MP Board Solutions for class 9 Social Science chapter 5 आधुनिक विश्‍व में चरवाहे

SL Study
0

Class 9th NCERT Sst Chapter 5 Solution// कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान पाठ 5 आधुनिक विश्‍व में चरवाहे का हल 

प्रश्न 1. स्पष्ट कीजिए कि घुमंतु समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ाता है? इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ है?


उत्तर - घुमंतु समुदायों को एक जगह से दूसरी जगह निम्न कारणों से जाना पड़ता है - 

1. घुमंतु समुदायों को अपने जानवरों को मौसमी उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है।


2. जावेद चारागाह की हरियाली खत्म हो जाती थी या इस्तेमाल के काबिल नहीं रह जाती थी तो वे किसी और चारागाह की तरफ चले जाते थे। इस आवाजाही से चारागाह जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से भी बच जाते थे। 


3. कुछ चरवाहे अपनी रोजी रोटी के लिए खेती और व्यापार करने के लिए भी इधर-उधर जाते थे।

    इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को निम्नलिखित लाभ है - 

( क ) यहां उगने वाली तरह-तरह की घास से मवेशियों का पेट भी भर जाता था और उन्हें पौष्टिक खुराक भी मिल जाती है।


( ख ) व्यापारियों के रूप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। यह लोग बहुत दूर-दूर तक चले जाते थे और रास्ते में अनाज और चारों के बदले गांव वालों को खेत जोतने वाले जानवर और दूसरी चीजें बेचते जाते थे। वे जहां भी जाते अपने जानवरों के लिए अच्छे चारागाहों की खोज में रहते।


4. सफर के दौरान चरवाहों को रास्ते में पड़ने वाले गांवों के किसानों से भी अच्छे संबंध बनाने पड़ते थे ताकि उनके जानवर किसानों के खेत में घास चर सकें और उनको उपजाऊ बनाते चलें।


5. पर्यावरणवादी और अर्थशास्त्री अब इस बात को काफी गंभीरता से मानने लगे हैं कि घुमंतू चरवाहों की जीवन-शैली दुनिया के बहुत सारे पहाड़ी और सूखे इलाकों में जीवन-यापन के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है।


प्रश्न 2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कानून क्यों बनाए? यह भी बताइए कि इन कानूनों से चरवाहों के जीवन पर क्या असर पड़ा - 

( क ) परती भूमि नियमावली

( ख ) वन अधिनियम

( ग ) अपराधी जनजाति अधिनियम

( घ ) चराई कर


उत्तर - ( क ) परती भूमि नियमावली - (  i ) ( a ) अंग्रेज अफसरों को बिना खेती की जमीन का कोई मतलब समझ में नहीं आता था। उससे ना तो लगान मिलता था और ना ही उपज। अंग्रेज ऐसी जमीन को 'बेकार' मानते थे।

( b ) 19 वी सदी के मध्य आते-आते देश के विभिन्न प्रांतों में वन अधिनियम भी पारित किए जाने लगे थे। इन कायदे-कानूनों के जरिए सरकार ने गैर-खेतिहर जमीन को अपने कब्जे में लेकर कुछ खास लोगों को सौंप दी।

( c ) इन लोगों को कई तरह की रियायतें दी गई और इस जमीन को खेती के लायक बनाने और उस पर खेती करने के लिए जमकर बढ़ावा दिया गया। ऐसी कुछ लोगों को गांव का मुखिया बना दिया गया। इस तरह कब्जे में ली गई ज्यादातर जमीन चर गांव की थी जिनका चरवाहे नियमित रूप से इस्तेमाल किया करते थे।


( ii ) इस तरह की थी के फैलाव से चारागाह सिमटने लगे और चरवाहों के लिए समस्याएं पैदा होने लगी।


( ख ) वन अधिनियम - ( i ) ( a ) वन अधिनियम की आड़ में सरकार ने ऐसे कई जंगलों को 'आरक्षित' वन घोषित कर दिया जहां देवदार या साल जैसी कीमती लकड़ी पैदा होती थी।

( b ) उन्हें जंगलों में चरवाहों के घुसने पर पाबंदी लगा दी गई।


( ii ) वन अधिनियम ने चरवाहों की जिंदगी निम्न तरह से बदल डाली -

( a ) उन्हें जंगलों में जाने से रोक दिया गया जो पहले मवेशियों के लिए बहुमूल्य चारे का स्त्रोत थे।

( b ) जैन क्षेत्रों में उन्हें प्रवेश की छूट दी गई वहां भी उन पर कड़ी नजर रखी जाती थी। 

( c ) जंगलों में दाखिल होने के लिए उन्हें परमिट लेना पड़ता था।

( d ) जंगल में अनेक प्रवेश और वापसी की तारीख पहले से ही तय होती थी और वह जंगल में बहुत कम ही दिन बता सकते थे।


( ग ) अपराधी जनजाति अधिनियम - ( i ) ( a ) यह अधिनियम इसलिए आया क्योंकि अंग्रेज अफसर घुमंतू किस्म के लोगों को शक की नजर से देखते थे।

( b ) इस कानून के तहत दस्तकारों, व्यापारियों और चरवाहों के बीच सारे समुदायों को अपराधी समुदायों की सूची में रख दिया गया।


( ii ) अपराधी जनजाति अधिनियम ने चरवाहों की जिंदगी को निम्न तरह से प्रभावित किया - 

( a ) उन्हें कुदरती और जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया गया।

( b ) इस कानून के लागू होते ही ऐसे सभी समुदायों को कुछ खास अधिसूचित गांवों/बस्तियों में बस जाने का हुक्म सुना दिया गया।

( c ) उनकी बिना परमिट आवाजाही पर रोक लगा दी गई।

( d ) ग्राम्य पुलिस होने पर सदा नजर रखने लगी।


( घ ) चराई कर - ( i ) अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अंग्रेजों ने लगान वसूलने का हर संभव रास्ता अपनाया। उन्होंने जमीन, नहरों के पानी, नमक, खरीद-फरोख्त की चीजों और यहां तक कि मवेशियों पर भी टैक्स वसूलने का ऐलान कर दिया।


( ii ) चराई कर ने चरवाहों की जिंदगी को निम्न प्रकार से प्रभावित किया - 

( a ) चरवाहों में चरने वाले एक-एक जानवर पर कर वसूल किया जाने लगा। देश के ज्यादातर अचरवा ही इलाकों में 19 वी सदी के मध्य से ही चरवाही कर लागू कर दिया गया था। प्रति मवेशी कर की दर तेजी से बढ़ती चली गई और कर वसूली की व्यवस्था दिनोंदिन मजबूत होती गई।

( b ) 1850 से 1880 के दशक के बीच कर वसूली का काम बकायदा बोली लगाकर ठेकेदारों को सौंपा जाता था। ठेकेदारी पानी के लिए ठेकेदार सरकार को जो पैसा देते थे। उसे वसूल करने और साल भर में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा बनाने के लिए जितना चाहे उतना ही वसूल कर सकते थे।

( c ) 1880 के दशक तक आते-आते सरकार ने अपने कारिंदों के माध्यम से सीधे चरवाहों से ही कर वसूलना शुरू कर दिया। हरेक चरवाहे को एक 'पास' जारी कर दिया गया। किसी भी चारागाह में दाखिल होने के लिए चरवाहों को पास दिखाकर पहले कर अदा करना पड़ता था। चरवाहे के साथ कितने जानवर हैं और उसने कितना कर चुकाया, इस बात को उसके पास दर्ज कर दिया जाता था।


प्रश्न 3. मासाई समुदाय के चरागाह उससे क्यों छिन गए? कारण बताएं।


उत्तर - इसके कारण निम्न हैं - 

( i ) यूरोप की साम्राज्यवादी ताकतों ने अफ्रीका में कब्जे के लिए मारकाट शुरू कर दी और बहुत सारे इलाकों को छोटे-छोटे उपनिवेशों में तब्दील करके अपने अपने कब्जे में ले लिया।

( ii ) 1885 में ब्रिटिश कीनिया और जर्मन तांगान्यिका के बीच एक अंतरराष्ट्रीय सीमा खींचकर मासाईलैंड के दो बराबर टुकड़े कर दिए गए। बाद में सरकार ने गोरों को बसने के लिए बेहतरीन चारागाहों को अपने कब्जे में ले लिया। मासाईओं को दक्षिणी कीनिया और उत्तरी तंजानिया के छोटे से इलाके में समेट दिया गया। उनसे लगभग 60 फ़ीसदी से सचिन लिया गया।

( iii ) ब्रिटिश और औपनिवेशिक सरकार पूर्वी अफ्रीका में भी स्थानीय किसानों को अपनी खेती के क्षेत्रफल को ज्यादा से ज्यादा फैलाने के लिए प्रोत्साहित करने लगे। जैसे-जैसे खेती का प्रसार हुआ वैसे-वैसे चारागाह खेतों में तब्दील होने लगे।

( iv ) बहुत सारे चरागाहों को आरक्षित जंगल बना दिया गया। अनारक्षित जंगलों में मासाई चरवाहों को आना मना था। इस तरह मासाई समुदाय के चारागाह छिन गए।


प्रश्न 4. आधुनिक विश्व में भारत और पूर्वी अफ्रीकी चरवाहा समुदायों के जीवन में जन परिवर्तनों को जन्म दिया उनमें कई समानताएं थी। ऐसे दो परिवर्तनों के बारे में लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मासाई गडरियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।


उत्तर - भारतीय चरवाहों और मासाई गडरियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद परिवर्तन निम्न प्रकार थे - 

( i ) मासाई और भारतीय चरवाहों की सबसे बड़ी समस्या यह रही कि उनके चरागाह दिनों दिन से हटते जा रहे थे। यह दोनों जगह यूरोपीय औपनिवेशिक सरकारों द्वारा अपनाए गए नियम और कानून के कारण हुआ।

( ii ) 19 वी सदी के अंतिम सालों में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार पूर्वी अफ्रीका और भारत में भी स्थानीय किसानों को अपनी खेती के क्षेत्रफल को ज्यादा से ज्यादा फैलाने के लिए प्रोत्साहित करने लगे। जैसे-जैसे खेती का प्रसार हुआ वैसे-वैसे चारागाह खेतों में तब्दील होने लगे।

( iii ) भारत और पूर्वी अफ्रीका में भी चरवाहों को आरक्षित इलाकों में जाने की अनुमति नहीं थी। उन्हें अपने परंपरागत चरवाहों को खोना पड़ा जो कई वर्षों से भारतीय और पूर्वी अफ्रीका के चरवाहे इस्तेमाल करते थे।


Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)