class 11th Political Science chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार full solution//कक्षा 11वी राजनीति विज्ञान पाठ 2 भारतीय संविधान में अधिकार पूरा हल
NCERT Class 11th Political Science Chapter 2 Rights and Duties in the indian Constitution Solution
Class 11th Political Science Chapter 2 NCERT Textbook Question Solved
अध्याय 2
भारतीय संविधान में अधिकार
★महत्वपूर्ण बिंदु★
● नागरिकों के व्यक्तित्व विकास हेतु परमावश्यक है कि संविधान में ही मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया जाए।
● भारतीय संविधान के तीसरे भाग में अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक, नागरिकों के छ: मौलिक अधिकारों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
● मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकारों का वर्णन था लेकिन 44 में संवैधानिक संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों से कानूनी अधिकार बना दिया गया।
●वर्तमान में संविधान में समता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार , धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सांस्कृतिक शैक्षिक अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार है ।
● संवैधानिक उपचारों के अधिकार द्वारा प्रत्येक नागरिक अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय की शरण में जा सकता है।
●संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत न्यायपालिका बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश , निषेध आदेश , अधिकार पृच्छा, उत्प्रेषण रिट, जैसे विशेष अधिकार आदेश दे सकती है।
● मौलिक अधिकारों के हनन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से 1993 में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग गठित किया गया।
● भारतीय संविधान में कुछ नीति निदेशक तत्व का भी समावेश है, परंतु उन्हें न्यायपालिका के माध्यम से लागू नहीं किया जा सकता है
● जहां मौलिक अधिकार सरकार के कुछ कार्यों पर प्रतिबंध लगाते हैं वही नीति निदेशक तत्व उसे कुछ कार्यों को करने की प्रेरणा देते हैं।
● 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा नागरिकों के 10 मौलिक कर्तव्यों का समावेश किया गया।
● 46वें संवैधानिक संशोधन के पश्चात सूची में 11 मौलिक कर्तव्य हो गए।
★पाठान्त प्रश्नोत्तर★
प्रश्न 1. गरीबों के बीच काम कर रहे एक कर्म कार्यकर्ता का कहना है कि गरीबों को मौलिक अधिकारों की जरूरत नहीं है । उनके लिए जरूरी यह है कि नीति निदेशक सिद्धांतों को कानूनी तौर पर बाध्यकारी बना दिया जाए । क्या आप इससे सहमत हैं ? अपने उत्तर का कारण बताएं।
उत्तर- मैं व्यक्तिगत रूप से कार्यकर्ताओं के विचारों से सहमत हूं। यदि नीति निदेशक सिद्धांतों को कानूनी रूप से बाध्यकारी बना दिया जाए, तो भी श्रमिकों को मौलिक अधिकार की आवश्यकता रहेगी। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह निर्धन हो अथवा धनी उसे विकास हेतु मौलिक अधिकारों की परम आवश्यकता है। सर्वविदित है कि मौलिक अधिकारों द्वारा ही नागरिक को समानता एवं स्वतंत्रता का अधिकार मिल पाता है ।
नीति निदेशक सिद्धांतों को बाध्यकारी बनाना भी संभव नहीं है। चूँकि इन सिद्धांतों का प्रमुख उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। यदि इन सिद्धांतों को बाध्यकारी बना दिया गया तब उसके लिए व्यापक संशोधनो की भी व्यवस्था राज्य को करनी पड़ेगी जो कि व्यावहारिक रूप से काफी कठिन काम है
प्रश्न 2. अनेक रिपोर्टों से पता चलता है ,कि जो जातियां पहले झाड़ू देने के काम में लगी थी। उन्हें मजबूरन यही काम करना पड़ रहा है । जो लोग अधिकार पद पर बैठे हैं वे उन्हें कोई और काम नहीं देते। इनके बच्चों को पढ़ाई लिखाई करने पर हतो। त्साहित किया जाता है इस उदाहरण से आपके मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
उत्तर- उक्त उदाहरण में समानता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन हो रहा है । उदाहरण में कुछ लोगों के साथ जाति तथा उनके कार्य के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है। सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के शासकीय नौकरियों अथवा पदों पर आसीन होने का अधिकार है । उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता एवं छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है।
प्रश्न 3. इस अध्याय में उध्दृत को सोमनाथ लाहिड़ी द्वारा संविधान सभा में दिए गए वक्तव्य को पढ़े, क्या आप उनके कथन से सहमत हैं? यदि हां तो इसकी पुष्टि में कुछ उदाहरण दें । यदि नहीं तो उनके कथन के विरुद्ध तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर- मैं व्यक्तिगत रूप से सोमनाथ लाहिड़ी द्वारा संविधान सभा में दिए गए उनके वक्तव्य से पूर्ण तरह सहमत हूं । हालांकि इसमें जरा भी संदेह नहीं है, कि हमारे देश का संविधान प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भेदभाव के विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन राज्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से इन पर कुछ प्रतिबंध भी लगा सकता है । लगभग सभी अधिकारों पर कुछ कुछ प्रतिबंध भी लागू किए गए हैं। लेकिन अधिकारों पर कुछ बाध्यकारी प्रतिबंधों का यह अभिप्राय नहीं है कि अधिकार एक हाथ से देकर दूसरे हाथ में वापस ले लिया गए हैं। असल में स्वतंत्रता अथवा समानता नकारात्मक ना होकर सकारात्मक है । समस्त नागरिकों को अधिकार तभी मिल सकते हैं जब उन पर उचित एवं नैतिकता से परिपूर्ण प्रतिबंध हों। अधिकार कदापि असीमित नहीं हो सकते हैं, क्योंकि राज्य की सुरक्षा अति महत्वपूर्ण होती है तथा आपातकालीन परिस्थितियों में राज्य की सुरक्षा हेतु अधिकारों को प्रतिबंधित करना सर्वथा उचित ही है।
प्रश्न 4. आपके अनुसार कौन सा मौलिक अधिकार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है? इस के प्रावधान को संक्षेप में लिखो और तर्क देकर बताएं कि यह क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर- संवैधानिक उपचारों का अधिकार सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 में वर्णित संवैधानिक उपचारों का अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान करता है । इस अधिकार द्वारा कोई भी नागरिक अपने मौलिक अधिकारों के हनन के विरुद्ध न्यायपालिका में प्रार्थना पत्र देकर अपने अधिकार की रक्षा की अपील कर सकता है। मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, निषेध, आदेश और उत्प्रेषण तथा अधिकार पृच्छा जारी कर सकता है। संवैधानिक उपचारों का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, क्योंकि यदि किसी भी व्यक्ति के किसी भी मौलिक अधिकार या उल्लंघन होता है तब वह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप न्यायालय की शरण ले सकता है। "डॉक्टर अंबेडकर ने तो इस अधिकार को संविधान की मूल आत्मा तथा मर्म कहकर संबोधित किया था"।
★परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर★
◆अति लघु उत्तरीय प्रश्न◆
प्रश्न 1. मौलिक अधिकार का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- संविधान के अंतर्गत जिन कानूनी अधिकारों का उल्लेख किया जाता है, उन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है। यह अधिकार होते हैं जो किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास हेतु अनिवार्य होते हैं।
प्रश्न 2. मौलिक अधिकारों का क्या महत्व है?
उत्तर- मौलिक अधिकारों द्वारा जहां व्यक्ति के जीवन , संपत्ति तथा स्वतंत्रता की रक्षा होती है, वहीं यह सरकार को मनमानी करने से भी रोक कर नागरिकों में आत्मविश्वास उत्पन्न करते हैं
प्रश्न 3. दक्षिण अफ्रीका का संविधान कब लागू हुआ तथा इस संविधान में उल्लेखित किन्हीं दो प्रमुख अधिकारों को लिखिए।
उत्तर- दक्षिण अफ्रीका का संविधान दिसंबर, 1996 में लागू हुआ। इस संविधान में उल्लेखित दो प्रमुख अधिकार-
(1) गरिमा का अधिकार था। तथा
(2) श्रम संबंधित समुचित व्यवहार का अधिकार है।
प्रश्न 4. शोषण के विरुद्ध अधिकार के कोई दो प्रावधान लिखिए।
उत्तर(1) मानव से दुर्व्यवहार बंधुआ मजदूरी पर रोक।
(2) जोखिम वाले कार्यों में बालकों से मजदूरी कराने पर रोक।
प्रश्न 5. संविधान द्वारा अल्पसंख्यकों को दिए जाने वाले किन्हीं दो मौलिक अधिकारों को लिखिए।
उत्तर-(1) धर्म अथवा भाषाई आधार पर सभी अल्पसंख्यकों को यह मौलिक अधिकार है, कि वे अपनी स्वेच्छा से शिक्षा संस्थाओं की स्थापना एवं उनका प्रबंध कर सकते हैं।
(2) राज्य द्वारा शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने देते समय शिक्षा संस्था के प्रति इस आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है कि वह अल्पसंख्यकों के प्रबंध के अधीन है।
प्रश्न 6. किन्हीं दो परिस्थितियों का उल्लेख करें जिसमें मौलिक अधिकारों को सीमित किया जा सकता है?
उत्तर-(1) युद्ध एवं बाहरी देश द्वारा आक्रमण के दौरान घोषित राष्ट्रीय आपातकाल में भारतीय राष्ट्रपति अधिकारों को सीमित कर सकता है।
(2) देश में सशस्त्र विद्रोह तथा आंतरिक हालात खराब होने पर लागू किए गए आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।
प्रश्न 7. मौलिक अधिकारों की कोई दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-(1) सभी नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार व्यापक एवं विस्तृत हैं।
(2) मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं।
प्रश्न 8. राष्ट्र के प्रति नागरिक का क्या मौलिक कर्तव्य है?
उत्तर- प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है, कि वे संविधान राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रीय गीत का सम्मान करें।
प्रश्न 9 महिला कल्याण संबंधी किन्हीं दो निर्देशक सिद्धांतों को लिखिए।
उत्तर-(1) महिलाओं को पुरुषों के समान ही पारिश्रमिक वेतन मिले।
(2) महिलाओं के स्वास्थ्य तथा शक्ति का दुरुपयोग ना हो और वह अपनी आर्थिक आवश्यकताओं से वाद्य होकर कोई ऐसा कार्य करने को मजबूर न हों। जो उनके उम्र तथा क्षमता के अनुकूल न हों।
प्रश्न 10. मानवाधिकार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- मानवाधिकार संपूर्ण मनुष्य जाति के से संबंधित वे अधिकार है, जो लोगों के चहुमुखी विकास एवं कल्याण हेतु जरूरी होते हैं।
प्रश्न 11. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन कैसे होता है?
उत्तर- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन सर्वोच्च न्यायालय का एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश, किसी उच्च न्यायालय का एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा मानव अधिकारों के बारे में ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव रखने वाले दो और सदस्यों द्वारा होता है।
प्रश्न 12 मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के सदस्यों का कार्यकाल बताइए।
उत्तर- मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष अथवा 70 वर्ष की आयु तक जो भी हो, है वर्तमान में न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं।
◆लघु उत्तरीय प्रश्न◆
प्रश्न 1. मूल अधिकार क्या है? भारतीय नागरिकों को कितने मूल अधिकार प्राप्त हैं?
उत्तर- मूल्य अधिकारों का तात्पर्य उन अधिकारों से है, जो व्यक्ति के किसी विकास में सहायक होते हैं और जिनके बिना व्यक्ति का जीवन असंभव है। विभिन्न देशों के संविधान में मूल अधिकारों की व्यवस्था की गई है। भारतीय नागरिकों को छः मूल अधिकार प्राप्त हैं। इनमें स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार ,धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय इन मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करता है।
प्रश्न 2. संविधान सभा ने किन कारणों से मौलिक अधिकारों का उल्लेख संविधान में किया?
उत्तर- संविधान सभा ने भारत के संविधान में निम्नलिखित कारणों से मौलिक अधिकारों को सम्मिलित किया-
(1) भारतीयों के मौलिक अधिकारों के संबंध में बहुत ही पुरानी मांग थी, जिसको की पूर्ण किया जाना जनहित में आवश्यक था।
(2) संविधान में मौलिक अधिकार इस वजह से भी वर्णित किए गए हैं क्योंकि सभी नागरिकों को किसी भी भेदभाव के बिना मूल अधिकार प्राप्त होने की गारंटी मिल सके।
(3) अल्पसंख्यकों के अधिकारों एवं हितों की रक्षा हेतु मौलिक अधिकारों का प्रावधान किया जाना परम आवश्यक है।
(4) छुआछूत, बेकार तथा महिलाओं एवं बालकों के प्रति अन्याय जैसे अनेक सामाजिक 200 को समाप्त करने के लिए मौलिक अधिकारों का संविधान में वर्णन किया जाना जरूरी था।
प्रश्न 3. संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों से क्यों हटाया गया?
उत्तर- भारतीय संविधान में 44 वें संविधान संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के अध्याय से निकालकर केवल कानूनी अधिकार बनाया गया । संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के अध्याय से निकालने अथवा हटाने का प्रमुख कारण उसका भूमि सुधार अधिनियम के मार्ग में एक बड़ी रुकावट अथवा बाधा पैदा करना था। अतः भारत से जमींदारी प्रथा को उखाड़ फेंकने के लिए संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के अध्याय से हटाना परम आवश्यक था। संपत्ति का अधिकार समाजवाद की स्थापना के रास्ते में भी रोड़ा अटका रहा था। समाजवाद एक राष्ट्रीयकरण की नीति को लागू करने के लिए संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची में हटा दिया गया।
प्रश्न 4 मौलिक कर्तव्यों के उद्देश्य एवं स्थिति को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर- भारतीयों में देशभक्ति की भावना को संग्रहण रखने के लिए संविधान में मौलिक कर्तव्यों का समावेश किया गया है। मौलिक कर्तव्य का उद्देश्य है कि देश में ऐसी आचरण संहिता का परिपालन करें अल्पविराम जिसमें राष्ट्रीय एकता अल्पविराम संप्रभुता तथा अखंडता को बल मिले । इसके माध्यम से विविध कार्यों के संपादन में सामंजस्य , एकता , भाईचारा तथा धार्मिक सहिष्णुता के आचरण को बढ़ावा मिले। मौलिक कर्तव्य द्वारा राज्य की कार्यप्रणाली में नागरिकों की उपयोगिता सिद्ध होती है। देशवासियों से यह अपेक्षा की जाती है कि मैं अपनी संपूर्ण शक्ति से मौलिक कर्तव्यों का परिचालन करें।
नीति निर्देशक सिद्धांतों की तरह ही मौलिक कर्तव्य को भी न्यायपालिका द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता है। तदापि मौलिक कर्तव्य में सामाजिक कर्तव्य एवं दायित्व को पूर्ण करने हेतु सदैव प्रेरित करते हैं। यह आदर्श भारतीय संविधान के भी आधार रहे हैं
प्रश्न 5. मौलिक अधिकारों तथा निर्देशक तत्व (सिद्धांतों) में अंतर प्रमुख लिखिए।
उत्तर- मौलिक अधिकारों तथा नीति निर्देशक सिद्धांतों में प्रमुख अंतर निम्न प्रकार हैं -
(1) मौलिक अधिकारों को न्यायपालिका द्वारा लागू करवाया जा सकता है, जबकि इसके विपरीत निर्देशक सिद्धांत सकारात्मक हैं ।
(2) मौलिक अधिकार स्वरूप में निषेधात्मक हैं, जबकि इसके विपरीत निर्देशक सिद्धांत सकारात्मक हैं।
(3) जहां मौलिक अधिकार अभिव्यक्ति से संबंधित हैं, वहीं निर्देशक सिद्धांत समाज से संबंधित हैं।
(4) मौलिक अधिकारों का उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र है, जबकि नीति निदेशक सिद्धांतों का उद्देश्य उद्देश्य आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है, जिसमें राजनीतिक लोकतंत्र को सफल बनाया जा सके।
प्रश्न 6. मानवाधिकारों के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर- मानव अधिकारों के उद्देश्य को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) मानव अधिकारों का उद्देश्य मानवीय जीवन का समुचित विकास करना है।
(2) मानव अधिकारों का उद्देश्य विश्व शांति की स्थापना करना है।
(3) मानव अधिकारों का एक उद्देश्य संसार में सद्भावना, आपसी विश्वास तथा प्रेम का वातावरण निर्मित करना भी है।
प्रश्न 7. भारत में मानवाधिकारों के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
उत्तर- भारत ने मानवाधिकारों के क्रियान्वयन हेतु निम्न प्रावधान किए हैं-
(1) भारतीय संविधान में मूल अधिकारों तथा राज्य के नीति निदेशक तत्वों की व्यवस्था की गई है।
(2) धर्म, जाति, वंश, लिंग तथा जन्म स्थान इत्यादि के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का निषेध कर दिया गया है। इसी के साथ अस्पृश्यता अर्थात छुआछूत का भी पूर्ण मैसेज कर दिया गया है।
(3) समानता, स्वतंत्रता, धर्म पालन तथा संस्कृति इत्यादि की रक्षार्थ अधिकारों की व्यवस्था की गई है।
(4) भारत ने विश्व स्तर पर साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद का विरोध किया है तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना कर दी है।
◆दीर्घ उत्तरीय प्रश्न◆
प्रश्न 1. भारतीय संविधान में नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- अमेरिका की तरह भारतीय संविधान में भी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का विस्तृत प्रावधान किया गया है। मौलिक अधिकारों का तात्पर्य एक तरफ तो उन अधिकारों से है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास हेतु परमावश्यक हैं, दूसरी तरफ यह अधिकार है जो न्याय योग्य है अर्थात इनका उल्लंघन किए जाने की परिस्थिति में न्यायपालिका की शरण ली जा सकती है।
भारतीय संविधान के तीसरे भाग में नागरिकों को 7 मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं थे लेकिन 44वें संविधान संशोधन द्वारा संपत्ति के मौलिक अधिकार को समाप्त कर दिया गया, जिसके फलस्वरूप इनकी संख्या 6 हो गई । परंतु दिसंबर, 2002 में 86वें संविधान संशोधन द्वारा एक मौलिक अधिकार शिक्षा ( प्रारंभिक शिक्षा ) तथा सूचना का अधिकार जोड़ दिया गया।
(1) समानता का अधिकार- यह लोकतंत्र का मूल आधार होता है, अतः भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता के अधिकार का विस्तृत उल्लेख किया गया है।
(2)स्वतंत्रता का अधिकार- क्योंकि देश के संविधान का उद्देश्य विचार , अभिव्यक्ति, विश्वास ,धर्म तथा उपासना की आजादी सुनिश्चित करना है । तथा संविधान में अनुच्छेद 19 से 22 तक इन अधिकारों का विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला गया है।
(3)शोषण के विरुद्ध अधिकार- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 से 24 तक समस्त नागरिकों को शोषण के खिलाफ अधिकार प्राप्त प्रदत करके दासता की समस्त अतिथियों को समाप्त करने का प्रयास किया गया है।
(3)धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 द्वारा सभी देशी एवं विदेशी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है।
(4)संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार- समस्त भारतीय नागरिक को को अनुच्छेद 29-30 द्वारा संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार दिए गए हैं।
(5)संवैधानिक उपचारों का अधिकार - मौलिक अधिकारों के प्रावधानों का उल्लेख से ज्यादा उन्हें कार्य रूप प्रदान किया जाना है, जिसके अभाव में भी अर्थहीन हो जाएंगे। इस बात को दृष्टिगत रखते हुए भारतीय संविधान में अनुच्छेद 32 द्वारा संवैधानिक उपचारों के अधिकार को संविधान में उल्लेखित किया गया।
(6) शिक्षा( प्रारंभिक शिक्षा) तथा सूचना का अधिकार- दिसंबर, 2002 में 86वें संवैधानिक संशोधन द्वारा शिक्षा (प्राथमिक शिक्षा) को मौलिक अधिकार के रूप में संविधान में सम्मिलित किया गया है।
व्यक्ति मौलिक अधिकारों को व्यवहार में उपयोग कर सके। इस दृष्टिकोण से उसे शासन के समस्त जरूरी सूचनाएं हासिल करने का अधिकार होना चाहिए। अतः 12 अक्टूबर, 2005 से सूचना का अधिकार अधिनियम लागू कर दिया गया है।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान में वर्णित कोई तीन मौलिक अधिकार एवं कोई तीन मौलिक कर्तव्य लिखिए।
उत्तर-
★संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार
[ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 के उत्तर में से कोई तीन अधिकार लिखिए।]
★ संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्य
संविधान में वर्णित तीन प्रमुख मौलिक कर्तव्य निम्न प्रकार हैं-
(1) प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करें, राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रगान का सम्मान करें।
(2) भारत की प्रभुसत्ता, एकता तथा अखंडता की रक्षा करना प्रत्येक भारतीय का मौलिक कर्तव्य है।
(3) प्राकृतिक साधनों, प्राकृतिक वातावरण एवं वन्य जीवों का संवर्धन तथा उनके प्रति दयाभाव रखना व प्रत्येक भारतवासी का एक अन्य मौलिक कर्तव्य है।
प्रश्न 3. राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- राज्य के नीति निदेशक तत्व के महत्व अथवा उपयोगिता को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) शासन के मूल्यांकन का आधार -नीति निदेशक तत्व जनसाधारण को शासन की सफलता अथवा असफलता की जांच करने का मापदंड प्रदान करते हैं। शासक दल चुनावों के दौरान इन सिद्धांतों के संदर्भ में अपनी सफलताएं गिनाता है।
(2) आर्थिक लोकतंत्र के स्थापना हमेशा हाय सहायक- नीति निदेशक सिद्धांत भारत सरकार को राजनीति लोकतंत्र की स्थापना के साथ-साथ लोकतंत्र स्थापित करने में सहयोग देते हैं।
(3) कर्तव्य बोध का आभास -राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत हमेशा शासकों को उनके कर्तव्य का बोध कराते हैं जिसके फलस्वरूप कोई भी राजनीतिक दल अनिष्टकारी कार्यों के प्रति उन्मुक्त नहीं होता है।
(4) संविधान की व्याख्या में मददगार- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत संविधान की व्याख्या में सहायक सहायक सिद्ध होते हैं। वे सिद्धांत न्यायालयों के लिए प्रकाश स्तंभ के समान हैं तथा संवैधानिक व्याख्या के कार्य में न्यायपालिका द्वारा इन्हें उचित महत्व दिया जाता है।
(5) जनमत की शक्ति - हालांकि इन सिद्धांतों को न्यायालय द्वारा क्रियान्वित नहीं किया जा सकता लेकिन इनके पीछे जनमत की सत्ता होती है , जो कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा न्यायालय है।
(6) राष्ट्र कल्याण की नीति में सहायक - इन सिद्धांतों के अस्तित्व से एक राजनीतिक दल से दूसरे दल में सत्ता का हस्तांतरण हो जाने पर भी राष्ट्र कल्याण की गति में किसी भी प्रकार की रुकावट पैदा नहीं होती है।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के प्रमुख कार्य लिखिए।
अथवा
मानव अधिकार आयोग की शक्तियां लिखिए।
उत्तर- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के प्रमुख कार्य एवं शक्तियां निम्न प्रकार हैं-
(1) पीड़ित व्यक्ति अथवा पक्ष द्वारा स्वयं या उसकी तरफ से किसी अन्य द्वारा दर्ज कराई गई मानवाधिकार उल्लंघन विषयक मामले की जांच करना राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रथम कार्य है।
(2) मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित किसी भी मामले में न्यायपालिका की अनुमति लेकर संबंधित मामले में हस्तक्षेप करना।
(3) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग राज्य सरकार को सूचना देकर राज्य में स्थित कारागारों का समय-समय पर निरीक्षण करने का महत्वपूर्ण कार्य क्रियान्वित करता है।
(4) मानव अधिकारों को लागू किए जाने के मार्ग की रुकावट के निराकरण के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा संस्तुति करने का कार्य किया जाता है
(5) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ऐसे अन्य कार्यो को भी क्रियान्वित करता है जिनसे कि मानव अधिकारों को अधिक से अधिक बढ़ावा मिलता है।