class 11th Political Science chapter 5 विधायिका full solution

sachin ahirwar
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class 11th Political Science chapter 5 विधायिका full solution//कक्षा 11वी राजनीति विज्ञान पाठ 5 विधायिका पूरा हल

NCERT Class 11th Political Science Chapter 5 Executive Solution 

Class 11th Political Science Chapter 5 NCERT Textbook Question Solved

 अध्याय 5

विधायिका

◆महत्वपूर्ण बिंदु



● भारत में संघात्मक शासन प्रणाली को अपनाया गया है।

● संविधान के अंतर्गत की समस्त विधाई शक्तियां संसद में निहित हैं जिसमें राष्ट्रपति, राज्यसभा तथा लोकसभा सम्मिलित हैं।

● राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है जिसके सदस्यों का चुनाव 6 वर्ष की समयावधि हेतु अप्रत्यक्ष विधि से विधानसभा में निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है।

● राज्यसभा संसद का स्थायी सदन है अतः यह कभी बंद नहीं होता। प्रत्येक 2 वर्ष के पश्चात इसके एक तिहाई सदस्यों का चयन होता है।

● राज्यसभा में निर्वाचित सदस्यों के अलावा भारतीय राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला एवं समाज क्षेत्र सेवा क्षेत्र में विशेष ख्याति प्राप्त 12 सदस्यों को मनोनीत किया जाता है।

● भारत में लोकसभा के 543 निर्वाचन क्षेत्र हैं जिनके सदस्यों का चुनाव 5 वर्ष की समयावधि हेतु देश की जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन किया जाता है।

● हालांकि भारतीय संसद का प्रमुख कार्य देशवासियों हेतु कानून बनाना है, लेकिन वह कानून निर्मित करने के साथ-साथ बिधायी कार्य, कार्यपालिका का नियंत्रण, वित्तीय कार्य, संवैधानिक कार्य, निर्वाचन संबंधी कार्य एवं न्यायिक कार्य इत्यादि भी करती है।

● संसद में कानून बनाते समय एक निश्चित प्रक्रिया अपनाई जाती है जिससे किसी भी विधेयक को विभिन्न अवस्थाओं में होकर गुजरना पड़ता है

● प्रस्तावित कानून का प्रारूप विधेयक कहलाता है, जिस के प्रकारों में सरकारी विधेयक , निजी विधेयक, वित्त विधेयक तथा गैर वित्त विधेयक इत्यादि हैं।

● धन विधेयक सिर्फ लोकसभा में ही प्रस्तुत किए जा सकते हैं, तथा वही उसमें संशोधन कर सकती है और स्वीकृत अथवा अस्वीकृत कर सकती है।

● पर्याप्त विचार-विमर्श तथा बहस के उपरांत जब विधायक दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया जाता है, तब उसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने के बाद ही कानून का रूप मिलता है।

● संसदीय समितियां कानून निर्माण के साथ-साथ सदन के दैनिक कार्यों के अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं।

★पाठान्त प्रश्नोत्तर★


प्रश्न 1. लोकसभा कार्यपालिका को राज्यसभा की तुलना में क्यों कारगर ढंग से नियंत्रण में रख सकती है?

 उत्तर- लोकसभा कार्यपालिका को राज्यसभा की तुलना में कारगर ढंग से नियंत्रण में रख सकती है, इसके प्रमुख कारण निम्न हैं-

(1) लोकसभा सदस्य प्रश्नों , पूरक प्रश्नों काम रोको प्रस्ताव तथा निंदा प्रस्ताव इत्यादि द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण रखते हैं जबकि राज्यसभा के सदस्य मंत्रियो से प्रश्न तथा पूरा प्रश्न पूछ कर उनकी आलोचना तो कर सकते हैं, परंतु इसमें अविश्वास प्रस्ताव द्वारा कार्यपालिका को पदच्युत करने का अधिकार नहीं है, यह शक्ति सिर्फ लोकसभा को ही हासिल है।

(2) केंद्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। उसका विश्वास होने की स्थिति में संपूर्ण मंत्री परिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है। इसी प्रकार लोकसभा सरकारी विधेयक तथा बजट को अस्वीकृत करके अथवा मंत्रिपरिषद के सदस्यों के वेतन में कटौती करके कार्यपालिका पर अंकुश लगाती है। यह समस्त अधिकार राज्य सभा को प्राप्त नहीं होता है।

(3) धन विधेयक तथा बजट मंत्री ही प्रस्तुत करते हैं तथा यदि लोकसभा उसे कम कर दे अथवा रद्द कर दे तो मंत्रिमंडल को प्रदूषित होना पड़ता है, राज्यसभा को यह शक्ति हासिल नहीं है

(4) संघीय लोकसवा आयोग, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ,  वित्त आयोग, भाषण आयोग तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग की रिपोर्टों एवं लोक सभा ही विचार करती है यह उसकी कार्यपालिका पर नियंत्रण  की ही शक्ति है।


प्रश्न 2. लोकसभा पर कारगर ढंग से नियंत्रण रखने की नहीं बल्कि जन भावनाओं और जनता की अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति का मंच है। क्या आप इससे सहमत है, कारण बताएं?

 उत्तर- हम उक्त कथन से सहमत हैं , क्योंकि लोकसभा में जनसाधारण द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि सम्मानित होते हैं तथा समय-समय पर उनके द्वारा उठाए गए विषय लोगों की भावनाओं के अनुरूप होते हैं। लोकसभा सदस्यों का कार्य जन शिकायतों को शासन तक पहुंचाना है। लोकसभा के सदस्य सदैव इस बात का प्रयास करते हैं कि सरकार अपनी नीतियों का निर्माण एवं कार्यों का संपादन लोकहित को दृष्टिगत रखते हुए करें। क्योंकि लोकसभा के सदस्य प्रमुख ते हैं यही कार्य संपादित करते हैं अतः उन्हें सिर्फ कार्यपालिका पर नियंत्रण करने वाला सदन नहीं कहा जा सकता है।


प्रश्न 3. संसदीय समिति की व्यवस्था से संसद के विधायी कामों के मूल्यांकन और देखरेख का क्या प्रभाव पड़ता है?

 उत्तर- संसद के विधायी कार्यों के मूल्यांकन तथा देखरेख पर संसद की समिति व्यवस्था का सकारात्मक प्रभाव करता है। क्योंकि संसदीय समितियां किसी विधेयक पर बारीकी से विचार-विमर्श करके संसद को भेजती हैं अतः संसद को ऐसे विधेयको पर अधिक समय नहीं लगाना पड़ता है। संसदीय कार्यभार को संसदीय समिति व्यवस्था ने काफी कम करने में अहम भूमिका का निर्वहन किया है। अनेक अवसरों पर संसदीय समितियों के विधेयकों को संशोधित करना उन्हें अधिक उपयोगी बनाया है। हालांकि समिति की सिफारिशों को ससंद स्वीकार कर लेती है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि प्रत्येक विधायक पर समिति की रिपोर्ट को अक्षरशः स्वीकार किया जाए। सदन में समिति की रिपोर्ट पर विचार विमर्श करते समय यदि सदन यह महसूस करता है कि संबंधित विधेयक पर उचित तरीके से मंथन नहीं किया जा सकता है , अथवा उस पर कोई पश्चाताप पूर्ण परामर्श दिया है, तब तब वह उसे उसी समिति अथवा किसी अन्य नवगठित समिति को सौंप सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि संसद समिति की रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करते हुए अपना स्वयं का स्वतंत्र निर्णय भी ले सकती है।


परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर


अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1. व्यवस्थापिका का आशय स्पष्ट कीजिए।

 उत्तर- व्यवस्थापिका सरकार का वह अंग है, जो राज्य की इच्छा को संविधान, विधि तथा नीति संबंधी प्रस्तावों के रूप में व्यक्त करती है। अर्थात किसी राज्य में शासन के कानून वाले अंग को व्यवस्थापिका की उपमा दी जाती है।


प्रश्न 2. भारत की केंद्रीय व्यवस्थापिका संसद के कितने सदन हैं तथा उनके क्या नाम हैं ?

उत्तर- भारतीय संसद के दो सदन-(1) राज्य सभा तथा(2) लोक सभा हैं।


प्रश्न 3 वर्तमान में राज्यसभा की सदस्य संख्या क्या है?

 उत्तर- वर्तमान में भारतीय संसद के उच्च सदन द्वितीय सदन राज्यसभा में 245 सदस्य हैं, जिनमें 233 निर्वाचित तथा 12 मनोनीत हैं।


प्रश्न 4 राज्यसभा का गठन किस प्रकार होता है?

उत्तर- राज्यसभा के 233 सदस्यों का चुनाव प्रत्येक राज्य की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होता है तथा शेष 12 सदस्य कला, विज्ञान, साहित्य तथा समाज सेवा के क्षेत्र में व्याख्याता प्राप्त लोगों में से भारतीय राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।


प्रश्न 5 लोकसभा के सदस्यों की संख्या बताइए। 

उत्तर- भारतीय संसद के निम्न सदन लोकसभा में सदस्यों की संख्या 552 हो सकती है। वर्तमान में लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 है, जिनमें राज्य के 530 सदस्य, संघ प्रदेशों के 13 सदस्य तथा राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत एंग्लो इंडियन 2 सदस्य शामिल है।


प्रश्न 6. लोकसभा के सदस्यों का निर्वाचन कैसे किया जाता है ?

उत्तर - लोकसभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से गुप्त मतदान द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर किया जाता है तथा एक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य चुनाव जीत कर आता है।


प्रश्न 7. लोकसभा के कौन-कौन पदाधिकारी हैं तथा इनका चुनाव कौन करता है?

 उत्तर - लोक सभा के पदाधिकारियों में एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष होते हैं तथा उनका चुनाव लोकसभा के सदस्य अपने लोगों में से ही करते हैं।


प्रश्न 8. लोकसभा की कोई तीन शक्तियां लिखिए?

 उत्तर- (1) मंत्रिमंडल पर नियंत्रण लगाना, (2) साधारण तथा वित्त विधेयक को पारित कराना ,(3) संविधान में संशोधन का प्रस्ताव पारित कराना।


प्रश्न 9. लोकसभा मंत्रिमंडल पर किन-किन तरीकों से नियंत्रण लगाती है?

 उत्तर - (1)अविश्वास प्रस्ताव द्वारा , (2) मंत्रिमंडल की निंदा करके, (3) प्रश्न पूछकर तथा (4) काम रोको, ध्यानाकर्षण एवं निंदा प्रस्ताव लगाकर।


प्रश्न 10. लोकसभा का एक निर्वाचन संबंधी अधिकार बताइए।

 उत्तर- लोकसभा के सदस्य अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव करने का अधिकार रखते हैं।


★लघु उत्तरीय प्रश्न★


प्रश्न 1. संसद की चार शक्तियां लिखिए।

उत्तर- संसद की चार शक्तियां निम्नलिखित हैं-

(1) मूल रूप से संसद एक विधाई संस्था है अतः यह कानून बनाने का कार्य करती है।

(2) संसद की एक महत्वपूर्ण शक्ति यह भी है कि इसकी अनुमति के बिना ना तो कोई न्याय कर लगाया जा सकता है और ना ही किसी प्रकार की धनराशि खर्च की जा सकती है। समस्त शासकीय विभागों के आय-व्यय का लेखा-जोखा भी संसद के सामने रखा जाता है।

(3) संसद की 1 शक्ति यह भी है कि यह अपने लोकप्रिय सदन द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है।

(4) देश के संविधान में संशोधन करने की शक्ति भी संसद को ही हासिल है।


प्रश्न 2. लोकसभा सदस्यों का निर्वाचन किस प्रकार किया जाता है? 

उत्तर संसद के निम्न सदन अर्थात लोकसभा के 543 सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से गुप्त मतदान द्वारा व्यस्त मताधिकार के आधार पर किया जाता है, अर्थात प्रत्येक 18 वर्ष के महिला एवं पुरुष मतदाताओं को लोकसभा सदस्यों को चुनने का अधिकार है। संपूर्ण देश को अलग-अलग चुनाव क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है तथा वे इस तरह बनाए जाते हैं कि सभी की जनसंख्या प्रायः सम्मान हो। प्रत्येक क्षेत्र में जिस प्रत्याशी को सर्वाधिक मत मिलते हैं, वह लोकसभा का सदस्य बन जाता है। चुने हुए सदस्यों में एंग्लो इंडियन सदस्यों का का प्रतिनिधित्व न होने की दशा में भारतीय राष्ट्रपति को इस समुदाय के दो सदस्य मनोनीत करने का अधिकार है।


प्रश्न 3 लोकसभा की समयावधि पर टिप्पणी लिखिए ।

अथवा

 लोकसभा के कार्यकाल को समझाइए।

उत्तर- सामान्यतया लोकसभा के कार्यकाल की समयावधि 5 वर्ष है । लेकिन राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर 5 वर्ष से पहले भी लोकसभा को भंग कर सकता है । आपातकाल की दौरान लोकसभा का कार्यकाल एक वर्ष और बढ़ाया जा सकता है। आपातकाल घोषणा की समाप्ति के बाद 6 महीने की कार्यवाही के की समयावधि के भीतर नई लोकसभा का चुनाव होना जरूरी होता है। अतः परिस्थितियों के अनुरूप इसकी समयावधि कम अथवा अधिक हो सकती है। सरकार के अल्पमत में आ जाने पर भी लोकसभा भंग होने की आशंका रहती है।


प्रश्न 4 लोकसभा की कौन-कौन सी शक्तियां हैं? 

उत्तर- लोकसभा की शक्तियों में कानूनों का निर्माण करना, राज्य के वित्त पर अंकुश लगाकर आम तथा रेल बजट पारित कराना, मंत्री परिषद पर नियंत्रण रखना, संविधान संशोधन करना, राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करना, राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाना, न्यायाधीशों तथा अन्य उच्च न्यायाधीशों को पदच्युत कराने संबंधी प्रस्ताव पारित कराना उल्लेखनीय है। इसके अलावा लोकसभा को राष्ट्रपति द्वारा जारी आपातकालीन घोषणा को स्वीकृति देने की शक्ति भी हासिल है।


प्रश्न 5 लोकसभा के सदस्यों के विशेषाधिकार लिखिए।

 अथवा

 संसद सदस्यों के कोई तीन विशेषाधिकार लिखिए।


उत्तर- लोकसभा सदस्यों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 द्वारा निम्नलिखित विशेषाधिकार प्राप्त हैं-

(1) प्रत्येक लोकसभा सदस्य, सदन के विचार विमर्श में स्वतंत्रता पूर्वक हिस्सा ले सकता है तथा सदन में उसके द्वारा दिए गए भाषण को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।

(2) अधिवेशन के दौरान तथा उसके 40 दिन पहले तथा 40 दिन बाद तक दीवानी मामले में लोकसभा सदस्य को बंदी नहीं बनाया जा सकता।

(3) फौजदारी मामले में किसी भी लोकसभा सदस्य की गिरफ्तारी लोकसभा अध्यक्ष से पूर्व अनुमति लेकर ही कि जा सकती है।


प्रश्न 6. लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की नियुक्ति किस तरह होती है तथा उसके क्या अधिकार हैं?

 अथवा

 लोकसभा अध्यक्ष के कोई चार कार्य एवं शक्तियों को लिखिए।


उत्तर- लोकसभा के सबसे बड़े पदाधिकारी अर्थात (स्पीकर) की नियुक्ति सदन के सदस्यों के द्वारा बहुमत के आधार पर की जाती है लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं-

(1) कोई भी लोकसभा सदस्य स्पीकर की अनुमति मिलने पर ही सदन में भाषण दे सकता है।

(2) स्पीकर ही यह फैसला करता है कि कौन सा विधायक साधारण विधेयक है तथा कौन सा धन विधेयक है।

(3) प्रवर समितियों के सभापतियों की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा ही की जाती है।

(4) बजट पर होने वाले भाषणों की समय सीमा स्पीकर द्वारा निर्धारित की जाती है।

(5) संसद तथा राष्ट्रपति के बीच संपूर्ण पत्र व्यवहार स्पीकर द्वारा ही होता है।


प्रश्न 7 लोक सभा मंत्री परिषद पर किस तरह नियंत्रण लगाती है?

उत्तर- केंद्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है तथा उसका विश्वास को देने पर उसे पदच्युत होना पड़ता है। अर्थात लोकसभा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पारित किए जाने पर मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है। लोकसभा  सदस्य मंत्रियों से प्रश्न एवं पूरक प्रश्न पूछते हैं तथा स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं। लोकसभा सदस्य विभिन्न सरकारी विभागों की आलोचना करने की शक्ति भी रखते हैं । इसके अलावा भी सरकारी विधायक अथवा बजट को अस्वीकार करके अथवा मंत्रियों के वेतन में कटौती करके मंत्रिपरिषद का नियंत्रण रखते हैं।


प्रश्न 8 राज्यसभा का गठन किस प्रकार होता है?

उत्तर - भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य  हो सकते हैं, जिनमें 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है। यह मनोनीत 12 सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला अथवा सामाजिक क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्ति होते हैं। शेष सदस्य विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं , जिनका चुनाव राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य द्वारा समानुपाती प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है। वर्तमान राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं, जिनमें 233 निर्वाचित तथा 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत है।


प्रश्न 9. राज्यसभा के सभापति के विषय में आप क्या जानते हैं?

उत्तर- भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। उसका चुनाव संसद के दोनों सदन राज्यसभा एवं लोकसभा में निर्वाचित सदस्यों द्वारा सामानुपाती प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत पद्धति से गुप्त मतदान द्वारा किया जाता है । इसका कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित होता है। उसे ₹125000 प्रति माह वेतन एवं ₹1000 प्रतिमाह भत्ता तथा लोकसभा स्पीकर की भांति अन्य सुविधा भी मिलती है। राज सभा का सभापति सदन की बैठकों की अध्यक्षता करता है। वह उपयुक्त प्रश्नों और अपना फैसला देता है तथा राज सभा में व्यवस्था बनाए रखता है । राज्यसभा में किसी विषय पर हुए मतदान का निर्णय भी सभापति द्वारा ही घोषित किया जाता है।


प्रश्न 10 राज्यसभा की शक्तियों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए। 

उत्तर- राज्यसभा सामान्य कानूनों को बनाने में हिस्सा लेती है। राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा के सदस्य भाग लेते हैं। संविधान के संशोधन में भी राज्यसभा का उल्लेखनीय योगदान होता है तथा इसके दो तिहाई बहुमत की स्वीकृति के बिना कोई भी संविधानिक संशोधन नहीं हो सकता। राज्यसभा जहां मंत्रिपरिषद से प्रश्न इत्यादि पूछ कर उस पर नियंत्रण लगाती है वहीं राष्ट्रपति को पदच्युत करने संबंधी महाभियोग की प्रक्रिया में भी भाग लेती है। राज्यसभा अपने दो तिहाई बहुमत से कई अखिल भारतीय सेवाएं शुरू करने का अधिकार केंद्र सरकार को देती है। यह शक्ति लोक सभा को हासिल नहीं है।


प्रश्न 11. संसद सदस्यों के वेतन एवं भत्ते का विवरण दीजिए।

उत्तर- सांसद वेतन, भत्ता एवं पेंशन( विधायक ),अगस्त 2010 पारित होने के पश्चात प्रत्येक संसद सदस्य को 50000 मासिक वेतन , संसदीय कार्य के दौरान ₹2000 दैनिक भत्ता ,संसदीय क्षेत्र भत्ता 45000 रुपए , कार्यालय भत्ता ₹45000 ,, संसद सत्र एवं अन्य बैठकों हेतु विकलांग सांसदों के लिए 15 प्रीति किलोमीटर सड़क मार्ग भत्ता, उन्हें दिल्ली में 2400000 का निवास, 50000 की बिजली, 200000 का टेलीफोन , एवं ₹18000 तक का ब्रॉडबैंड, 13 लाख 99 हजार तक की हवाई यात्रा प्रथम एसी में 72000 और द्वितीय सी में 36000 की रेल यात्रा के साथ चार लाख तक का ब्याज मुक्त वाहन ऋण मिलता है । इस प्रकार प्रत्येक सांसद लगभग 60 लाख 95000 वार्षिक प्राप्त करता है।


प्रश्न 12. संसदीय समिति के महत्व को संक्षेप में लिखिए। 

उत्तर - भारत में 1983 से संसद की स्थायी समितियों की प्रणाली विकसित हुई है। विभिन्न विषयों से संबंधित संसद की 20 स्थाई समितियां हैं। यह समितियां कानून बनाने के साथ-साथ संसद के दैनिक कार्यों में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संसदीय समितियां विभिन्न विभागों के कार्यों एवं उसके बजट खर्चों तथा उनसे संबंधित विधायकों की जांच पड़ताल करती हैं। संसद की स्थायी समितियों ने संसदीय कार्य भार को काफी कम कर दिया है , क्योंकि प्रस्तुत विधायकों पर पहले स्थायी समितियों द्वारा ही विस्तार पूर्वक विचार विमर्श किया जाता हैं। इसके पश्चात इसके द्वारा किए गए संशोधनों के साथ विधेयक संसद में प्रस्तुत होता है अतः इन समितियों का संसद के लिए मैं जो पूर्ण स्थान है।



★दीर्घ उत्तरीय प्रश्न★


प्रश्न 1. संसद की शक्तियां लिखते हुए किसी एक को समझाइए । 

उत्तर- संसद की शक्तियों में विधायी अथवा कानून बनाने संबंधी शक्ति, वित्तीय शक्ति , कार्यपालिका पर अंकुश लगाने की शक्ति तथा संविधान को संशोधित करने की शक्ति प्रमुख है।

संसद की कार्यपालिका पर नियंत्रण (अंकुश) संबंधित शक्ति- हमारे देश में संसदात्मक अथवा संसदीय शासन प्रणाली है। भारत में वास्तविक कार्यपालिका संसद के लोक सदन के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है। संसद काम रोको प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव तथा ध्यानाकर्षन इत्यादि प्रस्तावों द्वारा कार्यपालिका की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगाती है। इसी प्रकार संसद के दोनों सदनों के सदस्य किसी भी मंत्री से शासन संबंधी विभिन्न मुद्दों पर कोई भी प्रश्न कर सकते हैं। अंततः लोक सदन द्वारा सत्तारूढ़ी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है। इस प्रस्ताव के पारित होने की स्थिति में सरकार को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ेगा।


प्रश्न 2. लोक सभा का गठन किस प्रकार होता है?

 उत्तर - संसद के निम्न सदन अथवा लोकसभा का गठन निम्न प्रकार होता है-

(1) सदस्य संख्या- लोकसभा की सदस्य संख्या समय अनुसार बदलती रहती है। वर्तमान में यह संख्या 545 है। इसमें संघ के 29 राज्यों से 530, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से 7 तथा केंद्र प्रशासित 6 क्षेत्रों से 6 सदस्य हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति द्वारा अगर भारतीय समुदाय के मनोनीत 2 सदस्य भी इसमें सम्मिलित हैं। उक्त सदस्य मैं अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों को उचित प्रतिनिधित्व के लिए सुरक्षित स्थान भी शामिल है।

(2) सदस्यों की योग्यताएं- 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका कोई भी भारतीय जो किसी भी लोकसभा चुनाव क्षेत्र से मतदाता हो, पागल अथवा दिवालिया घोषित ना किया गया हो सदन का सदस्य बनने योग्य है। उसे समय-समय पर संसद द्वारा निर्धारित सभी अनिवार्य शर्तों की को भी पूरा करना होगा ।

(3) निर्वाचन- लोकसभा का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से गुप्त मतदान द्वारा व्यस्त मताधिकार के आधार पर किया जाता है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में जिस प्रत्याशी को सर्वाधिक वोट मिलते हैं, वह लोकसभा का सदस्य बन जाता है।

(4) लोकसभा का कार्यकाल- सामान्यतया लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है ,लेकिन इससे पूर्व प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति इसे भंग कर सकता है। आपातकाल की घोषणा की स्थिति में लोकसभा का कार्यकाल 1 वर्ष और बढ़ाया जा सकता है।

(5) अधिवेशन- लोकसभा की एक बैठक की अंतिम तिथि से दूसरी बैठक की प्रथम तिथि में 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए । इस तरह प्रतिवर्ष कम से कम 2 अधिवेशन होते हैं।

(6) गणपूर्ति- लोकसभा की गणपूर्ति कुल सदस्य संख्या का दसवां हिस्सा है अर्थात वर्तमान में लोकसभा के 55 सदस्य उपस्थित होने पर ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हो सकेगी।

(7) वेतन एवं भत्ते- लोकसभा सदस्य को समय-समय पर संसद द्वारा निर्धारित वेतन भत्ते, पेंशन तथा अन्य सुविधा दी जाती है। वर्तमान में अगस्त 2010 से संशोधित विधेयक पारित होने के पश्चात प्रत्येक पद सदस्य के वेतन, भत्ते एवं अन्य सुख सुविधाओं पर लगभग 6095000  व्यय होते हैं।

(8) पदाधिकारी- लोकसभा के दो  पदाधिकारी अध्यक्षता एवं उपाध्यक्ष हैं ,.जिन का चुनाव लोकसभा सदस्य द्वारा स्वयं अपने सदस्यों में से ही किया जाता है।


प्रश्न 3. लोकसभा की शक्तियों को समझा कर लिखिए।

 अथवा 

लोकसभा की शक्तियों और कार्यों का वर्णन कीजिए।


उत्तर -संसद की महत्वपूर्ण इकाई लोकसभा की शक्तियां निम्न प्रकार है-

(1) कार्यपालिका संबंधी शक्तियां- भारतीय संसदीय व्यवस्था में प्रधानमंत्री एवं उसकी मंत्रिपरिषद वास्तविक रूप में लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। यदि लोकसभा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दे, तो उसे पद त्याग करना पड़ता है। इसके अलावा लोकसभा प्रश्नोत्तर , काम, रोको, ध्यानाकर्षण , निंदा ,कटौती प्रस्ताव तथा संसदीय समितियों के माध्यम से भी मंत्रिपरिषद् पर अंकुश लगा दी है।

(2) व्यवस्थापिका संबंधी शक्तियां- लोकसभा एवं संघ सूची के विषय पर कानून बनाती है। समवर्ती सूची पर भी कानून बनाने की शक्ति है। इसके अलावा कुछ विशेष परिस्थितियों में राज्य सूची में वर्णित विषयों पर भी कानून बना सकती है। गैर विधेयकों अथवा वित्तीय विधेयकों के संबंध में यदि संसद के दोनों सदनों में कोई मतभेद हो , तो संयुक्त अधिवेशन में लोकसभा की स्थिति शक्तिशाली होती है तथा वह विधेयक को पारित कराने की स्थिति में होती है।

(3) वित्तीय शक्तियां- वित्त के संदर्भ में लोकसभा की स्थिति काफी मजबूत है। क्योंकि कोई भी वित्त विधेयक सर्वप्रथम लोकसभा में ही पेश किया जाता है। लोकसभा द्वारा पारित होने के बाद वित्त विधेयक राज्यसभा में जाता है जो कि उसे अधिकतम 14 दिन रोक सकती है। यदि इस समयावधि में राज्यसभा से पारित ना करे तो भी वह अपने आप पारित हुआ मान लिया जाता है।

(4) निर्वाचन संबंधी शक्तियां- लोकसभा राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति अपने अध्यक्ष अथवा स्पीकर तथा उपाध्यक्ष अथवा डिप्टी स्पीकर का निर्वाचन कराती है।

(5) महाभियोग लगाने संबंधी शक्ति- लोकसभा राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा चुनाव आयुक्तों के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव भी पारित करने का अधिकार रखती है।

(6) संविधान संशोधन संबंधी शक्ति- संविधान संशोधन प्रक्रिया में लोकसभा की उपस्थिति एवं मतदान करने वाले सदस्यों का दो तिहाई बहुमत जरूरी है।

(7) आपातकालीन शक्तियां अनुच्छेद 352 ,356 तथा 360 के अधीन राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की उद्घोषणा एवं एक निश्चित समयावधि के बाद तभी लागू रह सकती है , जब लोकसभा इसका अनुमोदन कर दे। राज्यों में राष्ट्रपति शासन की समय अवधि भी लोकसभा की अनुमति के बिना नहीं बढ़ा सकती।

(8) अन्य शक्तियां- (1) उपराष्ट्रपति को पदच्युत करने संबंधी राज्यसभा के प्रस्ताव पर लोकसभा की स्वीकृति जरूरी है। 

(2) भारतीय नागरिकता को प्राप्त करने तथा समाप्त करने के संबंध में लोकसभा कानून बनाती है।

 (3) यदि राष्ट्रपति सर्वोच्च जमा देना चाहे तो उसकी स्वीकृति संसद से लेनी जरूरी है।

(4) लोकसभा जनसमस्याओं, शिकायतों, विचारों एवं भावनाओं को सरकार तक पहुंचाती है।


प्रश्न 4 लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं शक्तियों की विवेचना कीजिए।

 अथवा 

लोकसभा अध्यक्ष के कोई पांच कार्य लिखिए। 

उत्तर- लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के कार्य एवं शक्तियों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) सदन की कार्यवाही का संचालन- लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) सदन की बैठकों की अध्यक्षता करके सदन की कार्यवाही को संचालित करता है। वह सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों को स्वीकार अथवा नियम विरुद्ध होने पर अस्वीकार कर सकता है।

(2) निर्णायक मत देना- साधारणतया स्पीकर मतदान में हिस्सा नहीं लेता है, लेकिन मत विभाजन के दौरान बराबर बराबर मत पड़ने की स्थिति में अपना निर्णायक मत दे सकता है।

(3) सदस्यों को चेतावनी देना- सदन में अनुशासनहीनता बरतने वाले सदस्यों को लोकसभा अध्यक्ष चेतावनी देता है। अपनी आज्ञा का उल्लंघन करने वालों को 'मार्शल' की मदद से सदन से बाहर निकलवा  सकता है।

(4) विधेयक की श्रेणी का निर्धारण एवं मतदान कराना- कोई विधेयक वित्त विधेयक है अथवा नहीं उसका अंतिम निर्णय स्पीकर द्वारा ही किया जाता है ।वह प्रस्तावों तथा विधेयकों को इत्यादि पर मतदान कराकर उसके परिणाम की घोषणा भी करता है।

(5) प्रमुख समितियों का पदेन अध्यक्ष- लोकसभा का स्पीकर सदन कि प्रवर समितियां के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है तो तक कुछ समितियों का भय स्वयं पदेन अध्यक्ष होता है उदाहरणार्थ- नियम समिति तथा कार्यवाही समिति इत्यादि।


प्रश्न 5 राज्यसभा का गठन किस प्रकार होता है ?

उत्तर -संसद के उच्च सदन राज्यसभा का गठन निम्न प्रकार होता है-

(1) सदस्य संख्या- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें 12 सदस्य राष्ट्र राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला अथवा सामाजिक क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले लोगों में से मनोनीत किए जाते हैं। वर्तमान में राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं, जिनमें 233 निर्वाचित एवं 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य हैं।

(2) सदस्यों की योग्यताएं- 30 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका कोई भी भारतीय जो किसी भी लोकसभा क्षेत्र से मतदाता हो, पागल अथवा दिवालिया घोषित ना किया गया हो अथवा समय-समय पर संसद द्वारा निर्धारित सभी जरूरी शर्तों को पूर्ण करता हो , राज्यसभा का सदस्य बनने योग्य है।

(3) निर्वाचन- राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधान मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर एकल संक्रमणीय मत द्वारा गुप्त मतदान द्वारा किया जाता है। इस निर्वाचन व्यवस्था में राज्य विधानसभा के जिस दल में जितने सदस्य होते हैं, उसी अनुपात में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित होते हैं। इससे बड़े राजनीतिक दल फायदे और छोटे दल नुस्कान में रहते हैं।

(4) कार्यकाल- राज्यसभा एक स्थायी सदन है जिसका विघटन राष्ट्रपति भी नहीं कर सकता है। इसके सदस्यों का निर्वाचन  6 बर्ष हेतु किया जाता है, जिसमें से एक तिहाई सदस्य प्रति 2 वर्ष बाद अवकाश ग्रहण कर लेता है और उसके स्थान पर नए सदस्य निर्वाचित कर दिए जाते हैं।

(5) वेतन, भत्ते एवं अन्य सुविधाएं- राज्यसभा सदस्यों को लोकसभा सदस्यों की तरह ही वेतन , भत्ते एवं अन्य सुविधाएं मिलती हैं।

(6) गणपूर्ति अथवा कोरम- राज्यसभा की कार्यवाही संचालित करने हेतु गणपूर्ति अथवा कोरम की व्यवस्था की गई है, जो कि इस की सदस्य संख्या का दसवां भाग है।

(7) पदाधिकारी- भारत का उप राष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। राज्यसभा अपने सदस्यों में से एक उपसभापति चुनती है , जो सभापति की अनुपस्थिति में उसके आसन को ग्रहण कर सदन की कार्यवाही संचालित करता है।


 प्रश्न 6 राज्यसभा की शक्तियों और कार्यों का वर्णन कीजिए।

 उत्तर- राज्यसभा की शक्तियों और कार्यों का वर्णन निम्न प्रकार है-

(1) विधाई शक्तियां- राज्यसभा लोकसभा के साथ मिलकर कानून बनाने का कार्य करती है। आदित्य विद्या के के बारे में संसद के दोनों सदनों को बराबर शक्तियां हासिल है। यह विधेयक दोनों सदनों में से किसी भी सदन में पहले प्रस्तावित किया जा सकता है तथा दोनों सदनों से प्रस्तावित होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के पश्चात यह कानून का रूप ले लेता है।

(2) कार्यपालिका संबंधी शक्तियां- हालांकि राज्यसभा का कार्यपालिका पर नियंत्रण नहीं रहता तथा वह उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर सकती है। लेकिन यह प्रश्नोत्तर , ध्यानाकर्षण, निंदा तथा काम रोको प्रस्ताव एवं संसदीय समितियों के माध्यम से कार्यपालिका पर अंकुश लगाती है।

(3) वित्तीय शक्तियां- वित्त के संबंध में राज्यसभा लोकसभा की अपेक्षा कमजोर है क्योंकि वित्त विधेयक सबसे पहले राज्यसभा में नहीं रखे जा सकते हैं। लेकिन लोकसभा द्वारा पारित वित्त विधेयक को राज्यसभा को 14 दिन की समयावधि के भीतर पारित करके भेजना होता है। यदि इस समय अवधि में इस विधेयक को वापस ना करे तो भी यह पारित मान लिया जाता है।

(4) संविधान संशोधन संबंधी शक्तियां- संविधान में संशोधन करने की स्थिति में राज्यसभा को लोकसभा की तरह ही शक्तियां प्राप्त हैं। संविधान संशोधन पारित होने के लिए दोनों सदनों में पृथक पृथक रूप से उपस्थित (आधे से अधिक सदस्यों की उपस्थिति) अथवा मतदान कराने वाले सदस्यों का दो तिहाई बहुमत जरूरी है। यदि लोकसभा द्वारा पारित संविधान संशोधन को राज्यसभा स्वीकृत कर देती है तो वह अस्वीकार नहीं माना जाएगा।

(5) निर्वाचन संबंधी शक्तियां- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लेते हैं। उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा के निर्वाचित एवं मनोनीत दोनों ही सदस्य भाग लेते हैं अथवा अपना उपसभापति विषय ही चुनते हैं।

(6) अन्य शक्तियां- (1) राज्य सभा राज्य सूची से संबंधित किसी भी विषय को दो तिहाई बहुमत से राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर सकती है।

 (2) राज्यसभा आपने उपस्थिति तथा मत देने वाले सदस्यों को दो तिहाई बहुमत से नई अखिल भारतीय सेवाएं शुरू करने का अधिकार केंद्र सरकार को दे सकती है।

( 3 ) राज्यसभा को लोकसभा के साथ राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पर महाभियोग का आरोप लगाने अथवा उनकी जांच करने का अधिकार है ।


प्रश्न 7 धन विधेयक तथा साधारण विधेयक में अंतर बताइए।

 उत्तर धन विधेयक तथा साधारण विधेयक के मध्य अंतर  संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) धन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तावित किया जा सकता है। लोकसभा द्वारा पारित होने के पश्चात विधेयक को राज्यसभा में पारित होने के लिए भेजा जाता है। इसके विपरीत साधारण विधेयक संसद के किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है।

(2) धन विधेयक को सदन में प्रस्तावित करने से पूर्व राष्ट्रपति की स्वीकृति आवश्यक है जबकि साधारण विधेयक को प्रस्तावित करने के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति लेना जरूरी नहीं है।

(3) धन विधेयक को दूसरे सदन में भेजने से पहले लोकसभा अध्यक्ष को यह प्रमाणित करना जरूरी है कि यह धन विधायक हैं जबकि साधारण विधेयक के लिए इस प्रकार के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होती है।

(4) धन विधेयक को राज्यसभा केवल 14 दिन तक ही अपने पास रोक सकती है, जबकि साधारण विधेयक को राज्यसभा छः माह तक अपने पास रोक सकती है।

(5) धन विधेयक पर राष्ट्रपति की स्वीकृति देनी ही पड़ती है। है उसे पुनर्विचार के लिए लौटा नहीं सकता , जबकि साधारण विधेयक को राष्ट्रपति पुनर्विचार के लिए संसद को वापस भेज सकता है, लेकिन पुनर्विचार के बाद राष्ट्रपति को विधेयक पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होता है।


प्रश्न 8 नवीन संसदीय समिति प्रणाली को समझाइए।

उत्तर- वर्तमान में हमारे देश की संसद अपना कार्य अनेक समितियों की सहायता से क्रियान्वित करती है। हालांकि भारत में समिति प्रणाली अत्याधिक प्राचीन है, लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय संसद में स्थायी समिति कब आभाव रहा है । इसके अलावा समय अभाव की वजह से वित्तीय समितियां भी अपना कार्य उचित प्रकार नहीं कर पाती हैं। अनेक मंत्रालय एवं विभागों की अनुदान मांगों को तो बिना कोई परिचर्चा किए ही पारित किया जाता रहा है । अतः समितियों के विभिन्न दोषों को समाप्त करने हेतु 29 मार्च, 1993 को संसद ने विभिन्न मंत्रालयों की बजट अनुदान मांगों, उनकी वार्षिक रिपोर्टों विधायकों तथा सरकार की दीर्घकालीन नीतियों पर विचार करने के लिए नवीन समिति प्रणाली प्रारंभ करने का प्रस्ताव पारित किया ।


संख्या- 1 अप्रैल, 1993 को विभिन्न मंत्रालयों, विभागों से क्रिया कलाप तथा बजट मांगों पर विचार करने के लिए 17 संसदीय समितियां गठित की हैं। इन समितियों के नाम क्रमशः वाणिज्य समिति, गृह समिति , मानव संसाधन विकास समिति, उद्योग समिति, विज्ञान समिति, पर्यावरण समिति, परिवहन पर्यटन समिति, कृषि समिति, संचार समिति, रक्षा समिति, ऊर्जा समिति, विदेश मंत्रालय समिति, वित्त समिति, खाद्य नागरिक आपूर्ति समिति , श्रम एवं कल्याण समिति, रेलवे समिति तथा शहरी ग्रामीण विकास समिति हैं।


संगठन- प्रत्येक संसदीय समिति की सदस्य संख्या 45 है जिसमें लोकसभा से 30 तथा राज्यसभा से 15 सदस्य होते हैं। राजनीतिक दलों के सदस्यों की संख्या के आधार पर समितियों में उनको उचित प्रतिनिधित्व दिए जाने का प्रावधान किया गया है। समितियों के लिए जो नाम राजनीतिक दलों के नेतृत्व कर्ताओं द्वारा सुझाए जाते हैं, प्रायः उन्हें ही स्वीकार कर लिया जाता है। हालांकि समिति मैं  यह सदस्य 1 वर्ष की समयावधि हेतु रहते हैं, लेकिन यदि संबंधित राजनीतिक दल उन को पुनः उसी समिति के लिए मनोनीत करने को स्वतंत्र है। समिति के अध्यक्ष की नियुक्त लोकसभा के अध्यक्ष अर्थात् स्पीकर द्वारा की जाती है।



कार्य -इन संसदीय समितियों का कार्य क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। बजट मांगों पर चर्चा, विधायक का निरीक्षण भारत की दीर्घकालीन नीतियों पर विचार विमर्श के अलावा समितियां अपने मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट पर भी चर्चा करती हैं। इन संसदीय समितियों को समय-समय पर सचिवालय संबंधी आवश्यकताओं तथा वाह्य विशेषज्ञों की सहायता इत्यादि भी उपलब्ध कराई जाती है।



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