class 11th Political Science chapter 12 स्वतंत्रता full solution

sachin ahirwar
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class 11th Political Science chapter 12 स्वतंत्रता solution//कक्षा 11वी राजनीति विज्ञान पाठ 12 स्वतंत्रता पूरा हल

NCERT Class 11th Political Science Chapter 12 Freedom Solution 

Class 11th Political Science Chapter 12 NCERT Textbook Question Solved

 अध्याय 12

 स्वतंत्रता


◆ महत्वपूर्ण बिंदु


● स्वतंत्रता को अंग्रेजी भाषा में 'लिबर्टी' कहते हैं।

● लिबर्टी लेटिन भाषा लीवर शब्द से बना है, जिसका अभिप्राय 'बंधनों का अभाव है।'

● स्वतंत्रता स्थिति है जिसमें अनावश्यक बाहरी प्रतिबंध ना हो तथा व्यक्ति को अपनी आंतरिक क्षमताओं का विस्तार करने का संपूर्ण अवसर प्राप्त हो।

● स्वतंत्रता के दो आयाम नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता है।

●  लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा हेतु लोकतांत्रिक सरकार एक आवश्यक माध्यम होती है।

● यदि स्वतंत्रता पर वैधानिक प्रतिबंध नहीं होगा तो समाज में अव्यवस्था व्याप्त हो जाएगी ।

● जान स्टुअर्ट मिल ने स्वतंत्रता के संबंध में 'हानि सिद्धांत' प्रतिपादित किया जो कि स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का एकमात्र लक्ष्य 'आत्मरक्षा' मानता है।

● कानून एवं स्वतंत्रता परस्पर एक-दूसरे के अभिन्न अंग

● कानूनी प्रतिबंध हमारी स्वतंत्रता को सीमित ना करके उसकी रक्षा ही करते हैं।

● स्वतंत्रता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' है।



★ पाठान्त प्रश्नोत्तर ★ 



प्रश्न 1. स्वतंत्रता से क्या आशय है? क्या व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता और राष्ट्रीय के लिए स्वतंत्रता में कोई संबंध है?

उत्तर - स्वतंत्रता शब्द का प्रादूर्भाव अंग्रेजी भाषा में लिबर्टी शब्द से हुआ है। लिबर्टी शब्द लैटिन भाषी शब्द से निर्मित हुआ, जिसका अभिप्राय बंधनों का अभाव अथवा पूर्ण स्वतंत्रता है। स्वतंत्रता भी स्थिति है जिसमें अनावश्यक बाह्य प्रतिबंध ना हो तथा व्यक्ति को अपनी आंतरिक क्षमताओं का विस्तार करने का संपूर्ण अवसर मिले।

व्यक्तिगत एकता तथा राष्ट्रीय स्वतंत्रता मैं अटूट संबंध है दोनों ही ट्रांसफर पूरक हैं। हम अपनी इस बात को अगर आधारों पर सुगमता से स्पष्ट कर सकते हैं-

(1) किसी भी राष्ट्र के निवासी तभी स्वतंत्र हो सकते हैं जब वह राष्ट्र भी स्वतंत्र हो ।क जब राष्ट्र में वहां रहने वालों का स्वयं का शासन हुआ तभी उनको स्वतंत्रता मिल सकती है।

(2) हमारी राष्ट्रीय सरकार की जनता की रक्षा करते हुए हमें विविध प्रकार की स्वतंत्रताँएं प्रदान करती है। यदि राष्ट्र की स्वतंत्रता नहीं होगी तब वह हमारी स्वतंत्रता की रक्षा किस प्रकार करेगा। पराधीन राष्ट्र में व्यक्ति स्वतंत्रता की मांग एवं रक्षा करने की स्थिति में नहीं होता है।

(3) राष्ट्रीय संप्रभुता मैं ही हमारी स्वतंत्रता हो पाती है। जब हमारा राष्ट्र स्वतंत्र होगा उसकी अपनी सरकार होगी, तथा उस पर किसी भी तरह बाह्य नियंत्रण नहीं होगा, तभी हमारी स्वतंत्रता एवं गरिमा की रक्षा हो पाएगी। अतः उक्त से स्पष्ट है कि राष्ट्र की स्वतंत्रता व्यक्ति की स्वतंत्रता से ही संबंधित है।


प्रश्न 2. स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा  में क्या अंतर है?

उत्तर- स्वतंत्रता के नकारात्मक तथा सकारात्मक अवधारणा मैं मुख्य रूप से निरंतर हैं-

(1) जहां नकारात्मक स्वतंत्रता का अभिप्राय बंधनों का ना होना है वही सकारात्मक स्वतंत्रता का तात्पर्य स्वतंत्रता पर युक्तिसंगत एवं उचित प्रतिबंधों से होता है।

(2) नकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा में कानून एवं स्वतंत्रता परस्पर विरोधी हैं, जबकि सकारात्मक स्वतंत्रता इन दोनों को परस्पर सहयोगी मानती है।

(3) जहां नकारात्मक स्वतंत्रता मैं व्यक्ति समाज के हित से अलग होते हैं, वही इसके विपरीत सकारात्मक स्वतंत्रता में व्यक्ति  हित समाज के हित में कोई भी विरोध नहीं होता है

(4) नकारात्मक स्वतंत्रता के अंतर्गत राज्य एवं सरकार को सिर्फ कानून, व्यवस्था तथा सुरक्षा तक ही सीमित रखा जाता है, जबकि सकारात्मक धारणा के  अंतर्गत राज्य एवं सरकार की कल्याणकारी भूमिका को भी स्वीकारा जाता है।



प्रश्न 3. नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखने में राज्य की क्या भूमिका है?

उत्तर- नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा काफी हद तक राज्य पर ही निर्भर होती है। राज्य लोकतंत्र की स्थापना , मौलिक अधिकारों की घोषणा , शक्तियों का पृथक्करण, स्वतंत्रत न्यायपालिका की स्थापना, समान अधिकारों की व्यवस्था तथा कानून के शासन की व्यवस्था करके नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए अपनी भूमिका का निर्वाहन करता है। इसी प्रकार राज्य समाज के पिछड़े उपेक्षित एवं शोषित वर्ग के कल्याणार्थ कार्यौं द्वारा उन्हें अपनी स्वतंत्रता प्रयोग करने के योग्य बनाता है। इस प्रकार नागरिकों की की स्वतंत्रता की रक्षा में राज्य की भूमिका एक पहरेदार एवं  नियामक ऐसी होती है।


★ परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर ★


◆ अति लघु उत्तरीय प्रश्न ◆


प्रश्न 1. स्वतंत्रता का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- स्वतंत्रता का अंग्रेजी अनुवाद ‛लिबर्टी’ लेटिन भाषा के लीवर शब्द से निकला है, जिसका अर्थ 'बंधनों का अभाव ' होता है। इस प्रकार, शब्द की उत्पत्ति की दृष्टि से स्वतंत्रता का अर्थ बंधनों का अभाव है।


प्रश्न 2. स्वतंत्रता कितने प्रकार की है।


अथवा


स्वतंत्रता के कोई दो प्रकार लिखिए।

उत्तर- स्वतंत्रता के प्रकारों में प्राकृतिक स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, नागरिक स्वतंत्रता, राजनीतिक स्वतंत्रता, आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता , राष्ट्रीय स्वतंत्रता, नैतिक स्वतंत्रता तथा संविधानिक स्वतंत्रता का उल्लेख किया जा सकता है।



प्रश्न 3 स्वतंत्रता के कोई दो प्रकार का वर्णन कीजिए।

उत्तर -(1)वैयक्तिक स्वतंत्रता- किसी भी व्यक्ति को मनुष्य होने की वजह से प्राप्त होने वाले वैयक्तिक स्वतंत्रता कहलाती है।

(2) सामाजिक स्वतंत्रता- जब प्रत्येक व्यक्ति को विकसित होने के समय अवसर बिना किसी सामाजिक बाधा के मिलते हैं तो वह सामाजिक स्वतंत्रता कहलाती है।

प्रश्न 4. धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ लिखिए।

उत्तर- धार्मिक स्वतंत्रता का आशय यह है कि सभी व्यक्तियों को अपनी इच्छा अनुसार आर्थिक जीवन व्यतीत करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

प्रश्न 5. स्वतंत्रता के उस प्रकार का नाम बताइए जिससे समाज में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

उत्तर- प्राकृतिक स्वतंत्रता।

प्रश्न 6. स्वतंत्रता की दो विशेषताएं लिखिए ।

उत्तर - (1)स्वतंत्रता व्यक्ति के विकास का मूल आधार है तथा (2) व्यक्ति को अपने जीवन के बारे में स्वयं फैसले करने की स्वतंत्रता है।

प्रश्न 7. स्वतंत्रता के महत्व के कोई दो बिंदु लिखिए।

उत्तर -(1)यह मानव के सर्वांगीण विकास में सहायक है तथा (2)स्वतंत्रता राष्ट्रीय स्वाभिमान गौरव तथा अस्मिता की प्रतीक है।


◆ लघु उत्तरीय प्रश्न ◆


प्रश्न 1. स्वतंत्रता की नकारात्मक अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- स्वतंत्रता के नकारात्मक पहलू का आशय यह है कि व्यक्तियों के कार्यों पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं होना चाहिए । अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि नियंत्रण का आवाज ही स्वतंत्रता है प्रसिद्धि विद्वान सिले की भी ऐसी ही मान्यता है। वह कहता है कि प्रतिबंधों की अनुपस्थिति में ही स्वतंत्रता है। इसी संदर्भ में स्पेंसर तथा मिल ने भी उचित ही कहा है कि राज्य को जहां तक संभव हो व्यक्ति के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।



प्रश्न 2. स्वतंत्रता की व्याख्या कीजिए तथा इसके भेद बताइए।

उत्तर- स्वतंत्रता की व्याख्या- स्वतंत्रता का सही अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी जन्मजात प्रतिभा एवं शक्तियों के संपूर्ण विकास हेतु जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हो। मैकेंजी ने उचित ही कहा है कि अनुचित पर उचित का नियंत्रण की स्वतंत्रता है।

स्वतंत्रता के भेद अथवा प्रकार- स्वतंत्रता के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख निम्न प्रकार किया जा सकता है-

(1) प्राकृतिक स्वतंत्रता- इस तरह की स्वतंत्रता का उपयोग समाज एवं राज्य के निर्माण से पूर्व व्यक्ति द्वारा प्राकृतिक अवस्था में किया जाता था।

(2) वैयक्तिक स्वतंत्रता- व्यक्ति द्वारा अपने जीवन के बारे में स्वयं फैसला करने की स्वतंत्रता को ही व्यक्तिगत स्वतंत्रता कहलाती है।

(3) नागरिक स्वतंत्रता- लोगों को इस तरह की स्वतंत्रता राज्य की तरफ से मिलती है तथा राज्य ही इसकी रक्षा का दायित्व भी संभालता है।

(4) राजनीतिक स्वतंत्रता- राज्य के मामले में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने को राजनीतिक स्वतंत्रता कहा जाता है।

(5) राष्ट्रीय स्वतंत्रता- प्रत्येक राष्ट्र की आंतरिक एवं बाह्य विषयों में प्रतिबंध में पूर्ण स्वतंत्रता की राष्ट्रीय स्वतंत्रता कहलाती है।

(6) आर्थिक स्वतंत्रता- प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार के पूर्ण अवसर प्राप्त होना ही आर्थिक स्वतंत्रता कहलाता है।

(7) सामाजिक स्वतंत्रता - सभी व्यक्तियों को समाज में अपने विकास करने की सुविधा प्राप्त होनी ही सामाजिक स्वतंत्रता कहलाती है।


प्रश्न 3. स्वतंत्रता के 3 लक्षण लिखिए।

उत्तर- स्वतंत्रता के 3 लक्षण निम्नलिखित हैं-

(1) स्वतंत्रता के लिए अधिकारों का होना जरूरी है जो राज्य द्वारा ही उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

(2) स्वतंत्रता का एक लक्षण यह भी है कि यह समस्त कार्यों को करने तथा उन सुखों को भोगने की सकारात्मक सकती है जो किए जाने तथा भोगने योग होते हैं।

(3) बिना किसी रूकावट के अपने व्यक्तित्व को पूर्णतया अभिव्यक्त करने की सुविधा सिर्फ स्वतंत्रता का ही लक्षण कहा जा सकता है।

प्रश्न 4. आर्थिक स्वतंत्रता  पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए

उत्तर- आर्थिक स्वतंत्रता का तात्पर्य प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार तथा अपने श्रम के अनुसार परिश्रमिक प्राप्त करने की स्वतंत्रता है। यह व्यक्ति ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने आर्थिक प्रयत्नों का लाभ एवं स्वयं प्राप्त कर सके तथा उसके श्रम का किसी दूसरे के द्वारा शोषण ना किया जा सके। आर्थिक स्वतंत्रता के अर्थ के संदर्भ में लॉस्की ने उचित ही कहा है कि "आर्थिक स्वतंत्रता का अभिप्राय है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आजीविका कमाने की समुचित सुरक्षा एवं सुविधा प्राप्त हो।" लोकतंत्र की सफलता हेतु आर्थिक स्वतंत्रता अत्यावश्यक है।

प्रश्न 5 वास्तविक स्वतंत्रता क्या है?

उत्तर- स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ सकारात्मक तथा रचनात्मक है। इस अर्थ में स्वतंत्रता का तात्पर्य प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व को विकसित करने का इस प्रकार अवसर देना कि दूसरे व्यक्ति को किसी भी प्रकार की ठेस ना लगे। लॉस्की के शब्दों में, "स्वतंत्रता का तात्पर्य उस वातावरण को बनाए रखना है, जिसमें व्यक्ति को अपने जीवन में सर्वोत्तम विकास करने की सुविधा प्राप्त हो" जे. एस. मिल ने भी कहा है कि इस "व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व को विकसित करने, प्रसारित करने तथा भय मुक्त कर बनाने वाली परिस्थितियों का नाम ही स्वतंत्रता है।"


प्रश्न 6 राष्ट्रीय स्वतंत्रता क्या है?

उत्तर- राष्ट्रीय स्वतंत्रता समस्त स्वतंत्रता एवं अधिकारों की आधारशिला है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता का आशय राष्ट्र की स्वतंत्रता से है। जिस तरह से व्यक्ति को स्वतंत्रता हासिल होनी चाहिए ठीक उसी प्रकार से राष्ट्र को भी अपनी पूर्ण विकास के लिए स्वतंत्रता मिलना जरूरी है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता का अर्थ राज्य की आंतरिक एवं बाह्य स्वाधीनता से है। जो राष्ट्र अपने आंतरिक प्रशासन तथा बाह्य संबंधों की स्वतंत्रता में स्वतंत्र होता है, किसी दूसरे देश के आधी नहीं होता है तथा एक स्वतंत्र एवं संप्रभु राष्ट्र कहलाता है। लेकिन यह यह उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों एवं नियमों के अधीन प्रत्येक राष्ट्र की स्वतंत्रता पर कुछ प्रतिबंध रहता है।



प्रश्न 7 क्या पूर्ण स्वतंत्रता संभव है? समझाइए।

त्तर- संपूर्ण स्वतंत्रता संभव नहीं है। पूर्ण रूप से स्वतंत्र व्यक्ति अपनी मनमानी करेगा। पूर्ण स्वतंत्र व्यक्ति समाज में शक्तिहीन लोगों की आजादी छीन कर अपने स्वार्थों की पूर्ति करेगा। स्वतंत्रता व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए है और जब स्वतंत्रता पर कोई अंकुश नहीं होगा तो वह व्यक्तित्व के विकास में कैसे सहायक होगी। प्रत्येक व्यक्ति जो चाहता है, वह  करने हेतु स्वतंत्र है लेकिन उस पर यह प्रतिबंध है कि वह किसी और की स्वतंत्रता में दखल ना दें। अंतः पूर्ण रूप से स्वतंत्रता कदापि संभव नहीं है।


प्रश्न 8 राजनीतिक चिंतन में स्वतंत्रता का महत्व निर्विवाद है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- संसार के महान राजनैतिक चिंतकों ने अपने विचारों में स्वतंत्रता पर विशेष जोर दिया है। जहां पाश्चात्य विचारकों में मैकियावली , रूसो ,ग्रीन तथा कार्ल मार्क्स इत्यादि ने स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित किया वहीं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में तिलक एवं सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता की उपयोगिता को जग जाहिर किया। तिलक ने कहा था कि ‛‛स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, उसे मैं लेकर रहूंगा।" तो सुभाष चंद्र बोस ने कहा भारतीयों का आवाहन करते हुए कहा कि "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।"



प्रश्न 9 स्वतंत्रता का महत्व चार बिंदुओं में लिखिए

उत्तर- स्वतंत्रता के महत्व को चार बिंदुओं में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) स्वतंत्रता के महत्व का मुख्य बिंदु यह है, कि यह व्यक्ति के चहुमुखी विकास में सहायक है।

(2) स्वतंत्रता विभिन्न क्रांतियों को संपन्न कराने में सहायक है इसने अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा दी है।

(3) स्वतंत्रता व्यक्ति की आर्थिक प्रगति में भी सहायक सिद्ध होती है। इसकी वजह से लोगों को जीविका कमाने की सुरक्षा मिलती है।

(4) स्वतंत्रता किसी भी सभ्य समाज तथा राज्य की पहचान होती है।



◆ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ◆


प्रश्न 1. स्वतंत्रता के अर्थ एवं प्रकारों की व्याख्या कीजिए।

त्तर- अत्यंत लोकप्रिय संकल्पना 'स्वतंत्रता' के अर्थ को निम्न दो ग्रुपों में स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) स्वतंत्रता का संकुचित अथवा निषेधात्मक अर्थ- स्वतंत्रता का अंग्रेजी अनुवाद 'लिबर्टी' लेटिन भाषा के लिए शब्द से निकला है जिसका तात्पर्य 'बंधनों का अभाव' होता है। शाब्दिक दृष्टि से स्वतंत्रता का अर्थ इच्छा अनुसार कार्य करने की आजादी है। स्वतंत्रता को इस अर्थ में सीले, रूसो तथा मैकेंजी इत्यादि विद्वानों ने परिभाषित किया है । लेकिन किसी भी सभ्य समाज में व्यक्ति को मनमाने कार्य करने की स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती, ऐसा होने पर तो वह सिर्फ थोड़े से लोगों के लिए ही सीमित हो जाएगी।

(2) स्वतंत्रता का वास्तविक अथवा सकारात्मक अर्थ- स्वतंत्रता का वास्तविक आशय बंधनों का अभाव नहीं बल्कि व्यक्तित्व के विकास हेतु उचित अवसर एवं परिस्थितियों की प्राप्ति में है। जब व्यक्ति समाज एवं राज्य के विवेकशील नियमों तथा कानूनों के अंतर्गत रहते हुए अपने व्यक्तित्व का विकास करता है तो वह वास्तविक रुप से स्वतंत्र है। सकारात्मक पहलू को स्पष्ट करते हुए ग्रीन ने उचित ही कहा है कि "स्वतंत्रता ऐसे कार्य करने तथा उपयोग करने की शक्ति का नाम है जो करने योग अथवा उपभोग के योग हो। " गैटिल,लास्की तथा मिल इत्यादि विद्वानों ने स्वतंत्रता को इसी सकारात्मक अर्थ में परिभाषित किया है।



स्वतंत्रता के प्रकार अथवा भेद


            जिस प्रकार स्वतंत्रता का उपयोग विभिन्न अर्थों में किया गया है, उसी प्रकार उसके अनेक भेद व प्रकार या रूप हैं , जिन्हें संक्षेप में अग्र प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) प्राकृतिक स्वतंत्रता- यह स्वतंत्रता का रूप है जिसका उपयोग व्यक्ति समाज एवं राज्य के बनने से पहले प्राकृतिक अवस्थाओं में करते थे। स्वतंत्रता के इस रूप के समर्थक जॉन लॉक तथा जीन जैक्स रूसो थे। वर्तमान में प्राकृतिक स्वतंत्रता के विचार को इस कारण नहीं स्वीकारा जाता, क्योंकि यह स्वतंत्रता ना होकर आज्ञापत्र है।

(2) व्यक्तिगत स्वतंत्रता- व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत मामलों में बिना राज्य के हस्तक्षेप के स्वयं निर्णय करने की आजादी को व्यक्तित्व स्वतंत्रता कहा जाता है । इस तरह की स्वतंत्रता के अंतर्गत भोजन, वस्त्र, धर्म तथा परिवारिक जीवन को सम्मिलित किया जाता है।

(3) नागरिक स्वतंत्रता- नागरिक स्वतंत्रता का आशय व्यक्ति की ऑन स्वतंत्रता उसे है जो व्यक्ति समाज अथवा राज्य का सदस्य होने की वजह से प्राप्त करता है। नागरिक स्वतंत्रता का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर  तथा अधिकार प्रदान करना होता है। इसीलिए स्वाभाविक रूप से यह स्वतंत्रता असीमित अथवा निरंकुश होती है।

(4) राष्ट्रीय स्वतंत्रता- राष्ट्रीय स्वतंत्रता का तात्पर्य राज्य की आंतरिक एवं बाह्य स्वाधीनता से है। जो राष्ट्रीय अपने अंतरिक्ष शासन तथा बाह्य संबंधों की स्थापना में स्वतंत्र होता है तथा किसी अन्य देश के अधीन नहीं होता है, वह स्वतंत्रता एवं संप्रभु राष्ट्र होता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानूनों एवं नियमों के अधीन प्रत्येक राष्ट्र की स्वतंत्रता पर कुछ प्रतिबंध रहते हैं।

(5) आर्थिक स्वतंत्रता- आर्थिक स्वतंत्रता का आशय प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार अथवा अपने श्रम के अनुरूप परिश्रम प्राप्त करने की आजादी है। यह व्यक्ति की ऐसी स्थिति है जिसमें वह अपने आर्थिक प्रयासों का लाभ एवं स्वयं प्राप्त कर सके तथा उसके श्रम का दूसरों द्वारा शोषण ना किया जा सके

(6) राजनीतिक स्वतंत्रता- राजनीतिक स्वतंत्रता का आशय है कि व्यक्ति को शासन के संचालन में सक्रिय भाग लेने का अधिकार होना चाहिए

हालांकि राजनीतिक स्वतंत्रता को संवैधानिक संरक्षण हासिल है, लेकिन यह स्वतंत्रता असीमित तथा आवाज नहीं होती तथा राज्य द्वारा राज्य हित में प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।


प्रश्न 2. स्वतंत्रता के महत्व पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर- मानव के स्वाभिमानी जीवन हेतु परम आवश्यक तत्व स्वतंत्रता के महत्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) मानव के चहुँमुखी विकास में सहायक- स्वतंत्रता के बिना मानव जीवन नीरस होता जाता है तथा उसके व्यक्तित्व में दब्बूपन जैसा दोष समाविष्ट हो जाता है। स्वतंत्रता व्यक्ति के सभी दिशाओं में विकास को संभव बनाती है।

(2) विभिन्न क्रांतियों को संपन्न कराने में सहायक- स्वतंत्रता की लालसा शोषण सामन्ती अत्याचारों तथा विदेशी गुलामी के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों को संघर्ष करने की प्रेरणा दी जिसके परिणाम स्वरूप विश्व में अनेक क्रांतियां हुई। फ्रांसीसी क्रांति, संयुक्त राज्य अमेरिका की क्रांति, सोवियत क्रांति तथा चीनी क्रांति इत्यादि इसके ज्वलंत उदाहरण है।

(3) सभ्य समाज तथा राज्य की पहचान- स्वतंत्रता किसी भी शब्द समाज की पहचान होती है। यदि समाज में स्वतंत्रता का अभाव है, तो वह एक निर्जीव समाज होगा। इसी प्रकार जिस राज्य के नागरिकों को स्वतंत्रता प्रदान नहीं की जा सकती, उसे सब समाज की उपमा नहीं दी जा सकती है।

(4) राष्ट्रीय स्वाभिमान, गौरव तथा अस्मिता का प्रतीक- स्वतंत्रता किसी देश के स्वाभिमान , गौरव तथा अस्मिता का प्रतीक होती है। इसके अभाव में उसे गुलाम राष्ट्र माना जाता है, जिसका कोई महत्व तथा मूल्य नहीं होता। स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक ही स्वतंत्र वातावरण में अपना सर्वांधिक विकास कर सकते हैं।

(5) आर्थिक प्रगति में सहायक- किसी भी व्यक्ति की आर्थिक प्रगति में स्वतंत्रता अत्यधिक उपयोगी है। स्वतंत्रता की वजह से ही व्यक्ति को अपनी दैनिक जीविका कमाने की सुरक्षा हासिल होती है।

(6) अधिकार दिलाने में सहायक व्यक्ति के संपूर्ण विकास हेतु विभिन्न परिस्थितियों जरूरी होती हैं। यह समस्त परिस्थितियों ही वास्तव में अधिकार है, जिन्हें स्वतंत्रता द्वारा निर्मित किया जाता है।












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