MP Board Class 11th Hindi September Masik Test Paper solution 2021

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MP Board 11th hindi ( हिंदी ) September masik test paper solution 2021/ 11वीं हिंदी सिंतबर मासिक टेस्ट हल


September 11th Hindi Masik Test Paper Solution: छात्रों इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं सिंतबर मासिक टेस्ट 2021 क्लास 11th हिंदी के महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारे में जो आपके सितंबर महीने में होने वाले मासिक टेस्टों के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। जैसा की आप सभी छात्रों को पता ही होगा कि हर महीने के अंतिम सप्ताह में आपके मासिक टेस्ट लिए जाएंगे। तो ऐसे महीने में भी महीने के अंत में आपके मासिक टेस्ट लिए जाएंगे। September Masik Test 2021 class 11th के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न इस आर्टिकल में बताए गए हैं जोकि सितंबर मासिक टेस्ट के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। 


Masik Test September

अध्याय - 4

                            विदाई-संभाषण    - बालमुकुंद गुप्त

पाठ के साथ -


प्रश्न 1. शिव शंभू की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?


उत्तर - शिवशंभु की दो गायों के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि भारत के पशु हो या मनुष्य में अपने संगी-साथियों के साथ गहरा लगाव रखते हैं। चाहे वह आपस में लड़ते-झगड़ते भी हो, तो भी उनका परस्पर प्रेम अटूट होता है। एक दूसरे से विदा होते समय वे दुख अनुभव करते हैं। लेखक यह भी कहना चाहता है कि विदाई का समय करुणाजनक होता है।


प्रश्न 2. आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया- यहां किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है?


उत्तर - लेखक ने यहां बंगाल-विभाजन की ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया है। लॉर्ड कर्जन ने भारत में नित-प्रति होने वाली क्रांतिकारी घटनाओं का समाधान करने के लिए एक कूटनीतिक योजना बनाई। इसके अंतर्गत उसने बंगाल क्षेत्र का विभाजन करने की योजना बनाई। भारत की जनता कर्जन के कलुषित इरादों को समझ गई। आत: बंगाल की आठ करोड़ जनता ने तो बंग-भंग का पुरजोर विरोध किया है, पूरा भारत के विरुद्ध खड़ा हो गया। इससे घटना ने स्वतंत्रता-आंदोलन की चिंगारी को और अधिक भड़का दिया। 


प्रश्न 3. कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया?


उत्तर - कर्जन के इस्तीफा के दो कारण हैं - 1. बंग-भंग की योजनाओं को मनमाने ढंग से लागू करने के कारण सारे भारतवासी उसके विरुद्ध उठ खड़े हुए। इससे कर्जन की जड़े हिल गई।वह इंग्लैंड वापस जाने के बहाने खोजने लगा। 

2. कर्जन ने इंग्लैंड में एक फौजी अफसर को अपनी इच्छा से नियुक्त कराना चाहा। उसकी सिफारिश को अनसुना कर दिया गया। इससे क्षुब्ध होकर उसने इस्तीफा देने की धमकी दी। ब्रिटिश शासन ने उसका इस्तीफा ही मंजूर कर लिया।


प्रश्न 4. विचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई! कितने ऊंचे होकर आप कितने नीचे गिरे! आशय स्पष्ट कीजिए।


उत्तर - लॉर्ड कर्जन को भारत में जैसा मान-सम्मान और जैसी शान-शौकत भोगने को मिली, वैसी किसी भी अन्य शासक को नहीं मिली होगी। दिल्ली दरबार में उसकी कुर्सी सोने की थी। उसका हाथी जुलूस में सबसे आगे और ऊंचा चलता था। उसे सम्राट एडवर्ड के भाई से भी अधिक सम्मान मिला। उसके एक इशारे पर देश के धनी-मानी लोग और राजा-महाराजा हाथ बांधे खड़े रहते थे। उसने अपने संकेत भर से बड़े-बड़े राजाओं को मिट्टी में मिला दिया और अनेक निकम्मों को आसमान तक ऊंचा उठा दिया। कहां तो उसकी ऐसी ऊंची आन-बान थी और कहां, ऐसी हालत हो गई है कि एक अदना-सा-फौजी-अफसर भी उसकी सिफारिश पर नहीं रखा गया, उल्टे उसी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया।


प्रश्न 5. आपके और यहां के निवासियों के बीच कोई तीसरी शक्ति भी है- यहां तीसरी शक्ति किसे कहा गया है?


उत्तर - यहां 'ईश्वर' को तीसरी शक्ति कहा गया है। उसकी शक्ति के आगे न तो लॉर्ड कर्जन का जोर चल सकता है, न भारतीय जनता का। उसी की इच्छा के अनुसार दुनिया का संचालन होता है।


पाठ के आस-पास -


प्रश्न 1. पाठ का यह अंश शिवशंभू के चिट्ठे से लिया गया है। शिवशंभू नाम की चर्चा पाठ में भी हुई है। बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया होगा?


उत्तर - 'शिवशंभू' बालमुकुंद गुप्त द्वारा प्रयुक्त एक काल्पनिक नाम है। यह पात्र सदा भांग के नशे में मस्त रहता है तथा सबके सामने खरी-खरी बातें कहता है। यह पोल खोलने वाला पात्र है। 

  लेखक ने अंग्रेजी सरकार के कारनामों की पोल खोलने के लिए पात्र की कल्पना की होगी। लेखक ने यह भी सोचा होगा कि व्यंग्य-कार्टून की तरह, या ' बुरा ना मानो होली है' की तरह, वह इस भांग पीने वाले पात्र की आड़ में वह सुरक्षित भी रह सकेगा। इस तरह पात्र भी लोकप्रिय होगा, शैली भी रोचक होगी और व्यंग्य की चोट भी गहरी हो सकेगी।


प्रश्न 2. नादिर से भी बढ़कर आपकी जिद्द है - कर्जन के संदर्भ में क्या आपको यह बात सही लगती है? पक्ष या विपक्ष में तर्क दीजिए।


उत्तर - जी हां, कर्जन की जिद्द नादिर से भी बढ़कर थी। एक शासक के नाते उसका कर्तव्य बनता था कि वह जन-भावनाओं का आदर करे। वह जनता की इच्छाओं का सम्मान करें तथा सदा उसके हित की सोचे। इसके विपरीत कर्जन इस देश को मनमाने ढंग से चलाना चाहता था। बंगाल के आठ करोड़ लोगों ने उसके सामने गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की कि बंगाल का विभाजन न किया जाए। किंतु उसके कानों पर जूं भी नहीं रेंगी। इससे अच्छा और उदार तो नादिरशाह जिसने आसिफजहां द्वारा क्षमा मांग लिए जाने पर तत्काल कत्लेआम रोक दिया था।


प्रश्न 3. क्या आंख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना किसी की कुछ ना सुनने का नाम ही शासन है? इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन क्या है? इस पर चर्चा कीजिए।


उत्तर - लॉर्ड कर्जन ने अपने शासनकाल में प्रजा के हितों को ध्यान में नहीं रखा बल्कि उसने मनमाना हुक्म चलाकर शासन किया था। इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन उसे कहते हैं कि जिस में प्रजा की मर्जी के विरुद्ध शासक के जिद के अनुसार कानून बनाया जाता है। जनता के अनुरोध या प्रार्थना सुनने के लिए उन्हें अपने पास भी भटकने ना दिया जाता हूं।


प्रश्न 4. इस पाठ में आए अलिफ लैला, अलहदीन, अबुल हसन और बगदाद के खलीफा के बारे में सूचना एकत्रित कर कक्षा में चर्चा कीजिए।


उत्तर - छात्र स्वयं करें।


भाषा की बात


प्रश्न 1.  वे दिन-रात यही मानते थे कि श्रीमान जल्दी यहां से पधारें/ सामान्य तौर पर आने के लिए पधारें शब्द का प्रयोग किया जाता है। यहां पधारें शब्द का अर्थ क्या है?


उत्तर - यहां पधारे शब्द का अर्थ है - चले जाएं/ रुखसत हो जाएं।


प्रश्न 2. पाठ में से कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं, जिनमें भाषा का विशिष्ट प्रयोग ( भारतेंदु युग इन हिंदी ) हुआ है उन्हें सामान्य हिंदी में लिखिए - 



( क ) आगे भी जो इस देश में प्रधान शासक आए, अंत को उनको जाना पड़ा।

उत्तर - पूर्व में भी इस देश में जो शासक आए, अंत में उन्हें जाना पड़ा।


( ख ) आप किसको आए थे और क्या कर चले ? 

उत्तर - आप किसलिए आए थे और क्या करके चले गए


( ग ) उनका रखा या एक आदमी नौकर ना रखा।

उत्तर - उनके रखवानी से एक भी आदमी नौकर न रखा गया।


( घ ) पर आशीर्वाद करता हूं कि तुम फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से लाभ करें।


उत्तर - परंतु आशीर्वाद देता हूं कि तो फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को दोबारा प्राप्त कर सके।


मीरा


पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर 


पाठ के साथ -


प्रश्न 1. मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती हैं? वह रूप कैसा है?


उत्तर - मीरा कृष्ण की उपासना प्रिय ( पति ) के रूप में करती हैं। यह रूप अत्यंत मनोहारी है। मीरा इस रूप पर बलिहारी जाती है। कृष्ण ने इस रूप में सिर पर मोर-मुकुट पहन रखा है। मीरा को कृष्ण का यही रूप प्रिय है।


प्रश्न 2. भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए -


( क ) अंसुवन जल सींच-सींच, प्रेम-बेलि बोयी

        अब तो बेलि फैलि गई, आणंद-फल होयी


उत्तर - भाव-सौंदर्य - इसमें भाव-भक्ति अपने चरम पर है। मीरा का प्रेम आंसुओं से सींच-सींच कर पल्लवित हुआ है। अब मीरा को इसमें आनंद रूपी फल प्राप्त होने लगा है।


शिल्प-सौंदर्य - ( 1 ) भाषा कोमल, सुमधुर एवं संगीतमयी है। ( 2 ) आंसू रूपी जल। प्रेम रूपी बेल। आनंद रूपी फल में सांगरूपक अलंकार का कुशलतापूर्वक प्रयोग हुआ है। ( 3 ) 'सींच-सींच' में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। ( 4 ) बेलि बोयी, बेलि फैलि में अनुप्रास की छटा दर्शनीय है।


( ख ) दूध की मथनिया बड़े प्रेम से विलोयी

        दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी।


उत्तर - भाव-सौंदर्य - इसमें भक्ति को मक्खन के समान महत्वपूर्ण तथा सांसारिक सुख को छाछ के समान माना गया है। कावयित्री ने भक्ति की महिमा का सुंदर गान किया है


शिल्प-सौंदर्य - ( 1 ) ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग किया गया है। ( 2 ) इसमें अन्योक्ति अलंकार का कुशलतापूर्वक निर्वाह हुआ है। ( 3 )  यहां दही जीवन का प्रतीक है, 'घृत' भक्ति का प्रतीक हैतथा 'छोयी' असार संसार की प्रतीक है।


प्रश्न 3. लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?


उत्तर - मीरा ने भक्ति प्रकट करने के लिए अपना राज-परिवार छोड़ा, जग की निंदा सही और मंदिरों में प्रभु के भजन गाती फिरी। इस कारण लोग मीरा का कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति भाव देखकर उसे बावरी कहते हैं। 


प्रश्न 4. 'विष का प्याला राणा भेज्या, पीवति मीरा हॉंसी' इसमें क्या व्यंग्य छिपा है? 


उत्तर - इस पंक्ति में मीरा के कुटुंबी जनों पर व्यंग है कि वे उस की भक्ति को पाप मानते हैं। उन्हें कृष्ण के प्रति प्रेम में लज्जा आती है। इसलिए राणा ने उन्हें जान से मारने के लिए विष का प्याला भेजा। परंतु मीरा ने उसे भी स्वीकार कर लिया। बेहोश प्याले को हंसते-हंसते पी गई, अर्थात उन्होंने अपने कुटुंब जनों द्वारा किए गए अपमान को पी लिया, परंतु भक्ति पथ से नहीं डिगी।


प्रश्न 5. मीरा जगत को देख कर रोती क्यों है?


उत्तर - मीरा सांसारिक सुख दुख को असार मानती हैं जगत की लीला को व्यर्थ मानती हैं। फिर भी लोग उस में लिप्त रहते हैं। यह देखकर मीरा रोती है।


पद के आस-पास - 

 

प्रश्न 1. कल्पना करें, प्रेम प्राप्ति के लिए मीरा को किन किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा।


उत्तर - कृष्ण का प्रेम पानी के लिए मीरा को अनेक कष्ट सहने पड़े होंगे। उन दिनों नारी को बहुत परदों में और मर्यादाओं में रहना पड़ता था। राजकुल की महिलाओं पर और भी अधिक बंधन थे। इसलिए मीरा का घर से बाहर निकलना साहसिक कदम था। फिर खुले समाज में मंदिर में नाचना-गाना तो और भी कठिन कार्य था। इसके लिए उन्हें अपने परिवार-जनों की यातनाएं सहनी पड़ी होगी। समाज के लोगों ने भी अवश्य उन पर व्यंग्य कसे होंगे प्रेम पाने के लिए उन्हें उन्हें जहर का प्याला भी पी लिया।


प्रश्न 2. लोक लाज खोने का अभिप्राय क्या है? 


उत्तर - 'लोक लाज खोने' का अभिप्राय है- लोगों के सामने खुलकर आना। समाज की टीका-टिप्पणी से ना घबराना। समाज ने सदव्यवहार के नाम पर जो बंधन लागू किए हुए हैं, उन्हें तोड़ देना। 


प्रश्न 3. मीरा ने 'सहज मिले अविनासी' क्यों कहा है?


उत्तर - मीरा के अनुसार, प्रभु अविनासी हैं, अर्थात अनश्वर हैं।

उन्हें जो भी सच्चे मन से प्रेम करता है इसे प्राप्त हो जाते हैं।


प्रश्न 4. लोग कहै, मीरा भइ बावरी, न्यात कहै कुल-नासी मीरा के बारे बारे में लोग ( समाज ) और न्यात ( कुटुंब ) की ऐसी धारणाएँ क्यों हैं?


उत्तर - मीरा कृष्ण के प्रेम में दीवानी हो चुकी है, उसे लोक लज्जा का भय नहीं है। समाज के लोग उसे पागल कहने लगे हैं क्योंकि वह पागलों की भांति नाच-नाच कर श्री कृष्ण के गीत गा रही है। न्यात ( कुटुंब )अर्थात बिरादरी के लोग उसे कुल का नाश करने वाली कहते हैं। क्योंकि मेरा विवाहित होते हुए भी श्रीकृष्ण को अपना पति स्वीकार करती हैं जोकि राजवंश की मर्यादा के विरुद्ध है, इसीलिए बिरादरी के लोग मीरा कुलनासी कहते हैं। इसी कारण समाज और कुटुंब की मीरा के विषय में ऐसी धारणाएँ हैं।


वे आँखे

कविता के साथ - 

प्रश्न 1. अंधकार की गुहा सरीखी

          उन ऑंखों से डरता मन।

( क )  आमतौर पर हमें डर किन बातों से लगता है?

( ख ) 'उन आंखों' से किस की ओर संकेत किया गया है?

( ग ) कवि को 'उन आंखों' से डर क्यों लगता है?

( घ ) डरते हुए भी कभी ने उस किसान की आंखों की पीड़ा का वर्णन क्यों किया है? 

( ड़ ) यदि कवि इन आंखों से नहीं डरता क्या तब भी वह कविता लिखता? 


उत्तर - ( क ) आमतौर पर हमें अपने तथा अपने प्रियजन की मृत्यु, नुकसान, कष्टों तथा अपमान से डर लगता है।

( ख ) उन आंखों से एक उजड़े हुए किसान की आंखों की ओर संकेत किया गया है।

( ग ) कवि को उन आंखों से इसलिए डर लगता है क्योंकि उनमें करुणा तथा निराशा व्याप्त है। उनमें दूर-दूर तक घोर अंधकार है। उनमें भय है, कवि उन आंखों का सामना नहीं कर सकता है।

( घ ) कवि को पीड़ित किसान की आंखों को देखकर भय लगता है फिर भी वह उसकी पीड़ा व्यक्त करना चाहता है। वह उसके दुख के बारे में समाज को बताना चाहता है ताकि लोग उससे सहानुभूति रखें तथा और अत्याचारी सूदखोर और कोतवाल का पर्दाफाश हो सके जिनके कारण किसान की दुर्दशा हुई है।

( ड़ ) कवि रचना करता है यह उसका धर्म है। यदि कवि को किसान की आंखों को देखकर भय नहीं लगता, तो भी वह किसी अन्य विषय को लेकर कविता लिखता।


प्रश्न 2. कविता में किसान की पीड़ा के लिए किन्हें जिम्मेदार बताया गया है?


उत्तर - इस कविता में किसान की पीड़ा के लिए सूदखोर तथा कोतवाल को जिम्मेदार ठहराया गया है। सूदखोर ने अपना ब्याज तथा ऋण वसूल करने के लिए उसके खेत, बैल और घर-बार बिकवा दिए। उसके कारिंदों ने किसान के जवान बेटे को मार डाला। लाचार किसान पत्नी की दवा-दारू न कर सका। अतः वह भी चल बसी। उसके बिना उसकी दूधमुँही बच्ची का देहांत हो गया। इस प्रकार सूदखोर के अत्याचारों के कारण किसान की दुर्दशा हुई।

किसान की दुरावस्था के लिए कोतवाल भी दोषी है। उसने किसान की पुत्रवधू को थाने में बुलवाया तथा उसके साथ कुकर्म किया। इस कारण व पुत्रवधू कुएं में डूब कर मर गए।


प्रश्न 3. 'पिछले सुख की स्मृति आंखों में छण भर एक चमक है लाती' इसमें किसान के किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है? 


उत्तर - निम्न पंक्ति में किसान के जिन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है, वे इस प्रकार हैं - किसान के कभी हरे-भरे लहलहाते खेत थे। उसकी हरियाली को देखकर उसका तन-मन प्रसन्न हो जाया करता था। तब वह स्वाधीन था। उसके पास अपने कहलाने को कुछ खेत थे। उसी से उसका मस्तक ऊंचा उठता था। तब उसकी आंखों में चमक तथा दृष्टि में स्वाभिमान था। उसका एक प्राणप्रिय जवान पुत्र था। उसका निजी घर था, पुष्ट बैलों की जोड़ी थी। उसके पास एक सफेद गाय भी थी, जो स्नेहवश बस उसी को ही दूध दुहने देती थी। उसके परिवार में पत्नी, बिटिया और पुत्रवधू थी। ये सब दुर्भाग्य से एक-एक करके नष्ट हो गए। इन्हीं की स्मृति उस किसान की आंखों में चमक ला देती थी।


प्रश्न 4. संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें - 

( क ) 6. व्याख्या

( ख ) 8. व्याख्या

( ग ) 10. व्याख्या


प्रश्न 5. "घर मे विधवा रही  पतोहू….। खैर पैर की जूती, जोरू/एक न सही दूजी आती," इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए ' वर्तमान समाज और स्त्री' विषय पर एक लेख लिखें।


उत्तर - प्रस्तुत कविता में स्त्री की अत्यंत दयनीय स्थिति बताई है। वर्तमान समाज में स्त्रियों की बात करें तो स्त्रियों की स्थिति पहले की तुलना में कही बेहतर है। आज स्त्री सभी देशों में पुनः अपनी शक्ति का लोहा मनवा रही है। आज वह अबला नहीं सबला हो गई है। आज वह घर के चौका से निकलकर सेना, पुलिस, वकालत, राजनीति, शिक्षा, साहित्य, कला, विज्ञान, चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में कार्य कर रही है। वर्तमान समय में नारी की स्थिति में अपेक्षित सुधार होते जा रहे हैं।


कविता के आस-पास -


प्रश्न 1. "किसान अपने व्यवसाय से पलायन कर रहे हैं।" इस विषय पर परिचर्चा आयोजित करें तथा कारणों की भी पड़ताल करें।


उत्तर - किसान अपने व्यवसाय से पलायन कर रहे हैं इस विषय पर निम्न मुद्दों के आधार पर परिचर्चा कर सकते हैं -

( 1 ) खेती व्यावसायिक दृष्टिकोण से लाभप्रद नहीं रह गई है।

( 2 ) इस व्यवसाय में परिश्रम की अधिक आवश्यकता होती है जिसे आज का पढ़ा-लिखा युवा वर्ग नहीं करना चाहता है।

( 3 ) सरकार का कृषि और किसान के प्रति उदासीन रवैया।

( 4 ) अनाज की बिक्री की समुचित व्यवस्था का अभाव।

कारण - ( 1 ) कम आय होना, ( 2 ) घोर परिश्रम के बाद भी सफलता न मिलना,( 3 ) समाज में उचित सम्मान न मिलना,

( 4 ) आधुनिक तकनीक का प्रयोग न होना, ( 5 ) प्रकृति और वर्षा पर निर्भरता।


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