Class 9th Hindi Varshik Paper 24 March 2022 Download Now
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Class 9th Hindi Varshik Paper 24 March 2022 Download:
दोस्तों जैसा की आपको जानकारी होगी की आपकी वार्षिक परीक्षा शुरू हो चुकी है और साथ ही साथ आपकी विषय की परीक्षा संपन्न कराई जा चुकी है तो इसके बाद अब आपका हिंदी विषय का पेपर होना है तो इस पोस्ट में आपको आपकी वार्षिक परीक्षा के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण प्रश्न देखने को मिलेंगे तो आप इस पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़ें
1. सूरदास किस भक्ति शाखा के कवि हैं -
( अ ) ज्ञानमार्गी शाखा
( ख ) प्रेम मार्गी शाखा
( ग ) कृष्ण भक्ति शाखा
( घ ) रामभक्ति शाखा
उत्तर - ( ग ) कृष्ण भक्ति शाखा
2. स्वर्ण करण रचना है -
( अ ) कबीर
( ख ) सुमित्रानंदन पंत
( ग ) रसखान
( घ ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ( ख ) सुमित्रानंदन पंत
3. प्रबंध काव्य के प्रकार होते हैं -
( अ ) 4
( ख ) 2
( ग ) 3
( घ ) 8
उत्तर - ( ग ) 3
4. सेनापति दुख प्रकट करते हुए बात कर रहा था -
( अ ) नाना साहब से
( ख ) लॉर्ड कैनिंग से
( ग ) अउटरम से
( घ ) मैना से
उत्तर - ( ग ) अउटरम से
5. वर्णों के सार्थक योग को कहते हैं -
( अ ) वर्ण
( ख ) शब्द
( ग ) प्रत्यय
( घ ) निपात
उत्तर - ( ख ) शब्द
6. एकांकी में उमा पात्र का नाम -
( अ ) आभा
( ख ) शोभा
( ग ) दया
( घ ) प्रेमा
प्रश्न ( 2 ) रिक्त स्थान में सही शब्द चुनकर लिखिए -
1. - - - - - - - को हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग माना गया है।
( भक्ति काल / वीरगाथा काल )
उत्तर - भक्ति काल
2. चंदबरदाई प्रसिद्ध - - - - - - - कवि हैं।
( वीरगाथा कालीन / रीतिकालीन )
उत्तर - वीरगाथा कालीन
3. भक्ति काल का प्रारंभ सन - - - - - - - से माना गया है।
( 1318 / 1315 )
उत्तर - 1318
4. ज्ञानमार्गी भक्ति धारा के प्रतिनिधि कवि - - - - - - - हैं।
( जयशंकर प्रसाद / कबीरदास )
उत्तर - कबीरदास
5. मलिक मोहम्मद जायसी का - - - - - - - बहुत प्रसिद्ध महाकाव्य है।
( साकेत / पद्मावत )
उत्तर - पद्मावत
6. - - - - - - - ने वात्सल्य का कोना-कोना झांका है।
( तुलसीदास / सूरदास )
उत्तर - सूरदास
7. मलिक मोहम्मद जायसी - - - - - - - काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं।
( ज्ञानमार्गी / प्रेममार्गी )
उत्तर - प्रेममार्गी
प्रश्न ( 3 ) सही जोड़ी बनाकर लिखिए -
1.
1 रामचरितमानस ( क ) मीराबाई
2 कृष्ण भक्ति ( ख ) वाहे आडंबरों का विरोध
3 सूफी संत ( ग ) तुलसीदास
4 कबीरदास ( घ ) वल्लभाचार्य
5 कृष्ण भक्ति धारा ( ड ) जायसी
6 भूख मीठी की ( च ) 2
7 छंद के प्रकार ( छ ) भोजन मीठी
उत्तर -
1 रामचरितमानस ( ग ) तुलसीदास
2 कृष्ण भक्ति ( क ) मीराबाई
3 सूफी संत ( ड ) जायसी
4 कबीरदास ( ख ) वाहे आडंबरों का विरोध
5 कृष्ण भक्ति धारा ( घ ) वल्लभाचार्य
6 भूख मीठी की ( छ ) भोजन मीठी
7 छंद के प्रकार ( च ) 2
प्रश्न ( 4 ) एक वाक्य में उत्तर लिखिए -
1. सूरदास ने किस की बाल लीलाओं का वर्णन किया है?
उत्तर - कृष्ण की
2. भक्ति काल की राम भक्ति शाखा के प्रमुख कवि कौन है ?
उत्तर - तुलसीदास
3. बीजक किसी रचनाएं हैं?
उत्तर - कबीरदास
4. सगुण भक्ति की कितनी शाखाएं हैं?
उत्तर - दो
5. भक्ति काल के नाम का आधार क्या है?
उत्तर - भक्ति की भावना की प्रधानता
6. वीरगाथा काल में किस काव्य शैली की प्रमुखता है?
उत्तर - प्रबन्ध काव्य शैली
प्रश्न ( 5 ) सत्य / असत्य लिखिए -
1. मीराबाई आदि काल की कवयित्री है।
उत्तर - असत्य
2. जायसी सूफी काव्य परंपरा के कवि हैं।
उत्तर - सत्य
3. कामायनी के रचयिता तुलसीदास है।
उत्तर - असत्य
4. तुलसीदास रीतिकालीन कवि हैं।
उत्तर - असत्य
5. राम भक्ति शाखा के प्रमुख कवि सूरदास है।
उत्तर - असत्य
6.सूरसागर भक्ति काल की रचना है।
उत्तर - सत्य
प्रश्न ( 6 ) वीरगाथा काल की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- वीरगाथा काल की विशेषताएँ -
(i) वीर और शृंगार रस की प्रधानता है।
(ii) युद्धों का सजीव वर्णन किया गया है।
प्रश्न ( 7 ) वीरगाथा काल के प्रमुख चार कवियों के नाम
लिखिए।
उत्तर- वीरगाथा काल के कवि नरपति नाल्ह, चंद बरदाई, विद्यापति, अमीर खुसरो
प्रश्न ( 8 ) आदिकाल को वीरगाथा काल क्यों कहा जाता है?
उत्तर – हिन्दी पद्यं सहित्य का प्रथम काल वीरगाथा काल कहलाता है। इसे चारणकाल, अपभ्रंशकाल, संधिकाल, आविर्थावकाल आदि नामों से संबोधित किया जाता है। इस युग में देश छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। इस युग में वीरों और योद्धाओं में वीर रस का संचार करना ही काव्य का मुख्य उद्देश्य रहा था। अतः वीर रस से पूर्ण गाथाओं का वर्णन किया जाता था। इसलिए इस काल को वीरगाथा काल कहा जाता था।
प्रश्न ( 9 ) वीरगाथा काल के प्रमुख दो कवि व उनकी रचनाओं को लिखिए।
उत्तर– कवि -
1. चंदबरदाई
2. नरपति नाल्ह
रचना -
पृथ्वीराज रासो
बीसलदेव रासो
प्रश्न ( 10 ) भक्तिकाल को स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है?
उत्तर- भक्तिकाल में भाव, भाषा एवं शिल्प की दृष्टि से हिन्दी साहित्य का उत्कर्ष हुआ। भावपक्ष एवं कलापक्ष के उत्कृष्ट रूप के कारण ही भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग कहा जाता है।
प्रश्न ( 11 ) भक्तिकाल के प्रमुख दो कवियों के नाम व उनकी एक-एक रचनाओं को लिखिए।
उत्तर - भक्ति काल के कवि एवं उनकी रचनाएं
( अ ) कबीरदास - बीजक
( ख ) मलिक मोहम्मद जायसी - पद्मावत।
प्रश्न ( 12 ) कवि ने गाँव को हरता जन-मन क्यों कहा है?
उत्तर – वसंत ऋतु के आगमन पर चारों ओर पेड़-पौधों में हरियाली दिखाई दे रही है जिस कारण पूरा गाँव हरा-भरा दिखाई दे रहा है, जैसे मरकत यानी पन्ना नामक रत्न का डिब्बा किसी ने खोलकर रख दिया हो। गाँव की हरियाली हर किसी के मन को मोह रही है, अपनी ओर आकर्षित कर रही है। प्रकृति के मनमोहक दृश्य से परिपूर्ण गाँव जन-मन को हरता है।
प्रश्न ( 13 ) करुण रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर- सहृदय के हृदय में स्थित शोक नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के साथ संयोग हो जाता है तब वहाँ करुण रस की निष्पत्ति होती है।
उदाहरण- सब बंधुन को सोच तजि, तजि गुरु कुल को नेह।
हा सुशील सुत! किमकियो अनंत लोक में गेह।
प्रश्न ( 14 ) हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर– हास्य रस सहृदय के हृदय में स्थित हास्य नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग हो जाता है तो वह हास्य रस कहलाता है।
उदाहरण -
इस दौड़ धूप में क्या रखा आराम करो, आराम करो।
आराम जिन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।
आराम सुधा की एक बूंद, तन का दुबलापन खोती है।
आराम शब्द में छिपा, जो भव बंधन को खोता है।
आराम शब्द का ज्ञाता तो बिरला ही योगी होता है।
प्रश्न ( 15 ) संधि एवं समास में अंतर लिखिए।
उत्तर- संधि एवं समास में अंतर-सन्धि और समास में निम्नानुसार अन्तर होता है
(i) सन्धि में दो वर्णों का मेल होता है, जबकि समास में दो या दो से अधिक पदों का मेल होता है।
(ii) सन्धि का अर्थ है—जोड़ या मेल, जबकि समास का
अर्थ है— संक्षिप्त करने की रचना विधि।
(iii) सन्धि में मिले हुए/परिवर्तित वर्णों को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को 'सन्धि-विच्छेद' कहते हैं। इसके विपरीत समस्त पदों या शब्दों का अलग-अलग करने की प्रक्रिया को 'समास-विग्रह' कहते हैं।
प्रश्न ( 16 ) माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तर- एक घर की मालकिन ने माटी वाली को भाग्यवान बताया तो वह सोचती है कि वह भाग्यवान किस प्रकार हुई। उसके पास तो अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का समय ही नहीं होता, क्योंकि सुबह से शाम तक तो वह अपने काम में ही लगी रहती है। उसके भाग्य में तो निरन्तर काम करना लिखा है। काम न करने पर भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। भाग्य के बारे में तो वह सोचता है जिसके पास पर्याप्त समय हो । अब वह स्वयं को कैसे भाग्यवान मान ले जबकि उसके पास अपने और अपने बूढ़े पति के लिए खाने-पीने की चीजों तक का अभाव है। वह तो प्रत्यक्ष देख रही है कि निरन्तर काम करना तो उसके भाग्य में लिखा है। यदि वह भाग्य के बारे में सोचने बैठ गई तो उसके काम का नुकसान होगा। भाग्य उसे खाने को नहीं दे जाएगा, उसे तो स्वयं मेहनत करके रूखी-सूखी रोटी अपने भाग्य में लिखनी ही पड़ेगी।
प्रश्न ( 17 ) उपरोक्त गद्यांश की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिये -
अंततः इस संस्कृति के फैलाव का परिणाम क्या होगा। यह चिंता का विषय है। हमारे सीमित संसाधनों का घोर अपव्यय हो रहा है। जीवन की गुणवत्ता आलू के चिप्स से नहीं सुधरती। न बहुविज्ञप्ति शीतल पेयों से।
सन्दर्भ- यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'क्षितिज' के पाठ 'उपभोक्तावाद की संस्कृति' से लिया गया है। इसके लेखक श्री श्यामाचरण दुबे हैं।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में उपभोक्तावादी संस्कृति के प्रसार से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में बताया गया है।
व्याख्या—लेखक का कथन है कि संस्कृति-नियंत्रक शक्तियों के कमजोर पड़ जाने के कारण हम दिशाहीन होकर सांस्कृतिक रूप से बिखर गए हैं। इस बिखराब का परिणाम कितना भयावह होगा, यह चिंता का विषय है। जीवन की गुणवत्ता (स्तर में सुधार) आलू के चिप्स, पीजा, बर्गर खाने और शीतल पेयों के सेवन से नहीं होती। विज्ञापनों से भ्रमित होकर हम मान बैठे हैं कि इनके सेवन से हमारा जीवन स्तर सुधर रहा है। यह हमारी विवेकहीनता का प्रमाण है।
प्रश्न ( 19 ) अपने विद्यालय के प्राचार्य महोदय को स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र हेतु एक प्रार्थना पत्र लिखिए।
उत्तर -
सेवा में,
श्रीमान् प्राचार्य महोदय,
शा.उ.मा.वि. इन्दिरा नगर, उज्जैन
विषय – स्थानान्तरण प्रमाण पत्र हेतु ।
मान्यवर महोदय,
सेवा में विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा 10वीं का नियमित छात्र हूँ। मेरे पिता का यहाँ से जावरा के लिए स्थानांतरण हो गया है। इस कारण मैं अपना अध्ययन इस विद्यालय में जारी नहीं रख सकता हूँ। अतः मुझे विद्यालय छोड़ने का प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें। मैंने विद्यालय का शुल्क, पुस्तकें आदि जमा कर दी हैं। कक्षाध्यापक का 'कुछ बकाया नहीं' प्रमाण-पत्र संलग्न है। आपका आज्ञाकारी शिष्य
आशीष
कक्षा..........
दिनांक........
प्रश्न ( 19 ) कोरोनावायरस पर निबंध लिखिए।
उत्तर -
प्रस्तावना- कोरोना वायरस (कोविड 19) एक संक्रामक बीमारी है जो पहली बार एक वायरस के फैलने से सामने आई, र इसकी शुरुआत चीन से हुई चीन में बुहान के हुबोई प्रांत में एक दिसम्बर, 2019 को एक मरीज में इस वायरस के प्रवेश की पुष्टि हुई। आज संसार के लगभग सभी देश इस महामारी की चपेट में हैं। भारत भी इस वायरस से अछूता नहीं रहा, कोरोना का प्रसार भारत में भी हो गया। भारत सरकार ने समय पर ही सजग होकर इसकी रोकथाम के प्रयास शुरू कर दिए।
महामारी के संक्रमण के लक्षण- इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति में कुछ लक्षण प्रकट होने लगते हैं, जैसे बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ आदि। कभी-कभी यह भी देखने में आया कि संक्रमित व्यक्ति को कोई भी लक्षण दिखाई नहीं दिए।
बीमारी का प्रसार - इस बीमारी का संक्रमण मुख्य रूप से हवा की बूँदों के माध्यम से होता है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खांसने से बूँदें दो गज दूर तक जा सकती हैं और स्वस्थ व्यक्ति । इनके सम्पर्क में आकर बीमार पड़ सकता है, इस तरह इस बीमारी का प्रसार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होता है।
बीमारी से बचाव - संक्रमण से बचने के कुछ उपाय बताए गये हैं जो इस बीमारी से बचाव में काफी सहायक हैं—(1) साबुन और पानी से समय-समय पर हाथ धोएँ। (2) मुँह, नाक को अच्छी तरह ढकते हुए मास्क लगावें। (3) संक्रमण से बचने के लिए बाहर आने-जाने पर तथा भीड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। (4) बाहर निकलते समय किसी भी व्यक्ति से दो गज की दूरी बनाएँ। (5) व्यक्ति को अपना स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए नियमित व्यायाम, योग, आसन तथा घूमने का क्रम बनाए रखना चाहिए। (6) सेनेटाइजर का प्रयोग करना चाहिए। (7) इस महामारी से बचाव के लिए टीका (वैक्सिन) लगवाना चाहिए।
कोविड-19 का मानव जीवन पर प्रभाव - कोविड-19 महामारी से आम आदमी भयग्रस्त हो गया है। आर्थिक गतिविधियाँ रुक जाने से बेरोजगारी बढ़ गई है। लोग आपस में मिलने-जुलने में सावधानी बरत रहे हैं। त्यौहारों, उत्सवों पर रोक लगने से मानव-मन खिन्न हो गया है। यह देखा गया है कि लोगों में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। लोग इसे प्राकृतिक प्रकोप मानकर चल रहे हैं। इसलिए प्रकृति के क्रियाकलापों के प्रति लोगों की आस्था बढ़ी है। निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
उपसंहार– विश्व के अन्य देशों के साथ-साथ कोरोना ने भारत में भी जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। सामाजिक दूरी, मास्क आदि ही प्रारम्भिक स्तर पर इसकी रोकथाम का उपचार है। उम्मीद की जा रही है कि इस वायरस का टीका (वैक्सीन) लगने के बाद लोगों को इस महामारी से राहत मिल सकेगी।