गांव शहरों पर निर्भर थे। उनमें आपस में लेन-देन चलता रहता था।
( 6 ) शहरी अर्थव्यवस्था में एक मजबूत सामाजिक संगठन होता था।
( 7 ) मेसोपोटामिया के शहरों में लोग लकड़ी, तांबा, राँगा, चांदी, सोना, सीपी तथा विभिन्न प्रकार के कीमती पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी पार देशों से मंगाते थे और इसके बदले में वे कपड़ा, कृषि जन्य उत्पाद काफी मात्रा में निर्यात करते थे।
( 8 ) मेसोपोटामिया में कौशल परिवहन व्यवस्था थी, परिवहन जल मार्ग से होता था, जो अन्य साधनों से सरल और सस्ता होता था।
( 9 ) पुराने मेसोपोटामिया की लहरें और प्राकृतिक जल धाराएं छोटी-बड़ी बस्तियों के बीच माल के परिवहन का अच्छा मार्ग थी।
( 10 ) मेसोपोटामिया के लोगों का शहरी जीवन संपन्न और सुखी था।
( 11 ) मेसोपोटामिया के लोग अनेक देवी देवताओं को पूजा करते थे। मंदिरों के आसपास का कस्बे या शहर बस जाते थे। प्रत्येक नगर में एक मुख्य मंदिर होता था। उसमें जिस देवता की मूर्ति होती थी, उसे नगर का संरक्षक माना जाता था। नगर का शासन उसी के नाम से चलता था। इसके मुख्य देवता शमाश ( सूर्य देवता ) अनु ( आकाश देवता ), एनलिल ( आकाश देवता ) तथा नन्ना ( चंद्र देवता ) थे।
मेसोपोटामिया की लेखन कला का विकास
( 1 ) ध्वनियों से लेखन कला का विकास - सभी समाजों के पास अपनी एक भाषा होती है, जिसमें उच्चारित ध्वनियां अपना अर्थ प्रकट करती हैं। ऐसे मौखिक या शाब्दिक अभिव्यक्ति कहते हैं। लिखना मौखिक अभिव्यक्ति से उतना अलग नहीं है, जितना हम अक्सर समझ बैठे हैं। जब लेखन या लिपि के विषय में बात की जाती है, तो उसका अर्थ है उच्चारित ध्वनियां, जो दृश्य संकेतों या चिन्हों के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं।
( 2 ) मिट्टी की पट्टीकाएँ - मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टीकाएँ है पाई गई हैं, पहला भाग 3200 ई. पू. की हैं। उनमें चित्र जैसे चिन्ह और संख्याएं दी गई हैं। वहां बैलों, मछलियों और रोटियां आदि की लगभग 5000 सूचियां मिली हैं, जो वहां के दक्षिणी शहर उरुक के मंदिरों में आने वाली और वहां से बाहर जाने वाली चीजों की होंगी।
( 3 ) आपसी लेने ने लेखन कार्य को जन्म दिया - वास्तविकता यह है कि लेखन कार्य तभी शुरू हुआ। जब समाज को अपने लेन-देन का स्थाई हिसाब रखने की जरूरत पड़ी क्योंकि शहरी जीवन में लेनदेन अलग-अलग समय पर होते थे, उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार के माल के बारे में होता था।
( 4 ) कीलाकार लिपि - मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। चिकनी मिट्टी को गीला करके सरकंडे की तीली की तीखी नोक से वह उसके नम चिकनी सतह पर कीलाकार चिन्ह बना देता था। जब यह पट्टीकाएँ धूप में सूख जाती थी तो यह मजबूत हो जाती थी तो उस पर नया अक्षर या चिन्ह नहीं बनाया जा सकता था। इसलिए कोई नई बात या सौदा लिखने के लिए नई पट्टीका बनानी पड़ती थी। यहां की खुदाई में सैकड़ों पट्टीकाएँ मिली हैं। इस पर जिस लिपि का प्रयोग किया गया है उसको कीलाकार लिपि कहा जाता है।
( 5 ) लेखन के प्रयोग का उद्देश्य - लेकिन का प्रयोग हिसाब किताब रखने के लिए ही नहीं बल्कि शब्दकोश बनाने, भूमि के हस्तानांतरण को कानूनी मान्यता प्रदान करने, राजाओं के कार्यों का वर्णन करने और कानून में उन परिवर्तनों का उद्घोष
करने के लिए किया जाने लगा जो देश की आम जनता के लिए बनाए जाते थे।
( 6 ) लेखन प्रणाली - जैसे ध्वनि के लिए कीलाकार चिन्ह का प्रयोग किया जाता था, वह एक अकेला व्यंजन का स्वर नहीं होता था, किंतु अक्षर होते थे इस प्रकार मेसोपोटामिया के लिपिक को सैकड़ों चिन्ह सीखने पड़ते थे और उसे गीली पट्टी पर उसके सूखने से पहले लिखना होता था। लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की आवश्यकता होती थी। इसलिए लिखने का काम अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता था। इस प्रकार कसी भाषा विशेष की ध्वनियों को एक दृश्य रूप में प्रस्तुत करना एक महान बौद्धक उपलब्धि माना जाता था।
मेसोपोटामिया के उर नगर की विशेषता
मेसोपोटामिया के परंपरागत कथाओं के अनुसार, उर एक अत्यंत सुंदर शहर था, जैसे प्राया केवल शहर कहकर ही पुकारा जाता था। उर मेसोपोटामिया का एक ऐसा नगर था जिसकी खुदाई 1930 में व्यवस्थित ढंग से की गई। खुदाई में जो अवशेष मिले, उससे ऐसे नगर की जानकारी मिलती है। उसका विवरण निम्न प्रकार है -
( 1 ) टेढ़ी-मेढ़ी तथा संकरी गलियां - खुदाई में टेढ़ी-मेढ़ी व संकरी अपनी गलियां पाई गई, जिससे यह पता चलता है कि पहिए वाली गाड़ियां वहां के अनेक घरों तक नहीं पहुंच सकती थीं। अनाज के बोरे और ईंधन के गट्ठे संभवतः गधों पर लादकर करो तकला जाते थे। पतली बा घुमावदार गलियों तथा घरों के भूखंडों का एक जैसा आकार ना होने से यह निष्कर्ष निकलता है कि नगर नियोजन की पद्धति का अभाव था।
( 2 ) जल निकासी - नगर में जल निकासी के लिए गलियों के किनारे उस तरह की नालियां नहीं थी, जैसे कि उसके समकालीन मोहनजोदड़ो में पाई गई हैं, बल्कि जल निकासी की नालियों और मिट्टी की नलिकाएं 'उर' नगर के घरों के भीतरी आंगन में पाई गई हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि घरों की छतों पर ढलान भीतर की ओर होता था और वर्षा के पानी का निकास नालियों के माध्यम से भीतर आंगन में बने हॉजों में जाता था। यह संभव इसलिए किया गया था कि एक साथ तेज वर्षा आने पर घर के बाहर की कच्ची नालियां पूरी तरह कीचड़ से ना भर जाए।
( 3 ) घरों की सफाई - लोग अपने घरों की सफाई करके कूड़ा कचरा गलियों में डाल दिया करते थे। वह आने जाने वाले लोगों के पैरों के नीचे आता रहता था, इससे गलियों की सफाई ऊंची हो जाती थी। अतः कुछ समय बाद घर की सतह को भी ऊंचा उठाना पड़ता था, जिससे गली का कूड़ा-कचरा बहकर घरों में ना आ जाए।
( 4 ) खिड़कियों का अभाव - इस काल के मकानों में खिड़कियां नहीं मिली हैं। कमरों के अंदर रोशनी खिड़कियों से नहीं बल्कि उन दरवाजों से होकर आती थी, जो आंगन में खुलते थे। इससे घरों में गोपनीयता बनी रहती थी।
( 5 ) घरों के बारे में अंधविश्वास - धर्म के बारे में कई तरह के अंधविश्वास प्रचलित थे, जिन के विषय में पाई गई शकून - अपशकुन संबंधी बातें पट्टीकाओं पर लिखी मिली हैं, जैसे घर की देहरी ऊंची उठी हुई हो तो वह धन-दौलत लाती है, सामने का दरवाजा अगर किसी दूसरे के घर की ओर ना खुले तो वह सौभाग्य प्रदान करता है, किंतु अगर घर का लकड़ी का मुख्य दरवाजा भीतर की ओर ना खुलकर, बाहर की ओर खुले तो, पत्नी अपने पति के लिए यंत्रणा का कारण बनेगी।
( 6 ) शवों को दफनाना - उर के नगरवासियों के लिए एक कब्रिस्तान था जिसमें शासकों तथा जनसाधारण की समाधियां पाई गई हैं, किंतु कुछ लोग साधारण घरों के परसों के नीचे भी दफनाए हुए पाए गए हैं।
मेसोपोटामिया की अर्थव्यवस्था
मेसोपोटामिया के लोगों का आर्थिक जीवन संपन्न और सुखी था। यहां की भूमि उपजाऊ होने के कारण यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। यहां गेहूं, जौ, मक्का प्रमुख रूप से उगाए जाते थे। यहां के लोगों का दूसरा प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था। इनके पालतू पशुओं में गाय, बैल, भेड़ व बकरी आदि प्रमुख थे। यहां पर उद्योग धंधे भी उन्नत दशा में थे। इनका कपड़ा बुनना मुख्य उद्योग था। सोना, चांदी तांबा, कांसा और शीशा आदि धातुओं की अनेक वस्तुएं यह लोग बनाते थे। यहां के लोग चाक की सहायता से सुंदर बर्तन भी बनाते थे। यहां के लोग विदेशों से व्यापार भी करते थे। यहां के लोग विदेशों से सोना, चांदी, तांबा तथा कीमती लकड़ी आदि विदेशों से मंगाते थे, और अनाज, आभूषण तथा वस्त्र आदि भी विदेशों को भेजते थे।
मेसोपोटामिया में वैज्ञानिक विकास
मेसोपोटामिया में विज्ञान का बहुत विकास हुआ। यहां के लोगों ने गणित, खगोल, ज्योतिष एवं औषधि विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की थी। गणित के क्षेत्र में ष्टदाशमिक प्रणाली का आविष्कार यहीं के लोगों की देन थी। ज्योतिष के क्षेत्र में भी यहां के लोगों ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की थी यहां के लोगों को नक्षत्रों की गति के आधार पर मौसम संबंधी जानकारी का ज्ञान था। यहां के लोगों ने चंद्रमा की गति के आधार पर एक पंचांग ( कैलेंडर ) भी बना रखा था। वे सूर्य व चंद्रग्रहण की भविष्यवाणी भी कर सकते थे। यहां के लोगों ने अनेक प्रकार के रसायनों तथा औषधियों का आविष्कार किया था।
मेसोपोटामिया के साहित्य की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
मेसोपोटामिया में सर्वप्रथम लेखन करना का प्रारंभ हुआ। यहां के बेबीलोनिया में मिट्टी की पट्टीयों पर लिखने की प्रणाली ने साहित्य को विकसित किया। बेबीलोनिया में कहानी, कविता व महाकाव्यों को लिखने की प्रथा प्रचलित थी। 'गिल्गेमिस' उस समय का प्रमुख महाकाव्य था। इस महाकाव्य में सृष्टि की रचना तथा महान बाढ़ का चित्रण किया गया है। असीरिया के लोगों ने बेबीलोनिया के साहित्य को सुरक्षित रखा था। असीरिया के एक पुस्तकालय में पुस्तकों के रूप में 30,000 मिट्टी की बनी तख्तियां प्राप्त हुई हैं। इनमें से अधिकांश तख्तियां सरकारी दस्तावेज के रूप में हैं। असीरिया सभ्यता के लोग 'सुमेरियन' भाषा का प्रयोग करते थे। इनकी लिपि 'कीलाकार लिपि' थी।
मेसोपोटामिया की लेखन कला के विकास को समझाइए।
मेसोपोटामिया में लेखन प्रणाली का प्रचलन 2000 ई. पू. के बाद हुआ। यहां की भाषा तथा लिपि में लिखा पढ़ी होने लगी। मेसोपोटामिया में जो पट्टीकाएँ पाई गई हैं वे लगभग 3200 ई. पू. की हैं। उसमें चित्र जैसे चिन्ह और संख्याएं दी गई हैं। वहां बैलों, मछलियों और रोटियों आदि की लगभग 500 सूचियाँ मिली हैं। लेखन कार्य तभी शुरू हुआ जब समाज को अपने लेनदेन का स्थाई हिसाब रखने की जरूरत पड़ी, क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय पर होते थे। मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। गीली पट्टिकाओं पर लिखकर उसको पका लिया जाता था। उनकी लिपि कीलाकार होती थी और भाषा सुमेरियन होती थी।
मेसोपोटामिया की सभ्यता के सामाजिक जीवन
मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था में एक उच्च या संभ्रांत वर्ग का प्रादुर्भाव हो चुका था। धन दौलत का ज्यादातर हिस्सा समाज के एक छोटे से वर्ग में केंद्रित था। अनेक बहुमूल्य चीजें 'उर' के राजाओं की कब्रों में मिली हैं। कानूनी दस्तावेजों से पता चलता है कि मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार को ही आदर्श माना जाता था। पिता परिवार का मुखिया होता था। विवाह करने की इच्छा के बारे में घोषणा की जाती थी और वधु के माता-पिता उसके विवाह के लिए अपनी सहमति देते थे और विवाह में उपहार दिए जाते थे। वर वधु मंदिर जाकर भेंट चढ़ाते थे। पिता का घर, पशुधन, खेत आदि संपत्ति पुत्रों को देने की प्रथा थी। समाज में स्त्रियों का स्थान सम्मानजनक था।