class 11th Political Science chapter 11 राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय full solution//कक्षा 11वी राजनीति विज्ञान पाठ 11 राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय पूरा हल
NCERT Class 11th Political Science Chapter 11 Political Theory: An Indtroduction Solution
Class 11th Political Science Chapter 11 NCERT Textbook Question Solved
अध्याय 11
राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय
◆महत्वपूर्ण बिंदु
● राजनीति एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा मानव समाज अपनी समस्याओं को समाधान करता है।
● राजनीति विज्ञान से संबंधित विभिन्न सिद्धांतों को राजनीतिक सिद्धांत कहा जाता है।
● राजनीतिक सिद्धांत का उद्देश्य नागरिकों को विविध राजनीति प्रश्नों के संदर्भ में तर्क पूर्वक तरीके से आकलन करने का प्रशिक्षण देना है।
● राजनीतिक सिद्धांतों के अंतर्गत हम स्वतंत्रता , समानता तथा लोकतंत्र इत्यादि अवधारणाओं के व्यवहारिक क्रियान्वयन का अध्ययन करते हैं।
● राजनीतिक सिद्धांत के विभिन्न शब्दों एवं पदों के अर्थ गणित की तरह एक जैसे नहीं होते बल्कि उनका अभिप्राय तथा उपयोग मानवीय संबंधों एवं व्यवस्थाओं की प्रकृति के अनुसार परिवर्तित होता रहता है।
● राजनीतिक सिद्धांत जहां हमें अपने विचारों तथा भावनाओं के परीक्षण हेतु प्रोत्साहित करते हैं, वहीं या अथवा समानता के संबंध में सुव्यवस्थित सोच से भी अवगत कराते हैं।
★ पाठान्त प्रश्नोत्तर ★
प्रश्न 1. 'राजनीति उन सब से बढ़ाकर है जो राजनेता करते हैं।' क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर- हम उक्त कथन से सहमत हैं। हमारी सहमति का कारण यह है कि राजनीतिक सिद्धांत के अंतर्गत हम राजनीति का जो तात्पर्य समझते हैं वह राजनेताओं की गतिविधियों तक ही सीमित नहीं होता। वास्तविक रुप से हम राजनीति के अंतर्गत नेताओं के राजनीतिक व्यवहार, शासकीय क्रियाकलाप तथा शासन को प्रभावित करने हेतु जनसाधारण की मांग ने विरोध प्रदर्शन एवं संघर्ष इत्यादि का अध्ययन करते हैं। इस संबंध में हम अपने दैनिक एवं सामाजिक जीवन से संबंधित निम्न उदाहरण दे सकते हैं-
अनेक बार हम अपने परिजनों के व्यवहार एवं कार्यों से परेशान होने पर उसका कोई समाधान तलाश करने का भरसक प्रयास करते हैं जब हम उनसे वार्ता द्वारा अथवा अन्य किसी भी तरीके से अपनी समस्या का हल निकलवाने की कोशिश करते हैं। जब इस तरह से हम समस्याओं का हल तलाशते हैं तो इसे 'राजनीति' उपमा दी जा सकती है। इसी प्रकार जब किसी शासकीय कार्यालय मैं हमारे अधिकारों का हनन होता है,
उदाहरण- हमारे साथ भेदभाव होता है, उपेक्षित किया जाता है तथा हमारी बात नहीं सुनी जाती तक जब तक हम अपने अधिकारों को पुरजोर मांग उठाते हुए सुनता एवं समानता की दुहाई लगाते हैं। हम अपनी पूरी ताकत से यह प्रयास करते हैं कि हमें भेदभाव एवं उपेक्षा का शिकार ना होना पड़े। हमारे द्वारा किया गया यह क्रियाकलाप भी "राजनीति" के अंतर्गत ही आता है । अंतः इस प्रकार स्पष्ट है कि राजनीति उन सबसे बढ़कर है, जो राजनेता करते हैं।
प्रश्न 2. लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए नागरिकों को जागरूक होना जरूरी है, टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- लोकतंत्र की सफलता की पहली शर्त जागरूक नागरिकता है। लोकतंत्र का सफल संचालन सभी किया जा सकता है जब नागरिकों मैं देश समाज एवं व्यवस्था के प्रति जागरूकता भाव विद्यमान हो। जब नागरिक जागरूक होंगे तो उन्हें समाज में व्याप्त विविध समस्याओं की समझ रहेगी तथा वह ठीक प्रकार से यह जान पाएंगे कि शासन इन समस्याओं को हल करने के प्रति कितना संवेदनशील एवं गंभीर है।
जागरूक नागरिकों से लोकतंत्र के सुधार एवं पारदर्शिता आती है। जनप्रतिनिधि भी यह समझ जाते हैं कि यदि उन्होंने जनसाधारण के प्रति कठोरता के भाव दिखाएं तो जागरूक लोग आने वाले चुनाव में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देंगे। जनप्रतिनिधियों के कार्यों का सही मूल्यांकन जागरूक नागरिक ही कर सकता है। सर्वजनिक विषयों के प्रति उदासीन रहने से शासन पर कुछ लोगों का प्रभुत्व हो जाता है। अंतः प्रत्येक नागरिक को सक्रिय सहभागिता से राजनीति समस्याओं एवं घटना चक्र के प्रति सचेत रहते हुए राजनीतिक क्रियाकलापों में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए।
प्रश्न 3. क्या एक अच्छा एवं प्रभावपूर्ण तर्क औरों को आपकी बात सुनने के लिए बाध्य कर सकता है?
उत्तर- जी हां, क्योंकि जब हमारे तर्क श्रेष्ठ एवं प्रभावशाली होंगे तो उनमें सत्यता एवं तथ्यों का अधिकारिक समावेश होगा। जब किसी व्यक्ति के पास अपनी बात को गलत प्रमाणित करने हेतु तर्कों का अभाव होता है, तब उसे आपकी बात को स्वीकार ने हेतु विवश होना ही पड़ता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि श्रेष्ठ एवं प्रभावशाली तर्कों की वजह से हमारी समझ और अधिक मजबूत होती चली जाती है। हम संबंधित विषयों के विविध पक्षों का बारीकी से विश्लेषण कर कर पाते हैं, जिसके आधार पर हम किसी भी विषय पर अपने मौलिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत कर सकते हैं। जब किसी भी विषय को गंभीरता एवं धृष्टता से प्रस्तुत करेंगे, तब लोग हमारी बात सुनने हेतु बाध्य होंगे ही।
◆ परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर ◆
★ अति लघु उत्तरीय प्रश्न ★
प्रश्न 1. राजनीतिक अवधारणाओं के अर्थ को राजनीतिक सिद्धांत कार के दृष्टिकोण से स्पष्ट करते हैं?
उत्तर- राजनीतिक सिद्धांत का राजनीतिक अवधारणाओं के अर्थ को यह देखते हुए स्पष्ट करते हैं कि साधारण भाषा शैली में इसे कैसे समझा तथा व्यवहार में लाया जा सकता है।
प्रश्न 2. राजनीतिक सिद्धांत की कोई एक परिभाषा लिखिए।
उत्तर - कोकर के शब्दों में, " जब हम राजनीति विज्ञान, उसके स्वरूपों एवं क्रियाकलापों का अध्ययन पुरे तत्वौ के रूप में ना करके लोगों की आवश्यकताओं, इच्छाओं तथा मतों को दृष्टिकोण रखते हुए करते हैं तब उसे ही हम राजनीतिक सिद्धांत कहते हैं।
प्रश्न 3. राजनीतिक सिद्धांत के किन्ही दो चित्रों को लिखिए।
उत्तर - (1)राजनीतिक सिद्धांत का प्रमुख विषय क्षेत्र राज्य एवं सरकार है।
(2)शक्ति तथा राजनीतिक विचारधाराओं का अध्ययन भी राजनीतिक सिद्धांतों के अंतर्गत ही किया जाता है।
प्रश्न 4. राजनीतिक सिद्धांत के कोई दो प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर- (1)राजनीतिक सिद्धांत समाज के लिए प्रेरणात्मक स्त्रोत का कार्य करता है।
(2)विभिन्न अवधारणा एवं समीकरणों को सूचीबद्ध करने का कार्य भी राजनीति सिद्धांतों द्वारा ही किया जाता है।
प्रश्न 5. अच्छे राजनीतिक सिद्धांत की कोई दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-(1) राजनीतिक सिद्धांत की भाषा शैली स्पष्ट एवं सरल होनी चाहिए।
(2) एक अच्छे राजनीतिक सिद्धांत को छोटी से छोटी बात को भी अपने में समाहित करना चाहिए।
प्रश्न 6. राजनीतिक सिद्धांत कार्यों की भूमिका में कोई दो बिंदु लिखिए।
उत्तर- (1)राजनीतिक सिद्धांत कारी राजनीतिक अवधारणा को स्पष्ट करते हैं।
(2) राजनीतिक सिद्धांत कार्य विभिन्न अवधारणाओं के अध्ययन एवं विश्लेषण उपरांत समाज में विद्वान परिस्थितियों को नवीन अर्थ देते हैं।
प्रश्न 1. परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत की कोई चार विशेषताएं या लक्षण लिखिए।
उत्तर- परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत की चार प्रमुख विशेषताएं निम्न वत हैं-
(1) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांतों के निगमनात्मक प्रणाली को अपनाया गया है।
(2) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत व्यक्ति परक हैं । अतः इसको बनाने अथवा प्रतिपादित करने वालों की व्यक्तिगत विचारधारा का स्पष्ट रूप में प्रभाव पड़ता है।
(3) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांतों में राज्य एवं सरकार का सिर्फ औपचारिक एवं व्याख्यात्मक अध्ययन किया गया है ना कि विश्लेषणात्मक अध्ययन।
(4) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांतों में अधि अनुशासनात्मक को अंगीकृत किया गया है। इससे यह आवास नहीं हो पाता कि राजनीति विज्ञान कहां है तथा अर्थशास्त्र तथा नीतिशास्त्र कहां पर है
प्रश्न 2. राजनीतिक सिद्धांत के प्रमुख उद्देश्य लिखिए ।
उत्तर- राजनीतिक सिद्धांत के प्रमुख देशों को चलते मैंने बंधुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) राजनीतिक सिद्धांतो का उद्देश प्राचीन अर्थात परंपरागत एवं वर्तमान यानी आधुनिक मुख्य राजनीतिक विचारक के विचार के आधार पर विभिन्न अवधारणाओं का परिभाषित करना तथा इसके अभिप्राय को स्पष्ट करना है
(2) राजनीतिक सिद्धांत का उद्देश समाज, सरकार , राज्य, कानून एवं अधिकार तथा कर्तव्य संबंधी अनेक ज्वलंत प्रश्नों की जांच पड़ताल करना है । उदाहरण समाज को किस प्रकार संगठित होना चाहिए अथवा राजसत्ता का नागरिकों के प्रति क्या दायित्व है?
(3) राजनीतिक सिद्धांत का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश नागरिकों में राजनीतिक प्रश्नों के विषय में तार्किक दृष्टिकोण से सोचने अर्थात चिंतन करने तथा सामाजिक घटना चक्र को उचित प्रकार से समझने के सही तरीके को अथवा विधियों का विकास करना भी है ।
प्रश्न 3. परंपरागत तथा आधुनिक राजनीतिक सिद्धांतों के मध्य अंतर के चार बिंदु लिखिए।
उत्तर- परंपरागत तथा आधुनिक राजनीतिक सिद्धांतों के मध्य विविन अंतर हैं, जिनको संक्षेप में निम्न बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत जहां निगमनात्मक प्रणाली पर आधारित है, वही आधुनिक राजनीतिक सिद्धांतों में आगनात्मक पद्धति को अपनाया जाता है।
(2) जहां परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत औपचारिक एवं व्याख्यात्मक हैं, वही आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत औपचारिक एवं विश्लेषणात्मक होते हैं।
(3) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत आदि अनुशासनात्मक हैं इसके विपरीत आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत अंतर अनुशासनात्मक हैं।
(4) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत व्यक्ति परक है जबकि इसके ठीक विपरीत आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत प्रस्तुत फराक होते हैं।
★ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ★
प्रश्न 1. राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन के औचित्य तथा प्रासंगिकता के कोई पांच बिंदु लिखिए।
अथवा
राजनीतिक सिद्धांतों के महत्व की संक्षिप्त विवेचना कीजिए ।
उत्तर- राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन के औचित्य अथवा महत्व को निम्न बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
(1) राजनीतिक सिद्धांत का अध्ययन नागरिकों को विभिन्न राजनीतिक संगठनों तथा संस्थाओं इत्यादि की उत्पत्ति एवं क्रियाकलापों से भलीभांति अवगत कराता है। इस ज्ञान के आधार पर नागरिक अधिक जागरूक, सक्रिय तथा राज व्यवस्था में सहभागी बनते हैं।
(2) स्वतंत्रता, समानता तथा धर्मनिरपेक्षता इत्यादि हमारे जीवन के न केवल अमूर्त मसले हैं बल्कि हमें प्रतिदिन परिवार, विद्यालय , कार्यालय तथा प्रतिक्षालय इत्यादि में इनका प्रत्यक्ष रूप से सामना भी करना पड़ता है। इस संदर्भ में राजनीतिक सिद्धांत की हमें अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के उचित रूप से क्रियान्वयन तथा इसको हासिल किए जाने के सही तरीके को उचित ज्ञान प्रदान करते हैं।
(3) राजनीतिक सिद्धांत का अध्ययन इस कारण भी औचित्य है कि यह हमें न्याय, समानता तथा स्वतंत्रता इत्यादि के विषय में सुव्यवस्थित चिंतन देता है। इस चिंतन के ज्ञान से हम अपने विचारों को परिष्कृत एवं सार्वजनिक हित के लिए उपयोगी बना सकते हैं।
(4) राजनीतिक सिद्धांत सामाजिक परिवर्तनों अर्थात बदलावों को उचित प्रकार समझने तथा उसकी व्याख्या करने के लिए सहायक सिद्ध होते हैं।
(5) राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन की उचित इस तथ्य में भी निहित है कि इसमें समय समय पर राजनीतिक आंदोलनों को प्रेरणा प्रदान की है। राजनीतिक आंदोलन प्राया किसी ना किसी राजनीतिक सिद्धांत अथवा विचारधारा से अवश्य ही प्रेरित होते हैं । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सभी क्रांतिकारियों के किसी ना किसी आदर्श अथवा सिद्धांत से प्रेरणा लेकर ही अपने जीवन का बलिदान किया।
लेनिन ने भी उचित ही कहा था कि, "क्रांतिकारी सिद्धांतों के बिना क्रांतिकारी आंदोलन असंभव है।"